पेट में दर्द की समस्या से तो हमसभी वाकिफ हैं, लेकिन क्या आपने कभी पेट दर्द के दौरान यह नोटिस किया है कि दर्द कहां पर हो रहा है? अगर नहीं तो इसे समझना बहुत जरूरी है और इसीलिए आज इस आर्टिकल हम आपके साथ पेट के ऊपरी हिस्से में दर्द (Upper Abdomen Pain) से जुड़ी जानकारी शेयर करने जा रहें।
- पेट के ऊपरी हिस्से में दर्द के कारण क्या हैं?
- पेट के ऊपरी हिस्से में दर्द होने पर डॉक्टर से कंसल्ट कब करना है जरूरी?
चलिए अपर एब्डॉमेन में दर्द (Upper Abdomen Pain) से जुड़े इन सवालों का जवाब जानते हैं।
पेट के ऊपरी हिस्से में दर्द के कारण क्या हैं? (Cause of Upper Abdomen Pain)
पेट के ऊपरी हिस्से में दर्द के कारण एक नहीं, बल्कि कई हैं। यह उन कारणों के बारे में समझेंगे, जिससे अपर एब्डॉमेन पेन (Upper Abdomen Pain) से बचने में मदद मिल सके-
1. गॉल्स्टोन (Gallstones)
गॉल ब्लैडर (Gallbladder) में स्टोन (Stone) की समस्या मेडिकल टर्म में गॉल्स्टोन (Gallstones) कहा जाता है। गॉल्स्टोन की समस्या सामान्य शारीरिक परेशानी मानी जाती है। सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (Centre for Disease Control and Prevention) में पब्लिश्ड रिपोर्ट के अनुसार गॉल ब्लैडर में स्टोन की समस्या होने पर पेट के ऊपरी हिस्से में दर्द खासकर दाहिने ओर दर्द महसूस किया जाता है। इसके अलावा इसके निम्नलिखित लक्षण भी हो सकते हैं। जैसे:
- दाहिने कंधे में दर्द महसूस होना।
- बदहजमी होना।
- खट्टी डकार आना।
- पेट फुलने (Bloating) की समस्या महसूस होना।
- एसिडिटी (Acidity) की समस्या महसूस होना।
- पेट में भारीपन महसूस होना।
- बार-बार उल्टी (Vomiting) आना।
- जरूरत से ज्यादा पसीना आना।
2. हेपेटाइटिस (Hepatitis)
लिवर में सूजन की समस्या को मेडिकल टर्म में हेपेटाइटिस (Hepatitis) कहते हैं। हेपेटाइटिस की समस्या वायरल इंफेक्शन (Viral infection) की वजह से होती है, लेकिन इसके अन्य कारण भी हो सकते हैं। अगर हेपेटाइटिस की समस्या घर कर ले तो इसके कारण से भी पेट के ऊपरी हिस्से में दर्द की समस्या शुरू हो सकती है। पेट के ऊपरी हिस्से में दर्द के साथ-साथ निम्नलिखित परेशानियां भी देखी या महसूस की जा सकती है। जैसे:
- थकान (Fatigue) महसूस होना।
- पीले रंग का पेशाब होना।
- गाढ़े रंग का मल (Stool) आना।
- भूख (Loss of appetite) कम लगना।
- फ्लू (Flu) जैसे लक्षण महसूस होना।
- अचानक वजन कम (Weight loss) होना।
- आंखों और त्वचा का पीला होना।
- बुखार (Fever) आना।
- जोड़ों में दर्द (Joints) महसूस होना।
- जी मिचलाना या उल्टी आना।
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3. लिवर एब्सेस (Liver abscess)
