पहली बार जो मां- बाप बनते हैं, उनके लिए घर में आए नन्हें मेहमान की परेशानियों को समझना बहुत ही मुश्किल होता है। सबसे बड़ी मुश्किल की बात यह होती है कि शिशु अपनी परेशानियों या कष्ट को मां या पिता किसी को बता नहीं पाते हैं। इनमें सबसे बड़ी समस्या शिशु की बीमारियां होती हैं। बच्चे को बहुत तरह की बीमारियां होती हैं, सर्दी, खांसी, बुखार से लेकर त्वचा संबंधी बीमारियां। इसलिए मां-बाप को बच्चों में स्किन डिजीज (Babies skin disease) डिजीज की समस्या को जानना और पहचानना बहुत जरूरी होता है। बच्चों में स्किन डिजीज होना बहुत सामान्य हैं। लेकिन, कई गंभीर त्वचा की समस्याएं भी बच्चों को अपना शिकार बना सकती हैं। बच्चों को शुरूआती एक दो सालों में कई तरह की अलग-अलग त्वचा संबंधी बीमारियों का सामना करना पड़ता है। इसलिए आपकी जानकारी के लिए यहां बच्चों में स्किन डिजीज के बारे में बताया जा रहा है।
बेबी एक्ने (Baby Acne)
यह तो आप जानते ही हैं कि छोटे बच्चों में स्किन डिजीज होना बहुत आम होता है। लगभग 40 प्रतिशत शिशुओं को मुंहासे होते हैं, जो आमतौर पर दो से तीन सप्ताह की उम्र तक आते हैं और अक्सर तब तक रह सकते हैं, जब तक बच्चा चार से छह महीने का नहीं हो जाता। ये समस्या मां के हॉर्मोन के कारण होता है, जो अभी भी बच्चे के खून में होते हैं, जिसके कारण बच्चे की स्कीन पर लाल धब्बे दिखाई देते हैं। अच्छी बात यह है कि अगर आप इन पिंपल्स को छूते नहीं हैं, तो ये स्थाई निशान नहीं छोड़ते। इसलिए बच्चों की देखरेख करने के समय इस बात का ध्यान रखें कि, लाल दानों को नोचें, खरोंचे या साबुन से साफ न करें और न ही इन पर लोशन लगाएं। बस इसे रोजाना दो या तीन बार पानी से धोएं। इन दानों पर किसी भी तरह की क्रीम या दवाई का इस्तेमाल न करें। बच्चों में स्किन की बीमारियां होने का मुख्य कारण साफ-सफाई की कमी भी हो सकती है, तो ऐसे में बच्चे की हाइजीन का खास ख्याल रखना चाहिए।
क्रैडल कैप (Cradle Cap)
बच्चों में स्किन डिजीज होने पर वे बहुत चिड़चिड़े हो जाते हैं। ऐसे में पेरेंट्स को उन्हें संभालना मुश्किल हो जाता है। बच्चों में ऐसी ही एक स्किन की बीमारी है क्रैडल कैप। इसमें बच्चे के सिर पर कुछ क्रस्टी येलो स्केल, गहरे लाल चकत्ते और रूसी जैसे गुच्छे दिख सकते हैं। ये ही क्रैडल कैप कहलाते हैं। बच्चों के स्कल पर होने वाला सेबोरिक डर्मेटाइटिस (जिसे वयस्क अवस्था में डैंड्रफ कहा जाता है) यह पहले तीन महीनों में शिशुओं में बहुत आम है और एक साल तक रह सकता है। यह सिबेसियस ग्लांड्स (Sebaceous glands) की वजह से होता है। क्रैडल कैप ज्यादा हानिकारक नहीं होता लेकिन, अगर आप बच्चे के सिर पर सफेद गुच्छे नहीं देखना चाहते, तो डेड स्कीन को हटाने के लिए पेट्रोलियम जेली या मिनरल ऑयल से बच्चे के सिर की मालिश कर सकते हैं। इसके बाद तेल को धोने के लिए अच्छी तरह से शैम्पू करें। आपके डॉक्टर ऐसी परेशानी के लिए स्पेशल शैंपू इस्तेमाल करने को कह सकते हैं। अगर आप ऐसे शैंपू का इस्तेमाल करते हैं, तो वह टीयर फ्री होना चाहिए।
