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डायबिटीज पेशेंट्स और किडनी ट्रांसप्लांट : जानिए दोनों के बीच के कनेक्शन को!

डायबिटीज पेशेंट्स और किडनी ट्रांसप्लांट : जानिए दोनों के बीच के कनेक्शन को!

डायबिटीज की समस्या होने पर रोगी के शरीर में ब्लड ग्लूकोज लेवल (Blood Glucose Level) बहुत अधिक हो जाता है। समय के साथ इसके कारण किडनी भी डैमेज हो सकती है। किडनी हमारे खून को साफ करती है। अगर किडनी डैमेज (Kidney Damage) हो जाती है, तो हमारे शरीर में मौजूद वेस्ट और फ्लुइड्स शरीर से बाहर निकलने की जगह शरीर में ही जमा होने लगते हैं। डायबिटीज को क्रॉनिक किडनी डिजीज (Chronic kidney disease) का मुख्य कारण माना जाता है। एडवांस्ड डायबिटीज के कारण होने वाली किडनी डिजीज से पीड़ित रोगियों में किडनी ट्रांसप्लांट (Kidney transplant) की सलाह दी जाती है। आज हम आपको डायबिटीज पेशेंट्स और किडनी ट्रांसप्लांट (Kidney transplant in diabetes patients) के बारे में जानकारी देने वाले हैं। जानिए, डायबिटीज पेशेंट्स और किडनी ट्रांसप्लांट (Kidney transplant in diabetes patients) के बारे में विस्तार से। सबसे पहले डायबिटीज के बारे में जान लेते हैं।

डायबिटीज क्या है? (Diabetes)

डायबिटीज, खून में ब्लड शुगर लेवल में बढ़ोतरी को कहा जाता है। डायबिटीज के सबसे सामान्य प्रकार हैं टाइप 1 डायबिटीज (Type 1 Diabetes) और टाइप 2 डायबिटीज (Type 2 Diabetes)। टाइप 1 डायबिटीज (Type 1 Diabetes) की समस्या आमतौर पर बच्चों को होती है। इसे जुवेनाइल ऑनसेट डायबिटीज मलाइट्स (Juvenile onset diabetes mellitus) या इंसुलिन डिपेंडेंट डायबिटीज मलाइट्स (Insulin-dependent diabetes mellitus) कहा जाता है। इसमें हमारा अग्न्याशय (Pancreas) पर्याप्त इंसुलिन नहीं बना पाता है और रोगी को पूरा समय इंसुलिन इंजेक्शंस (Insulin Injections) लेने पड़ते हैं। टाइप 2 डायबिटीज (Type 2 diabetes), एक बेहद सामान्य समस्या है। यह बीमारी चालीस साल या इससे अधिक उम्र के लोगों में अधिकतर देखी जाती है। इसे नॉन इंसुलिन डिपेंडेंट डायबिटीज मलाइट्स (Non insulin-dependent diabetes mellitus) भी कहा जाता है।

इस तरह की डायबिटीज में हमारा अग्न्याशय (Pancreas) इंसुलिन तो बनाता है लेकिन सही से इसका उपयोग नहीं कर पाता। इसमें हाय ब्लड शुगर लेवल (High blood sugar level) को सही डायट, दवाईयों और इंसुलिन आदि से कंट्रोल किया जा सकता है। डायबिटीज पेशेंट्स और किडनी ट्रांसप्लांट (Kidney transplant in diabetes patients) के बारे में जाने से पहले किडनी ट्रांसप्लांट (Kidney transplant) के बारे में जान लें।

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किडनी ट्रांसप्लांट क्या है? (Kidney transplant)

अगर किडनी डैमेज हो जाती है या उससे सही से ब्लड फ़िल्टर नहीं हो पा रहा हो, तो रोगी को किडनी ट्रांसप्लाटं की सलाह दी जाती है। किडनी ट्रांसप्लांट (Kidney transplant) के बाद रोगी सामान्य जीवन जीने में सक्षम हो पाता है। हालांकि, इस सर्जरी के साथ कुछ रिस्क्स भी जुड़े हुए हैं। किडनी डिजीज की वो स्टेज जिसमें किडनी ट्रांसप्लांट की जरूरत होती है उसे एंड स्टेज रीनल डिजीज (End stage renal disease) कहा जाता है। इस डैमेज में रीनल डिजीज का कारण हाय ब्लड शुगर लेवल, हाय ब्लड प्रेशर या दोनों हो सकते हैं। किन्हीं स्थितियों में अगर किडनी ट्रांसप्लांट संभव न हो तो रोगी को किडनी डायलिसिस (Kidney Dialysis) की सलाह भी दी जाती है। अब जानिए डायबिटीज पेशेंट्स और किडनी ट्रांसप्लांट (Kidney transplant in diabetes patients) के बारे में।

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डायबिटीज पेशेंट्स और किडनी ट्रांसप्लांट : क्या होती है पेशेंट की स्थिति? (Kidney transplant in diabetes patients)

