मिसकैरेज ऐसा शब्द है, जिसके साथ उदासी का अनुभव जुड़ा हुआ होता है। गर्भवती महिलाओं से लेकर ऐसे में जो महिला मिसकैरेज के दौर से गुजर रही हो या गुजरी हुई हो, उनके मानसिक स्वास्थ्य का अंदाजा लगाना बहुत ही मुश्किल हो सकता है। उनका मानसिक स्वास्थ्य समय रहते ज्यादा खराब न हो, इसका उपचार करने के लिए मिसकैरेज से कैसे बाहर आएं (How to come out of miscarriage) यह जानना बेहद जरूरी हो सकता है।
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मिसकैरेज से कैसे बाहर आएं (How to come out of miscarriage), इसे समझने से पहले समझे यह क्या है
32 साल की रमा (बदला हुआ नाम) दिल्ली की रहने वाली हैं। 26 साल की उम्र में जब वो पहली बार प्रेग्नेंट हुई थीं, तो उन्हें पता भी नहीं था कि वो गर्भवती थी। रमा कहती हैं, “कई बार मेरे पीरियड्स 10 से 15 दिनों के लिए लेट हो जाते हैं। शादी के बाद जब पहली बार मुझे पीरियड्स मिस हुए तो मैने इस बात पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया। लेकिन, उस दौरान मुझे अचानक से उल्टियां आने लगीं और पेट में सामान्य से ज्यादा दर्द भी होने लगा था। जिसे समझने के लिए हम डॉक्टर के पास गए। डॉक्टर ने जरूरी टेस्ट करने के बाद बताया कि मैं आठ हफ्ते की गर्भवती थी और अब मेरा मिसकैरेज हो गया है।”
अनचाही प्रेग्नेंसी के मिसकैरेज (Unwanted pregnancy miscarriage ) पर भी मैं खूब रोई
रमा आगे कहती हैं कि “मेरी यह प्रेग्नेंसी मेरी मर्जी से नहीं थी। मेरे पति तो शुक्र मना रहे थे कि चलो जो भी हुआ अच्छा हुआ, क्योंकि हम अभी बच्चे की प्लानिंग के बारे में कोई विचार नहीं कर रहे थे। लेकिन जैसे ही मैने सुना कि मैं गर्भवती थी और मेरा मिसकैरेज हो गया है, तो इस बात से मुझे दुख हुआ है। मैं लगातार हफ्तों तक रोई थी। समझ नहीं आ रहा था कि अनचाही प्रेग्नेंसी से बचने पर खुश हो जाउं या आठ हफ्ते के मिसकैरेज पर शोक मनाउं। मिसकैरेज होने के अगले 20 से 25 दिनों तक मुझे ब्लीडिंग हुई थी। और उस दौरान दर्द भी बहुत ज्यादा होता था। हालांकि, इसके अगले दो से तीन महीनों में मेरे पीरियड्स सामान्य हो गए और तब से जब भी कभी मेरे पीरियड्स पांच दिनों से ज्यादा लेट होते हैं, मैं तुरंत अपने डॉक्टर से संपर्क करती हूं। मुझे लगता है कि किसी भी महिला के लिए मिसकैरेज से कैसे बाहर आएं यह बहुत ही बड़ी परीक्षा हो सकती है। क्योंकि मिसकैरेज न सिर्फ शारीरिक रूप से कमजोर कर देता है, बल्कि मानसिक रूप से डिप्रेशन का शिकार भी कर देता है।”
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सबसे बड़ी चुनौती हो सकती है, मिसकैरेज से कैसे बाहर आएं
प्रेग्नेंसी मिसकैरेज का आघात शारीरिक और मानसिक रूप से एक महिला को कई तरह से प्रभावित करती हैं। वहीं, मिसकैरेज महिला के साथ-साथ उसके साथी और परिवार के अन्य सदस्यों के लिए भी एक ट्रॉमा हो सकता है। मिसकैरेज से कैसे बाहर आएं यह बहुत ही मुश्किल हो सकता है। इससे उबरने में महिला के साथ-साथ उसके परिवार को भी कुछ हफ्ते या महीने का भी समय लग सकता है। गर्भपात के बाद की स्थितियां किस तरह से एक महिला को प्रभावित कर सकती हैं, वो निम्न हैंः
शारीरिक स्वास्थ्य पर प्रभाव (Effect on physical health )