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ड्राई स्कीन (Dry Skin)
बच्चों में स्किन डिजीज होना बहुत आम हैं और इन्हीं में ड्राई स्किन भी शामिल है। बहुत से लोगों को परतदार, ड्राई स्कीन की परेशानी होती है और बच्चे भी हमसे अलग नहीं होते। छोटे बच्चे वास्तव में इस परेशानी के लिए ज्यादा सेंसिटिव होते हैं। ड्राई स्किन के खिलाफ आपके लिए सबसे जरूरी है उन्हें हाइड्रेटेड रखना। यह भी सुनिश्चित करें कि आपके बच्चे को स्तन के दूध या फॉर्मूला से सही मात्रा में लिक्विड मिल रहा है। बच्चे को नहाने के बाद एक हाइपोएलर्जेनिक लोशन लगाएं लेकिन साबुन से बच्चे को ज्यादा देर तक न नहलाएं। इससे त्वचा की परेशानी और बढ़ सकती हैं। अपने बच्चे के कमरे में नमी बनाए रखें। अगर ड्राई पैच फैलने लगते हैं, तो दरार या दर्दनाक खुजली शुरू हो जाती है। ऐसे में अपने बच्चे के डॉक्टर से बात करें।
मंगोलियन स्पॉट (Mongolian spot)
बच्चों में डिजीज होने पर यह पहचानना भी मुश्किल काम होता है कि आखिर यह कौन सी बीमारी है। इसके लिए डॉक्टर की मदद लेने की जरूरत होती है। वहीं मंगोलियन स्पॉट को भी खुद से पहचानना मुश्किल होता है। अफ्रीका, एशिया और भारतीय बच्चों में सबसे आम यह ग्रे-ब्लू पैच, स्कीन वेरियेशन में कुछ बदलाव के कारण होते हैं, जिसे मंगोलियन स्पॉट कहा जाता है। आमतौर पर ये पहले साल के अंदर ही दिखाई देते हैं और उसके बाद गायब हो जाते हैं। वैसे तो ये स्पॉट एक बड़ी चोट की तरह दिखते हैं, लेकिन, इनमें बिल्कुल भी दर्द होता है। यह एक छोटे दाने से लेकर छह इंच या उससे बड़े हो सकते हैं। मंगोलियन स्पॉट आमतौर पर बच्चे की पीठ, उनके हिप्स और पैरों पर दिखाई देते हैं। ये बच्चे को किसी तरह से नुकसान नहीं पहुंचाते इसलिए इसके इलाज को लेकर माता-पिता को परेशान होने की जरूरत नहीं होती।
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डायपर रैश (Diaper Rashes)
बच्चों में स्किन डिजीज कई बार डायपर के कारण भी हो सकती है। क्या आपके बच्चे के हिप्स पर लाल और उभरे रैशेज हैं? यह उसे डायपर रैश होने की आशंका को बढ़ा देते हैं। बच्चों में त्वचा की जलन आमतौर पर बहुत अधिक नमी, बहुत कम हवा और यूरिन और मल से भरे डायपर, वाइप्स और साबुन जैसे आम प्रोडक्ट्स का ज्यादा इस्तेमाल करने के कारण होता है। इसके बचाव का सबसे अच्छा तरीका उसके डायपर को हमेशा बदलकर साफ और सूखा रखना है। अगर आपको बच्चे के हिप्स पर एक दाना दिखता है, तो नए डायपर को लगाने से पहले बच्चे के हिप्स को कम से कम दस मिनट के लिए खुला रखें। वाइप्स की जगह नहाने के दौरान जेंटल सोप का उपयोग करें। अगर आपको दो या तीन दिनों में सुधार नहीं दिखता है, तो अपने डॉक्टर से संपर्क करें। हमेशा 4 घंटे के अंतराल में डाइपर बदलें। डायपर बदलने के समय त्वचा को अच्छी तरह से साफ करके उस पर क्रीम या लोशन लगा दें।
