शरीर के अच्छे स्वास्थ्य के लिए खाने में पोषक पदार्थों को शामिल करना बहुत जरूरी है। जब उम्र बढ़ती है, तो शरीर को अधिक पोषण की आवश्यकता होती है। उम्र बढ़ने के साथ ही अच्छे स्वास्थ्य के लिए न्यूट्रिएंट्स बहुत महत्वपूर्ण हो जाते हैं। एजिंग के दौरान कैल्शियम की कमी के कारण हड्डियां कमजोर होने लगती हैं। उम्र बढ़ने के साथ ही शरीर कुछ विटामिन्स को अवशोषित करने में सक्षम नहीं हो पाता है। अधिक उम्र में पाचन तंत्र भी कमजोर होने लगता है। शरीर में पोटेैशियम की अधिकता या कमी के कारण ब्लड प्रेशर कम या ज्यादा हो सकता है। उम्र अधिक होने पर सैचुरेटेड फैट की अधिक मात्रा लेने से हार्ट डिजीज का खतरा भी बढ़ने लगता है। अगर बुजुर्ग व्यक्ति अपने खानपान पर ध्यान न दें, तो सीरियस हेल्थ प्रॉब्लम होने का खतरा बना रहता है। उम्र बढ़ने के साथ ही शरीर के लिए विटामिन्स और मिनिरल्स की उचित मात्रा का सेवन बहुत जरूरी हो जाता है। जानिए एजिंग के दौरान न्यूट्रिशन क्यों जरूरी होता हैं और डायट लेते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
एजिंग के दौरान न्यूट्रिशन (Nutritional Needs) क्यों जरूरी होता है?
उम्र बढ़ने के साथ ही शरीर को कम कैलोरी और अधिक न्यूट्रिएंट्स की जरूरत होती है। ओल्डर एडल्ट कम कैलोरी के माध्यम से वेट को मेंटेन कर सकते हैं। अगर आप उम्र बढ़ने पर पहले जैसी कैलोरी ही लेते रहेंगे, तो शरीर में एक्ट्रा फैट बढ़ेगा और पेट के आसपास के हिस्से में फैट जमने लगता है। पोस्टमेनोपॉजुअल महिलाओं ( postmenopausal women) में ये समस्या अधिक देखने को मिलती है। अधिक उम्र के लोगों को वैराइटी फूड खाना चाहिए ताकि उन्हे खाने से आसानी से पोषण मिल सके। ऐसा करने से शरीर में पोषण की कमी नहीं होती है और बीमारियों के बढ़ने का खतरा भी कम हो जाता है। जानिए उम्र बढ़ने के साथ किन न्यूट्रिएंट्स की जरूरत होती है।
न्यूट्रीशनल फाइबर्स (Nutritional fibers)
फाइबर्स युक्त भोजन शरीर के लिए लाभकारी होता है। एक दिन में महिलाओं को 21 ग्राम और पुरुषों को 30 ग्राम फाइबर युक्त भोजन का सेवन करना चाहिए। फाइबर्स के लिए खाने में फलों के साथ ही सब्जियां और व्होल ग्रेन शामिल करने चाहिए। खाने में फाइबर्स को शामिल कर आप कई बीमारियों से लड़ सकते हैं। ये कब्ज की समस्या से छुटकारा दिलाने के साथ ही अन्य बीमारियों के खतरे को भी कम करता है।
कैल्शियम (Calcium)
उम्र बढ़ने के साथ ही हड्डियां कमजोर होने लगती हैं रोजाना शरीर को 1200 एमजी कैल्शियम की जरूरत होती है। उम्र बढ़ने पर कैल्शियम की कमी अचानक हड्डियां टूटने का कारण बन सकती है। खाने में कैल्शियम युक्त आहार के साथ ही कैल्शियम सप्लिमेंट भी लिए जा सकते हैं। 51 साल और उससे अधिक उम्र की महिलाओं को 1200 मिलीग्राम कैल्शियम, पुरुषों के लिए प्रतिदिन 1000 मिलीग्राम की आवश्यकता होती है। 51-70 साल और 70 साल से अधिक उम्र वालों के लिए 1200 मिलीग्राम कैल्शियम की जरूरत होती है।
