कहते हैं कि इंसान की सबसे अच्छी दोस्त किताबें होती हैं,यह कहावत सच भी है। इसलिए पेरेंट्स को बचपन से ही बच्चों में किताब पढ़ने की आदत (Reading habits) डालनी चाहिए। बच्चों में किताब पढ़ने की आदत (Reading habits) बहुत हद तक उनके विकास में सहायक होती है। इससे उनके अंदर सोचने और समझने की क्षमता भी बढ़ती है।
इस बारे में इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान पटना के कंसल्टेंट डॉ श्रीनिवास ने हैलो स्वास्थ्य को बताया, ” बच्चा अपने जीवन के शुरुआती पांच से छह साल मां के ज्यादा करीब होता है। ऐसे में बच्चों पर मां का असर सबसे ज्यादा पड़ता है। इसलिए यह जरूरी है कि शुरू से ही बच्चों में अच्छी आदतों (Reading habits) को अपनाने की कोशिश कराई जाए। अगर आप भी चिंतित हैं अपने बच्चे की किताब न पढ़ने की आदत से, तो आइए जानते हैं कुछ ऐसे टिप्स, जिनकी मदद से आप बच्चों के अंदर किताबे पढ़ने की आदत विकसित कर सकते हैं।
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बच्चों में किताब पढ़ने की आदत (Reading habits) डालने के लिए कुछ टिप्स आपसे शेयर करने जा रहें हैं-
बच्चों के सामने रीडिंग करें
बच्चों में किताबें पढ़ने की आदत (Reading habits) विकसित करने के लिए आप उन्हें कलरफुल और तरह-तरह की किताबें ला कर दें। आप खुद भी उनके सामने रीडिंग करें। बच्चा आपकी नकल करने की कोशिश करेगा। ऐसा करने से उन्हें शब्दों का सही उच्चारण करने की कोशिश करने की ताकत मिलेगी। इससे वह जल्दी बोलना और पढ़ना सीख जाएगा। बच्चों में नकल करने की बड़ी प्यारी टेंडेंसी होती है। इससे धीरे—धीरे उनमें किताब पढ़ने की आदत विकसित होगी।
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किताबों का चुनाव उम्र के अनुसार करें
बच्चों में बुक्स रीडिंग की आदत डालने के लिए उन्हें उनकी उम्र के हिसाब से ही किताबें ला कर दें। बच्चा अगर छोटा है तो उसे प्लास्टिक कोटेड रंगीन किताबें (Colorful books) दें। जब बच्चा अक्षर और अल्फाबेट्स पहचानने लगे, तब उसे ऐसी किताबें दें, जिसमें वे आसानी से हिंदी और इंग्लिश के अक्षरों को समझ पाए। जब बच्चों में अक्षरों का ज्ञान हो जाए तब उसे शब्दों से परिचय कराएं।
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बाल-कहानियों की किताबों से दोस्ती
बच्चों को कहानी के माध्यम से किताबों से दोस्ती कराना और उससे जोड़ना बहुत आसान होता है। जब कभी मौका मिले बच्चों को कहानियां सुनाने की कोशिश करें। ऐसा करने से उन्हें पढ़ने में बोरियत नहीं होगी। कहानियों के किताबें पढ़ने से भी उनमे किताब पढ़ने की आदत (Reading habits) विकसित होगी।
एनसीईआरटी के रीडिंग डेवलपमेंट सेल की तरफ से प्रकाशित पुस्तक ‘पढ़ना सिखाने की शुरुआत’ में कहानियों के महत्व को कुछ इस तरह बताया गया है, “कहानी बच्चों को आनंदित करती है। बच्चे कहानी को कहानी को सब्र से सुनना, कल्पना करना, कहानी के पात्रों व घटनाक्रम को याद रखना जैसी चीजें सिखता है। इससे उनकी एकाग्रता व स्मरण शक्ति का भी प्रशिक्षण होता है। एक बार बच्चों का किताबों की दुनिया से परिचय हो जाए तो वह उसी में रच-बस जाना चाहता है।”
किताबें (Books) उपहार में दें
बच्चों को तोहफे हमेशा अच्छे लगते हैं चाहे उनका जन्मदिन हो या सरप्राइज (Surprise)। बच्चों को किताबें उपहार में दें और उन्हें किताबें दोस्तों को उपहार में देने का महत्त्व समझाएं। जब भी आप उन्हें किताब दें तो उस मौके को खुशी का मौका बना दें।
