जब शिशु जन्म लेता है, तो वो समय माता-पिता के लिए बेहद खास होता है। लेकिन, इसके लिए मां को कई परेशानियों से गुजरना पड़ता है। गर्भावस्था में समस्याएं या जटिलताएं होना भी सामान्य है। गर्भ में शिशु भी कई समस्याओं से पीड़ित हो सकता है। इसलिए, गर्भवती मां को इस दौरान अधिक ध्यान रखने की जरूरत होती है। कई बार जटिलताओं के कारण समय से पहले डिलीवरी करानी पड़ती है। समय से पहले जन्म लेने वाले शिशुओं को प्रीमैच्योर या प्री-टर्म बेबी कहा जाता है। प्रीमैच्योर बेबी के बारे में लोगों की राय अलग होती है। जानिए, प्रीमैच्योर बेबी (Premature Baby) से जुड़ी हर बात व हर परेशानी के बारे में।
शिशु को प्रीमैच्योर कब कहा जाता है ?
अधिकतर प्रेग्नेन्सीज चालीस हफ्तों की होती हैं। लेकिन अगर शिशु 37वें हफ्ते से पहले जन्म ले लेता है तो उसे प्रीमैच्योर या प्री-टर्म बेबी कहा जाता है। ऐसा माना जाता है कि दस में से नौ प्रीमैच्योर शिशु सर्वाइव कर जाते हैं और सामान्य रूप से विकसित होते हैं। लेकिन, अधिकतर प्रीमैच्योर शिशुओं (Premature Babies) को डेवलपमेंटल समस्याओं का जोखिम होता है।
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क्या कारण है प्रीमैच्योर बेबी के जन्म के? (Reasons of Premature Baby Birth)
प्रीमैच्योर बेबी (Premature Baby) के जन्म के पीछे कई जटिलताएं हो सकती हैं। अब मुख्य सवाल यह है कि इसका कारण क्या है? समय से पहले शिशु के जन्म का कारणों को पहचाना नहीं जा सकता । इस बारे में शहानी हॉस्पिटल की डायरेक्टर डॉक्टर संतोष सहानी का कहना है कि प्रीमैच्योर बेबी को काफी देखभाल की जरूर होती है। जिन महिलाओं में किसी प्रकार की मेडिकल प्रॉब्लम होती है। उनके प्रीमैच्याेर डिलिवरी का खतरा ज्यादा होता है। हालांकि, कुछ फैक्टर प्रीमैच्योर बेबी (Premature Baby) के जन्म के रिस्क को बढ़ा सकते हैं। जैसे अगर गर्भवती महिलाओं में गर्भावस्था के समय कोई मेडिकल समस्या होना। बेबी के ग्रोथ को लेकर समय-समय पर कुछ चैकअप बहुत जरूरी है। यह मेडिकल समस्याएं इस प्रकार हैं:
- डायबिटीज (Diabetes)
- हार्ट डिजीज (Heart Disease)
- किडनी डिजीज (Kidney Disease)
- हाय ब्लड प्रेशर (High Blood Pressure)
अन्य कारक जो प्रीमैच्योर बर्थ से जुड़े हुए हैं, इस प्रकार हैं:
- प्रेग्नेंसी के दौरान और पहले पुअर न्यूट्रिशन (Poor Nutrition before and during Pregnancy)
- प्रेग्नेंसी के दौरान स्मोकिंग और ड्रिंकिंग की आदत (Smoking , Drinking during Pregnancy
- कुछ इंफेक्शन जैसे यूरिनरी ट्रैक्ट और एमनीओटिक मेम्ब्रेन इंफेक्शंस (certain infections, such as Urinary Tract and Amniotic Membrane Infections)
- पिछली प्रेग्नेंसी में प्रीमैच्योर बर्थ (Premature Birth in a Previous Pregnancy)
- असामान्य यूटरस (Abnormal Uterus)
- उन महिलाओं को भी समय से पहले प्रसव की संभावना अधिक होती है जो 17 साल से कम और 35 साल से अधिक उम्र की हो (Women of Age less than 17 and more than 35)
प्रीमैच्योर बेबी कैसे दिखाई देते हैं?
