गर्भावस्था शुरू होते ही प्रेग्नेंट महिला की एक विशेष देखभाल भी शुरू होती है। खानपान भी इसी देखभाल का एक हिस्सा है। आपने अक्सर अपने बड़े-बुजुर्गों से सुना होगा कि प्रेग्नेंसी में ये मत खाओ, वो मत खाओ। ये खाने से बच्चा गोरा होता है, वो खाने से बच्चे के सेहत पर असर पड़ता है। कई महिलाओं के मन में एक सवाल यह भी आता है कि प्रेग्नेंसी में मूली का सेवन करना सही है या नहीं। कहीं इसके सेवन से बच्चे के सेहत पर कोई बुरा असर ना पड़े। इस आर्टिकल में आप जानेंगे कि प्रेग्नेंसी में मूली का सेवन करने के फायदे और नुकसान क्या हैं?
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मूली (Radish) क्या है?
मूली गाजर की तरह ही एक जड़ है। जो जमीन के अंदर होती है और इसकी पत्तियां सरसों की पत्तियों की तरह हरी होती है। मूली की जड़ और पत्तियां दोनों खाई जाती है। ये अक्सर सपेद रंग का होता है। मूली बहुत पौष्टिक सब्जी मानी जाती है। 100 ग्राम मूली में निम्न पोषक तत्व पाए जाते हैं :
- कैलोरी 16
- फैट –0.1 ग्राम
- कोलेस्ट्रॉल –0 मिलीग्राम
- सोडियम –39 मिलीग्राम
- पोटैशियम- 233 मिलीग्राम
- कार्बोहाइड्रेट- 3.4 ग्राम
- प्रोटीन – 0.7 ग्राम
उपरोक्त पोषक तत्वों के अलावा मूली में फोलेट, कैल्शियम, विटामिन सी, विटामिन ए, विटामिन बी, जिंक और मैग्नीशियन भी पाया जाता है। ये सभी तत्व प्रेग्नेंसी में मूली का सेवन करने से मां के द्वारा बच्चे तक पहुंचता है और गर्भ में पल रहे बच्चे से विकास में मदद करता है।
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क्या प्रेग्नेंसी में मूली का सेवन सेफ है?
इस सवाल के जवाब के लिए हैलो स्वास्थ्य ने वाराणसी (उत्तर प्रदेश) के काशी मेडिकेयर की गाइनेकोलॉजिस्ट डॉ. शिप्रा धर से बात की। डॉ. शिप्रा ने बताया कि “मूली एक सब्जी है और प्रेग्नेंसी में मूली का सेवन करना अच्छी बात है। इससे बच्चे को कोई नुकसान नहीं होता है। साथ ही इसमें पाए जाने वाला कैल्शियम बच्चे के हड्डियों के विकास में मददगार होता है। सिर्फ गर्भवती महिला को उसकी सही मात्रा का ध्यान रखना चाहिए। इसके लिए किसी भी प्रेग्नेंट महिला को अपने डॉक्टर या डायटीशियन से सलाह ले लेनी चाहिए।”
डॉ. शिप्रा कहती हैं कि “मूली को खाने से पहले हल्के गुनगुने पानी से अच्छी तरह से साफ कर लेना चाहिए। क्योंकि वह जमीन से निकली हुई सब्जी है, ऐसी स्थिति में प्रेग्नेंसी में पेट में कीड़े होने का रिस्क कम हो जाता है। इसके अलावा भी जमीन के अंदर उगने वाली सब्जियों में कई तरह के परजीवी भी हो सकते हैं, मां और बच्चे दोनों को नुकसान पहुंचा सकते हैं। इसलिए थोड़ी देर तक गुनगुने पानी में सब्जियों को छोड़ देना चाहिए।”
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क्या प्रेग्नेंसी में मूली के पत्तियों का सेवन करना सही है?
बहुत सारे लोग मूली के जड़ के साथ-साथ उसकी पत्तियों को सलाद या सब्जी के रूप में खाना पसंद करते हैं। जैसा कि ऊपर बताया गया कि प्रेग्नेंसी में मूली का सेवन पूरी तरह से सुरक्षित है, तो आप मूली की पत्तियां भी खा सकती हैं। वैसे भी प्रेग्नेंसी में हरी पत्तेदार सब्जियां खाने के लिए कहा जाता है। मूली कि पत्तियों की न्यूट्रीशनल वैल्यू मूली की जड़ की तरह ही होती है, सिर्फ उसमें क्लोरोफिल ज्यादा मिलता है।
प्रेग्नेंसी में मूली का सेवन करने के फायदे क्या हैं?
