गर्भावस्था और लेबर में फीटल पेन या फीटल डिस्ट्रेस (Fetal Distress During Pregnancy and Labor) के अन्य लक्षण भी हो सकते हैं। अगर आपको इसका कोई भी लक्षण नजर आता है तो तुरंत डॉक्टर से सलाह लें। इसके साथ ही फीटल की लगातार मॉनिटरिंग, नॉनस्ट्रेस टेस्ट या अल्ट्रासाउंड आदि कराना भी जरूरी है। अब जानते हैं इसके निदान के बारे में।
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गर्भावस्था और लेबर में फीटल पेन या फीटल डिस्ट्रेस का निदान (Diagnosis of Fetal Distress During Pregnancy and Labor)
पूरी प्रेग्नेंसी के दौरान कॉम्प्लीकेशन्स को डिटेक्ट करने के लिए नियमित रूप से जांच बेहद जरूरी है। इसके लिए वो कई टेस्ट्स कराने की सलाह दे सकते हैं। यह टेस्ट्स इस प्रकार हैं:
बायोफिजिकल प्रोफाइल (Biophysical profile)
यह एक अल्ट्रासाउंड टेस्ट है, जिससे शिशु की हार्ट रेट, मसल टोन, मूवमेंट, ब्रीदिंग और शिशु के आसपास एमनियॉटिक फ्लूइड (Amniotic fluid) की मात्रा को चेक किया जा सकता है।
नॉनस्ट्रेस टेस्ट (Nonstress test)
नॉनस्ट्रेस टेस्ट से फीटल की हार्ट रेट में एक्सेलरेशन और डी-एक्सेलरेशन को मॉनिटर किया जाता है। इसके साथ ही जो आपको कॉन्ट्रैक्शंस हो सकती हैं उन्हें भी जांचा जाता है।
कॉन्ट्रैक्शन स्ट्रेस टेस्ट (Contraction stress test)
इस टेस्ट के दौरान मां को थोड़ी सी मात्रा में पिटोसिन (Pitocin) दी जाती है और इलेक्ट्रॉनिक फीटल मॉनिटर (Electronic fetal monitor) के माध्यम से यह मॉनिटर किया जाता है कि शिशु कैसे रिस्पॉन्ड करता है। अब जान लेते हैं कि इस समस्या का उपचार कैसे हो सकता है?
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गर्भावस्था और लेबर में फीटल पेन या फीटल डिस्ट्रेस का उपचार कैसे हो सकता है? (Treatment of Fetal Distress During Pregnancy and Labor)
इस समस्या के उपचार के लिए सबसे पहले डॉक्टर इसके अंडरलायिंग कारणों के बारे में जानेंगे। इस रोग के लक्षणों को मैनेज करने के कुछ तरीके इस प्रकार हैं:
- इसके लक्षणों को मैनेज करने के लिए रोगी को ऑक्सीजन (Oxygen) और फ्लुइड्स (Fluids) दिया जा सकता है।
- अपने बच्चे को आराम पहुंचाने के लिए आप अपनी पोजीशन को भी बदल सकती हैं।
- अगर आपके शिशु को फीटल डिस्ट्रेस (Fetal Distress) है, तो डॉक्टर एकदम आपके शिशु की डिलीवरी को प्लान कर सकते हैं। आपके डॉक्टर इसके लिए फोरसेप्स (Forceps) या वैक्यूम एक्सट्रैक्टर (Vacuum extractor) की मदद ले सकते हैं। इसके अलावा गंभीर स्थितियों में एमरजेंसी सिजेरियन सेक्शन (Emergency cesarean section) भी किया जा सकता है। हालांकि, यह सुरक्षित प्रसव का तरीका है लेकिन, इसमें शिशु और मां को अतिरिक्त रिस्क्स हो सकते हैं। असिस्टेड डिलीवरी के साथ जन्में शिशुओं को जॉन्डिस की संभावना अधिक रहती है। यही नहीं इसके बाद दोनों को अतिरिक्त देखभाल की भी आवश्यकता होती है।
- यदि आपका शिशु फीटल डिस्ट्रेस (Fetal Distress) के लक्षण दिखाता है, तो प्रसव के दौरान आपको दी जाने वाली दवाएं बंद की जा सकती हैं।