सोशल मीडिया के बढ़ते इस्तेमाल ने हर किसी को सोशल मीडिया का मुरीद बना दिया है। आजकल हर उम्र के लोगों से साथ-साथ सोशल मीडिया का बच्चों पर प्रभाव भी देखा जा रहा है। अलग-अलग सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म की वजह से बच्चों पर नजर रखना मां-बाप के लिए बड़ी मुसीबत बन चुका है।
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सवालः
सोशल मीडिया का चलन बढ़ने की वजह से बच्चों को सेक्स और इससे संबंधित सामाग्री आसानी से मिल जाती है। मुझे इस बात का डर हमेशा लगा रहता है कि मेरे बच्चे कहीं सोशल मीडिया पर सेक्स के बारे में कुछ गलत ना देखा करें। सोशल मीडिया का बच्चों पर प्रभाव मेरे बच्चे के लिए नुकसादेह न हो, इसके लिए मुझे क्या करना चाहिए?
जवाब:
आजकल का युग टेक्नॉलिजी का युग है। बच्चों को सोशल मीडिया और इंटरनेट पर सब कुछ आसानी से मिल जाता है। बच्चों को इंटरनेट पर कार्टून देखना और गेम खेलना पसंद होता है। कभी-कभार ऐसा करते हुए बच्चों को कुछ ऐसा दिख जाता है जिसकी छाप उनके दिमाग पर लंबे समय तक रह जाती है। जिसकी वजह से सोशल मीडिया का बच्चों पर प्रभाव भी देखा जा सकता है और कभी-कभी बच्चे सेक्स से जुड़े शब्द भी घर में इस्तेमाल करते हैं।
सोशल मीडिया का बच्चों पर प्रभाव जानने के लिए आपको निम्न बातों का ख्याल रखना चाहिएः
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1.सही उम्र में करें सेक्स की बात
सोशल मीडिया का बच्चों पर प्रभाव बच्चे के लिए नुकसानदेह न हो इसके लिए सही उम्र में बच्चों से सेक्स के बारे में बात करना जरुरी होता है। अगर कभी आपका बच्चा आपके सामने सेक्स से संबंधित किसी शब्द का इस्तेमाल करे तो उसे डांटें नहीं या ये बिल्कुल ना कहें कि ये गलत या गंदा है। ऐसा बोलने से आपका बच्चा इसके बारे में और उत्सुक होगा और करना चाहेगा। आपको उन्हें अच्छे से इस बात को समझाना चाहिए। आप और आपके पार्टनर को मिलकर इस पर बात करनी चाहिए। शांति से बात करने से अक्सर बच्चे बात को समझ जाते हैं।
2.5 साल की उम्र में लिंग में अंतर बताएं
ये बात अलग है कि सोशल मीडिया का बच्चों पर प्रभाव बहुत जल्दी पड़ता है। लेकिन आपको चाहिए आप अपने बच्चे को पांच साल की उम्र में लिंग में अंतर करना पहली बार बताएं। आमतौर पर अधिकतर बच्चे पांच साल की उम्र में ही स्कूल जाना शुरू करते हैं, तो यह आपके लिए भी एक सही मौका हो सकता है। साथ ही, इस उम्र में बच्चे अगर किसी बात या तथ्य को पहली बार सुनते हैं, तो उसे याद भी रखते हैं।
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सोशल मीडिया का बच्चों पर प्रभाव कैसा पड़ता है?
सिक्के की तरह ही हर चीज के दो पहलू होते हैं। एक अच्छा और एक बुरा। इसकी तरह सोशल मीडिया का बच्चों पर प्रभाव भी दो तरह से हो सकता है। जो कुछ हद तक अच्छा तो कुछ मामलों में सावधानी बरतने जैसा भी हो सकता है। तो चलिए आपको बताते हैं सोशल मीडिया का बच्चों पर प्रभाव जो सकारात्मक तौर पर देखा जा सकता है।
सोशल मीडिया का बच्चों पर प्रभाव: टेक्निकल स्किल बढ़ाए
आज की अधिकतर युवा पीढ़ी अपना अधिकतर समय ऑनलाइन और सोशल मीडिया की दुनिया मेंं व्यतीत करते हैं। ऐसे में टेक्निकल स्किल का होना भी बहुत जरूरी हो चुका है। सोशल मीडिया न सिर्फ चैटिंग या गेम्स के लिए है, बल्कि नई चीजें सीखने, पढ़ने और रचनात्मक बातों को जानने के लिए भी बहुत जरूरी है। ये सभी बातें बच्चे के भविष्य के लिए भी काफी महत्वपूर्ण होती हैं। इसके अलावा वो ऑनलाइन रह कर भी अलग-अलग लोगों से उनके हुनर भी सीख सकते हैं।
सामाजिक बनाने में मदद करे
