प्रेग्नेंसी (pregnancy) के दौरान वजायनल इंफेक्शन (vaginal infection) और यीस्ट इंफेक्शन (yeast infection) का खतरा अधिक रहता है। प्रेग्नेंसी में इंफेक्शन की बात करने पर महिलाओं के मन में यूटेराइन इंफेक्शन (uterine infection) की बात सबसे पहले आती है। ये बात सही भी है क्योंकि महिलाओं को प्रेग्नेंसी के दौरान यूरिन पास करने के दौरान जलन और दर्द अधिक महसूस होता है। इस आर्टिकल के माध्यम से जानिए कि प्रेग्नेंसी में इंफेक्शन किन कारणों से होता है?
प्रेग्नेंसी (pregnancy) में होने वाले कुछ इंफेक्शन सिर्फ मां के लिए खतरनाक होते हैं। जबकि अन्य इंफेक्शन बच्चों में भी ट्रांसफर हो सकते हैं। ऐसा होने पर बच्चे को भी स्वास्थ्य संबंधी जटिलताओं का सामना करना पड़ सकता है।
प्रेग्नेंसी के दौरान होने वाले संक्रमण गर्भपात (miscarriage), समय से पहले प्रसव या आनुवंशिक विकार का कारण बन सकते हैं। इसके अलावा यह मां के लिए जानलेवा भी हो सकते हैं। यहां तक की दवाओं के इस्तेमाल से स्थिति कुछ मामलों में अधिक गंभीर भी हो सकती है।
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प्रेग्नेंसी में संक्रमण का खतरा अधिक क्यों रहता है? (Causes of Infection in pregnancy)
प्रेग्नेंसी बॉडी की हर प्रणाली को प्रभावित करती है। हॉर्मोन के स्तर व इम्यून सिस्टम में बदलाव आने के कारण प्रेग्नेंसी में इंफेक्शन फैलने का खतरा अधिक हो जाता है। लेबर और डिलिवरी के दौरान संक्रमण का जोखिम सबसे अधिक रहता है।
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इम्यूनिटी में बदलाव (Change in immunity)
हमारा इम्यून सिस्टम (Immune system) हमारी बॉडी को बाहरी विषाक्त पदार्थों से बचाने में मदद करता है। यह बैक्टीरिया से लेकर कैंसर कोशिकाओं तक से लड़ने में मदद करता है।
प्रेग्नेंसी के समय महिलाओं का इम्यून सिस्टम बदलने लगता है ताकि वह शिशु और मां दोनों को बीमारियों से बचा सके। इम्यून सिस्टम के कुछ कार्यों में बढ़ोतरी होती है तो अन्यों में कमी आने लगती है। इस प्रक्रिया में बच्चे और मां दोनों को संक्रमण से बचाने के लिए एक नियंत्रित प्रतिबंध कर लिया जाता है।
इस प्रकार की सुरक्षा प्रणाली होने के बावजूद भी प्रेग्नेंसी में इंफेक्शन (Infection in pregnancy) होने का खतरा अधिक रहता है। प्रेग्नेंसी के दौरान आपके शरीर के इम्यून सिस्टम को दो जानों को बचाने के लिए अधिक काम करना पड़ता है। जिसके कारण कुछ प्रकार के संक्रमण होने का खतरा बढ़ जाता है।
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बॉडी सिस्टम (Body System) में बदलाव
इम्यून सिस्टम के अलावा हॉर्मोनल बदलावों (Hormonal changes) से प्रेग्नेंसी में इंफेक्शन का खतरा बढ़ जाता है। इन उतार चढ़ाव के कारण हॉर्मोन के स्तर अक्सर यूरिनरी ट्रैक्ट को प्रभावित कर सकते हैं। जिसके कारण निम्न अंगों पर प्रभाव पड़ सकता है –
- किडनी
- मूत्रवाहिनी
- मूत्राशय
- मूत्रमार्ग
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शिशु और मां के लिए खतरा
मां के लिए खतरा – प्रेग्नेंसी के दौरान होने वाले कुछ संक्रमण केवल मां के लिए जटिलताएं खड़ी कर सकते हैं। जैसे की यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन, योनिशोथ (vaginitis) और पोस्टपार्टम इंफेक्शन।
शिशु के लिए खतरा – अन्य प्रकार के संक्रमण मुख्य रूप से शिशु के लिए नुक्सानदायी हो सकते हैं। जैसे की साइटोमेगालोवायरस (cytomegalovirus), टोक्सोप्लास्मोसिस (toxoplasmosis) और पार्वोवायरस (parvovirus), यह सभी वायरस मां से शिशु में ट्रांसफर हो सकते हैं। अगर ऐसा होता है तो यह बेहद खतरनाक स्थिति हो सकती है।
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अभी तक साइटोमेगालोवायरस संक्रमण का कोई प्रभावित इलाज नहीं मिल पाया है। टोक्सोप्लास्मोसिस को कुछ एंटीबायोटिक दवाओं की मदद से ठीक किया जा सकता है। हालांकि, पार्वोवायरस के लिए किसी भी एंटीबायोटिक दवा मौजूद नहीं है, लेकिन इस संक्रमण को ब्लड ट्रांसफ्यूजन की मदद से ठीक किया जा सकता है।
चलिए अब जानते हैं उन इंफेक्शन के बारे में जो मां और शिशु दोनों को प्रभावित कर सकते हैं। इनमें से कई संक्रमण का इलाज एंटीबायोटिक के द्वारा मुमकिन है लेकिन कई ऐसे भी वायरस हैं जिनका फिलहाल इलाज नहीं मिल पाया है।
