प्रेग्नेंसी यानी गर्भावस्था के नौ महीने होने वाली मां को अपने और अपने शिशु के स्वास्थ्य के लिए कई तरह की सावधानियां बरतनी पड़ती हैं। क्योंकि, इस कंडिशन में मां के साथ-साथ फीटस भी कई कॉम्प्लिकेशन्स का सामना कर सकता है। यही नहीं, कई बार उन्हें प्रसव संबंधी कई परेशानियों से भी गुजरना पड़ता है। अगर आपके डॉक्टर यह नोटिस करते हैं कि आपका शिशु प्रेग्नेंसी या लेबर के दौरान अनवेल है और वो अच्छे से लेबर के समय कॉप-अप नहीं कर रहा है, तो इसे गर्भावस्था और लेबर में फीटल पेन या फीटल डिस्ट्रेस (Fetal Distress During Pregnancy and Labor) कहा जाता है। आज हम गर्भावस्था और लेबर में फीटल पेन के बारे में ही बात करने वाले हैं, जिसे फीटल डिस्ट्रेस (Fetal Distress During Pregnancy and Labor) भी कहा जाता है। आइए जानें इसके बारे में विस्तार से।
गर्भावस्था और लेबर में फीटल पेन या फीटल डिस्ट्रेस क्या है? (Fetal Distress During Pregnancy and Labor)
गर्भावस्था और लेबर में फीटल पेन या फीटल डिस्ट्रेस (Fetal Distress During Pregnancy and Labor) को फीटल इनटॉलेरेंस भी कहा जाता है। यह जटिलता बर्थ प्रोसेस के दौरान तब होती हैं, जब अनबोर्न बेबी लेबर के दौरान ऑक्सीजन की कमी का शिकार होता है। हालांकि, लेबर के दौरान बच्चे द्वारा प्रत्येक कॉन्ट्रेक्शन के साथ ब्लड फ्लो में टेम्पररी ड्राप का अनुभव होना सामान्य है। लेकिन ,अगर यह ऑक्सीजन की कमी बहुत अधिक देर तक रहे, तो इससे बच्चा ब्रेन डैमेज से पीड़ित हो सकता है या कई मामलों में बच्चे की मृत्यु भी हो सकती है। जैसा की पहले ही बताया गया है कि फीटल डिस्ट्रेस (Fetal Distress) की यह समस्या फीटस को पर्याप्त ऑक्सीजन या न्यूट्रिएंट्स नहीं मिल पाने की वजह से होती है। हालांकि, ऐसा मेटरनल (Maternal), फीटल (Fetal) या प्लेसेंटल फैक्टर (Placental factors) के कारण भी हो सकता है।
आमतौर पर गर्भावस्था और लेबर में फीटल पेन या फीटल डिस्ट्रेस (Fetal Distress During Pregnancy and Labor) को एब्नार्मल फीटल हार्ट रेट के माध्यम से डिटेक्ट किया जा सकता है। हालांकि, अधिकतर प्रेग्नेंसीज और चाइल्डबर्थ बिना किसी कॉम्प्लीकेशन्स के होते हैं। लेकिन, डॉक्टर्स के लिए बेहद महत्वपूर्ण है कि वे गर्भावस्था के हर चरण में बच्चे को मॉनिटर करें, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि किसी भी संभावित जटिलता का तुरंत समाधान किया जा सके। अगर फीटल डिस्ट्रेस (Fetal Distress) की समस्या समय पर डिटेक्ट न की जाए तो प्रेग्नेंसी और लेबर के दौरान कई परेशानियां हो सकती हैं। अब जानते हैं इस समस्या के कारणों के बारे में।
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गर्भावस्था और लेबर में फीटल पेन या फीटल डिस्ट्रेस के कारण या फीटल डिस्ट्रेस (Causes of Fetal Distress During Pregnancy and Labor)
गर्भावस्था या लेबर के दौरान बच्चे कई कारणों से डिस्ट्रेस्ड हो सकते हैं। इसके कई कारण हैं, जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं:
- कोई हेल्थ कॉम्प्लीकेशंस इस बात को एफेक्ट कर सकती है कि कितना ब्लड आवश्यक ऑक्सीजन और पोषक तत्वों के साथ, प्लासेंटा के माध्यम से आपके बच्चे तक पहुंचता है।
- अगर आपके गर्भ में जुड़वां या इससे अधिक बच्चे हैं, तो आपके एक या दोनों बच्चों को यह समस्या होने की संभावना अधिक रहती है।
- यदि होने वाली मां 35 वर्ष या उससे अधिक उम्र के हैं।
- अगर आपकी ड्यू डेट निकल चुकी हो।
आपका स्वास्थ्य आपके गर्भवती होने से पहले ही डॉक्टर के लिए बड़ा वजह हो सकता है, जिसके कारण वो आपके शिशु की अतिरिक्त मॉनिटरिंग करें, जैसे अगर आपका वजन अधिक है या आपको इनमें से कोई अन्य समस्या है, जैसे:
- डायबिटीज (Diabetes)
- अस्थमा (Asthma)
- एनीमिया (Anaemia)
- हाय ब्लड प्रेशर (High blood pressure)
- हायपोथायरॉयडिज्म (Hypothyroidism)
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फीटल डिस्ट्रेस के कारणों में अन्य कॉम्प्लीकेशन्स