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हीट रैश (Heat Rash or Prickly Heat)
गर्मी के मौसम के कारण भी बच्चों में स्किन डिजीज हो सकती है। ऐसे में बच्चों को हीट रैशेज की समस्या सबसे ज्यादा होती है। ये रैश चेहरे, गर्दन, आर्मपिट और पीठ पर छोटे लाल धब्बे के रूप में दिखाई देते हैं। यह तब होता है जब पसीना एक जगह पर इकट्ठा हो जाता है। हालांकि, गर्मी के दाने आमतौर पर एक हफ्ते के अंदर खुद ही खत्म हो जाते हैं। यह बच्चे को खुजली और असहज महसूस करवा सकते हैं। इसमें बच्चों को नहलाना जरूरी होता है और नहलाना इसका आसान इलाज भी है। बच्चे को नहलाने के बाद पाउडर या लोशन लगाने से बचें, जो पसीने को बहने से रोक सकते हैं।
डर्मेटाइटिस (Dermatitis)
बच्चों में स्किन डिजीज की परेशानियों में एक नाम डर्मेटाइटिस का आता है। इस बीमारी में त्वचा पर लाल, पपड़ीदार पैच दिखाई देते हैं। यह अक्सर उनके शुरुआती कुछ महीनों के दौरान दिखाई देते हैं। यह एक आम समस्या है और इसका इलाज भी आसानी से किया जा सकता है। कई बच्चों में डर्मेटाइटिस अपने आप ठीक हो जाता है। वहीं अगर आपको यह शंका है कि आपके बच्चे की खुजली, जलन और दाने डर्मेटाइटिस हो सकते हैं, तो डॉक्टर से संपर्क करें वे आपको बताएंगे कि आपके बच्चे को आखिर समस्या क्या है।
एक्जिमा (Eczema)
बच्चों में स्किन डिजीज में एक्जिमा का नाम भी आता है। यह एलर्जी आम तौर पर तब होता है जब त्वचा किसी विशेष चीज के संपर्क में आने पर प्रतिक्रिया करती है। बच्चों में एक्जिमा की परेशानी 1 साल के शिशु से लेकर 5 साल तक के बच्चे तक को हो सकता है। इसको एटोपिक एक्जिमा भी कहते हैं। इसके लक्षण इतने सामान्य होते हैं कि कभी-कभी इसको समझना मुश्किल हो जाता है। पहले लाल-लाल छोटे दानों के रूप नजर आते हैं, फिर लाल चकत्ते जैसा होने लगते हैं। इन लाल चकत्तों में खुजली भी होती है। इसलिए एक्जिमा होने पर साफ-सफाई का ध्यान विशेष रूप से रखना पड़ता है। डॉक्टर के सलाह के अनुसार ही क्रीम या साबुन का इस्तेमाल करना चाहिए।
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अर्टिकेरिया (Urticaria)
बच्चों में स्किन डिजीज में अर्टिकेरिया बहुत ही कॉमन बीमारी है। यह शिशुओं के हाथ, गर्दन, चेहरा में पित्ती के रूप में निकलता है। पहले यह लाल रंग के चकत्ते की तरह होते हैं, उसके बाद भूरे रंग में बदलने लगते हैं। इसमें बहुत खुजली होती है और खुजलाने पर बाद जलने भी लगता है। आम तौर पर यह कीड़ा या मच्छर जाति के कीट पतंगों के काटने के कारण होता है। इसके लिए डॉक्टर एंटीसेप्टिक क्रीम लगाने की सलाह देते हैं। लेकिन शीत पित्त या अर्टिकेरिया एक या दो दिन से ज्यादा रहता है तो बिना देर किए डॉक्टर को दिखाना चाहिए।
