गैस्ट्राइटिस की समस्या तब होती है, जब हमारे स्टमक की लायनिंग इंफ्लेमड हो जाती है या उनमें सूजन आ जाती है। ऐसा स्टमक लायनिंग के डैमेज होने पर होता है। यह गैस्ट्राइटिस शार्ट-टाइम तक हो सकती है या कई हफ्तों से महीनों तक भी रह सकती है। जो गैस्ट्राइटिस अधिक समय तक रहती है और बार-बार होती है, उस परेशानी को क्रॉनिक गैस्ट्राइटिस (Chronic Gastritis) कहा जाता है। आज हम बात करने वाले हैं क्रॉनिक गैस्ट्राइटिस (Chronic Gastritis) के बारे में। इसके उपचार और बचाव के बारे में जानकारी होना बेहद जरूरी है। सबसे पहले जान लेते हैं इस समस्या के बारे में विस्तार से।
क्रॉनिक गैस्ट्राइटिस (Chronic Gastritis) किसे कहा जाता है?
क्रॉनिक गैस्ट्राइटिस (Chronic Gastritis) सबसे सामान्य क्रॉनिक कंडिशंस में से एक है और अगर इसका उपचार न किया जाए तो यह कई सालों से लेकर लाइफटाइम तक यह आपको प्रभावित कर सकती है। कई डिफरेंट कंडिशंस और फैक्टर इस समस्या के डेवलपमेंट को कंट्रीब्यूट कर सकते हैं। इसके माइल्ड केसेस को रिजॉल्व करने के किए मेडिकेशन्स और जीवनशैली में बदलाव जरूरी हैं। हालांकि, गंभीर मामलों में इलाज संभव नहीं है और इसके उपचार के फोकस में लक्षणों को मैनेज करना शामिल है। अब जानते हैं क्या हैं इसके लक्षण?
और पढ़ें: नींद और GERD : गैस्ट्रोएसोफेगल रिफ्लक्स डिजीज में नींद न आने की परेशानी को कैसे करें दूर?
क्रॉनिक गैस्ट्राइटिस (Chronic Gastritis) के लक्षण क्या हैं?
गैस्ट्राइटिस के माइनर मामले जो बैक्टीरियम हेलिकोबैक्टर पाइलोरी (Bacterium Helicobacter pylori) के कारण होते हैं, इनमें अधिकतर कोई भी लक्षण नोटिस नहीं किए जाते हैं। हालांकि, अधिकतर क्रॉनिक गैस्ट्राइटिस (Chronic Gastritis) से पीड़ित लोग इन लक्षणों का अनुभव कर सकते हैं:
- अपच
- पेट में बर्निंग फीलिंग
- थोड़ी मात्रा में ही खाना खाने के बाद पेट के भरे होने की सेंसेशन
- जी मिचलाना और उल्टी आना
- अचनक वजन का कम होना
- ब्लोटिंग
- भूख में कमी
- अपर एब्डोमिनल पेन या डिस्कम्फर्ट
- ब्लीडिंग जो आमतौर पर केवल एरोसिव गैस्ट्राइटिस (Erosive gastritis) में होती है
गैस्ट्राइटिस को एरोसिव (Erosive) भी कहा जाता है। अगर स्टमक लायनिंग खराब हो जाती है, तो इससे टिश्यू पेट के एसिड के संपर्क में आ जाते हैं। अब क्रॉनिक गैस्ट्राइटिस (Chronic Gastritis) के कारणों में भी जानें।
और पढ़ें: Gastroparesis: गैस्ट्रोपरेसिस की समस्या क्या है? जानिए इसके कारण और लक्षण?
क्रॉनिक गैस्ट्राइटिस (Chronic Gastritis) के कारण क्या हैं?
