जैसे-जैसे शालिनी के तीन महीने की मैटरनिटी लीव (Maternity Leaves) खत्म होने जा रही थी, उसकी चिंता बढ़ती जा रही थी। वर्किंग मदर्स (Working mothers) के रूप में वह घर, ऑफिस और बच्चे को कैसे मैनेज करेगी। यही चिंता उसको दिन-रात सता रही थी।
दरअसल, वर्किंग मदर्स (Working mothers) को बच्चों की जिम्मेदारियों और ऑफिस के बीच तालमेल बिठाने में थोड़ी कठिनाई आती है। यदि महिलाएं घर पर ध्यान देती हैं तो उनका करियर पीछे रह जाता है। अगर ऑफिस के काम को तवज्जो देने लगती हैं तो फैमिली को ठीक से समय नहीं दे पाती हैं। ऐसे में अलग-अलग क्षेत्रों में काम कर रहीं वर्किंग मदर्स से “हैलो स्वास्थ्य” ने बातचीत की। उन्होंने कुछ टिप्स बताएं जो सभी वर्किंग मदर्स (Working mothers) के लिए मददगार हो सकते हैं।
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वर्किंग मदर्स (Working mothers) हैं परफेक्ट मम्मी
आमतौर पर माना जाता है कि एक वर्किंग मदर्स अपने बच्चे की परवरिश में अच्छी नहीं होती है। लेकिन, दूसरे पहलू को देखा जाए, तो वर्किंग मदर्स (Working mothers) को बच्चे की परवरिश करने में तमाम मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। वहीं एक शोध का दावा है कि, आधुनिकता का जीवन बसर करने वाली कामकाजी महिलाएं एक अच्छी मां भी होती हैं। महिलाओं के लिए मुख्य रूप से काम करने वाले प्रमुख ब्रांड फेमिना ने भारतीय महिलाओं पर ‘ऑल अबाउट वीमन’ शीर्षक से एक रिपोर्ट जारी की है, जिसमें दावा किया गया है कि वर्किंग मदर्स (Working mothers) अपने काम और बच्चे के बीच, अपने बच्चे को ही पहली प्राथमिकता देती हैं। शोध के मुताबिक, वर्किंग मदर्स अपनी व्यस्तता में से समय निकालकर यह सुनिश्चित करते हैं कि कोई एक अभिभावक बच्चों की निगरानी के लिए उनके साथ हर समय मौजूद रहे।
इसके साथ ही, वर्किंग मदर्स (Working mothers) जीवन से जुड़ी जरूरी बातें जैसे, फैमिली मैनेजमेंट, बजट मैनेजमेंट, घर-परिवार और रिश्तेदारों के साथ व्यवहार में, नया सामान खरीदने में और साथी के साथ आपसी संबंधों समेत कई जरूरी और अहम बातों को वर्किंग मदर्स (Working mothers) बहुत अच्छे से हैंडल करना जानती हैं। यह शोध देश के 10 बड़े और छोटे शहरों में रहने वाली 1,500 से ज्यादा शहरी महिलाओं पर किया गया है। रिपोर्ट के मुताबिक, टाइम की कमी, बिजी शेड्यूल और थकाने वाले डेली रूटीन के बावजूद भी वर्किंग मदर्स (Working mothers) स्वस्थ और खान-पान की आदतों से भी कोई समझौता नहीं करती हैं। अपने और अपने परिवार की सेहत के प्रति वर्किंग मदर्स काफी जागरूक भी रहती हैं।
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वर्किंग मदर्स (Working mothers) खुद को ना मानें गुनहगार
एडवरटाइजिंग प्रोफेशनल नीरजा जैन का कहना है कि “घर और ऑफिस को ढंग से चलाने के लिए हमेशा दो ‘टी’ (Time and thought) को मैनेज करें। पहला कामकाजी मां हर काम के लिए एक रूटीन तैयार करें कि किस समय कौन-सा काम निपटाना है। इससे समय बर्बाद नहीं होगा और जो समय बचेगा वे बच्चे को दे पाएंगी। जब घर पर हों तो प्रोफेशनल लाइफ से दूर रहें।
दूसरा सोच को कभी-भी नकारात्मक न होने दें। कभी- कभार अगर पर्सनल और प्रोफेशनल लाइफ में बैलेंस न बन पाए तो इसके लिए खुद को जिम्मेदार नहीं ठहराना चाहिए। कई बार होता है कि ऑफिस के चक्कर में महिलाएं शिशु को समय नहीं दे पाती हैं और इसके लिए खुद को दोषी मानने लगती हैं। ऐसी सोच से बचें और घर और ऑफिस के लिए अपना 100 प्रतिशत दें।”