प्रेग्नेंसी में मूली का सेवन करने के फायदे निम्न हैं :
पाचन को दुरुस्त करता है
मूली में ज्यादा मात्रा में डायट्री फाइबर पाए जाते हैं, जो खाने को पचने में मदद करती है। वहीं, आंतों के मूवमेंट और अपाचन की समस्या में राहत पहुंचाती है। प्रेग्नेंसी में मूली खाने से प्रेग्नेंसी में कब्ज की समस्या दूर होती है। प्रेग्नेंसी के दौरान कब्ज की समस्या होना आम बात है। अगर ऐसे समय में फाइबर युक्त खाना खाया जाए को कॉन्स्टिपेशन की समस्या से बचा जा सकता है। खाने में फल, सब्जियां और अनाज को शामिल करने से फाइबर की उचित मात्रा प्राप्त होती है। अगर आप कम पानी पीते हैं तो भी कब्ज की समस्या हो सकती है। आप मूली का सेवन रोजाना सलाद के रूप में कर सकती हैं। एक बात का ध्यान रखें कि किसी भी सब्जी या फिर फल का अधिक सेवन न करें। आप सप्ताह में दिन निश्चित कर सभी पोषक युक्त खाने को डायट में शामिल करें। ऐसा करने से पाचन भी दुरस्त रहेगा और हाजमा भी खराब नहीं होगा।
पोषकता से भरपूर होता है
मूली में कई तरह के पोषक तत्व पाए जाते हैं, जैसे- जिंक, पोटैशियम, कैल्शियम। ये सभी पोषक तत्व गर्भ में पल रहे बच्चे के विकास के लिए बहुत जरूरी होते हैं। साथ ही बच्चे के स्वास्थ्य का गर्भ में ख्याल भी रखते हैं। मूली में फॉलिक एसिड पाया जाता है, जो एक गर्भवती महिला के लिए बहुत जरूरी होता है। प्रेग्नेंसी में मूली का सेवन करने से गर्भवती महिला के शरीर में आयरन की कमी नहीं होती है। वहीं, बच्चे विकास को सही तरीके से होने में फॉलिक एसिड बहुत मदद करती है।
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ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करती है
मूली में एंटीहाइपरटेंसिव इफेक्ट पाया जाता है। प्रेग्नेंसी में हाइपरटेंशन के दौरान मूली का सेवन करने पर ब्लड प्रेशर नियंत्रित रहता है।
वजन को नियंत्रित करती है
प्रेग्नेंसी में वजन बढ़ना एक आम बात होती है। लेकिन वजन का सामान्य से ज्यादा होना डिलिवरी में समस्या उत्पन्न कर सकता है। इसलिए आपको प्रेग्नेंसी में मूली का सेवन करना चाहिए। मूली में कम कैलोरी होती है, जिससे वजन को नियंत्रित करने में मदद मिलती है। वहीं, मूली में डायट्री फाइबर ज्यादा और फैट व कार्बोहाइड्रेट कम होता है।
कैंसर से बचाता है
यूं तो प्रेग्नेंसी में कैंसर होना काफी रेयर है, लेकिन फिर भी मूली का सेवन उसके रिस्क को कम करता है। मूली में एंटी-सार्किनोजेनिक पाए जाते हैं, जैसे- आइसोथायोसाइनेट और स्लफोराफेन एंटी-सार्किनोजेनिक मूली में मौजूद होते हैं। जो मां और बच्चे दोनों को कैंसर से बचाते हैं।
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यूरीन की समस्याओं से बचाता है
प्रेग्नेंसी में मूली का सेवन करने से यूरीन का फ्लो इम्प्रूव होता है। मूली में डायूरेटिक गुण पाए जाते हैं जो प्रेग्नेंसी में यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन होने से बचाता है। वहीं, मूली के एंटी-इफ्लमेटरी गुणों के कारण भी कई तरह के यूरीन इंफेक्शन नहीं होते हैं।
मूली खाएं इम्यूनिटी बढ़ाएं
मूली में विटामिन सी पाई जाती है, जिसके कारण इम्यूनिटी सेल बूस्ट होती है। ये इम्यूनिटी सेल मां और बच्चे के सेहत के लिए इम्यूनिटी बढ़ाती हैं। सिर्फ एक कप पकी हुई मूली खाने से रोज के 30 फीसदी विटामिन की जरूरत पूरी हो सकती है।
मूली में एंटीफंगल प्रॉपर्टी
गर्भावस्था के दौरान मूली का सेवन आपको फंगस से बचाने का काम भी कर सकता है। मूली में एंटीफंगल प्रॉपर्टी होती है। इसमे एंटीफंगल प्रोटीन RsAFP2 पाई जाती है जो कवक की कोशिका को मारने का काम करती है। एक स्टडी के दौरान इस बात की पुष्टि हुई है कि मानव में पाए जाने वाले सामान्य कवक कैंडिडा अल्बिकैंस (Candida albicans) को एंटीफंगल प्रोटीन मारने का काम करती है। कैंडिडा अल्बिकैंस (Candida albicans) के शरीर में बढ़ने के कारण वजाइनल यीस्ट इंफेक्शन होने का खतरा भी बढ़ जाता है। ऐसे में ओरल यीस्ट इंफेक्शन बढ़ने का खतरा भी रहता है। चूहों में स्टडी के दौरान ये बात सामने आई है कि एंटीफंगल प्रोटीन कैंडिडा की अन्य प्रजातियों को भी खत्म करने का काम करता है। अब तो आप मूली के एंटीफंगल गुण के बारे में जान ही गए होंगे।
विटिलिगो से राहत दिलाती है मूली
मूली का प्रेग्नेंसी के दौरान उपयोग करने से पाचन दुरस्त तो रहता ही है साथ ही अन्य बीमारियों से भी छुटकारा दिलाता है। मूली का सेवन करने से विटिलिगो की बीमारी से छुटकारा मिलता है। स्किन की इस प्रॉब्लम को दूर करने के लिए रेडिस यानी मूली के बीज का इस्तेमाल किया जाता है। मूली अपने एंटी-कॉर्सनोजिनिक गुणों के कारण बीमारी को दूर करने में मदद मिल सकती है।
प्रेग्नेंसी में मूली का सेवन कैसे करें?
