डायबिटीज की समस्या एक नहीं, बल्कि कई गंभीर बीमारियों की जनक मानी जाती है। ऐसी ही एक बीमारी है गैंग्रीन (Gangrene)। आज इस आर्टिकल में डायबिटीज और गैंग्रीन (Diabetes and gangrene) यानी डायबिटीज के कारण गैंग्रीन की समस्या क्यों हो सकती है और इससे बचने का क्या है उपाय यह सभी समझने की कोशिश करेंगे।
डायबिटीज और गैंग्रीन: डायबिटीज (Diabetes) की समस्या क्या है?
मधुमेह एक ऐसी शारीरिक परेशानी है, जिसमें शरीर में मौजूद ब्लड शुगर लेवल (Blood sugar level) इमबैलेंस हो जाता है। जब किसी खाद्य पदार्थों के सेवन के बाद फूड डायजेस्ट होने लगता है उससे मानव शरीर को ग्लूकोज मिलता है, जिससे बॉडी को एनर्जी मिलती है। वहीं अगर शरीर में इन्सुलिन (Insulin) मौजूद ना हो, तो वो अपना काम ठीक तरह से नहीं कर पाती है और ब्लड से सेल्स तक ग्लूकोज नहीं पहुंच पाता है। ऐसी स्थिति होने पर ग्लूकोज ब्लड में इकट्ठा होने लगता है। नैशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इन्फॉर्मेशन (National Center for Biotechnology Information) में पब्लिश्ड रिपोर्ट के अनुसार ब्लड में ग्लूकोज (Glucose) अगर इकट्ठा होने लगे तो यह शरीर के लिए नुकसानदायक साबित हो सकता है। मधुमेह यानी डायबिटीज (Diabetes) 3 अलग-अलग प्रकार के होते हैं। जैसे: टाइप 1 डायबिटीज (Type 1 Diabetes), टाइप 2 डायबिटीज (Type 2 Diabetes) एवं जेस्टेशनल डायबिटीज (Gestational Diabetes)।
गैंग्रीन क्या (Gangrene) है?
जब ह्यूमन बॉडी में किसी भी कारण से टिशू डैमेज होंगे लगते हैं, तो गैंग्रीन की समस्या हो सकती है। अगर इसे आसान शब्दों में समझा जाए, तो जब किसी भी कारण से ब्लड फ्लो (Blood flow) में डिस्टर्बेंस आती है तो गैंग्रीन की समस्या शुरू हो जाती है। इसके अलावा चोट लगने या इंफेक्शन (Infection) की वजह से भी होने वाली समस्या है। लेकिन गैंग्रीन का और डायबिटीज का आपस में क्या कनेक्शन है इसे समझेंगे।
डायबिटीज और गैंग्रीन का आपस में क्या है कनेक्शन? (Connection between Diabetes and gangrene)
डायबिटीज की समस्या से पीड़ित लोगों में गैंग्रीन की समस्या देखी जा सकती है। दरअसल हाय ब्लड शुगर लेवल की वजह से नर्व डैमेज होने लगते हैं, जिसका सबसे पहले और सबसे ज्यादा असर पैरों पर पड़ता है। अगर पैरों तक ठीक तरह से ब्लड सर्क्युलेशन ना हो तो तकलीफ बढ़ सकती है। क्योंकि ब्लड सर्क्युलेशन ना होने की वजह इंफेक्शन (Infection) का खतरा बढ़ जाता है। वहीं धीरे-धीरे इंफेक्शन की वजह से पैर काले पड़ने लगते हैं और घाव भी हो जाता है। डायबिटीज पेशेंट्स को ऐसी स्थिति से निकलने में वक्त ज्यादा लग सकता है, क्योंकि हाय ब्लड शुगर (High Blood Sugar) की वजह से घाव या चोट को ठीक होने में ज्यादा समय लगता है।
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डायबिटीज और गैंग्रीन (Diabetes and gangrene) के रिस्क फैक्टर क्या हैं?