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कहानी कहने को प्रोत्साहित करें
कहानी कहने की कला पढ़ने का श्रव्य रूप (Idia form) है। यह एक कला है जिससे कहानी कहने वाला अपनी काल्पनिक दुनिया भी कहानी के रूप में पेश कर सकता है। पढ़ने से बच्चों को रचनात्मक पंख मिल जाते हैं। मां-बाप को सदा बच्चों को स्टोरीटेलिंग (Story telling) आयोजन में जाने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए या उनकी खुद की बनाई कहानी को सुनाने के लिए कहना चाहिए।
स्टडी रूम (Study room) हो सही
पढ़ने का स्थान बेड के पास या बालकनी में सीधी रोशनी के नीचे या स्टडी रूम में हो सकता है। पढ़ने की जगह पर भरपूर रौशनी (Light) का होना अति आवश्यक है जिससे कि आपकी आँखों (Eye) पे बोझ ना पड़े।
पढ़ाई को गेम की तरह मजेदार बनाएं
आप बच्चे को किताब पढ़ने की आदत देना चाहते हैं, इसके लिए बेहद जरूरी है कि आप खुद भी किताबें पढ़ने (Study habit) की आदत को रूटिन में शामिल करें बच्चे के लिए सबसे जरूरी है कि आप बच्चे को रोजाना इसमें बिजी रखें। इसके लिए, सबसे आसान तरीका यह है कि बच्चों की पढ़ाई-लिखाई के तरीके को एक गेम की तरह डिजाइन करें। ऐसे में बच्चे का मन लगा रहेगा और उसे मजा आता रहेगा।
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उदाहरण बनें
अगर माता पिता नॉन रीडर होते हैं तो बच्चों को पढ़ने के लिए मोटिवेट करना आसान नहीं होता है। ऐसे में मां-बाप होने के नाते अगर बच्चों में आप किताबें पढ़ने की आदत (Reading habits) डालना चाहते हैं तो आपको चाहिए कि आप खुद किताब पढ़ें (Book reading)। बच्चे वही करते हैं जो वो देखते हैं।
बुक लाइब्रेरी लेकर जाएं
बुक लाइब्रेरी बच्चों में किताबें पढ़ने की आदत को विकसित करने के लिए मददगार साबित होती है। बच्चे को वीकेंड पर अच्छे पुस्तकालय ले जाएं। किताबें देखकर बच्चा अपनी रूचि से बुक्स को चुन सकेगा। इससे आप विभिन्न शैली में लिखी पुस्तकों से भी बच्चे को अवगत करा सकते हैं। वहां बैठे बहुत से लोगों को पढ़ता देख बच्चों को पढ़ने का प्रोत्साहन भी मिलेगा।
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बच्चे के लिए किताबें कैसे चुनें? (How to select books for kids)
- शिशु के लिए -पॉप-अप किताबें या चित्र पुस्तकें- ज्यादातर इन तरह की किताबों में बहुत चमकदार चित्र होते हैं और ये पॉप-अप चित्र ही नन्हे बच्चों को बहुत आकर्षित करते हैं जिससे उनमें आगे चलकर पढ़ने की आदत विकसित हो सकती है।
एक से तीन वर्ष के बच्चों के लिए- चित्र पुस्तक के साथ छोटे अक्षर इस उम्र के बच्चों के लिए बेस्ट होती है। इन पुस्तकों से उन्हें अक्षर और उनके स्वर समझने में सहायता मिलती है।
- प्री स्कूल के बच्चों के लिए (तीन से पांच वर्ष)-कहानियां, चित्रण (इलसट्रेशन्स) और इंटरैक्टिव किताबें (Attractive books) बच्चों को पढ़ने में और मजा देती हैं।
- बच्चों के लिए (पांच से 10 वर्ष)- इस उम्र के बच्चे बहुत तरह की किताबें पढ़ और समझ सकते हैं। कॉमिक, कहानियां – वास्तविक / काल्पनिक शैली की किताबों से इन्हें अवगत कराया जा सकता है। पुस्तक बच्चे के हाथ में देने से पहले लेखक चुनने में सावधानी अवश्य बरतें।
किताबें पढ़ने से बच्चों के विकास में काफी मदद मिलती है। उनके अंदर ये आदत डालने के लिए जरूरी है कि आप बचन से ही उनमें रीडिंग रोज करवांए।
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