प्रीमैच्योर बेबी (Premature Baby) पूरे समय पर पैदा हुए शिशुओं से बिल्कुल अलग दिखाई देते हैं। हालांकि, यह इस बात पर निर्भर करता है कि वो कितनी जल्दी पैदा हुआ है। 36-37 सप्ताह में पैदा होने वाला बच्चा शायद एक छोटे फुल टर्म बच्चे की तरह दिखाई देगा। लेकिन बहुत जल्दी पैदा हुआ शिशु देखने में बहुत छोटा होता है। यही नहीं, इस बच्चे की त्वचा नाजुक और पारभासी हो सकती है और उसकी पलकें अभी भी बंद हो सकती हैं। जानिए इस बारे में विस्तार से :
- त्वचा (Skin): प्रीमैच्योर बेबी (Premature Baby) की त्वचा पूरी तरह से विकसित नहीं होती। उसकी स्किन चमकदार, पारभासी (Translucent), शुष्क या परतदार दिखाई देती हैं। शिशु को गर्म रखने के लिए त्वचा के नीचे फैट नहीं होती।
- आंखें (Eyes): समय से पहले जन्म लेने वाले बच्चों की आंखें बंद होती हैं।
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अपरिपक्व डेवलपमेंट (Immature Development) : समय से पहले पैदा हुआ शिशु अपने शरीर के तापमान, श्वास या हृदय गति को नियंत्रित करने में सक्षम नहीं हो पाता।
- बाल (Hair) : प्रीमैच्योर बेबी (Premature Baby) के सिर पर कम बाल होते हैं और शरीर पर बहुत अधिक नाजुक बाल होते हैं।
- गुप्तांग (Genitals) : प्रीमैच्योर बेबी (Premature Baby) के जननांग छोटे और अविकसित हो सकते हैं।
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प्रीमैच्योर बेबी का विकास (Development of premature baby)
जैसा की आप जानते ही हैं कि प्रीमैच्योर बेबी (Premature Baby) पूरी तरह से विकसित नहीं होता। ऐसे में अंगों के पूरी तरह से विकसित न हो पाने के कारण वो कई शारीरिक समस्याओं का भी सामना करते हैं। जैसे:
- ब्रीदिंग समस्याएं (Breathing Problems)
- दिल सम्बन्धी समस्याएं (Heart Problems)
- डाइजेस्टिव ट्रेक्ट में समस्या (Problems in their Digestive Tract)
- पीलिया (Jaundice)
- एनीमिया (Anemia)
- इंफेक्शन (Infections)
- बॉडी फैट का कम होना (Low Body Fat)
- वजन कम होना (Low Weight)
- कांस्टेंट बॉडी टेम्प्रेचर को मैंटेन रखने में समस्या (Inability to maintain a Constant Body Temperature)
हालांकि, अधिकतर प्रीमैच्योर बेबी का विकास सामान्य रूप से होता है। लेकिन, उनमे डेवलपमेंटल समस्याएं होने का अधिक जोखिम होता है। ऐसे में उनका नियमित रूप से हेल्थ और डेवलपमेंट चेकअप कराना जरूरी है। अगर आप अपने शिशु के विकास को लेकर चिंतित हैं तो अपने डॉक्टर से बात करें। प्रीमैच्योर बेबी (Premature Baby) में यह समस्याएं भी हो सकती हैं
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- लैंग्वेज डिले (Language Delays)
- विकास और मूवमेंट में समस्या (Growth and Movement Problems)
- दांतों की समस्या (Problems with Teeth)
- नजर और सुनने में समस्या (Problems with Vision or Hearing)
- सीखने और सोचने में समस्या (Thinking and Learning Difficulties)
- सामाजिक और भावनात्मक समस्याएं (Social and Emotional Problems)
प्रीमैच्योर बेबी में कौन सी जटिलताएं हो सकती हैं? (Complications can occur in a Premature Baby)