विटामिन डी (Vitamin D )
विटामिन डी शरीर के लिए बहुत आवश्यक है।विटामिन डी की कमी मसल्स को कमजोर बनाती है। विटामिन डी की कमी को प्राकृतिक स्त्रोत की सहायता से पूरा किया जा सकता है। एक दिन में विटामिन डी की 800-1000 IU जरूरी होती हैं। अगर सुबह की हल्की धूप में कुछ समय के लिए बैठा जाए, तो विटामिन डी कमी को पूरा किया जा सकता है। सॉल्मन और टूना फिश, डेयरी प्रोडक्ट विटामिन डी के अच्छे सोर्स माने जाते हैं।
विटामिन B12 के प्रतिदिन 2.4 माइक्रोग्राम मात्रा जरूरी होती है। विटामिन B 12 हार्ट हेल्थ के लिए, दिमाग के कार्यों में, तंत्रिका तंत्र के कामों के लिए जरूरी होता है। एनिमल सोर्स जैसे कि मीट, फिश, मिल्क प्रोडक्ट, एग आदि में पर्याप्त मात्रा में विटामिन B 12 पाया जाता है। अधिक उम्र में विटामिन B12 का अवशोषण कम हो जाता है। आप डॉक्टर से विटामिन B12 के सप्लिमेंट के बारे में जानकारी ले सकते हैं।
पोटैशियम (Potassium)
पर्याप्त मात्रा में पोटैशियम का सेवन करने से हाई ब्लड प्रेशर के खतरे की संभावना कम हो जाती है। फल, सब्जियां, बीन्स और कम वसा वाले डेयरी प्रोडक्ट की हेल्प से पोटैशियम की पर्याप्त मात्रा प्राप्त की जा सकती है। खाने में नमक के बिना स्वाद नहीं आता है लेकिन आपको कभी-कभार बिना नमक के खाना चाहिए। आप चाहे तो खाने में हर्ब या मसाले मिला सकते हैं।
फैट भी है जरूरी (Fats)
उम्र बढ़ने के साथ आपको खाने में फैट लेते वक्त सावधानी बरतनी चाहिए। खाने में पॉलीअनसैचुरेटेड ( polyunsaturated) और मोनोसैचुरेटेड फैट्स (monounsaturated fats) शामिल करना चाहिए। नट्स, सीड्स, एवाकाडो, वेजीटेबल्स ऑयल और फिश में पॉलीअनसैचुरेटेड होता है। सैचुरेटेड फैट की मात्रा को कम कर देंगे, तो बेहतर रहेगा।
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प्रोटीन (Protein)
प्रोटीन को बॉडी यूनिट भी कहा जाता है। उम्र बढ़ने के साथ ही मसल्स की स्ट्रेंथ कम हो जाती है। तीस साल की उम्र के बाद मसल्स मास कम होने लगता है, इसलिए प्रोटीन की पर्याप्त मात्रा का सेवन बहुत जरूरी है। प्रोटीन रिच डायट शरीर में प्रोटीन की कमी को पूरा कर सकता है।
एंटीऑक्सीडेंट (Antioxidants) भी हैं जरूरी
एंटीऑक्सीडेंट फ्री रेडिकल्स से लड़ने में मदद करते हैं। फ्री रेडिकल्स शरीर में कई प्रकार की बीमारियों का कारण बनता है। शरीर में पर्याप्त मात्रा में उपस्थित एंटीऑक्सीडेंट सेल्स को प्रोटक्ट करने का काम करते हैं। स्मोक, रेडिएशन और टबैको के कारण शरीर में फ्री रेडिकल्स की संख्या बढ़ जाती है।
एजिंग के दौरान न्यूट्रिएंट्स न मिलें, तो क्या हो सकती हैं तकलीफें?