डायबिटीज और गैंग्रीन की स्थिति में निम्नलिखित परेशानी बढ़ सकती है। जैसे:
- पेरिफेरल आर्टरी डिजीज (Peripheral arterial disease)
- एथेरोस्क्लेरोसिस (Atherosclerosis)
- रेनॉड फेनोमेनन (Raynaud’s phenomenon)
डायबिटीज diabetes के अलावा और इन ऊपर बताय स्थितियों के अलावा कमजोर इम्यून सिस्टम की वजह से भी गैंग्रीन की समस्या हो सकती है। जैसे:
- कीमोथेरिपी (Chemotherapy)
- एचआईवी (HIV)
- मालन्यूट्रिशन (Malnutrition)
- किडनी फेलियर (Kidney failure)
- 60 साल (Age) से ज्यादा उम्र होना
ऐसी स्थितियां भी गैंग्रीन के कारण बन सकते हैं। इसलिए ब्लड शुगर लेवल को बैलेंस रखने के साथ-साथ इम्यून सिस्टम (Immune system) को भी स्ट्रॉन्ग रखना बेहद जरूरी है।
इन्सुलिन इंजेक्शन का समय और डोज अपनी मर्जी से तय करना बढ़ा सकता है आपकी तकलीफ!
डायबिटीज और गैंग्रीन: नर्व से जुड़ी समस्या गैंग्रीन एक नहीं, बल्कि कई तरह के होते हैं- (Types of Gangrene)
गैंग्रीन की समस्या निम्नलिखित प्रकार के हो सकते हैं। जैसे:
ड्राय गैंग्रीन Dry gangrene)- ड्राय गैंग्रीन की समस्या ब्लड फ्लो ब्लॉक होने की वजह से होती है। ऐसा ऑक्सिजन (Oxygen) सप्लाय ठीक तरह से ना होने की स्थिति में होता है। ड्राय गैंग्रीन डार्क ग्रीन, पर्पल या फिर ब्लैक कलर का होता है।
वेट गैंग्रीन (Wet gangrene)- डायबिटीज की मरीजों में वेट गैंग्रीन की समस्या ज्यादा देखी जाती है। ऐसी स्थिति में डायबिटीज पेशेंट के फूट (Foot) या टो (Toe) तक ठीक तरह से ब्लड सर्क्युलेशन ना होने की स्थिति में होता है। पैर या पैरों की उंगलियों में होने वाली गैंग्रीन की समस्या को ठीक होने में ज्यादा समय लगता है, जिसकी वजह से इंफेक्शन (Infection) फैलने का खतरा बना रहता है।
गैस गैंग्रीन (Gas gangrene)- गैस गैंग्रीन की समस्या बॉडी के इंटर्नल होती है। दरअसल ऐसी स्थिति में हानिकारक बैक्टीरिया गैस रिलीज करते हैं, जो टिशू, सेल्स एवं ब्लड वेसल्स (Blood Vessels) को डैमेज करने में सक्षम होते हैं।
इंटर्नल गैंग्रीन (Internal gangrene)- इंटर्नल ऑर्गेन में ब्लड फ्लो ब्लॉक हो जाए, तो ऐसी स्थिति में इंटर्नल गैंग्रीन की समस्या शुरू हो जाती है। इंटर्नल गैंग्रीन इंटेस्टाइन, गॉलब्लैडर एवं एपेंडिक्स को अपना निशान बनाता है। वहीं इंटर्नल गैंग्रीन की वजह से दर्द (Pain) और बुखार (Fever) की भी समस्या हो सकती है।
फोर्नियर्स गैंग्रीन (Fournier’s gangrene)- फोर्नियर्स गैंग्रीन की समस्या जेनाइटल ऑर्गेन से जुड़ी हुई होती है। यह समस्या विशेष रूप से यूरिनरी ट्रैक्ट में होने वाली समस्या है। यह समस्या महिला या पुरुष दोनों में हो सकती है।
प्रोग्रेसिव बैक्टीरिया सिनर्जिस्टिक गैंग्रीन (Progressive bacterial synergistic gangrene)- प्रोग्रेसिव बैक्टीरिया सिनर्जिस्टिक गैंग्रीन रेयर केस कहलाती है और यह समस्या किसी सर्जरी के बाद बाहरी त्वचा पर होने वाली परेशानी है।
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डायबिटीज और गैंग्रीन: गैंग्रीन का निदान कैसे किया जाता है? (Diagnosis of Gangrene)