क्रॉनिक गैस्ट्राइटिस (Chronic Gastritis) को उन कंडिशंस का ग्रुप कहा जाता है, जो पेट के म्यूकोसल लायनिंग (Mucosal lining) की क्रॉनिक इंफ्लेमेशन का कारण बन सकता है। इसके कई विभिन्न कारण हो सकते हैं, जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं:
एच. पाइलोरी बैक्टीरियल इंफेक्शन (H.pylori bacterial infection)
एच. पाइलोरी बैक्टीरियल इंफेक्शन, क्रॉनिक गैस्ट्राइटिस (Chronic Gastritis) का सबसे सामान्य कारण है। कई लोग इस इंफेक्शन से बचपन में पीड़ित होते हैं। लेकिन, कई लोग इसमें किसी भी तरह के लक्षणों का अनुभव नहीं करते हैं। एच.पाइलोरी बैक्टीरियल इंफेक्शन एक्यूट और क्रॉनिक गैस्ट्राइटिस (Chronic Gastritis) दोनों का कारण बन सकते हैं। लेकिन, इसे एरोसिव गैस्ट्राइटिस से नहीं जोड़ा जाता है। यह रोग इंफेक्टेड फूड, वॉटर, सलाइवा और अन्य बॉडी फ्लूइड के माध्यम से फैल सकता है।
और पढ़ें: Gastric and Headache (गैस्ट्रिक और सिरदर्द): गैस्ट्रिक के कारण सिरदर्द की समस्या हो सकती है?
स्टमक लायनिंग का डैमेज होना (Damage to Stomach lining)
स्टमक लायनिंग का डैमेज क्रॉनिक इंफ्लेमेशन का कारण बन सकता है। इसके कारण इस प्रकार हैं:
- नॉन-स्टेरॉइडल एंटी-इंफ्लेमेटरी ड्रग्स (Non-steroidal anti-inflammatory drugs) का अधिक और लॉन्ग टर्म यूज जैसे आइबूप्रोफेन (Ibuprofen)
- अधिक एल्कोहॉल का सेवन
- क्रॉनिक स्ट्रेस
- इंजरी
- रेडिएशन का एक्सपोजर
- स्मॉल इंटेस्टाइन से बाइल रिफ्लक्स का बार-बार होना
- ऑटोइम्यून कंडिशंस
जिन लोगों को ऑटोइम्यून गैस्ट्राइटिस की समस्या होती है, उनका इम्यून सिस्टम बिना किसी स्पष्ट कारण के स्टमक लायनिंग पर अटैक करता है। ऑटोइम्यून गैस्ट्राइटिस आमतौर पर क्रॉनिक नहीं होती है, लेकिन नॉन एरोसिव हो सकती है।
और पढ़ें: Gastrointestinal Fistula: क्या होती है गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल फिस्टुला की समस्या, जानिए इसका निदान!
अन्य कारण
क्रॉनिक गैस्ट्राइटिस (Chronic Gastritis) के कम सामान्य कारण इस प्रकार हैं:
- क्रोहन’स डिजीज (Crohn’s disease)
- इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम (Irritable bowel syndrome)
- सारकॉइडोसिस (Sarcoidosis)
- फूड एलर्जी (Food allergy)
- कई प्रकार के फंगल, बैक्टीरियल या वायरल इन्फेक्शन्स (Other types of fungal, bacterial, or viral infections)
क्रॉनिक गैस्ट्राइटिस (Chronic Gastritis) के कुछ रिस्क फैक्टर्स भी हैं। यदि आपकी जीवनशैली और आहार संबंधी आदतें, स्टमक लायनिंग में परिवर्तन को सक्रिय करती हैं, तो क्रॉनिक गैस्ट्राइटिस का खतरा बढ़ जाता है। ऐसे में इन चीजों से बचना जरूरी है:
- हाय फैट डायट (High-fat diets)
- अधिक साल्ट वाली डायट (High-salt diets)
- स्मोकिंग (Smoking)
- अधिक समय तक एल्कोहॉल के सेवन से भी यह समस्या बढ़ सकती है। स्ट्रेसफुल लाइफस्टाइल या ट्रॉमेटिक एक्सपीरियंस स्टमक को खुद को प्रोटेक्ट की क्षमता को कम कर सकता है। अब जानते हैं इस समस्या के निदान के बारे में।
और पढ़ें: Gastritis: गैस्ट्राइटिस के लिए घरेलू उपाय में शामिल कर सकते हैं ये 6 उपाय!