अगर बच्चा समय से पहले पैदा होता है तो उसमे कुछ जटिलताएं हो सकती हैं। यह जटिलताएं कई बार अधिक गंभीर हो सकती हैं। अगर आपको जन्म के बाद शिशु में यह जटिलताएं नजर आएं तो तुरंत डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए:
- सांस लेने में तकलीफ (Trouble Breathing)
- वजन कम होना (Low weight)
- बॉडी फैट का कम होना (Low Body Fat)
- कांस्टेंट बॉडी टेम्प्रेचर को मैंटेन रखने में समस्या (Inability to maintain a Constant Body Temperature)
- सामान्य से कम एक्टिविटी (Less Activity than Normal)
- मूवमेंट और कोआर्डिनेशन समस्याएं(Movement and Coordination Problems)
- असामान्य पीली और डल त्वचा (Abnormal)
प्री मेच्योर शिशुओं में कुछ गंभीर समस्याएं भी होती हैं, जैसे:
- ब्रेन हेमरेज (Brain Hemorrhage)
- पल्मोनरी हेमरेज (Pulmonary Hemorrhage)
- हाइपोग्लाइसीमिया (Hypoglycemia)
- नियोनेटल सेप्सिस (Neonatal Sepsis)
- निमोनिया (Pneumonia)
- पेटेंट डक्टस आर्टेरिओसोस (Patent Ductus Arteriosus)
- एनीमिया (Anemia)
- नियोनेटल रेस्पिरेटरी डिस्ट्रेस सिंड्रोम (Neonatal Respiratory Distress Syndrome)
इनमे से कुछ समस्याएं नवजात शिशुओं के लिए प्रॉपर क्रिटिकल केयर के द्वारा ठीक की जा सकती हैं ,हालांकि कुछ समस्याएं लम्बे समय तक डिसेबिलिटी या बीमारी की वजह बन सकती हैं।
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प्री मैच्योर बेबी की देखभाल कैसे करें?
नवजात शिशु को हर चीज में देखभाल की जरूरत होती है। लेकिन प्री मैच्योर बेबी को अतिरिक्त देखभाल की जरूरत होती है। उसकी देखभाल सही से करने से उसका विकास भी सही से हो पाएगा। प्रीमैच्योर बेबी (Premature Baby) की देखभाल के कुछ तरीके इस प्रकार हैं:
- कमरे का तापमान हो सही (Right Room Temperature) : प्रीमैच्योर बेबी (Premature Baby) के कमरे के तापमान का सही होना बेहद जरूरी है। अधिक या बहुत कम तापमान उसके लिए हानिकारक हो सकता है।
- ब्रेस्टफीडिंग कराएं (Breastfeeding): प्रीमैच्योर बेबी (Premature Baby) बहुत कमजोर होते हैं। ऐसे में उसे मां का दूध ही पिलाना चाहिए, क्योंकि यह उसके विकास और इम्युनिटी के लिए जरूरी है। उसे फार्मूला मिल्क या अन्य दूध देने से बचे।
- सफाई का रखें ध्यान (Take care of cleanliness): प्रीमैच्योर बेबी (Premature Baby) को इंफेक्शन होने की संभावना भी अधिक होती है। इसलिए उसकी और उसके आसपास की सफाई का खास ध्यान रखें। अधिक लोगों को उससे मिलने या छूने भी न दें।
- बेबी की सोने में करें मदद (Help Baby in Sleeping): प्रीमैच्योर बेबी (Premature Baby) के लिए सही नींद जरूरी है। ऐसे में ध्यान रखें कि उसे सोते हुए कोई भी असुविधा न हो और उसकी नींद पूरी हो।
- उसे उठाते हुए रखें ख्याल (Take care while Lifting): प्रीमैच्योर बेबी (Premature Baby) का वजन बहुत कम होता है और हड्डियां भी कमजोर होती हैं।ऐसे में उसे उठाते या गोद में लेते हुए खास ध्यान रखें।
प्रीमैच्योर बेबी की न्यूट्रिशनल नीड्स (Nutritional need for Premature Baby)