अभी हमने आपको बताया कि शरीर के लिए कौन से न्यूट्रिएंट्स जरूरी होते हैं। शरीर को जरूरी न्यूट्रीएंट्स न मिलने पर कोई न कोई परेशानी शुरू हो जाती है। अगर उम्र बढ़ने के साथ आप खानपान पर ध्यान नहीं देते हैं, तो कमजोरी के साथ ही स्वास्थ्य समस्याएं भी शुरू हो जाती हैं। जानिए शरीर में जरूरी न्यूट्रिएंट्स न पहुंचने पर किस तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
फाइबर की कमी से हो सकती है हार्ट की समस्या
इस बारे में एनएफएक्स के फिटनेस एक्सपर्ट आदित्य सिंह का कहना है कि फाइबर युक्त भोजन न सिर्फ कब्ज की समस्या से राहत दिलाने में मदद करता है बल्कि हार्ट डिजीज से लड़ने में भी हेल्प करता है। फाइबर युक्त फूड खाने से कोलेस्ट्रॉल लेवल मेंटेन रहता है। उम्र बढ़ने के साथ ही कोलेस्ट्रॉल की अनियमितता आम हो जाती है। इन समस्याओं से बचने के लिए खानपान में फाइबर युक्त फूड्स को शामिल करना चाहिए। फाइबर की कमी से कोलेक्टरल कैंसर (colorectal cancer) की संभावना बढ़ सकती है। उम्र बढ़ने के साथ ही डायबिटीज का खतरा बढ़ जाता है। आपको जानकर हैरानी हो सकती है कि खाने में फाइबर की कमी के कारण डायबिटीज का खतरा बढ़ जाता है। फाइबर न्यूट्रिएंट्स के ब्रेकडाउन को स्लो करता है। इस कारण से ब्लड में ग्लूकोज धीरे-धीरे मिलता है। फाइबर की कमी के कारण कब्ज की समस्या भी हो जाती है। फाइबर का सेवन न करने से वेट भी बढ़ सकता है। अब तो आप जान ही गए होंगे कि शरीर के लिए फाइबर युक्त आहार कितना जरूरी है।
कैल्शियम की कमी से होती है हड्डियां कमजोर
बोन फॉर्मेशन और मेंटिनेंस की प्रोसेस के लिए कैल्शियम की जरूरत होती है। उम्र बढ़ने के साथ शरीर में कैल्शियम की कमी होने लगती हैं। धीरे-धीरे शरीर हड्डियों का कैल्शियम यूज करने लगता है। इस कारण से हड्डियां कमजोर होने लगती हैं। उम्र बढ़ने के साथ कैल्शियम का सेवन अधिक मात्रा में करना चाहिए। कैल्शियम की कमी से रिकेट्स, ऑस्टियोपोरोसिस और ऑस्टियोपीनिया की समस्या हो सकती है। जरा सी चोट लगने पर हड्डियां टूट सकती हैं। डॉक्टर इन बीमारियों से छुटकारे के लिए कैल्शियम सप्लिमेंट लेने की राय भी दे सकते हैं।
जानिए शरीर के लिए क्यों जरूरी है विटामिन डी?