मूली को खाने के पहले गुनगुने पानी में अच्छी तरह से धुल दें। ताकि मूली से सभी तरह की मिट्टी और धूल निकल सके। इसके अलावा आप मूली को छील भी सकती हैं। प्रेग्नेंसी में मूली का सेवन पका कर करें। पकी मूली में बिल्कुल भी बैक्टीरिया और पैरासाइट्स नहीं होंगे। इसके अलावा आप मूली के पत्तियों की भी सब्जी बन सकती हैं। आप चाहें तो मूली का सलाद भी बना कर खा सकती हैं। आप मूली को पास्ता सॉस में सॉटे कर के खा सकती हैं,
प्रेग्नेंसी में मूली का सेवन से क्या नुकसान हो सकते हैं?
यूं तो मूली पूरी तरह से सुरक्षित सब्जी है, लेकिन कई बार गलत तरीके से मूली को खाना आपकी और बच्चे की सेहत पर भारी पड़ सकता है। मूली अगर अच्छे से साफ नहीं की गई हो तो पेट में मूली के साथ मिट्टी के कण भी जाएंगे। अगर मिट्टी दूषित रही तो इससे इंफेक्शन होने का खतरा है। पेट में ई. कोलाई, साल्मोनेला नामक बैक्टीरिया मिट्टी के साथ पहुंच कर संक्रमण फैला सकते हैं। जैसे- साल्मोनेलॉसिस, टॉक्सोप्लाजमॉसिस और शिगेलॉसिस इंफेक्शन हो सकते हैं। ये संक्रमण हाई फीवर, शरीर दर्द, डिहाइड्रेशन आदि पैदा कर सकते हैं। वहीं, संक्रमण ज्यादा होने पर प्रीमेच्योर लेबर, मिसकैरेज या स्टील बर्थ होने की संभावना होती है।
इसलिए जब भी प्रेग्नेंसी में मूली का सेवन करें, तब आप उसकी सफाई का पूरा ध्यान रखें। तो इस तरह से आपने जाना कि प्रेग्नेंसी में मूली का सेवन करने से मां और बच्चे को कितना फायदा पहुंचता है। उम्मीद है कि आपको ये आर्टिकल पसंद आया होगा। अधिक जानकारी के लिए आप अपने डॉक्टर से संपर्क कर सकती हैं।
उपरोक्त जानकारी चिकित्सा सलाह का विकल्प नहीं है। अगर आपको प्रेग्नेंसी के दौरान डायट के बारे में जानकारी चाहिए तो बेहतर होगा कि डॉक्टर से जरूर परामर्श करें। प्रेग्नेंसी में क्या खाना चाहिए और क्या नहीं, आप इस बारे में भी डॉक्टर से जानकारी जरूर लें। प्रेग्नेंसी के दौरान खानपान में सावधानी रखना भी बहुत जरूरी होता है। आपको प्रेग्नेंसी के दौरान कुछ फूड होते हैं जिनका सेवन नहीं करना चाहिए। इस बारे में डॉक्टर से जरूर पूछें। आप स्वास्थ्य संबंधि अधिक जानकारी के लिए हैलो स्वास्थ्य की वेबसाइट विजिट कर सकते हैं। अगर आपके मन में कोई प्रश्न है तो हैलो स्वास्थ्य के फेसबुक पेज में आप कमेंट बॉक्स में प्रश्न पूछ सकते हैं।
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