डिलिवरी के बाद महिला को ब्लीडिंग होती है। डिलिवरी के बाद जब प्लासेंटा वजायना से बाहर निकलता है तो अधिक मात्रा में ब्लीडिंग होती है। डिलिवरी के बाद अधिक मात्रा में शरीर से खून निकलने की क्रिया को ही पोस्टपार्टम हेमरेज कहते हैं। चाइल्ड बर्थ के बाद पोस्टपार्टम हेमरेज का पता चलता है जब अधिक मात्रा में शरीर से खून निकल जाता है। पोस्टपार्टम हेमरेज (PPH) शब्द का प्रयोग तब किया जाता है जब किसी महिला की वजायनल डिलिवरी के वक्त 500 एमएल और सी-सेक्शन के बाद 1000एम एल ब्लड का लॉस हो जाता है। अगर ब्लड का लॉस डिलिवरी के 24 घंटे के अंदर हो जाता है तो इसे प्राइमरी हेमरेज कहते हैं।
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किस कारण से होता है पोस्टपार्टम हेमरेज?
पोस्टपार्टम हेमरेज का कारण यूट्रस का बच्चे के जन्म के बाद सही प्रकार से संकुचन न हो पाना है। प्रेग्नेंसी के समय भी यूट्रस ओवरस्ट्रेच हो सकता है। लार्ज बेबी, ट्विन्स बेबी, एम्निऑटिक फ्लूड की बढ़ी हुई मात्रा आदि के कारण यूट्रस का ठीक से संकुचन नहीं हो पाता। पोस्टपार्टम हेमरेज के अन्य कारण भी हो सकते हैं जैसे-
- एपिसिओटॉमी (episiotomy)- इसके अंतगर्त मां की वजायना और एनस के पास की स्किन में कट लगाया जाता है। ऐसा करने से बच्चे का सिर आसानी से बाहर आ जाता है।
- वजायनल टीयरिंग – जब वजायना के पास की स्किन में कट लगाया जाता है तो टीयरिंग की समस्या हो जाती है।
- रप्चर्ड यूट्रस के कारण
- रीटेंड प्लासेंटा – जब बच्चे की डिलिवरी के बाद भी प्लासेंटा बाहर नहीं आ पाता है तो इस स्थिति को रीटेंड प्लासेंटा कहते हैं।
पोस्टपार्टम हेमरेज के फैक्टर
ऐसे कई फैक्टर हैं जो पोस्टपार्टम हेमरेज होने के की संभावना बढ़ा सकते हैं। जैसे-
- पोस्टपार्टम हेमरेज की पहले हो चुकी समस्या।
- बहुत लंबा तेजी से लेबर होने के कारण।
- ब्लड डिसऑर्डर जैसे कि हीमोफीलिया के कारण।
- सीजेरियन सेक्शन होना के कारण पोस्टपार्टम हेमरेज की समस्या।
- प्लासेंटल इश्यू।
- हाई ब्लड प्रेशर के कारण।
- अगर महिला की उम्र 40 वर्ष से अधिक है तो भी उसे पोस्टपार्टम हेमरेज की संभावना रहती है।
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पोस्टपार्टम हेमरेज के लक्षण
पोस्टपार्टम हेमरेज होने के साथ ही महिला को डिलिवरी के बाद कुछ लक्षण भी दिखाई देने लगते हैं। डिलिवरी के बाद महिला का शरीर कमजोर हो जाता है। उसे पहले जैसी अवस्था में आने के लिए थोड़ा समय लग सकता है। पोस्टपार्टम हेमरेज के कारण महिला को अधिक दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है। इस दौरान महिला को कुछ लक्षण भी दिख सकते हैं जैसे-
- पीपीएच में डिलिवरी के बाद अधिक मात्रा में ब्लीडिंग होना।
- ब्लीडिंग लगातार होना।
- हार्ट बीट बढ़ जाना।
- ब्लड प्रेशर में कमी आ जाना।
- चक्कर आना या बेहोश हो जाना।
- योनि और आसपास की जगह पर सूजन दिखना।
- वजायना के आसपास दर्द महसूस होना।
- जी मिचलाना।
कैसे किया जाता है पोस्टपार्टम हेमरेज का इलाज?