- मिसकैरेज के दौरान ब्लीडिंग एक-दो दिनों से लेकर 20-25 दिनों तक हो सकती है। यह आमतौर पर निर्भर करता है कि मिसकैरेज का कारण क्या था।
- मिसकैरेज होने पर महिला को पेट के निचले हिस्से में पीरियड्स के समान या उससे भी तेज ऐंठन हो सकती है। यह दर्द दो दिनों से लेकर हफ्तों तक हो सकता है।
- मिसकैरेज के बाद पीरियड्स आम तौर पर तीन से छह सप्ताह के बाद वापस शुरू हो सकते हैं। हालांकि, यह आपके मासिक धर्म चक्र पर निर्भर कर सकता है। शुरू में पीरियड्स अनियमित भी हो सकते हैं, जो दो-तीन महीनों बाद नियमित हो जाएंगे।
- आपके मिसकैरेज की अवधि क्या थी, इस बात के अनुसार आपको शारीरिक बदलाव महसूस हो सकते हैं। जैसे अगर गर्भावस्था 12 सप्ताह या इससे अधिक अवधि की थी, तो आपके स्तनों में दर्द हो सकता है, साथ ही ये आपको भारी महसूस हो सकता है या हो सकता है इनसे दूध जैसे तरल पदार्थ के धब्बे भी देखें जा सकते हैं।
- इसके अलावा अगर मिसकैरेज के लिए डॉक्टर ने किसी तरह की सर्जरी या ऑपरेशन की प्रक्रिया की होगी, तो इंफेक्शन होने का भी खतरा हो सकता है।
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मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव (Impact on mental health )
- शारीरिक तौर पर मिसकैरेज के घाव जल्दी ही भर सकते हैं। लेकिन, मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में काफी समय लग सकता है।
- मिसकैरेज के कारण महिला डिप्रेशन का शिकार हो सकती है।
- खुद के साथ-साथ वह अपने परिवार, साथी और डॉक्टरर्स को भी इसके लिए जिम्मेदार ठहरा सकती है।
- दोबारा प्रेग्नेंसी प्लानिंग से मन में एक डर बैठ सकता है।
- साथ के साथ निजी व्यवहार भी बदल सकते हैं।
मिसकेरेज से कैसे बाहर आएं (How to come out of miscarriage )
मिसकेरेज से कैसे बाहर आएं इसके लिए आपको महिला का शारीरिक और मानसिक दोनों ही तरह से ख्याल रखना चाहिए, जिनमें शामलि हैंः
शारीरिक तौर पर मिसकेरेज से कैसे बाहर आएं (How to physically come out of a miscarriage )
दवाओं का सहारा लें (Take drugs )
शारीरिक तौर पर मिसकेरेज से कैसे बाहर आएं इसके लिए सबसे पहले समय-समय आपको अपने डॉक्टर द्वारा निर्धारित की गई दवाओं का सेवन करना चाहिए। ब्लीडिंग अधिक बढ़ने या दर्द अधिक होने पर इसकी जानकारी अपने डॉक्टर को देनी चाहिए।
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ज्यादा से ज्यादा आराम करें (Get more rest )
मिसकैरेज से कैसे बाहर आएं, इसके लिए जितना हो सकेआपको उतना शारीरिक रूप से आराम करना चाहिए। क्योंकि, इस दौरान आपका शरीर काफी अधिक मात्रा में खून और एनर्जी खो चुका होता है। अगर नींद ना आने की समस्या होती है, तो अपने डॉक्टर से इसके बारे में बात करें।
सिकाई करें
सिरदर्द और पेट में ऐंठन होने पर सिकाई करें। लौंग के तेल से सिर और पेट की मालिश करें। साथ ही, कमर के निचले हिस्से की भी मालिश करें।
बुखार की जांच करें
मिसकैरेज के बाद महिला को बुखार हो सकता है। अगर इस दौरान शरीर का तापमान 99.7° डिग्री से अधिक होता है, तो तुरंत अपने डॉक्टर से संपर्क करें। यह इंफेक्शन का लक्षण हो सकता है।
शरीर को हाइड्रेटेड रखें (Keep your body hydrated )