लिवर, डायजेस्टिव सिस्टम का वो ऑर्गन है, जो डायजेशन की प्रक्रिया में मददगार होता है। इसके अलावा भी लिवर एब्सेस की कई अन्य महत्वपूर्ण भूमिका होती है। वहीं नैशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इंफॉर्मेशन (National Center for Biotechnology Information) के अनुसार लिवर एब्सेस (Liver abscess) लिवर में पस से भरे हुए सिस्ट को कहा जाता है। अगर किसी भी कारण से लिवर एब्सेस से जुड़ी तकलीफ शुरू हो जाए, तो ऐसी स्थिति में पेट के ऊपरी हिस्से में दर्द की समस्या शुरू हो सकती है। वैसे इसके कई लक्षण भी हैं, जो इस प्रकार हैं-
- स्टूल का रंग क्ले रंग (Clay-colored stools) का होना।
- बार-बार खांसी (Cough) आना।
- डार्क यूरिन (Dark urine) होना।
- डायरिया (Diarrhea) की समस्या होना।
- बुखार और ठंड (Fever or chills) लगना।
- जोड़ों में दर्द (Joint pain) महसूस होना।
- भूख कम (Loss of appetite) लगना।
- जी मिचलाने (Nausea) की समस्या होना।
- प्लूरिसी चेस्ट पेन (Pleurisy chest pain) होना।
- अत्यधिक पसीना (Sweating) आना।
- अचानक वजन कम (Unexplained weight loss) होना।
- पीलिया (Jaundice) होना।
4. गैस्ट्रोइसोफेगल रिफ्लक्स डिजीज (GERD)
गैस्ट्रोइसोफेगल रिफ्लक्स डिजीज एक डायजेस्टिव डिसऑर्डर है, जिसमें पेट में उत्पन्न एसिड या पेट में मौजूद तत्व भोजन नली (Esophagus) में वापस आ जाता है। इस कराण भोजन नली की अंदरूनी सतह में जलन होने लगती है। गैस्ट्रोइसोफेगल रिफ्लक्स डिजीज की समस्या किसी भी उम्र में हो सकती है और इसके कारण पेट के ऊपरी हिस्से में दर्द की समस्या महसूस हो सकती है। ऐसा नहीं है कि गैस्ट्रोइसोफेगल रिफ्लक्स डिजीज की वजह से पेट के सिर्फ ऊपरी हिस्से में दर्द हो, बल्कि इसके कारण कई अन्य शारीरिक परेशानी भी शुरू हो सकती है। जैसे:
- छाती में दर्द (Pain in chest) महसूस होना।
- सीने में जलन (Heartburn) महसूस होना।
- गले में भी जलन महसूस होना।
- मुंह का स्वाद खट्टा होना।
- सूखी खांसी (Dry cough) महसूस होना।
- मसूड़ों में सूजन होना।
- कैविटी (Cavities) महसूस होना।
- सांसों से बदबू (Bad breath) आना।
- निगलने में कठिनाई या गले में गांठ महसूस होना।
- आवाज (Hoarseness) बैठना।
- गले में खराश (Chronic sore throat) होना।
- भोजन या खट्टे तरल का उल्टी के साथ बाहर (Food is coming back into mouth) आना।
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5. हाइटल हर्निया (Hiatal hernia)
हाइटल हर्निया पेट से जुड़ी एक तकलीफ है, जिसमें पेट से परेशानी धीरे-धीरे सीने की ओर फैलने लगती है। अगर इसे आसान शब्दों में समझें, तो पेट की तकलीफ धीरे-धीरे पेट के ऊपरी हिस्से के साथ-साथ सीने तक पहुंच जाती है और मरीज की तकलीफ और ज्यादा बढ़ जाती है। हाइटल हर्निया की समस्या होने पर मरीज को कई अन्य तकलीफों का सामना करना पड़ता है। इन तकलीफों में शामिल है-
- सीने में जलन (Chest burning) महसूस होना।
- डकार के साथ मुंह में खाना आ आना।
- गले में जलन और एसिड आना।
- खाना निगलने में तकलीफ होना।
- पेट के अंदर ब्लीडिंग (Internal blooding) होना।
- मल का रंग गहरा होना।
6. गैस्ट्राइटिस (Gastritis)