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प्रेग्नेंसी के दौरान वजायनल इंफेक्शन (Vaginal infection in pregnancy)
प्रेग्नेंसी के दौरान अधिकतर वजायनल इंफेक्शन (vaginal infection in pregnancy) होता है। अगर आपको प्रेग्नेंसी के दौरान इंफेक्शन होने की जरा सी भी शंका है तो तुरंत अपने डॉक्टर से परामर्श करें। वजायनल इंफेक्शन, बैक्टीरियल वेजिनोसिस और क्लैमाइडिया में बिना जांच के अंतर कर पाना थोड़ा मुश्किल हो जाता है। आपको जब भी किसी प्रकार की समस्या हो तो पहले डॉक्टर से संपर्क करें। डॉक्टर जांच के बाद मेडिसिन देंगे।
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वजायनल यीस्ट इंफेक्शन (Vaginal yeast infection)
वजायनल यीस्ट इंफेक्शन (vaginal yeast infection)फंगस (Candida) के कारण होता है। प्रेग्नेंसी के समय इम्यून सिस्टम में बदलाव की वजह से ये इंफेक्शन होता है। इस दौरान ग्लाइकोजन और इस्ट्रोजन का लेवल हाय होता है। 2015 में एक रिपोर्ट के मुताबिक 20 प्रतिशत महिलाओं में कैंडिडा फंगस पाया गया जो प्रेग्नेंसी के दौरान बढ़कर 30 प्रतिशत हो गया। ये फंगस दूसरी और तीसरी तिमाही के दौरान अधिक पाया जाता है।
इस फंगस के कारण महिलाओं में कुछ लक्षण दिखाई देते हैं जैसे,
- योनी के आसपास खुजली होना
- व्हाइट, थिक डिस्चार्ज
- योनि से आने वाली अजीब प्रकार की गंध
- योनि में या उसके आसपास दर्द या जलन
- इंटरकोर्स के दौरान दर्द या जलन
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बैक्टीरियल वेजिनोसिस (Bacterial vaginosis)
बैक्टीरियल वेजिनोसिस (बीवी) से योनी में संक्रमण हो जाता है। इसका इलाज आसानी से किया जा सकता है। जब बैक्टीरिया की वजह से योनी में इंफेक्शन फैलता है तो आपको कुछ लक्षण महसूस होंगे जैसे-
- योनी में खुजली, जलन, या दर्द
- योनि से आने वाली गंध
- सेक्सुअल इंटरकोर्स के बाद अधिक बुरी गंध
- गहरे रंग का मोटा डिस्चार्ज होना
अगर प्रेग्नेंसी के दौरान इस इंफेक्शन का इलाज नहीं कराया जाता है तो प्रीटर्म लेबर, प्रीमैच्योर बर्थ और लोअर बर्थ बेबी का खतरा रहता है।
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ग्रुप बी स्ट्रेप्टोकोकस (GBS)
ग्रुप बी स्ट्रेप्टोकोकस (जीबीएस) बैक्टीरिया का एक समूह है जो शरीर में आते और जाते हैं, लेकिन यह योनि और मलाशय में रहते हैं। वे आमतौर पर किसी लक्षण या संक्रमण का कारण नहीं बनते हैं। जिन महिलाओं को प्रेग्नेंसी के दौरान जीबीएस (GBS) है, वे होने वाले बच्चे को इसे दे पास कर सकती हैं। इसकी एक या दो प्रतिशत संभावना होती है। हो सकता है कि लेट प्रेग्नेंसी में इसका पता लगाया जा सके। ये प्रसव पूर्व केयर का महत्वपूर्ण हिस्सा है। एंटीबायोटिक्स के माध्यम से इस संक्रमण को कम किया जा सकता है।
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गर्भावस्था के दौरान गर्भाशय में संक्रमण
प्रेग्नेंसी के दौरान गर्भाशय में संक्रमण कई वजह से गंभीर हो सकता है। इंफेक्शन की वजह से प्लेसेंटा को हार्म पहुंच सकता है, जिसकी वजह से बेबी को भी खतरा हो सकता है। बर्थ में समस्या के साथ ही प्रीमैच्योर लेबर की शंका रहती है। जब वजायना से बैक्टीरिया यूट्रस तक पहुंचता है तो गर्भाशय में संक्रमण होता है। आपको लेबर के समय फीवर भी आ सकता है। डॉक्टर जांच के बाद आपको एडमिट भी कर सकता है।
कुछ अन्य संक्रमण जो गर्भावस्था के दौरान अधिक गंभीर हो सकते हैं उनमें शामिल हैं-
- फ्लू
- हेपेटाइटिस– ई, जो आमतौर पर हल्के वायरल का रूप है
- हर्पीज, हर्पीज सिम्प्लेक्स वायरस (HSV) और वैरिकाला जोस्टर वायरस (VZV) सहित
- लिस्टेरिया- जिससे फूड पॉइजनिंग हो सकती है
- खसरा
- एचआईवी (HIV)
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अगर आपको प्रेग्नेंसी के दौरान किसी तरह के संक्रमण की आशंका है तो तुरंत अपने डॉक्टर को दिखाएं। प्रेग्नेंसी के समय संक्रमण खतरनाक ही हो, ऐसा जरूरी नहीं है। एंटीबायोटिक्स की हेल्प से इंफेक्शन को ठीक किया जा सकता है।
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