कुछ खास कॉम्प्लीकेशन्स जो प्रेग्नेंसी के दौरान होती हैं वो भी फीटल डिस्ट्रेस (Fetal Distress) का कारण बन सकती हैं, जैसे:
- प्रीक्लेम्पसिया (Preeclampsia), जिससे प्लेसेंटा का काम प्रभावित होता है।
- एमनीओटिक फ्लूइड (Amniotic fluid) का बहुत अधिक या बहुत कम होना।
- प्रेग्नेंसी के दौरान हाय ब्लड प्रेशर (High blood pressure) की परेशानी।
- 24 वें हफ्ते से वजायनल ब्लीडिंग (Vaginal bleeding) को महसूस करना।
- प्लासेंटल एब्रप्शन (placental abruption)
लेबर के आसपास या दौरान कुछ इंटरवेंशंस भी इस समस्या का कारण बन सकती हैं, जैसे:
- अगर आपका बच्चा ब्रीच हो और आपके डॉक्टर एक्सटर्नल सिफैलिक वर्जन (External cephalic version) से उसे टर्न करें।
- लेबर को तेज करना, जिससे कॉन्ट्रैक्शंस स्ट्रांग और अधिक फ्रीक्वेंट होती है।
गर्भावस्था और लेबर में फीटल पेन या फीटल डिस्ट्रेस (Fetal Distress During Pregnancy and Labor) के अन्य कारणों की लिस्ट लंबी है। इससे यह पता चलता है कि हर प्रेग्नेंसी और चाइल्डबर्थ अलग होता है और इस समस्या के कारण हर महिला में अलग हो सकते हैं। अब जानते हैं गर्भावस्था और लेबर में फीटल पेन या फीटल डिस्ट्रेस (Fetal Distress During Pregnancy and Labor) के लक्षणों के बारे में।
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गर्भावस्था और लेबर में फीटल पेन के लक्षण (Fetal Distress During Pregnancy and Labor)
नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इंफॉर्मेशन (National Center for Biotechnology Information) के अनुसार फीटल डिस्ट्रेस (Fetal Distress) वाइडली यूज्ड लेकिन पुअरली डिफाइंड टर्म है। अगर पेशेंट के डॉक्टर आपमें यह समस्याएं नोटिस करते हैं तो इसका अर्थ है कि आप फीटल डिस्ट्रेस (Fetal Distress) की समस्या का अनुभव कर रहे हैं:
- एब्नार्मल फीटल हार्ट रिदम (Abnormal fetal heart rhythm)
- असामान्य एमनियॉटिक फ्लूइड लेवल (Abnormal amniotic fluid levels)
- बायोफिजिकल प्रोफाइल के असामान्य रिजल्ट (Abnormal results of Biophysical Profile)
- मां में हाय ब्लड प्रेशर (High blood pressure in the mother)
- ग्रोथ में समस्या (Failure to progress)
- अगर आपके शिशु की हार्ट रेट कम है (Abnormal heart rate)
- 28वें हफ्ते की प्रेग्नेंसी के बाद फीटल मूवमेंट के पैटर्न में विभिन्नता आना (Variation in pattern of fetal movement)
- वॉटर बैग ब्रेक होना (Water bag breakage)
गर्भावस्था और लेबर में फीटल पेन या फीटल डिस्ट्रेस (Fetal Distress During Pregnancy and Labor) के अन्य लक्षण भी हो सकते हैं। अगर आपको इसका कोई भी लक्षण नजर आता है तो तुरंत डॉक्टर से सलाह लें। इसके साथ ही फीटल की लगातार मॉनिटरिंग, नॉनस्ट्रेस टेस्ट या अल्ट्रासाउंड आदि कराना भी जरूरी है। अब जानते हैं इसके निदान के बारे में।
गर्भावस्था और लेबर में फीटल पेन या फीटल डिस्ट्रेस का निदान (Diagnosis of Fetal Distress During Pregnancy and Labor)
पूरी प्रेग्नेंसी के दौरान कॉम्प्लीकेशन्स को डिटेक्ट करने के लिए नियमित रूप से जांच बेहद जरूरी है। इसके लिए वो कई टेस्ट्स कराने की सलाह दे सकते हैं। यह टेस्ट्स इस प्रकार हैं:
बायोफिजिकल प्रोफाइल (Biophysical profile)
यह एक अल्ट्रासाउंड टेस्ट है, जिससे शिशु की हार्ट रेट, मसल टोन, मूवमेंट, ब्रीदिंग और शिशु के आसपास एमनियॉटिक फ्लूइड (Amniotic fluid) की मात्रा को चेक किया जा सकता है।
नॉनस्ट्रेस टेस्ट (Nonstress test)
नॉनस्ट्रेस टेस्ट से फीटल की हार्ट रेट में एक्सेलरेशन और डी-एक्सेलरेशन को मॉनिटर किया जाता है। इसके साथ ही जो आपको कॉन्ट्रैक्शंस हो सकती हैं उन्हें भी जांचा जाता है।
कॉन्ट्रैक्शन स्ट्रेस टेस्ट (Contraction stress test)
इस टेस्ट के दौरान मां को थोड़ी सी मात्रा में पिटोसिन (Pitocin) दी जाती है और इलेक्ट्रॉनिक फीटल मॉनिटर (Electronic fetal monitor) के माध्यम से यह मॉनिटर किया जाता है कि शिशु कैसे रिस्पॉन्ड करता है। अब जान लेते हैं कि इस समस्या का उपचार कैसे हो सकता है?