गैंग्रीन के निदान के लिए डॉक्टर सबसे पहले पेशेंट की मेडिकल हिस्ट्री (Medical history) समझने की कोशिश करते हैं। इस दौरान अगर पेशेंट डायबिटीज की शिकार है, तो उनसे ब्लड शुगर लेवल एवं डायबिटीज की दवाओं (Diabetic medication) के बारे में भी समझते हैं। इसके बाद निम्नलिखित टेस्ट (Test) करवाने की सलाह दी जाती है। जैसे:
- एक्स-रे (X-ray)
- सीटी स्कैन (CT scan)
- एमआरआई (MRI)
इन टेस्ट की मदद से गैंग्रीन कितना फैल चूका है इसकी जानकारी मिलती है। टेस्ट रिपोर्ट के आधार पर और डायबिटीज (Diabetes) की गंभीरता को ध्यान में रखते हुए गैंग्रीन का इलाज शुरू किया जाता है।
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गैंग्रीन का इलाज कैसे किया जाता है? (Treatment for Gangrene)
गैंग्रीन का इलाज पेशेंट की हेल्थ कंडिशन एवं बीमारी की गंभीरता को ध्यान में रखकर किया जाता है। जैसे:
- इंट्रावेनस एंटीबायोटिक्स (Intravenous antibiotics) प्रिस्क्राइब की जाती है।
- इन्फेक्टेड एरिया को सर्जरी की मदद से रिमूव किया जा सकता है।
इन्हीं 2 तरहों से गैंग्रीन का इलाज किया जाता है। वहीं नैशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इन्फॉर्मेशन (National Center for Biotechnology Information) में पब्लिश्ड रिपोर्ट के अनुसार गैंग्रीन की समस्या से बचने के लिए घरेलू उपाय भी किये जा सकते हैं।
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डायबिटीज और गैंग्रीन: गैंग्रीन से बचाव कैसे संभव है? (Prevention from Gangrene)
निम्नलिखित बातों को ध्यान में रखकर डायबिटीज और गैंग्रीन दोनों से बचाव संभव हो सकता है। जैसे:
- शरीर का वजन संतुलित रखना।
- हाथ एवं पैर की सफाई एवं नाखूनों को समस्य-समय पर ध्यान से काटना।
- पैरों में चोट लगने, घाव होने पर या कॉर्न होने पर डॉक्टर से जल्द से जल्द कंसल्ट करना।
- जूतों की क्वॉलिटी अच्छी हों।
- सड़कों पर चलने के दौरान ध्यानपूर्वक चलना।
- डायबिटीज पेशेंट को हेल्दी डायट (Healthy diet) फॉलो करना चाहिए।
- एक्सरसाइज (Workout), योग (Yoga) या टहलने (Walk) की नियमित आदत डालना।
इन छोटी-छोटी बातों को ध्यान में रखकर डायबिटीज और गैंग्रीन दोनों ही तकलीफों से बचा जा सकता है।
डायबिटीज और गैंग्रीन (Diabetes and gangrene) ना हो, इसलिए इससे जुड़ी किसी तरह की कोई जानकारी पाना चाहते हैं, तो हमें कमेंट बॉक्स में पूछ सकते हैं हमारे हेल्थ एक्सपर्ट आपके सवालों का जवाब जल्द से जल्द देने की कोशिश करेंगे। हालांकि अगर आप डायबिटीज और गैंग्रीन (Diabetes and gangrene) की समस्या से परेशान हैं, तो ऐसी स्थिति में डॉक्टर से कंसल्ट करें। क्योंकि डॉक्टर ब्लड शुगर (Blood sugar) यानी डायबिटीज की समस्या को ध्यान में रखकर गैंग्रीन का इलाज शुरू करेंगे।
डायबिटीज और गैंग्रीन (Diabetes and gangrene) ना हो, इसलिए हेल्दी डायट (Healthy diet) फॉलो करना बेहद जरूरी है। डॉक्टर से द्वारा प्रिस्क्राइब्ड ड्रग्स भी समय पर लें और नियमित योगासन करें। योग के फायदे और करने का तरीका जानिए नीचे दिए इस वीडियो लिंक में।
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