इलेक्ट्रिक शॉक किसी भी व्यक्ति के लिए घातक हो सकता है। इलेक्ट्रिक शॉक लगने के दौरान वॉल्टेज कितना हाई था, और बॉडी में किस तरह से इलेक्ट्रिक शॉक पास हुआ है, ये बातें बहुत मायने रखती हैं। करंट लगने के बाद बॉडी को सही ट्रीटमेंट मिल जाए तो होने वाले जोखिम से राहत मिल सकती है। इलेक्ट्रिक शॉक खुले हुए वायर से लगने की संभावना अधिक रहती है। इसके कारण कई बार स्किन बर्न हो सकती है। कई बार शरीर इससे किसी भी तरह का नुकसान दिखाई नहीं देता है, लेकिन ये आंतरिक रूप से घातक सिद्ध हो सकता है। ये कहना गलत नहीं होगा कि हल्का सा इलेक्ट्रिक शॉक भी इंसान के लिए घातक हो सकता है।
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बिजली का झटका या इलेक्ट्रिक शॉक क्या है?
इलेक्ट्रिक शॉक या बिजली का झटका एक प्रकार का करंट है जिसमें शरीर में विद्युद प्रवाह होने लगता है। इलेक्ट्रिक शॉक के कारण शरीर के अंदर के और बाहर के टिशू यानी ऊतक जल सकते हैं। इलेक्ट्रिक शॉक के कारण अंग की क्षति भी हो सकती है। इलेक्ट्रिक शॉक से शरीर को कितना नुकसान होगा, ये बात वॉल्टेज पर निर्भर करती है। बिजली का झटका या इलेक्ट्रिक शॉक कई चाजों से लग सकता है। इलेक्ट्रिक शॉक घर के अंदर और घर के बाहर लगने की संभावना इन कारणों से रहती है।
- बिजली के तार
- आकाशीय बिजली
- इलेक्ट्रिक मशीनरी
- बिजली के हथियार, जैसे टैसर
- घर का सामान
- बिजली के आउटलेट
घरेलू उपकरणों के झटके आमतौर पर कम गंभीर होते हैं। बच्चों के लिए इलेक्ट्रिक कॉर्ड भी खतरनाक हो सकता है। साथ ही करंट संबंधित किसी भी आउटलेट को मुंह में डालना खतरनाक हो सकता है।
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इलेक्ट्रिक शॉक की अधिकता इन बातों पर करती है निर्भर
इलेक्ट्रिक शॉक किसी भी व्यक्ति या बच्चों को कितनी तेजी से लगेगा, ये कई कारकों पर निर्भर करता है। बिजली का झटका कितना गंभीर है ये इन बातों पर निर्भर करता है ,
- वॉल्टेज
- सोर्स के संपर्क में कितना समय गुजरा, ये बात टाइम पर निर्भर करती है
- संपूर्ण स्वास्थ्य, यानी व्यक्ति को जब शॉक लगा था, उस वक्त उसका स्वास्थ्य कैसा था?
- इलेक्ट्रिक शॉक का पाथ कैसा था?
- करंट किस टाइप का था? अल्टरनेटिव करंट को ज्यादा गंभीर माना जाता है। डायरेक्ट करंट को इतना गंभीर नहीं माना जाता है।
- अल्टरनेटिव करंट से मसल्स स्पैम्स होने का खतरा रहता है।
अगर किसी भी व्यक्ति को इलेक्ट्रिक शॉक लगा है तो उसे तुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिए। डॉक्टर आंतरिक क्षति को पहचान कर उसका तुरंत उपाय कर सकता है।
इन बातों का रखें ध्यान
- अगर किसी भी व्यक्ति को इलेक्ट्रिक शॉक लगा है तो उसे नंगे हाथों से न छुएं।
- अगर मेन स्विच है तो उसे तुरंत बंद करें।
- इमरजेंसी नंबर पर तुरंत कॉल करें।
- बिजली बंद होने तक उच्च वॉल्टेज के तार के पास न जाएं।
- अगर तार से स्पार्किंग हो रही हो तो करीब 20 फीट की दूरी बनाएं।
इंजर्ड पर्सन में दिख सकते हैं ये लक्षण
इंजर्ड पर्सन को अगर हल्का सा इलेक्ट्रिक शॉक लगा है तो ज्यादा समस्या नहीं होगी। अक्सर करंट का जरा सा एहसास होने पर लोग झटके से हाथ हटा लेते हैं। इलेक्ट्रिक शॉक अगर तेज लगा है तो शरीर में गंभीर समस्या हो जाती है और साथ ही कुछ लक्षण भी दिखाई देते हैं।
- गंभीर जलन
- उलझन महसूस होना
- सांस लेने मे तकलीफ होना