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गर्भावस्था और लेबर में फीटल पेन या फीटल डिस्ट्रेस का उपचार कैसे हो सकता है? (Treatment of Fetal Distress During Pregnancy and Labor)
इस समस्या के उपचार के लिए सबसे पहले डॉक्टर इसके अंडरलायिंग कारणों के बारे में जानेंगे। इस रोग के लक्षणों को मैनेज करने के कुछ तरीके इस प्रकार हैं:
- इसके लक्षणों को मैनेज करने के लिए रोगी को ऑक्सीजन (Oxygen) और फ्लुइड्स (Fluids) दिया जा सकता है।
- अपने बच्चे को आराम पहुंचाने के लिए आप अपनी पोजीशन को भी बदल सकती हैं।
- अगर आपके शिशु को फीटल डिस्ट्रेस (Fetal Distress) है, तो डॉक्टर एकदम आपके शिशु की डिलीवरी को प्लान कर सकते हैं। आपके डॉक्टर इसके लिए फोरसेप्स (Forceps) या वैक्यूम एक्सट्रैक्टर (Vacuum extractor) की मदद ले सकते हैं। इसके अलावा गंभीर स्थितियों में एमरजेंसी सिजेरियन सेक्शन (Emergency cesarean section) भी किया जा सकता है। हालांकि, यह सुरक्षित प्रसव का तरीका है लेकिन, इसमें शिशु और मां को अतिरिक्त रिस्क्स हो सकते हैं। असिस्टेड डिलीवरी के साथ जन्में शिशुओं को जॉन्डिस की संभावना अधिक रहती है। यही नहीं इसके बाद दोनों को अतिरिक्त देखभाल की भी आवश्यकता होती है।
- यदि आपका शिशु फीटल डिस्ट्रेस (Fetal Distress) के लक्षण दिखाता है, तो प्रसव के दौरान आपको दी जाने वाली दवाएं बंद की जा सकती हैं।
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इसके साथ ही फीटल डिस्ट्रेस (Fetal Distress) की संभावना को कम करने के अन्य तरीके इस प्रकार हैं:
- स्लीपिंग पोजीशन में बदलाव (Changing sleeping position)
- पर्याप्त मात्रा में पानी पीएं (Keeping yourself well-hydrated)
- हेल्दी आहार का सेवन करें (Eating healthy) इसके लिए आप डॉक्टर और डायटीशियन की सलाह ले सकते हैं।
- बर्थ प्रोसेस के दौरान ऑक्सीजन मास्क का प्रयोग करना (Using oxygen mask)
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गर्भावस्था और लेबर में फीटल पेन यानी फीटल डिस्ट्रेस (Fetal Distress During Pregnancy and Labor) के बारे में जानकारी। अगर आप अपनी पहले प्रेग्नेंसी के दौरान फीटल डिस्ट्रेस (Fetal Distress) का अनुभव करते हैं। तो दूसरी प्रेग्नेंसी के दौरान आपको चिंतित होने की जरूरत नहीं है। क्योंकि ऐसा जरूरी नहीं है आपकी अगली प्रेग्नेंसी के दौरान भी आपको यह समस्या हो। इसके साथ ही अपनी पूरी प्रेग्नेंसी के दौरान अपना और शिशु का खास ध्यान रखें। नियमित रूप से जांच कराएं और इसके लक्षणों का भी ध्यान रखें। प्रेग्नेंसी और लेबर के दौरान आपको क्या-क्या प्रीकॉशन्स लेने चाहिए, इसके बारे में डॉक्टर से पूरी जानकारी अवश्य लें। बहुत अधिक जरूरी है कि चाहे आपकी प्रेग्नेंसी, लेबर और डिलीवरी क्रिटिकल हो चाहे सामान्य, लेकिन आपके लिए अपनी ओवरआल हेल्थ और जरूरी लक्षणों पर खास ध्यान दें।
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