पोस्टपार्टम हेमरेज का पता चलने के तुरंत बाद इसका इलाज शुरू कर दिया जाता है। सबसे पहले डॉक्टर ये जांच करता है कि रक्त किन कारणों से बह रहा है। ये भी जांच की जाती है कि अब तक कितना रक्त बह चुका है। ब्लीडिंग अधिक होने के कारण खून चढ़ाने की जरूरत भी पड़ सकती है। साथ ही ब्लड प्रेशर को भी जांचा जाता है।
डिलिवरी के बाद ये भी देखा जाता है कि क्या बच्चे के जन्म और प्लासेंटा के बाहर आने के बाद यूट्रस का संकुचन हो रहा है। इस दौरान मालिश करके भी उपाय किया जाता है। अगर गर्भाशय में प्लासेंटा का हिस्सा रह गया हो तो उसे सर्जरी के माध्यम से हटाना पड़ता है। डॉक्टर ऐसे समय में ऑपरेशन का सहारा भी ले सकते हैं। सर्जिकल उपकरण की हेल्प से ब्लीडिंग रोकने की कोशिश की जाएगी। अगर फिर भी ब्लीडिंग नहीं रुकती है तो डॉक्टर लास्ट स्टेप अपनाते हैं। डॉक्टर अंत में गर्भाशय को पूरी तरह से हटा देते हैं। ऐसा करने से महिला भविष्य में कभी भी मां नहीं बन पाती है। ये कदम डॉक्टर सबसे आखिरी में उठाते हैं। ऐसा करने से ब्लीडिंग रुक जाती है।
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पीपीएच के बाद कोई समस्या हो सकती है?
पोस्टपार्टम हेमरेज के बाद महिलाएं अक्सर बहुत थक जाती है। इस कारण से उन्हें थका हुआ महसूस होता है। वैसे तो कोई स्वास्थ्य संबंधी समस्या नहीं होती है। अगर महिला को पोस्टपार्टम हेमरेज के पहले कोई समस्या थी और महिला का अधिक रक्त निकल चुका है तो उसके अंदर कुछ कंडिशन जनरेट हो सकती हैं।
- एनीमिया (Anaemia ) – रेड ब्लड सेल डिसऑर्डर
- शीहान सिंड्रोम (Sheehan’s syndrome) – एक पिट्यूटरी ग्रंथि डिसऑर्डर
विकासशील देशों में पोस्टपार्टम हेमरेज के कारण बड़ी संख्या में माताओं की मत्यु हो जाती है। विकसित देशों में पोस्टपार्टम हेमरेज के कारण महिलाओं के मरने की संख्या अधिक नहीं है।
ऐसे में डॉक्टर से करें संपर्क
अगर बच्चे का जन्म घर में ही हुआ है और ब्लीडिंग बंद नहीं हो रही है तो ये गंभीर संकेत हैं। ऐसे में डॉक्टर से तुरंत संपर्क करना चाहिए। डिलिवरी के बाद ब्लीडिंग होना आम बात होती है, लेकिन अधिक मात्रा में ब्लीडिंग घातक हो सकती है। यहां कुछ लक्षण दिए गए हैं, अगर आपको भी ऐसे ही लक्षण दिखाई दें तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
- ब्लीडिंग अचानक काफी तेज हो गई हो और एक घंटे में एक से ज्यादा पैड इस्तेमाल करने की जरुरत पड़ रही हो।
- ब्लीडिंग के साथ ही खून के थक्के भी आ रहे हो।
- बच्चे के जन्म के चार दिन बाद भी ब्लीडिंग लगातार हो रही हो।
- बेहोशी या चक्कर महसूस जैसा महसूस हो रहा हो।
- आपके दिल की धड़कन तेज होने लगे या फिर रेगुलर न हो।
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मां की देखभाल है जरूरी
पोस्टपार्टम हेमरेज की समस्या में ये जरूरी नहीं है कि महिला को अपना गर्भाशय निकलवाना ही पड़े। कई बार सर्जिकल उपकरण की सहायता से भी महिला की पोस्टपार्टम हेमरेज की समस्या खत्म हो जाती है। अगर किसी भी महिला को पोस्टपार्टम हेमरेज की समस्या हो चुकी है तो उसे विशेष देखभाल की जरूरत पड़ती है। बच्चे के साथ ही मां को भी केयर की जरूरत पड़ सकती है। मां का शरीर ज्यादा ब्लीडिंग की वजह से कमजोर हो चुका होता है। बेहतर रहेगा कि मां को पौष्टिक आहार देने के साथ ही शरीर में खून बढ़ाने वाली सब्जियों का सेवन किया जाए।
अगर आपको भी डिलिवरी के बाद ज्यादा ब्लीडिंग की समस्या हो रही है तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। ऐसे मामलों में लापरवाही करना सही नहीं होगा। हैलो हेल्थ ग्रुप किसी भी तरह की मेडिकल एडवाइस, इलाज और जांच की सलाह नहीं देता है।
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