- हार्ट रिदम प्रॉब्लम
- हृदय गति रुकना (कार्डियक अरेस्ट)
- मांसपेशियों में दर्द और संकुचन
- बेहोश होना
- दौरा पड़ना
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इलेक्ट्रिक शॉक लगने पर तुरंत करें ये उपचार
जब आपके सामने किसी भी व्यक्ति को इलेक्ट्रिक शॉक लग जाए तो तुरंत प्राथमिक उपचार करना बहुत जरूरी होता है। इमरजेंसी नंबर पर कॉल करने के साथ ही अन्य बातों पर भी ध्यान देना जरूरी होता है। इलेक्ट्रिक शॉक लगने के बाद प्राथमिक उपचार दिया जाए तो व्यक्ति को बहुत राहत मिलती है। साथ ही बहुत से जोखिम से बचा भी जा सकता है।
व्यक्ति को इलेक्ट्रिक शॉक लगने पर तुरंत मेन स्विच बंद कर दें। अब पीड़ित व्यक्ति को प्लास्टिक या लकड़ी से बने किसी भी सोर्स से दूर करने का प्रयास करें। अब तुरंत व्यक्ति को सीपीआर देने की कोशिश करें। व्यक्ति को अगर खांसी आ रही है और सांस लेने में दिक्कत हो रही है तो तुरंत सीपीआर देना सही उपाय रहेगा। इलेक्ट्रिक शॉक लगने से व्यक्ति को ठंड का अनुभव होता है। ऐसे में व्यक्ति को ठंड से बचाने का प्रयास करना चाहिए। व्यक्ति को जहां भी करंट लगा है, वहां बैंडेज से कवर करें। इसके लिए साफ कपड़े का प्रयोग भी किया जा सकता है। कंबल और तौलिए का उपयोग करना सही नहीं रहेगा क्योंकि ढीले फाइबर जलने के कारण चिपक सकते हैं।
इलेक्ट्रिक शॉक का इलाज कैसे किया जाता है ?
अगर इलेक्ट्रिक शॉक से मामूली चोट लगी है तो इलाज की आवश्यकता नहीं होती है। अगर इलेक्ट्रिक शॉक गंभीर है तो उसके लिए डॉक्टर को आंतरिक जांच की आवश्यकता होती है। इलेक्ट्रिक शॉक की तीव्रता के आधार पर उसका ट्रीटमेंट किया जाता है।
- एंटीबाॅयोटिक मरहम और स्टेराइल ड्रेसिंग के साथ ही बर्न ट्रीटमेंट
- दर्द की दवा
- टिटनेस शॉट
- अस्पताल में दो से तीन दिन का स्टे
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अगर व्यक्ति सदमे में है तो डॉक्टर पूरी जांच करने के बाद व्यक्ति को डिस्चार्ज कर देता है। कई बार गंभीर समस्या न होने पर भी लोग सदमे में आ जाते हैं। शरीर की आंतरिक जांच होना बहुत जरूरी होता है। अगर गंभीर झटके लगे हैं तो डॉक्टर हार्ट से जुड़ी जांच भी करता है। साथ ही अन्य इंजरी को भी मॉनीटर कर सकता है।
इलेक्ट्रिक शॉक का लॉन्ग टर्म इफेक्ट रहता है?
कुछ इलेक्ट्रिक शॉक शरीर में स्थायी प्रभाव डाल सकते हैं। कई बार इलेक्ट्रिक शॉक लगने से परमानेंट निशान बन जाते हैं। अगर इलेक्ट्रिक करेंट आंखों से होकर गुजरता है तो मोतियाबिंद का खतरा भी रहता है। इलेक्ट्रिक शॉक के कारण दर्द की समस्या, झुनझुनापन महसूस होना और मांसपेशियों में कमजोरी महसूस हो सकती है। इलेक्ट्रिक शॉक का तेज झटका जान भी ले सकता है। अगर इलेक्ट्रिक शॉक से बचना है तो इसकी शुरुआत घर से करें। घर में सभी खुले वायर को बंद करें। बच्चों को खुले वायर की पहुंच से दूर रखें। जब भी इलेक्ट्रिक पॉइंट को टच करें, चप्पल पहन कर रखें। साथ ही गीले हाथों से कभी भी इलेक्ट्रिक उपकरण छूने की भूल न करें।
कुछ सावधानियां रखकर इलेक्ट्रिक शॉक से बचा जा सकता है। अगर किसी व्यक्ति को इलेक्ट्रिक शॉक लग जाता है तो पहले प्राथमिक उपचार अपनाएं। साथ ही डॉक्टर से भी परामर्श करें।
हैलो हेल्थ ग्रुप किसी भी तरह की मेडिकल एडवाइस, इलाज और जांच की सलाह नहीं देता है।
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