स्ट्रॉन्ग बोंस के लिए विटामिन डी बहुत जरूरी होता है। विटामिन डी के कारण शरीर कैल्शियम को अवशोषित करता है। अगर शरीर में विटामिन डी पर्याप्त मात्रा में नहीं होगा, तो कैल्शियम अवशोषित नहीं हो पाएगा और हड्डियां कमजोर होने लगेंगी। अधिक उम्र में विटामिन डी की पर्याप्त मात्रा न मिल पाने के कारण हड्डियों संबंधी विकार उत्पन्न हो जाते हैं। ऐसे में हड्डियों में दर्द और मसल्स कमजोर होने लगती हैं। विटामिन डी कई हेल्थ कंडीशन जैसे कि टाइट 2 डायबिटीज, हाइपरटेंशन, ग्लूकोज इंटॉलरेंस आदि के बचाव में मदद करता है। विटामिन डी की कमी के कारण निम्न बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है।
कार्डिवस्कुलर डिजीज (cardiovascular disease) से मृत्यु का खतरा
ओल्डर एडल्ट में कॉग्नेटिव इम्पेयरमेंट (Cognitive impairment)
विटामिन बी12 की कमी से मस्तिष्क के कार्यों में आसकती है रुकावट
आमतौर पर अधिक उम्र के लोगों में विटामिन बी12 की कमी पाई जाती है। विटामिन बी12 की कमी होने पर आंखों पर बुरा असर पड़ता है। व्यक्ति को जल्दी थकान का एहसास हो सकता है। साथ ही एनिमिया की समस्या भी हो सकती है। उम्र बढ़ने पर कमर और पीठ दर्द की समस्या आम हो जाती है। इनका कारण भी शरीर में विटामिन बी12 की कमी हो सकता है। ब्रेन के महत्वपूर्ण कार्यों में विटामिन बी12 का रोल होता है। उम्र बढ़ने के साथ दिमाग संबंधी विकार की संभावना बढ़ जाती है।
पोटैशियम की कमी से हो सकता है लकवा (Paralysis)
पोटैशियम की ब्लड में कमी के कारण सेल्स तक इलेक्ट्रोलाइट सिग्नल पहुंचने में समस्या हो जाती है। मसल्स सेल्स पोटैशियम की हेल्प से बेहतर तरीके से काम कर पाती है। ब्लड में पोटैशियम का लेवल कम होने पर बीपी की समस्या का सामना करना पड़ता है। अधिक उम्र में महिलाओं के शरीर में पोटैशियम की कमी पाई जाती है। इस कारण से थकान, कमजोरी, हार्टबीट का कम या ज्यादा होना आदि समस्याओं का सामना करना पड़ता है। पोटैशियम की कमी लकवा का कारण भी बन सकती है।
मसल्स लॉस (Muscle loss) का कारण बनती है प्रोटीन की कमी
एजिंग के दौरान प्रोटीन की कमी कॉमन है। प्रोटीन की कमी का कारण खाने में पौष्टिक आहार शामिल न करना है। प्रोटीन की कमी के कारण स्किन, हेयर और नेल्स कमजोर होने लगते हैं। जब शरीर में प्रोटीन कम होने लगती है, तो शरीर जरूरत के हिसाब से स्केलेटल मसल्स से प्रोटीन लेना शुरू कर देता है। अधिक उम्र के लोगों में प्रोटीन की कमी मसल्स वेस्टिंग (muscle wasting) का कारण बनती है। अधिक उम्र में प्रोटीन की कम मात्रा लेने से मसल्स लॉस की समस्या शुरू हो जाती है। इस कारण से ब्रेन फ्रेक्चर की संभावना भी बढ़ जाती है।
फैट की कमी से हो सकती है विटामिन्स की कमी
शरीर में फैट की कमी से विटामिन ए, विटामिन डी, विटामिन के का सही से अवशोषण नहीं हो पाता है। इस कारण से आपके शरीर में विटामिन्स की कमी हो सकती है और हेल्थ से संबंधित समस्याएं भी हो सकती हैं। फैट की कमी से सेल ग्रोथ रूक सकती है। ब्रेन और आय हेल्थ के लिए भी फैट बहुत जरूरी है। असेंशियल फैट् घाव को भरने का काम करते हैं। अगर इनकी कमी हो जाए, तो घाव देर से भरता है। फैट सोर्स ऑफ एनर्जी है।
कौन सी डायट्स से एजिंग के दौरान जरूरी न्यूट्रिएंट्स मिल सकते हैं?