ऐसा माना जाता है कि मां का दूध न्यूट्रिशन का सबसे अच्छा तरीका है। यह बात प्रीमैच्योर बेबी पर भी लागू होती है। लेकिन, अगर मां पर्याप्त ब्रेस्ट मिल्क न बना पा रही हो, तो फार्मूला मिल्क भी दिया जा सकता है। इसके लिए डॉक्टर की सलाह आवश्यक है। शुरुआती प्रीटर्म मिल्क में प्रोटीन भरपूर मात्रा में होता है। इसके साथ ही अतिरिक्त न्यूट्रिएंट भी होते हैं। शिशु की सभी जरूरतें यह दूध पूरा करता है और यह अच्छे से पचने वाला होता है। प्री मैच्योर बेबी का पूरा विकास मां के गर्भ में नहीं हो पाता। ऐसे, में उन्हें मां के दूध के साथ अतिरिक्त न्यूट्रिशनल सप्लीमेंट भी दिए जा सकते हैं। ऐसे शिशुओं का गर्भ में विकास नहीं हो पाता और प्रसव के बाद उनके दिमाग, फेफड़ों और किडनी का विकास हो रहा होता है। इसलिए, उन्हें अतिरिक्त न्यूट्रिशन की जरूरत होती है।
प्रीमैच्योर बेबी होने पर अन्य फॅमिली मेंबर्स की भूमिका कैसी होती है? (Role of other Family Members)
प्रीमैच्योर बेबी के माता-पिता होना परेशान करने वाला हो सकता है क्योंकि उन्हें कई भावनात्मक उतार-चढ़ाव से गुजरना पड़ता है। ऐसे में, उन्हें परिवार और दोस्तों के सहयोग की जरूरत होती है। अगर आप भी प्रीमैच्योर शिशु के परिवार के सदस्य हैं। तो जानिए परिवार के अन्य लोग उनकी किस तरह से मदद कर सकते हैं:
शिशु के जन्म को सामान्य रूप से सेलेब्रेट करें (Celebrate Baby Birth Normally)
प्रीमैच्योर बेबी होने पर भी एक परिवार का सदस्य होने के नाते आपको यह ख़ुशी वैसे ही मनानी चाहिए, जैसे सामान्य शिशु के होने पर मनाते हैं। ऐसा करने पर शिशु के माता-पिता को भी अच्छा लगेगा।
उनकी मदद करें (Help Them)
प्रीमैच्योर बेबी के जन्म के बाद माता-पिता को हो सकता है कि लंबे समय तक अस्पताल में रहना पड़े। ऐसे में ,उन्हें अन्य लोगों की मदद की जरूरत होगी जैसे घर, अन्य बच्चों की देखभाल आदि के लिए। उनकी हर संभव मदद करने की कोशिश करें।
सपोर्ट करें (Support Them)
केवल काम में ही नहीं बल्कि शिशु के माता-पिता को आपकी मेंटली, फायनेंशियल और भावनात्मक रूप से भी मदद की जरूरत होती है। आप उन्हें हर तरह से सपोर्ट करने की कोशिश करें।
शिशु को लेकर सकारात्मक बातें कहें (Say Positive Things about Baby)
माता पिता के सामने ऐसा कुछ भी कहने से बचें, जिससे उन्हें बुरा लगे। शिशु के बारे में अच्छी बातें करें और उन्हें दिलासा देने की कोशिश करें। शिशु के बारे में कोई भी सलाह देने से भी बचें।
माता-पिता की बात को सुनें और समझें
प्रीमैच्योर बेबी (Premature Baby) के माता-पिता इस दौरान एक मुश्किल दौर से गुजर रहे होंगे। उनके अनुभव भी अलग हो सकते हैं। ऐसे में उनसे बात करें और उन्हें समझने की कोशिश करें। उन्हें सकारात्मक रहने की सलाह दें, ताकि वो भी सकारात्मक रहें और सोचें।
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अगर आप प्रीमैच्योर बेबी (Premature Baby) के माता-पिता हैं, तो आपका सकारात्मक रहना बेहद जरूरी है। अधिकतर प्रीमैच्योर शिशुओं का विकास सही से हो जाता है। बस उन्हें अतिरिक्त देखभाल की जरूरत होती है। समय-समय पर उनका चेकअप कराना जरूरी है। समय-समय पर डॉक्टर से सलाह लेते रहें जिससे बच्चे को बेहतर ढंग से बढ़ने में सहायता मिलती है। याद रखें, प्रीमैच्योर बेबी (Premature Baby) के जन्म के कुछ समय तक का समय आपके और शिशु के जीवन का सबसे मुश्किल समय हो सकता है। लेकिन, थोड़ी देखभाल के बाद आपका शिशु सामान्य जीवन जीने में सफल होगा।
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