डिस्कैलक्यूलिया (Dyscalculia) एक ऐसी पेरशानी है, जो बच्चों को मैथ्स या ऐसी कोई भी चीज, जिसमें गणित का इस्तेमाल हो, उसको सॉल्व करने में परेशानी खड़ी करती है। यह डिस्लेक्सिया की परेशानी नहीं है लेकिन कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि यह डिस्लेक्सिया की ही तरह सामान्य है। इसका मतलब है कि पांच से दस प्रतिशत लोगों में डिस्केल्कुलिया हो सकता है। हालांकि इस बारे में कुछ भी यह स्पष्ट नहीं है कि लड़कियों में डिस्कैलक्यूलिया लड़कों की तरह कॉमन है या नहीं।
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डिस्कैलक्यूलिया (Dyscalculia) क्या है?
डिस्कैलक्यूलिया (Dyscalculia) को कई अलग-अलग नामों से जाना जाता है। इसमें मैथमेटिक्स लर्निंग डिसएबिलिटी (Learning disability) भी एक ऐसा ही नाम है। मैथमेटिक्स लर्निंग डिसऑर्डर भी इसी का नाम है। कुछ लोग इसे मैथ डिस्लेक्सिया (Math Dyscalculia) या नंबर डिस्लेक्सिया (Number Dyscalculia) भी कहते हैं। यह कंफ्यूज कर सकता है। डिस्लेक्सिया का मतलब है पढ़ने में परेशानी होना जबकि, डिस्कैलक्यूलिया मैथ को समझने में होने वाली परेशानी को कहा जाता है।
ज्यादातर बच्चों में डिस्कैलक्यूलिया (Dyscalculia) की परेशानी ठीक नहीं होती हैं। जिन बच्चों को बचपन में मैथ के सवाल करने में परेशानी होती है, वे अडल्ट होने के बाद भी इस परेशानी की वजह से संघर्ष कर सकते हैं। लेकिन ऐसे बहुत से तरीके हैं, जो उनके मैथ स्किल को सुधारने और इससे जुड़ी परेशानियों को मैनेज करने में मदद कर सकते हैं।
डिस्कैलक्यूलिया की वजह से बच्चों को परेशानी सभी स्तरों पर होती है। डिस्कैलक्यूलिया (Dyscalculia) की वजह से बच्चों को सामान्य जोड़-घटाव सीखने में भी उतनी ही परेशानी हो सकती है, जितनी सामान्य बच्चों को एलजेब्रा (Alzebra) सिखने में होती है। इस परेशानी की वजह से बच्चों को छोटे-छोटे सवालों को हल करना भी चुनौती का काम हो सकता है।
यही कारण है कि डिस्कैलक्यूलिया की वजह से कई बार रोज के काम करना भी कठिन हो जाता है। खाना पकाने, सामान की खरीदारी और किसी जगह पर समय पर पहुंचना भी बेसिक मैथ स्किल का इस्तेमाल करता है, जिसे नंबर सेंस (Number sense) कहा जाता है।
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डिस्कैलक्यूलिया के लक्षण क्या है? (Symptoms of Dyscalculia)
डिस्कैलक्यूलिया की वजह से बच्चों को गणित में अलग-अलग तरह की परेशानी हो सकती है। इसके लक्षण एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में अलग हो सकते हैं और वे अलग-अलग उम्र में दिख सकते हैं।
कुछ बच्चों में ये समस्या प्रीस्कूल से पहले दिख सकती है। बाकी लोगों में ये परेशानी तब दिखती है, जब उनको मुश्किल सवाल हल करने को मिलता है। समय के साथ मैथ कठिन होने के साथ ये परेशानी लोगों को झेलनी पड़ती है।
डिस्कैलक्यूलिया की सामान्य परेशानी इस तरह से हो सकती है:
- मैथ को समझने के लिए बड़ी और छोटी संख्या की परिभाषा को समझने में परेशानी
- यह समझना कि अंक पांच शब्द पांच के समान है और इन दोनों का मतलब पांच वस्तुओं से है
- स्कूल में गणित के फॉर्मूला को याद करना
- छुट्टा देते समय पैसा गिनना
- समय का हिसाब लगाना
- गति और दूरी को समझने में परेशानी
- गणित के पीछे के लॉजिक को समझना
- समस्याओं को हल करते समय अंको को ठीक से न जोड़ना और अधिक अनुमान लगाना
कुछ लोग डिस्कैलक्यूलिया का कारण केवल बच्चों को मैथ में कमजोर मानते हैं। लेकिन, यह एक वास्तविक चुनौती है, जो बायोलॉजी पर आधारित है, जैसे डिस्लेक्सिया (Dyscalculia) है।
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डिस्कैलक्यूलिया के कारण क्या हैं? (Cause of Dyscalculia)
शोधकर्ताओं को पता नहीं है कि वास्तव में डिस्कैलक्यूलिया (Dyscalculia) क्यों होता है। लेकिन, उनका मानना है कि दिमाग की बनावट और दिमाग (Brain) के काम करने के तरीके में अंतर की वजह से डिस्कैलक्यूलिया की परेशानी होती है।