दाद या रिंगवर्म (Ringworm)
दाद का नाम तो आपने सुना ही होगा। ये बच्चों में स्किन डिजीज फंगल इंफेक्शन के कारण होता है। यह संक्रमण किसी संक्रमित इंसान या पालतू जानवर के संपर्क में आने से होता है। अगर किसी संक्रमित व्यक्ति ने बच्चे का खिलौना, कपड़ा या तौलिया का इस्तेमाल किया है तो उससे बच्चे को हो सकता है। पहले चरण में यह दूसरे स्किन डिजीज की तरह ही लाल दाने की तरह दिखता है, पर बाद में यह दाना बड़ा होकर उभरा हुआ नजर आने लगता है। उभरा हुआ हिस्सा चिकना और चारों तरफ त्वचा अजीब-सी टेढ़ी-मेढ़ी हो जाती है। साधारणत: शरीर का अंग जहां मुड़ता है, वहां पर यह होता है। यहां तक कि प्राइवेट पार्ट्स, चेहरा, पैर, सिर में भी हो सकता है। डॉक्टर इसके लिए आम तौर पर फंगल क्रीम का इस्तेमाल करने के लिए कहते हैं। साथ ही साफ-सफाई का विशेष रूप से ध्यान देने के लिए कहते हैं।
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मिलिया (Milia)
बच्चों में स्किन डिजीज में मिलिया सामान्यत: नवजात शिशुओं को ही होता है। यह त्वचा पर वाट्सहेड्स की तरह उभरे हुए नजर आते हैं। असल में ये डेड स्किन सेल्स होते हैं ,जो त्वचा की सतह पर फंसे हुए हैं, ऐसा नजर आते हैं। इसको लेकर ज्यादा चिंता करने की जरूरत नहीं होती है, क्योंकि बच्चों में स्किन डिजीज जो दूसरे होते हैं, वैसे खुजली, दर्द या जलन जैसे कोई लक्षण नहीं होते हैं। इसके अलावा यह अक्सर कुछ हफ्तों के बाद खुद ही ठीक हो जाते हैं। यह चेहरे पर ही नाक, ठोढ़ी या गाल पर नजर आते हैं, शरीर के अन्य अंगों में इसका कोई भी लक्षण नहीं दिखाई देता है। इसके लिए न तो क्रीम और न ही पाउडर लगाने की जरूरत होती है, सिर्फ अच्छी तरह से साफ-सफाई करने की जरूरत होती है ताकि वहां कोई गंदगी न जमे।
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इम्पेटिगो (Impetigo)
बच्चों में स्किन डिजीज में इम्पेटिगो एक तरह का संक्रामक रोग होता है। यह नाक के आस-पास या गाल में फफोले या छाले के रूप में नजर आते हैं। इम्पेटिगो में एक तरह के छाले या फफोले फूटकर जल्दी सूख जाते हैं तो कुछ फफोले आकार में थोड़े बड़े होते हैं और ये देर से फूटते हैं। फफोले के फूटने के बाद उसके ऊपर पपड़ी जैसी त्वचा जमती है, जो धीरे-धीरे सूखकर गिर जाती है। फफोलों में बहुत खुजली होती है, लेकिन दर्द नहीं होता है। इम्पेटिगो होने पर बच्चों के लिम्फ नॉड में सूजन हो जाता है, जिसके कारण बुखार भी आ सकता है। इस बीमारी के लक्षण नजर आने पर डॉक्टर को जल्दी दिखाना चाहिए, क्योंकि यह संक्रामक रोग होता है। डॉक्टर इंफेक्शन को कम करने के लिए एंटीबायोटिक्स भी दे सकते हैं।