क्रॉनिक गैस्ट्राइटिस (Chronic Gastritis) का निदान कैसे हो सकता है?
डॉक्टर इस समस्या के निदान के लिए रोगी की मेडिकल हिस्ट्री और लक्षणों के बारे में जानते हैं। इसके साथ ही वो कई टेस्ट्स कराने की सलाह भी दे सकते हैं, जो इस प्रकार हैं:
- बैक्टीरिया का टेस्ट करना, जो स्टमक अल्सर का कारण बन सकते हैं।
- स्टूल टेस्ट, ताकि स्टमक ब्लीडिंग की जांच की जाए
- ब्लड काउंट और एनीमिया टेस्ट
- एंडोस्कोपी, इसमें एक लॉन्ग ट्यूब जिसमें कैमरा अटैच होता है। इसे रोगी के मुंह के माध्यम से रोगी के डायजेस्टिव टैक्ट में डाला जाता है।
- यूरिया ब्रेथ टेस्ट ताकि एच.पाइलोरी इंफेक्शंस (H. pylori infections) को जांचा जा सके।
और पढ़ें: बैक्टीरियल गैस्ट्रोएंटेराइटिस ट्रीटमेंट के बारे में यह जानकारी है महत्वपूर्ण
कैसे हो सकता है क्रॉनिक गैस्ट्राइटिस (Chronic Gastritis) का उपचार?
इस समस्या का उपचार इसके प्रकार, कारण और गंभीरता पर निर्भर करता है। एच. पाइलोरी इंफेक्शन के कारण होने वाले गैस्ट्राइटिस का इलाज आमतौर पर एंटासिड (Antacids) और एंटीबायोटिक दवाओं के कॉम्बिनेशन से किया जाता है, भले ही इस इंफेक्शन से रोगी को कोई भी लक्षण नजर न आए। अगर इस परेशानी के कारण रोगी को न्यूट्रिशनल डेफिशियेंसी हो रही हो, तो कॉम्प्लीकेशन्स से बचाव के लिए सप्लीमेंट्स लें या डायटरी एडजस्टमेंट करें। अधिकतर गैस्ट्राइटिस मेडिकेशन्स पेट में एसिड के अमाउंट को कम करने पर फोकस करती हैं। सामान्य एसिड रिड्यूसिंग मेडिकेशन इस प्रकार हैं:
एंटासिड्स (Antacids)
एंटासिड्स में मैग्नीशियम, कैल्शियम, सोडियम और एलुमिनियम साल्ट्स होते हैं, जो स्टमक एसिड्स को न्यूट्रलाइज करते हैं। यह दवा कई बाद कॉन्स्टिपेशन या डायरिया का कारण भी बन सकती है।
और पढ़ें: ड्रग-इंड्यूस्ड गैस्ट्राइटिस क्या है? गैस्ट्राइटिस की समस्या होने पर किन बातों का ध्यान रखें
प्रोटोन-पंप इन्हिबिटर्स (Proton-pump inhibitors)
इन दवाओं से पेट में एसिड की मात्रा कम हो सकती है। अधिकतर इन दवाइयों को डॉक्टर की सलाह के बाद ही लेना चाहिए।
एच2 ब्लॉकर्स (H2 blockers)
एच2 ब्लॉकर्स ,एंटीहिस्टामिन हैं जो पेट में एसिड के प्रोडक्शन को कम करने में मदद कर सकता है। अधिकतर एच2 ब्लॉकर्स ओवर-द-काउंटर और डॉक्टर की सलाह के अनुसार ली जा सकती हैं। इसके साथ ही क्रॉनिक गैस्ट्राइटिस (Chronic Gastritis) की स्थिति में जीवनशैली में सही बदलाव भी जरूरी हैं। आइए जानें इनके बारे में।
और पढ़ें: बच्चों में गैस्ट्रोइसोफेगल रिफ्लक्स डिजीज की समस्या होने पर इस तरह के लक्षण नजर आ सकते हैं….