पेट की परत में सूजन या जलन की समस्या को मेडिकल टर्म में गैस्ट्राइटिस (Gastritis) कहते हैं। यह आमतौर पर पेट में अल्सर की समस्या उत्पन्न करने वाले बैक्टीरिया से ही गैस्ट्राइटिस की समस्या शुरू होती है। पेट की तकलीफ धीरे-धीरे बढ़ने लगती है और अपर एब्डॉमेन पेन के साथ-साथ कई अन्य परेशानियों को भी इन्वाइट कर देती है। जैसे:
- पेट में सूजन और दर्द की समस्या।
- खट्टी डकार आना।
- भूख नहीं लगना।
- मितली और उल्टी आना ।
- हिचकी आना।
- पेट में जलन महसूस होना।
- पेट खराब होना।
- काला मल होना।
7. पेप्टिक अल्सर (Peptic ulcer)
पेट में घाव या छाले की समस्या को मेडिकल टर्म में अल्सर या पेप्टिक अल्सर (Peptic Ulcer) कहा जाता है। पेट में गाढ़े तरल पदार्थ म्युकस की एक चिकनी परत होती है, जो पेट की भीतरी परत को हाइड्रोक्लोरिक एसिड से बचाती है। इस एसिड की खासियत यह है कि जहां यह एसिड पाचन प्रक्रिया के लिए जरूरी होता है। वहीं शरीर के ऊतकों को नुकसान भी पहुंचाता है। इस एसिड और म्युकस परतों के बीच तालमेल होता है। इस संतुलन के बिगड़ने पर ही पेट में छाले होते हैं। आमतौर पर यह आहार नली पेट और छोटी आंत के ऊपरी भाग में होते हैं। पेट में अल्सर को गैस्ट्रिक अल्सर (Gastric Ulcer) भी कहा जाता है, जो की पेट की परत पर होने वाले दर्दनाक फोड़े व घाव होते हैं। पेप्टिक अल्सर एक ऐसी बीमारी होती है, जो बड़ी और छोटी आंतों को प्रभावित करती है। पेप्टिक अल्सर के कारण अपर एब्डॉमेन पेन (Upper Abdomen Pain) के साथ-साथ निम्नलिखित लक्षण भी महसूस किये जाते हैं। जैसे-
- पेट में बिना किसी कारण दर्द होना।
- पेट दर्द के कारण खाने की इच्छा नहीं होना।
- जी मतली या उल्टी होना।
- ब्लोटिंग (पेट फूलना) की समस्या होना।
- सीने में जलन महसूस होना।
- खून की कमी होना।
- गहरा मल आना।
- मल में खून आना।
8. गैस्ट्रोपैरीसिस (Gastroparesis)
गैस्ट्रोपैरीसिस को डिलेड गैस्ट्रिक एम्प्टयिंग (Delayed Gastric Emptying) भी कहा जाता है। यह एक ऐसा डिसऑर्डर है, जो पेट से लेकर स्माल इंटेस्टाइन (Small Intestine) तक भोजन के मूवमेंट को धीमा या बंद कर सकता है। गैस्ट्रोपैरीसिस का खतरा टाइप 2 डायबिटीज के मरीजों में भी अत्यधिक देखा जाता है। वहीं गैस्ट्रोपैरीसिस के कारण अपर एब्डॉमेन पेन (Upper Abdomen Pain) के साथ-साथ अन्य तकलीफें भी महसूस की जा सकती है। जैसे:
- हार्टबर्न (Heartburn) की समस्या महसूस होना।
- जी मिचलाने (Nausea) की समस्या होना।
- उल्टी (Vomiting) होना।
- पेट भरा हुआ महसूस होना।
- पेट में सूजन (Abdominal Bloating) आना।
- भूख कम (Poor Appetite) लगना।
- वजन कम (Weight Loss) होना।
9. फंक्शनल डिस्पेप्सिया (Functional dyspepsia)
अगर फंक्शनल डिस्पेप्सिया को आसान शब्दों में समझें, तो इसका अर्थ है अपच की समस्या। अपच की समस्या अनहेल्दी खानपान की वजह से होती है। फंक्शनल डिस्पेप्सिया की स्थिति अपर एब्डॉमेन पेन (Upper Abdomen Pain) का कारण बन सकती है और इस तकलीफ के कारण कई अन्य शारीरिक परेशानी भी शुरू हो सकती है। जैसे-