वैसे तो पोषण की जरूरत व्यक्ति को पूरे जीवनकाल रहती है लेकिन उम्र बढ़ने के साथ ये आवश्यकता अधिक बढ़ जाती है। आपको एक ही तरह के फूड्स खाने से बचना चाहिए। खाने में सभी प्रकार के मिनिरल्स शामिल होने चाहिए। अगर आपको जरूरी पोषक तत्वों के बारे में जानकारी चाहिए, तो आप डॉक्टर से जानकारी ले सकते हैं। जानिए शरीर के लिए फायदेमंद फूड्स के बारे में।
जानिए फाइबर युक्त फूड्स (fiber rich foods) के बारे में
खाने में फाइबर युक्त आहार को शामिल करने के लिए आपको एक लिस्ट बनानी चाहिए। लिस्ट में उन फूड्स के नाम लिखें, जिसमे प्रचुर मात्रा में फाइबर पाया जाता हो। फाइबर युक्त फूड खाने के बाद देर तक भूख का एहसास नहीं होता है। यहीं कारण है कि फाइबर युक्त फूड्स खाने से वेट कंट्रोल रहता है। जानिए फाइबर युक्त फूड्स में कौन से आहार शामिल करने चाहिए।
नाश्ते में साबुत अनाज (Whole grain) शामिल करें।
पेनकेक्स में फ्रूट्स डालकर खाएं।
फलों का रस पीने से बेहतर ही आप पूरा फल खाएं। फल फाइबर्स का अच्छा सोर्स होते हैं।
सूखे मेवे और नट्स को सलाद के साथ लें।
पके हुए माल में साबुत गेहूं के आटे का उपयोग करें
खाने में सलाद, सूप, छोले, किडनी बीन्स आदि को शामिल करें।
सोया प्रोडक्ट, अनाज और फलों के रस, दूध आदि को डायट में जरूर शामिल करें।
कैल्शियम के अवशोषण के लिए विटामिन डी युक्त फूड्स का सेवन जरूर करें।
विटामिन डी की पूर्ति के लिए खाने में शामिल करें फूड्स
सूर्य के प्रकाश पर आने पर शरीर खुद विटामिन डी प्रोड्यूस करने लगता है। अधिकतर घरों में रहने वाले लोगों को धूप नहीं मिल पाती है और विटामिन डी प्राप्त नहीं हो पाती है। कुछ फूड्स के माध्यम से भी विटामिन डी प्राप्त होता है।
ऑयली फिश जैसे कि सैल्मन (salmon), सार्डिन (sardines), हेरिंग (herring) और मैकेरल (mackerel)।
रेड मीट
लिवर
अंडे की जर्दी (egg yolks)
फोर्टिफाइड फूड्स (fortified foods) जैसे कि सोया मिल्क, गाय का दूध
मशरूम (Mushrooms)
विटामिन बी12 के लिए लें फोर्टिफाइड ब्रेकफास्ट
विटामिन बी12 की कमी पूरी करने के लिए शाकाहारी भोजन के साथ ही मांसाहारी भोजन भी किया जा सकता है। विटामिन बी12 नॉनवेजिटेरियन फूड में अधिक पाया जाता है। जानिए विटामिन बी12 के सोर्स के बारे में
अगर खून में पोटैशियम की कमी हो गई है तो आपको डायट में पोटैशियम युक्त आहार शामिल करने चाहिए। अगर आपको डॉक्टर ने पोटैशियम सप्लिमेंट लेने की सलाह दी है, तो रोजाना समय पर सप्लिमेंट लें।डायट में पोटैशियम युक्त आहार के लिए निन्नलिखित फूड्स का सेवन करें।
स्ट्रॉबेरी
मशरूम
बीफ
मछली
कीवी
टमाटर
ऑरेंज
बनाना
एवोकैडो
मीठें आलू
एजिंग के दौरान न्यूट्रिशन चाहिए, तो प्रोटीन को आहार में करें शामिल
प्रोटीन युक्त आहार का सेवन कर शरीर से प्रोटीन की कमी को दूर किया जा सकता है। अगर आप वेजीटेरियन हैं, तो दालों और फलियों का सेवन करने से आपको प्रोटीन की अच्छी मात्रा प्राप्त हो सकती है। नॉनवेजीटेरियन के लिए एग और सीफूड्स प्रोटीन का अच्छा सोर्स हो सकते हैं। जानिए प्रोटीन युक्त आहार के बारे में।