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टाइम सेविंग हैक्स का उपयोग करें वर्किंग मदर्स (Time saving tips for Working mothers)
इंटीरियर डिजाइनर और डेकोरेटर सीमा गुप्ता कहती हैं कि “ऑफिस के साथ-साथ घर को संभालने के लिए वह पहले से ही काम की योजना बना लेती हैं। ऑफिस आउटफिट (Office outfits) से लेकर ब्रेकफास्ट और लंच बॉक्स में क्या बनना है? इन सब की तैयारी पहले से ही कर लेती हैं। साथ ही घर का सामान खरीदने के लिए ऑनलाइन एप्लिकेशन (Online application) का उपयोग करती हैं।” कामकाजी मां ऑफिस ट्रेवलिंग करते वक्त जरूरत के सामान को अगर ऑनलाइन ही आर्डर कर दें, तो इससे वे काफी समय बचा सकती हैं। बचे हुए समय का उपयोग किसी और काम के लिए किया जा सकता है।
चाइल्ड केयर के बेहतर तरीके (Child care tips)
दिल्ली की फैमिली थेरेपिस्ट और लाइफ कोच करिश्मा मेहरा कहती हैं “जब कोई चीज अच्छी लगती है तो इंसान उसके लिए पूरी कोशिश करता है। ऐसा ही मैंने भी किया। ऑफिस के साथ-साथ बच्चे की देखभाल हो सके इसके लिए एक अनुभवी नैनी रखी जो दिन के समय में बच्चे का ध्यान रखती थी। जब बच्चा बड़ा हुआ तो उसे डे केयर (Day care) भेजना शुरू कर दिया। मां बनने के बाद भी परिवार के प्रति जिम्मेदारी को निभाने के लिए यह तरीका अच्छा है।” ऑफिस से आने के बाद अगर महिलाएं बच्चों के काम निपटाएंगी तो उनके साथ टाइम स्पेंड नहीं कर पाएंगी। ऐसे में बेहतर होगा कि शिशु (Baby) के छोटे-मोटे कामों के लिए नैनी रखें। इससे ऑफिस से आने के बाद का समय बच्चे के साथ अच्छे से गुजर सकेगा।
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पार्टनर की मदद लें
टैरो कार्ड रीडर और वास्तु एक्सपर्ट डॉ. शालिनी गुगनानी बताती है कि “घर की जिम्मेदारियों के साथ बच्चे को संभालना वैसे भी महिलाओं के लिए मुश्किल होता है और अगर बात वर्किंग मदर्स (Working mothers) की हो तो पर्सनल और प्रोफेशनल लाइफ को बैलेंस करना आसान नहीं होता। ऐसे में घर के कामों के लिए अपने पार्टनर से सहायता लेने में न हिचकें। इससे काम जल्दी पूरा हो सकेगा और जो समय बचेगा उसे बच्चे के साथ बिता सकेंगी।” यदि वर्किंग मदर्स (Working mothers) को किसी समस्या का सामना करना पड़ रहा है तो इस बारे में अपने पार्टनर से बात करें। उन्हें बताएं कि घर और ऑफिस का प्रबंधन करना मुश्किल हो रहा है और इसके लिए आपको उनकी हेल्प चाहिए।
सुबह को करें व्यवस्थित
प्रोफेशन से टीचर तान्या मैत्रा कहती हैं “सुबह का समय सबसे ज्यादा व्यस्त होता है और सबसे बड़ी समस्या यह ही आती है कि नाश्ते में क्या बने। इसलिए मैं शाम को ही सोच लेती हूं कि कल सुबह नाश्ते में क्या बनाना है। इसके अलावा बच्चों की स्कूल ड्रेस को भी निकालकर व्यवस्थित कर लेती हूं। ऐसा करने से लंच तैयार करके पैक करने का टाइम और सबके साथ ब्रेकफास्ट (Breakfast) करने का वक्त मिल जाता है।” वर्किंग मॉम अगर सुबह की तैयारी रात में ही करके रख लें, तो दूसरे कामों के लिए थोड़ा समय बच जाएगा।
वर्किंग मदर्स (Working mothers) के लिए प्रोफेशनल लाइफ और पर्सनल लाइफ को एक साथ संभालना चुनौतीपूर्ण होता है। काम पर जाने से पहले, घर और शिशु के लिए सारी चीजें मैनेज करना थोड़ा कठिन हो जाता है। ऊपर बताए गए टिप्स को फॉलो करके कामकाजी माएं ऑफिस के टफ शेड्यूल में भी बच्चों के लिए पर्याप्त समय निकाल सकती हैं।
हैलो स्वास्थ्य किसी भी तरह की मेडिकल सलाह नहीं दे रहा है। अगर आपको किसी भी तरह की समस्या हो तो आप अपने डॉक्टर से जरूर पूछ लें।
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