यहां डिस्कैलक्यूलिया (Dyscalculia) के दो संभावित कारण हैं:
जीन और हेरिडिटरी: डिस्कैलक्यूलिया एक ऐसी समस्या है, जो परिवार में एक पीढ़ी से अगली पीढ़ियों में बढती रहती है। शोध से पता चलता है कि गणित के साथ समस्याओं में अनुवांशिकता भी एक बड़ी भूमिका निभा सकती है।
ब्रेन डेवलेपमेंट: ब्रेन इमेजिंग (Brain Imaging) अध्ययनों ने डिस्कैलक्यूलिया से पीड़ित और डिस्कैलक्यूलिया के बिना वाले लोगों के बीच कुछ अंतर दिखाए हैं। अंतर दिमाग (Brain) के स्ट्रक्चर और उसकी काम करने में पाए गए। इसमें बताया गया है कि दिमाग के वह क्षेत्र कैसे काम करते हैं, जो लर्निंग स्किल से जुड़े हैं।
शोधकर्ता केवल इस बात की तलाश नहीं कर रहे हैं कि डिस्कैलक्यूलिया क्या है। वे यह भी जानने की कोशिश कर रहे हैं कि क्या ऐसा किया जा सकता है, जो बच्चों के लिए गणित को आसान बनाने के लिए दिमाग को फिर से संगठित करने में मदद कर सकता है।
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डिस्कैलक्यूलिया का डायग्नोस (Diagnosis of Dyscalculia)
डायग्नोज करने के लिए इसका एकमात्र इलाज है मूल्यांकन। यह किसी भी उम्र में हो सकता है। इसकी जांच के लिए अलग-अलग टेस्ट (Test) किया जाता है। बच्चों की तुलना में अडल्ट के लिए दूसरे परीक्षणों का उपयोग किया जाता है।
बच्चों को स्कूल (Babies school) में मुफ्त में मूल्यांकन मिल सकता है। ऐसे विशेषज्ञ भी हैं, जो बच्चों और अडल्ट का टेस्ट अलग से करते हैं। निजी मूल्यांकन महंगा हो सकता है। लेकिन ऐसे स्थानीय संसाधन हैं, जो मुफ्त या कम लागत में टेस्ट करके इस परेशानी का मूल्यांकन कर सकते हैं।
मूल्यांकनकर्ता डिस्कैलक्यूलिया (Dyscalculia) के लिए टेस्ट के एक सेट का उपयोग करते हैं। लेकिन मूल्यांकन में दूसरी परेशानियों के लिए परीक्षण शामिल है। इसका कारण यह भी है कि डिस्कैलक्यूलिया वाले लोग अक्सर दूसरी परेशानियों का सामना भी करते हैं, जैसे पढ़ने में परेशानी या वर्किंग मेमोरी का कम होना। लेकिन मूल्यांकन केवल परेशानी नहीं बल्कि अगर आपके बच्चे में कोई परेशानी नहीं है, तो वो भी पता चलती है।
सही डायग्नोस होने पर बच्चों को स्कूल में कम परेशानी का सामना करना पड़ता है। परेशानी के बारे में पता होने पर स्कूल में मैथ टीचर से उन्हें अलग से चीजों को समझाने का मौका मिल सकता है। उदाहरण के लिए जिन बच्चों को मैथ में परेशानी हो, उन्हें गणित में स्पेशल इंस्ट्रक्शन मिल सकता है।
डिस्कैलक्यूलिया (Dyscalculia) की परेशानी सुनने में मुश्किल लग सकती है। लेकिन कई लोगों को यह जानकर राहत मिलती है कि गणित के साथ उनकी परेशानियां सच में वास्तविक हैं। साथ ही सही सपोर्ट मिलने से उन्हें स्कूल, काम और रोजमर्रा की जिंदगी में मदद मिल सकती है।
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डिस्कैलक्यूलिया (Dyscalculia) में बच्चों की मदद कैसे करें?
- उंगलियों और स्क्रैच पेपर के उपयोग की परमिशन दें
- डायग्राम और मैथ के कॉन्सेप्ट को पेपर पर बनाएं
- अपने दोस्तों से गणित में मदद लेना
- ग्राफ पेपर का उपयोग करने का सुझाव दें
- अलग-अलग समस्याओं के लिए रंगीन पेंसिल का उपयोग करने का सुझाव दें
- वर्ड प्रॉब्लम की तस्वीरें खींचना
- गणित के तथ्यों को पढ़ाने के लिए लय और संगीत का उपयोग करें
- छात्र को ड्रिल और अभ्यास के लिए कंप्यूटर का समय निर्धारित करें
किसी छात्र की ताकत और कमजोरियों को पहचानना उनकी मदद करने का पहला कदम है। पहचान के बाद माता-पिता और शिक्षक ऐसी रणनीतियों बना सकते हैं, जो छात्र को गणित अधिक प्रभावी ढंग से सीखने में मदद करें। क्लास के बाहर मदद करने से छात्र नए विषयों पर आगे बढ़ने से पहले उन्हें सीख सकता है और कॉन्फिडेंस के साथ आगे बढ़ सकता है। बार-बार एक चीज को पढ़ाना और प्रैक्टिस से बच्चों के लिए यह परेशानी कम हो सकती है।
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