- कम खाने पर भी पेट भरा हुआ महसूस (Feeling of fullness after a few bites) होना।
- ब्लोटिंग (Bloating) की समस्या होना।
- जी मिचलाने (Nausea) की समस्या होना।
10. निमोनिया (Pneumonia)
निमोनिया इंफेक्शन के कारण होने वाली बीमारी है, जो फेफड़े का लेफ्ट भाग या राइट भाग या कभी-कभी पूरे फेफड़े को प्रभावित कर सकता है। इंफेक्शन के कारण यह बीमारी पेट में फैलने लगती है और धीरे-धीरे परेशानी का कारण बनने लगती है। निमोनिया के कारण भी अपर एब्डॉमेन में दर्द (Upper Abdomen Pain) की समस्या शुरू हो सकती है। इसके कई अन्य लक्षण भी हो सकते हैं-
- बार-बार खांसी आना।
- बुखार आना।
- ठंड लगना।
- सांस लेने में तकलीफ महसूस होना।
- खांसते समय या गहरी सांस लेते समय सीने में तेज दर्द होना ।
- सिरदर्द (Headache) होना।
- भूख नहीं लगना।
- ज्यादा थकान महूसस होना।
- उल्टी होना।
11. रप्चर्ड स्पलीन (Ruptured spleen)
रप्चर्ड स्पलीन की समस्या काफी इमरजेंसी मानी जाती है और इस बीमारी का इलाज करवाना अत्यधिक जरूरी होता है। रप्चर्ड स्पलीन की समस्या होने पर स्प्लीन में दरार आने लगती है जिस वजह से मरीज को इंटरनल ब्लीडिंग, अपर एब्डॉमेन में दर्द (Upper Abdomen Pain) जैसी अन्य तकलीफें भी शुरू हो सकती है। वहीं यहां हम आपके साथ रप्चर्ड स्पलीन के लक्षण को भी शेयर करने जा रहें हैं। अगर निम्नलिखित लक्षण महसूस हो तो जल्द से जल्द डॉक्टर से कंसल्ट करें-
- पेट के ऊपरी हिस्से में दर्द महसूस होना।
- बाएं कंधें में दर्द (Left shoulder pain) महसूस होना।
- भ्रम (Confusion) में रहना।
- चक्कर (Dizziness) आना।
- हल्का सिरदर्द (Lightheadedness) होना।
नोट: स्प्लीन से जुड़ी परेशानी अपर एब्डॉमेन में दर्द का कारण बन सकती है।
12. पैन्क्रियाटाइटिस (Pancreatitis)
पैन्क्रियाटाइटिस पेट के पीछे मौजूद होने वाली एक लम्बी ग्लैंड है, जो स्मॉल इंटेस्टाइन के पास मौजूद होती है। यह इंसुलिन (Insulin) और ग्लूकागन (Glucagon) को ब्लडस्ट्रीम में रिलीज करने का काम भी करता है। अगर पैन्क्रियाटाइटिस (Pancreatitis) से जुड़ी समस्या शुरू हो जाए, तो अपर एब्डॉमेन में दर्द समेत अन्य तकलीफें शुरू हो सकती हैं। जैसे-
- अपच (Indigestion) की समस्या होना।
- जी मचलना या उल्टी होना।
- पेट का नरम होना।
- बिना कारण वजन कम होना।
- पेट में सूजन आना।
- हिचकी (Hiccups) आना।
- बुखार (Fever) आना।
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13. शिंगल्स (Shingles)
वायरस की वजह से होने वाली बीमारी है शिंगल्स। शिंगल्स के वायरस नर्व को अपना आशियाना बना लेते हैं और पेट से जुड़ी कई परेशानियों एवं अन्य शारीरिक तकलीफ शुरू होने लगती है। जैसे –
- खुजली (Itching) होना।
- पेट दर्द (Stomach pain) होना।
- पेट में जलन (Burning) महसूस होना।
