कैल्शियम की कमी से होती है हड्डियां कमजोर

बोन फॉर्मेशन और मेंटिनेंस की प्रोसेस के लिए कैल्शियम की जरूरत होती है। उम्र बढ़ने के साथ शरीर में कैल्शियम की कमी होने लगती हैं। धीरे-धीरे शरीर हड्डियों का कैल्शियम यूज करने लगता है। इस कारण से हड्डियां कमजोर होने लगती हैं। उम्र बढ़ने के साथ कैल्शियम का सेवन अधिक मात्रा में करना चाहिए। कैल्शियम की कमी से रिकेट्स, ऑस्टियोपोरोसिस और ऑस्टियोपीनिया की समस्या हो सकती है। जरा सी चोट लगने पर हड्डियां टूट सकती हैं। डॉक्टर इन बीमारियों से छुटकारे के लिए कैल्शियम सप्लिमेंट लेने की राय भी दे सकते हैं।
जानिए शरीर के लिए क्यों जरूरी है विटामिन डी?
स्ट्रॉन्ग बोंस के लिए विटामिन डी बहुत जरूरी होता है। विटामिन डी के कारण शरीर कैल्शियम को अवशोषित करता है। अगर शरीर में विटामिन डी पर्याप्त मात्रा में नहीं होगा, तो कैल्शियम अवशोषित नहीं हो पाएगा और हड्डियां कमजोर होने लगेंगी। अधिक उम्र में विटामिन डी की पर्याप्त मात्रा न मिल पाने के कारण हड्डियों संबंधी विकार उत्पन्न हो जाते हैं। ऐसे में हड्डियों में दर्द और मसल्स कमजोर होने लगती हैं। विटामिन डी कई हेल्थ कंडीशन जैसे कि टाइट 2 डायबिटीज, हाइपरटेंशन, ग्लूकोज इंटॉलरेंस आदि के बचाव में मदद करता है। विटामिन डी की कमी के कारण निम्न बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है।
- कार्डिवस्कुलर डिजीज (cardiovascular disease) से मृत्यु का खतरा
- ओल्डर एडल्ट में कॉग्नेटिव इम्पेयरमेंट (Cognitive impairment)
- कैंसर का खतरा
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विटामिन बी12 की कमी से मस्तिष्क के कार्यों में आ सकती है रुकावट
आमतौर पर अधिक उम्र के लोगों में विटामिन बी12 की कमी पाई जाती है। विटामिन बी12 की कमी होने पर आंखों पर बुरा असर पड़ता है। व्यक्ति को जल्दी थकान का एहसास हो सकता है। साथ ही एनिमिया की समस्या भी हो सकती है। उम्र बढ़ने पर कमर और पीठ दर्द की समस्या आम हो जाती है। इनका कारण भी शरीर में विटामिन बी12 की कमी हो सकता है। ब्रेन के महत्वपूर्ण कार्यों में विटामिन बी12 का रोल होता है। उम्र बढ़ने के साथ दिमाग संबंधी विकार की संभावना बढ़ जाती है।
पोटैशियम की कमी से हो सकता है लकवा (Paralysis)
पोटैशियम की ब्लड में कमी के कारण सेल्स तक इलेक्ट्रोलाइट सिग्नल पहुंचने में समस्या हो जाती है। मसल्स सेल्स पोटैशियम की हेल्प से बेहतर तरीके से काम कर पाती है। ब्लड में पोटैशियम का लेवल कम होने पर बीपी की समस्या का सामना करना पड़ता है। अधिक उम्र में महिलाओं के शरीर में पोटैशियम की कमी पाई जाती है। इस कारण से थकान, कमजोरी, हार्टबीट का कम या ज्यादा होना आदि समस्याओं का सामना करना पड़ता है। पोटैशियम की कमी लकवा का कारण भी बन सकती है।
मसल्स लॉस (Muscle loss) का कारण बनती है प्रोटीन की कमी
एजिंग के दौरान प्रोटीन की कमी कॉमन है। प्रोटीन की कमी का कारण खाने में पौष्टिक आहार शामिल न करना है। प्रोटीन की कमी के कारण स्किन, हेयर और नेल्स कमजोर होने लगते हैं। जब शरीर में प्रोटीन कम होने लगती है, तो शरीर जरूरत के हिसाब से स्केलेटल मसल्स से प्रोटीन लेना शुरू कर देता है। अधिक उम्र के लोगों में प्रोटीन की कमी मसल्स वेस्टिंग (muscle wasting) का कारण बनती है। अधिक उम्र में प्रोटीन की कम मात्रा लेने से मसल्स लॉस की समस्या शुरू हो जाती है। इस कारण से ब्रेन फ्रेक्चर की संभावना भी बढ़ जाती है।
फैट की कमी से हो सकती है विटामिन्स की कमी
शरीर में फैट की कमी से विटामिन ए, विटामिन डी, विटामिन के का सही से अवशोषण नहीं हो पाता है। इस कारण से आपके शरीर में विटामिन्स की कमी हो सकती है और हेल्थ से संबंधित समस्याएं भी हो सकती हैं। फैट की कमी से सेल ग्रोथ रूक सकती है। ब्रेन और आय हेल्थ के लिए भी फैट बहुत जरूरी है। असेंशियल फैट् घाव को भरने का काम करते हैं। अगर इनकी कमी हो जाए, तो घाव देर से भरता है। फैट सोर्स ऑफ एनर्जी है।
कौन सी डायट्स से एजिंग के दौरान जरूरी न्यूट्रिएंट्स मिल सकते हैं?
वैसे तो पोषण की जरूरत व्यक्ति को पूरे जीवनकाल रहती है लेकिन उम्र बढ़ने के साथ ये आवश्यकता अधिक बढ़ जाती है। आपको एक ही तरह के फूड्स खाने से बचना चाहिए। खाने में सभी प्रकार के मिनिरल्स शामिल होने चाहिए। अगर आपको जरूरी पोषक तत्वों के बारे में जानकारी चाहिए, तो आप डॉक्टर से जानकारी ले सकते हैं। जानिए शरीर के लिए फायदेमंद फूड्स के बारे में।
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जानिए फाइबर युक्त फूड्स (fiber rich foods) के बारे में