आपको खाने में अनहेल्दी की बजाय हेल्दी फैट्स को शामिल करना चाहिए। आप खाने में ऑलिव ऑयल, वॉलनट्स, एवाकोडो, फैटी फिश, चिया सीड्स, अंडा, चीज आदि को शामिल करें। मीट या डेयरी प्रोडक्ट से मिलने वाले सैचुरेड फैट कैलोरी की 10 परसेंस से कम पर सीमित करना चाहिए। ऐसा करने से शरीर को जरूरत के हिसाब से फैट मिल जाएगा।
एजिंग के दौरान न्यूट्रिशन: इन बातों का रखें ध्यान
अपने आहार में नैचुरल कलर डायट शामिल करें। सीजन फूड्स को डायट में जरूर शामिल करें। सीजनल फ्रूट्स एंटीऑक्सीडेंट्स का काम करते हैं।
एग वाइट प्रोटीन का अच्छा सोर्स होता है। सेल्स को रिपेयर करने के लिए प्रोटीन जरूरी होती है। वजीटेरियन लोगों को लो फैट मिल्क से बने पनीर का सेवन करना चाहिए।
खाने में सरसों के तेल या जैतून के तेल का इस्तेमाल स्वास्थ्य की दृष्टि से लाभकारी होता है। सरसों के तेल और जैतून के तेल में गुड कोलेस्ट्रॉल होता है।
एक साथ खाने की भूल न करें। अधिक उम्र में सात से आठ बार छोटे मील लें। ऐसा करने से भोजन का पाचन आसान हो जाएगा और थकान का एहसास भी नहीं होगा।
आप बिना क्रीम के वेजीटेबल सूप भी ले सकते हैं।
घर से बाहर निकलने पर बैग में अपने साथ हेल्थी स्नैक लेकर चलें। ऐसा करने से आपको बाहरी अनहेल्दी फूड्स नहीं खाने पड़ेगे।
प्रोसेस्ड फूड्स और आर्टिफिशियल कलर या प्रिजर्वेटिव्स लेने से बचें।
खाने में पोटैशियम रिच फूड्स जैसे क्युमन सीड्स, मेथी के दाने, नारियल पानी आदि जरूर लें। मसल्स की समस्या और ब्लड प्रेशर की समस्या से जूझ रहे लोगों को पोटैशियम रिच फूड्स जरूर लेने चाहिए।
न्यूट्रिशन को बढ़ाने के लिए आप आटे में दही भी मिला सकते हैं।
आप चाहे तो नाश्ते में दलिया और ओट्स का रोजाना सेवन कर सकते हैं। ये सेहत के लिए बहुत फायदेमंद होती है।
रोजाना आठ से नौ ग्लास पानी जरूर पिएं। सर्दियों में पानी कम मात्रा में न पिएं। आप चाहे तो पानी को हल्का गुनगुना करके पी सकते हैं। ऐसा करने से आप डिहाइड्रेशन की समस्या से बच सकते हैं।
अधिक उम्र में खाना पचना एक चुनौती जैसा होता है। बेहतर होगा कि आप खानपान पर ध्यान देने के साथ ही एक्सरसाइज पर भी ध्यान दें।
अगर आपको किसी प्रकार की हेल्थ कंडीशन है या आपको किसी चीज से एलर्जी है, तो बिना डॉक्टर की सलाह के डायट न लें।डॉक्टर से आप बीमारी के अनुसार परहेज के बारे में जरूर बात करें।
हम उम्मीद करते हैं कि आपको इस आर्टिकल के माध्यम से एजिंग के दौरान न्यूट्रिशन की जरूरत के बारे में जानकारी मिली होगी। उम्र बढ़ने के साथ बीमारियों का जोखिम बढ़ जाता है लेकिन हेल्दी डायट बीमारियों से बचाने में मदद करती है। आप इस बारे में अधिक जानकारी के लिए डॉक्टर से परामर्श कर सकते हैं। अगर आपको कोई हेल्थ कंडीशन है, तो बिना डॉक्टर की सलाह के डायट न लें और न ही डायट में बदलाव करें। आप स्वास्थ्य संबंधि अधिक जानकारी के लिए हैलो स्वास्थ्य की वेबसाइट विजिट कर सकते हैं। अगर आपके मन में कोई प्रश्न है तो हैलो स्वास्थ्य के फेसबुक पेज में आप कमेंट बॉक्स में प्रश्न पूछ सकते हैं।
बीएमआई कैलक्युलेटर
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