छोटी माता या चिकनपॉक्स (Chicken Pox)
बच्चों में स्किन डिजीज जितने भी प्रकार के होते हैं, उनमें यह बीमारी थोड़ी ज्यादा तकलीफदेह होती है। चिकनपॉक्स के पहले चरण में बुखार, बदनदर्द जैसा अनुभव होता है। फिर छोटे-छोटे दाने नजर आने लगते हैं। फिर उन दानों में पानी जैसा तरल पदार्थ भर जाता है, जो फफोले जैसा रूप धारण कर लेते हैं। यह पूरे शरीर में कहीं भी हो सकते हैं। छोटे-छोटे फफोले एक साथ मिलकर बड़े आकार में भी हो जाते हैं। दूसरे चरण में इन फफोले में बहुत दर्द और जलन जैसा अनुभव होता है। उसके बाद यह धीरे-धीरे सूखने लगते हैं, और इसी समय संक्रमण के फैलने का खतरा होता है। इस दौरान बच्चे को मुलायम और ढीला-ढाला कपड़ा पहनाना चाहिए। जैसे ही इसके लक्षण नजर आए बिना देर किए डॉक्टर को दिखाना चाहिए।
खसरा ( Meseals)
बच्चों में स्किन डिजीज के लक्षण इतने आम है कि अक्सर इनको पहचानना मुश्किल हो जाता है। खसरा होने पर प्रथम चरण में सर्दी-खांसी, बुखार, आंखों का लाल हो जाना, सफेद दाग आदि लक्षण नजर आते हैं। लेकिन दो-चार दिनों के बाद धीरे-धीरे लाल-लाल दाने सिर, चेहरा, पेट, और फिर पूरे शरीर में फैल जाते हैं। इसके कारण बच्चे को तेज बुखार आता है। एक हफ्ते के बाद यह धीरे-धीरे भूरे रंग में बदलने लगते हैं यानि सूखने की प्रक्रिया शुरू हो जाती है। खसरे के आसार नजर आते ही शिशु को डॉक्टर के पास ले जाना चाहिए।
अब तक हमने बच्चों में स्किन डिजीज जो होते हैं, उनके कारण और लक्षणों के बारे में बात की। लेकिन इसके अलावा भी स्किन डिजीज होने से बचाने के लिए कुछ बातों का ध्यान रखना बहुत जरूरी होता है-
- शिशु के स्किन को हमेशा मॉश्चराइज रखना चाहिए, उसकी त्वचा को ड्राई होने नहीं देना चाहिए। इसलिए नहलाने के बाद क्रीम या लोशन का इस्तेमाल अच्छी तरह से करना चाहिए।
- शिशु को हर दिन साबुन से नहीं नहलाना चाहिए, इससे त्वचा का प्राकृतिक चिकनापन खो जाता है।
- अगर परिवार में किसी को स्किन डिजीज हुआ है तो उसको बच्चों के करीब नहीं आना चाहिए।
- बच्चों को हमेशा कीड़ों, मच्छर, मक्खियों से दूर रखना चाहिए।
- शिशु को किस खाद्द पदार्थ से एलर्जी है इस बात का पता लगाना चाहिए और लगने के बाद इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि उसका शिशु सेवन न करें।
बच्चों में स्किन डिजीज जितनी सामान्य है, इनके इलाज भी उतने ही आसान हैं। हालांकि, कुछ बीमारियां लंबे समय तक बच्चे को परेशान कर सकती हैं। लेकिन, इससे घबराएं नहीं और बच्चे के डॉक्टर से संपर्क करें। बच्चों में स्किन डिजीज के उपचार के लिए अगर आप घरेलू उपायों को आजमाना चाहते हैं तो डॉक्टर की सलाह जरूर ले लें।
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