खाने में फाइबर युक्त आहार को शामिल करने के लिए आपको एक लिस्ट बनानी चाहिए। लिस्ट में उन फूड्स के नाम लिखें, जिसमे प्रचुर मात्रा में फाइबर पाया जाता हो। फाइबर युक्त फूड खाने के बाद देर तक भूख का एहसास नहीं होता है। यहीं कारण है कि फाइबर युक्त फूड्स खाने से वेट कंट्रोल रहता है। जानिए फाइबर युक्त फूड्स में कौन से आहार शामिल करने चाहिए।
- नाश्ते में साबुत अनाज (Whole grain) शामिल करें।
- पेनकेक्स में फ्रूट्स डालकर खाएं।
- फलों का रस पीने से बेहतर ही आप पूरा फल खाएं। फल फाइबर्स का अच्छा सोर्स होते हैं।
- सूखे मेवे और नट्स को सलाद के साथ लें।
- पके हुए माल में साबुत गेहूं के आटे का उपयोग करें
- खाने में सलाद, सूप, छोले, किडनी बीन्स आदि को शामिल करें।
- रोजाना आप अपनी पसंद की दाल का सेवन जरूर करें।
- अगर एग खाते हैं, तो रोजाना एक से दो एग जरूर खाएं।
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डेयरी प्रोडक्ट हैं कैल्शियम का अच्छा सोर्स

- डेयरी उत्पाद जैसे कि पनीर, दूध और दही को खाने में शामिल करें।
- हरे रंग की पत्तेदार सब्जियां खाएं। साथ ही ब्रोकोली और काले को भी डायट में शामिल करें।
- एडिबल सॉफ्ट बोन फिश सार्डिन का सेवन करें।
- सोया प्रोडक्ट, अनाज और फलों के रस, दूध आदि को डायट में जरूर शामिल करें।
- कैल्शियम के अवशोषण के लिए विटामिन डी युक्त फूड्स का सेवन जरूर करें।