- सिरदर्द (Headache) होना।
- बुखार (Fever) आना।
- अत्यधिक थकावट (Fatigue) महसूस होना।
14. कैंसर (Cancer)
पेट के ऊपरी हिस्से में दर्द का कारण कैंसरस डिजीज भी हो सकते हैं। जैसे-
- लिवर कैंसर (Liver cancer)
- गॉलब्लैडर कैंसर (Gallbladder cancer)
- बाइल डक्ट कैंसर (Bile duct cancer)
- पैंक्रिएटिक कैंसर (Pancreatic cancer)
- स्टमक कैंसर (Stomach cancer)
- लिंफोमा (Lymphoma)
- किडनी कैंसर (Kidney cancer)
15. ब्लाइंड लूप सिंड्रोम (Blind loop syndrome)
ब्लाइंड लूप सिंड्रोम की समस्या को स्टेसिस सिंड्रोम (Stasis syndrome) भी कहा जाता है। ब्लाइंड लूप सिंड्रोम की समस्या स्मॉल इंटेस्टाइन से शुरू हो सकती है। अगर ब्लाइंड लूप सिंड्रोम का इलाज ना करवाया जाए तो सर्जरी की भी जरूरत पड़ सकती है। ब्लाइंड लूप सिंड्रोम के कारण अपर एब्डॉमेन में दर्द के साथ-साथ अन्य तकलीफें भी महसूस की जा सकती हैं। जैसे-
- भूख (Appetite loss) नहीं लगना।
- जी मिचलाने (Nausea) की समस्या होना।
- पेट फूलने (Bloating) की समस्या होना।
- खाने के बाद अच्छा महसूस नहीं होना।
- डायरिया (Diarrhea) की समस्या होना।
16. प्रेग्नेंसी (pregnancy)
प्रेग्नेंसी में पेट दर्द की समस्या सामान्य मानी जाती है। ऐसा गर्भ में पल शिशु के विकास के कारण होता है। प्रेग्नेंसी के दौरान निम्नलिखित स्थिति में पेट के ऊपरी हिस्से में दर्द सामान्य माने जाते हैं। जैसे-
- गैस (Gas) की समस्या होना।
- कब्ज (Constipation) की समस्या होना।
- ब्रेक्सटन-हिक्स कॉन्ट्रैक्शन (Braxton-Hicks contractions) की समस्या होना।
- स्टमक फ्लू (Stomach flu) की समस्या होना ,
- किडनी स्टोन (Kidney stones) की समस्या होना।
- फिब्रॉइड्स (Fibroids) की समस्या होना।
- फूड एलर्जी (Food allergy) होना।
गर्भावस्था में ये परेशानी सामान्य मानी जाती है, लेकिन अगर ये परेशानी जरूरत से ज्यादा परेशान करने लगे तो डॉक्टर से कंसल्ट करना चाहिए। वहीं निम्नलिखित परेशानी होने पर भी डॉक्टर से संपर्क करना जरूरी है। जैसे-
- प्लेसेंटल अब्रप्शन (Placental abruption)
- यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन (Urinary Tract Infection)
- प्रीक्लेम्पसिया (Preeclampsia)
- एक्टॉपिक प्रेग्नेंसी (Ectopic pregnancy)
पेट के ऊपरी हिस्से में दर्द होने पर डॉक्टर से कंसल्ट कब करना है जरूरी?
पेट के ऊपरी हिस्से में दर्द का कारण (Upper Abdomen Pain) ऊपर बताई गई परेशानियां हो सकती है। इनमें से ज्यादातर बीमारी डायजेशन से जुड़ी हुई है और कई परेशानियों के लक्षण भी एक ही जैसे हैं। इसलिए यहां ऊपर बताई गई बीमारी या उनके लक्षण महसूस हो, तो डॉक्टर से संपर्क करना जरूरी है। पेट से जुड़ी परेशानी कई अन्य गंभीर बीमारियों को दावत देने में सक्षम होते हैं। इसलिए इन्हें इग्नोर का करें और डॉक्टर से सलाह लें।
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