क्रॉनिक गैस्ट्राइटिस (Chronic Gastritis) में जीवनशैली में क्या बदलाव करने चाहिए?
इस दौरान आपको अपने खानपान में सही बदलाव करना बेहद जरूरी है। जानिए कैसी होनी चाहिए आपकी डायट और किन चीजों को जरूरी है, इस स्थिति में अवॉयड करना?
- एल्कोहॉल का सेवन कम या बिल्कुल भी न करें
- मिर्च-मसालेदार आहार को न लें
- अधिक ऑयली या तले हुए खाने से बचें
- एसिडिक फूड्स खासतौर पर साइट्रस फ्रूट्स और जूस को नजरअंदाज करें
- कम मात्रा में लेकिन बार-बार भोजन करें
- नमक का सेवन कम करें
ऐसे आहार को लें जिसमें एंटीऑक्सीडेंट्स, फाइबर और प्रोबायोटिक्स भरपूर हों। अपने आहार में इन सब चीजों को शामिल करना न भूलें:
- साबुत फल और सब्जियां
- साबुत अनाज, ब्रेड, सीरियल, राइस आदि
- फर्मेन्टेड उत्पाद जैसे दही, किमची आदि
- लीन प्रोटीन जैसे चिकन, फिश, बीन्स, नट्स आदि
और पढ़ें: Relief from trapped gas: ट्रैप्ड गैस से रिलीफ के लिए क्या अपनाएं जा सकते हैं उपाय?
जिन लोगों को क्रॉनिक गैस्ट्राइटिस (Chronic Gastritis) की समस्या होती है। उन्हें ऐसे आहार का सेवन करने से फायदा होता है जिनमें एंटी-बैक्टीरियल प्रॉपर्टीज होती हैं, जैसे:
- लहसुन
- अदरक
- हल्दी
- क्रैनबेरी
इसके साथ ही रोगी के लिए क्रॉनिक गैस्ट्राइटिस (Chronic Gastritis) को मैनेज करने के लिए जीवनशैली में सही बदलाव करना भी जरूरी हैं, जैसे
- स्मोकिंग न करें
- नॉन-स्टेरॉइडल एंटी-इंफ्लेमेटरी ड्रग्स (Non-steroidal anti-inflammatory drugs) के इस्तेमाल को कम करें या न करें
- सही आहार खाने और पर्सनल हाइजीन का ध्यान रखें
- नियमित व्यायाम करें
- अधिक से अधिक पानी पीएं
- स्ट्रेस से बचें और मैडिटेशन, योग आदि करें
और पढ़ें: Gastric Tissue Biopsy: क्यों की जाती है गैस्ट्रिक टिश्यू बायोप्सी, जानें
यह तो थी जानकारी क्रॉनिक गैस्ट्राइटिस (Chronic Gastritis) के बारे में। इस समस्या से पीड़ित लोगों को दर्द या डिस्कम्फर्ट हो सकता है। अगर इसका उपचार न किया जाए, तो कई लोग इसके कारण गंभीर कॉम्प्लीकेशन्स का अनुभव भी कर सकते हैं। ऐसे में इसके लक्षणों को पहचानें और तुरंत डॉक्टर की सलाह लें। इसे अंडरलायिंग कंडिशंस को ट्रीट करके, सही दवा ले कर और जीवनशैली में बदलाव से मैनेज किया जा सकता है। अगर आपके मन में इस बारे में कोई भी सवाल हो, तो डॉक्टर से बात करना न भूलें।
[embed-health-tool-bmr]