अक्सर लोगों को लगता है उनका बच्चा पूरा दिन फोन में व्यस्त रहता है। जिसकी वजह से वो धीरे-धीरे सामाजिक जिम्मेदारियों और नए लोगों से मिलने में कतराने लगता है। लेकिन, इस तथ्य को पूरी तरह से उचित नहीं ठहराया जा सकता है। सोशल मीडिया का बच्चों पर प्रभाव भी सामाजिक स्तर पर काफी हद तक लाभदायी देखा जा सकता है। ऑनालइन और सोशल मीडिया की दुनिया के माध्यम से बच्चे सामाजिक बन सकते हैं। जिसके लिए उन्हें नए-नए लोगों से मिलने की जरूर भी नहीं होती है। सोशल मीडिया के जरिए बच्चे अपनी परेशानियां या खूबियां दूसरे लोगों को बड़ी ही आसानी से बता सकते हैं, साथ ही दूसरे लोगों की जानकारियों को भी समझ सकते हैं। सोशल मीडिया का इस्तेमाल बच्चे ग्रुप स्टडी के तौर पर भी करते हैं।
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सोशल मीडिया का बच्चों पर प्रभाव: एक साथ और कम समय में विभिन्न चीजें एक्सपलोर कर सकते हैं
नई बातें सीखने के मामले में सोशल मीडिया का बच्चों पर प्रभाव काफी सकारात्मक देखा गया है। बच्चे कम से कम समय में एक साथ कई अलग-अलग बातों को एक्सपलोर कर सकते हैं। सोशल मीडिया के माध्यम से बच्चे नई और पुरानी सभ्यताओं को बड़ी ही आसानी से समझ और सीख सकते हैं। साथ ही, सभी सभ्यताओं के अलग-अलग होने की वजह भी वो आपसे नहीं पूछेंगे।
क्या नकारात्मक भी हो सकता है सोशल मीडिया का बच्चों पर प्रभाव?
इस बात में कोई दोराय नहीं हो सकती है। हम इसे झुठला नहीं सकते हैं कि सोशल मीडिया का बच्चों पर प्रभाव सकारात्मक कम और नकारात्मक अधिक देखा जाता है। जैसेः
लत लगना
सोशल मीडिया का बच्चों पर प्रभाव को लेकर कई अध्ययन इसका दावा भी कर चुके हैं कि स्मोकिंग या ड्रिंकिंग से भी ज्यादा खतरनाक लत सोशल मीडिया और मोबाइल फोन की हो सकती है। सोशल मीडिया का बच्चों पर प्रभाव एक लत की तरह दिखाई दे सकता है। बच्चे को बार-बार अपने सोशल अकाउंट का न्यूज फीड चेक करने की लत लग सकती है, जिसके कारण बच्चा हमेशा अपने फोन के साथ ही रहना पसंद करने लग सकता है। एक्सपर्ट्स के मुताबिक, सोशल मीडिया के लाइक, शेयर, कमेंट और नई तस्वीरें या वीडियो अपलोड करनी जैसी बातें बच्चों के ब्रेन के रिवार्ड सेंटर को एक्टिवेट कर देते हैं। यह रिवार्ड सर्किट किशोरावस्था के दौरान ज्यादा हाई हो जाती है।
इसके अलावा भी सोशल मीडिया का बच्चों पर प्रभाव नकारात्मक देखा जा सकता हैः
- मेंटल हेल्थ प्रभावित हो सकता है
- बच्चे के इमोशनल एंड सोशल डेवलेपमेंट में देरी हो सकती है
- सोशल डिप्रेशन का शिकार हो सकते हैं
- फियर ऑफ मिसिंग ऑउट (Fear of Missing Out) का जोखिम बढ़ सकता है।
सोशल मीडिया का बच्चों पर प्रभाव कैसे सकारात्मक बना सकते हैं?
जब भी माता-पिता अपने बच्चों से सोशल मीडिया के बारे में बात करें, तो इन बातों का ध्यान रखेंः
- अपने बच्चों के सवाल को पहले सुनें और फिर जवाब दें।
- बच्चे पर गुस्सा होने से बचें चाहें वह 1 सवाल करें या 10।
- बच्चे के साथ निगेटिव होकर बात ना करें कोशिश करे उसे पॉजिटिव मिले।
- जो भी बात हो उसका असल में जवाब दें, बात को घुमाने-फिराने से बेहतर है उनको सच बताएं और कंफर्टेबल महसूस कराएं।
- बच्चों को गुड टच और बैड टच के बारे में बताना बहुत जरूरी होता है। ऐसा करने से बच्चा आपके साथ आने वाले समय में आराम से बात कर सकता है।
ऊपर दी गई सोशल मीडिया का बच्चों पर प्रभाव की सलाह किसी भी चिकित्सा को प्रदान नहीं करती है। सोशल मीडिया का बच्चों पर प्रभाव अधिक गहराई से समझने के लिए कृपया अपने डॉक्टर से जरूर सलाह लें।
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