इस समस्या का उपचार इसके प्रकार, कारण और गंभीरता पर निर्भर करता है। एच. पाइलोरी इंफेक्शन के कारण होने वाले गैस्ट्राइटिस का इलाज आमतौर पर एंटासिड (Antacids) और एंटीबायोटिक दवाओं के कॉम्बिनेशन से किया जाता है, भले ही इस इंफेक्शन से रोगी को कोई भी लक्षण नजर न आए। अगर इस परेशानी के कारण रोगी को न्यूट्रिशनल डेफिशियेंसी हो रही हो, तो कॉम्प्लीकेशन्स से बचाव के लिए सप्लीमेंट्स लें या डायटरी एडजस्टमेंट करें। अधिकतर गैस्ट्राइटिस मेडिकेशन्स पेट में एसिड के अमाउंट को कम करने पर फोकस करती हैं। सामान्य एसिड रिड्यूसिंग मेडिकेशन इस प्रकार हैं:
एंटासिड्स (Antacids)
एंटासिड्स में मैग्नीशियम, कैल्शियम, सोडियम और एलुमिनियम साल्ट्स होते हैं, जो स्टमक एसिड्स को न्यूट्रलाइज करते हैं। यह दवा कई बाद कॉन्स्टिपेशन या डायरिया का कारण भी बन सकती है।
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प्रोटोन-पंप इन्हिबिटर्स (Proton-pump inhibitors)
इन दवाओं से पेट में एसिड की मात्रा कम हो सकती है। अधिकतर इन दवाइयों को डॉक्टर की सलाह के बाद ही लेना चाहिए।
एच2 ब्लॉकर्स (H2 blockers)
एच2 ब्लॉकर्स ,एंटीहिस्टामिन हैं जो पेट में एसिड के प्रोडक्शन को कम करने में मदद कर सकता है। अधिकतर एच2 ब्लॉकर्स ओवर-द-काउंटर और डॉक्टर की सलाह के अनुसार ली जा सकती हैं। इसके साथ ही क्रॉनिक गैस्ट्राइटिस (Chronic Gastritis) की स्थिति में जीवनशैली में सही बदलाव भी जरूरी हैं। आइए जानें इनके बारे में।

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क्रॉनिक गैस्ट्राइटिस (Chronic Gastritis) में जीवनशैली में क्या बदलाव करने चाहिए?
इस दौरान आपको अपने खानपान में सही बदलाव करना बेहद जरूरी है। जानिए कैसी होनी चाहिए आपकी डायट और किन चीजों को जरूरी है, इस स्थिति में अवॉयड करना?
ऐसे आहार को लें जिसमें एंटीऑक्सीडेंट्स, फाइबर और प्रोबायोटिक्स भरपूर हों। अपने आहार में इन सब चीजों को शामिल करना न भूलें:
- साबुत फल और सब्जियां
- साबुत अनाज, ब्रेड, सीरियल, राइस आदि
- फर्मेन्टेड उत्पाद जैसे दही, किमची आदि
- लीन प्रोटीन जैसे चिकन, फिश, बीन्स, नट्स आदि