भरपूर मात्रा में पानी पीएं। इसके लिए आप नारियल पानी और ताजा फलों के जूस का सेवन करें। आपको कौन-कौन से फलों का जूस पीना चाहिए, इसके बारे में अपने डॉक्टर की सलाह ले सकती हैं।
सफाई का रखें ध्यान (Take care of cleanliness )
अगर आप पीरियड्स के दौरान, टैम्पोन या मेंस्ट्रूअल कप्स का इस्तेमाल करती हैं, तो फिलहाल कुछ समय के लिए इनका इस्तेमाल न करें। क्योंकि, इनके इस्तेमाल से इंफेक्शन का खतरा बढ़ सकता है। सिर्फ पैड्स की ही इस्तेमाल करें और चार घंटों में पैड्स बदलें। साथ ही हर 8 से 12 घंटों में अपना अंडरवीयर भी बदलें।
हेल्दी खाएं (Eat healthy )
शरीर की रिकवरी करने और जल्दी से जल्दी स्वस्थ्य होने के लिए एक संतुलित आहार का सेवन करें। इस दौरान, थोड़ी शारीरिक गतिविधियां भी करते रहें, लेकिन किसी भी तरह के भारी काम-काम न करें।
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मानसिक तौर पर शारीरिक तौर पर मिसकेरेज से कैसे बाहर आएं (How to come out of miscarriage mentally physically)
अगर मिसकैरेज प्रेग्नेंसी प्लानिंग के बाद होता है, तो मिसकेरेज से कैसे बाहर आएं एक बड़ी चुनौती हो सकती है। इसलिए अगर आपका रोने का मन है या गुस्सा हैं, तो उसे उसी समय जाहिर कर लें।
खुद को या किसी और को दोष न दें
मिसकैरेज के कई कारण हो सकते हैं। कई बार जहां, कुछ दवाओं के प्रभाव से, तो वहीं कई बार किसी न किसी तरह के शारीरिक गतिविधि के कारण भी हो सकता है। इसलिए ऐसा होने पर खुद को या किसी अन्य को जिम्मेदार न ठहराएं। इस बात का ध्यान रखें कि आपके साथ-साथ आपके अन्य चाहने वाले भी इससे इतना ही दुखी होते हैं जितना आप।
साथी और घरवालों से बात करें (Talk to friends and family )
अगर मिसकैरेज के बाद आप खुद को एक कमरे में बंद करके रखेंगी या किसी से बात नहीं करेंगी, तो आपको डिप्रेशन हो सकता है। इसलिए, ऐसे समय में थोड़ा हिम्मत से काम लें। अपने साथी और घरवालों से खुलकर बात करें। इस समय जितना दुखी और गुस्सा आप होंगी, उतना ही दुखी और गुस्सा आपके परिवार वाले भी हो सकते हैं। इसलिए, उनसे बात करें। ताकि, भविष्य में जितनी जल्दी हो सके आपके जीवन में सबकुछ पहले जितना सामान्य हो सके।
बार-बार इसी के बारे में बात न करें
अगर आपको अपने मिसकैरेज को लेकर किसी तरह का अंदेशा है, तो उसके बारे में उनसे बात करें। लेकिन, बार-बार इसी के विषय में बात न करें। इससे सबको बार-बार दुख होगा और वे चिड़चिड़े भी हो सकते हैं।
साथी के साथ निजी संबंधों पर ध्यान दें (Focus on personal relationship with partner )
ध्यान रखें कि आप जितनी जल्दी खुद को मानसिक और शारीरिक रूप से स्वथ्य करेंगी, उतनी ही जल्दी आप मिसकेरेज से कैसे बाहर आएं के तरीकों से सफल हो सकती हैं। जिसके बाद आप जल्द ही दोबारा से बेबी प्लानिंग कर सकती हैं और पहली बार हुई गलतियों को दोहराने से भी बच सकती हैं। हालांकि, मिसकैरेज के बाद लगभग चार से छह महीनों तक साथी के साथ शारीरिक संबंध बनाने से परहेज करें। इससे आपको इंफेक्शन का खतरा हो सकता है।
हैलो स्वास्थ्य किसी भी तरह की कोई भी मेडिकल सलाह नहीं दे रहा है। अगर इससे जुड़ा आपका कोई सवाल है, तो अधिक जानकारी के लिए आप अपने डॉक्टर से संपर्क कर सकते हैं।
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