अगर आप डायबिटीज के पेशेंट्स हैं, तो इसका सही से उपचार न होने के कारण आपको किडनी की समस्या हो सकती है। यह किडनी डिजीज अगर गंभीर हो, तो इस स्थिति में किडनी ट्रांसप्लांट की जरूरत भी पड़ सकती है। इस स्थिति से बचने के लिए रोगी को अपनी ब्लड शुगर लेवल (Blood sugar level) का खास ध्यान रखना चाहिए। किडनी ट्रांसप्लांट  (Kidney transplant) के बाद आपको इंसुलिन की हायर डोज की भी जरूरत हो सकती है। इसमें आपकी भूख में सुधार होगा। जिससे आपकी नई किडनी, इंजर्ड किडनी की तुलना में इंसुलिन का बेहतर तरीके से प्रयोग कर पाएगी। रोगी अपने शरीर को नयी किडनी को अस्वीकार करने से रोकने के लिए अन्य तरीकों का उपयोग भी कर सकते हैं।

यदि आपकी नई किडनी फेल हो जाती है, तो दूसरी किडनी की प्रतीक्षा करते हुए डायलिसिस उपचार शुरू किया जा सकता है। लेकिन, कई बार किडनी ट्रांसप्लांट (Kidney transplant) के बाद भी डायबिटीज की समस्या हो सकती है। ट्रांसप्लांट के बाद इस तरह की डायबिटीज को नई ऑनसेट डायबिटीज (Onset Diabetes) कहा जाता है। यह डायबिटीज उस दवा के साइड इफ़ेक्ट के रूप में हो सकती है, जिसे आप नई किडनी के रिजेक्शन से बचने के लिए प्रयोग करते हैं। अब जानिए कि किडनी ट्रांसप्लांट (Kidney transplant) के बाद रोगी को डायबिटीज होने की संभावना कितनी होती है?

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किडनी ट्रांसप्लांट के बाद डायबिटीज का रिस्क

डायबिटीज पेशेंट्स और किडनी ट्रांसप्लांट  (Kidney transplant in diabetes patients)के बीच में कनेक्शन को आप जान ही चुके होंगे। अब जानिए किन स्थितियों में ट्रांसप्लांट के बाद डायबिटीज का रिस्क बढ़ सकता है? इसका एक कारण कुछ दवाईयां हैं। ट्रांसप्लांट के बाद रोगी को कुछ दवाईयां दी जाती हैं, जिन्हें एंटी रिजेक्शन मेडिसिन (Anti-rejection medicines) या इम्यूनोस्प्रेसन्ट्स (Immunosupressants) कहा जाता है। यह मेडिसिन्स शरीर द्वारा ट्रांसप्लांट किए ऑर्गन यानी किडनी को रिजेक्ट करने से बचाती हैं। आमतौर पर हमारा शरीर उस हर एक चीज से लड़ता है, जो इसका भाग नहीं होता जैसे जर्म्स (Germs) या वायरस (Virus)।

हमारा इम्यून सिस्टम (Immune System) नए ऑर्गन को एक फोरेनर यानी हानिकारक चीज के रूप में देखता है और उसे नष्ट करने की कोशिश करता है। हमारे शरीर का जो सिस्टम इससे हमारी रक्षा करता है, उसे इम्यून सिस्टम कहा जाता है। एंटी रिजेक्शन मेडिसिन (Anti-rejection medicines) हमारे इम्यून सिस्टम को कम एक्टिव रखती है। इस समस्या से बचने के लिए रोगी को कुछ दवाईयां दी जाती हैं, जो डायबिटीज का कारण बन सकती हैं। अब जानते हैं कि इस दवाई के अलावा कौन से अन्य फैक्टर किडनी ट्रांसप्लांटेशन के बाद या पहले डायबिटीज के जोखिम को बढ़ा सकते हैं।

डायबिटीज पेशेंट्स और किडनी ट्रांसप्लांट

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कौन से अन्य जोखिम डायबिटीज को बढ़ाते हैं?

इन दवाईयों के अलावा भी अन्य कई फैक्टर्स हैं जो डायबिटीज के जोखिम को बढ़ाते हैं। कई अन्य कारणों से रोगी में डायबिटीज का जोखिम बढ़ सकता है। इनमें कुछ चीजें तो बदली नहीं जा सकती। जैसे रोगी की उम्र, फैमिली हिस्ट्री आदि लेकिन अन्य चीजों को आप बदल सकते हैं। जानिए कौन से हैं सामान्य फैक्टर्स जो डायबिटीज से जुड़े हुए हैं:

इसके अलावा भी अन्य कुछ कारण हो सकते हैं जो डायबिटीज का कारण बन सकते हैं। हाय ब्लड शुगर (High Blood Sugar) लेवल होने से केवल किडनी डिजीज ही नहीं बल्कि हार्ट, नर्वस, पैर, आंखें, ब्लड वेसल्स आदि भी डैमेज हो सकते हैं। अब जानिए डायबिटीज के गंभीर लक्षणों के बारे में।

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डायबिटीज पेशेंट्स और किडनी ट्रांसप्लांट : डायबिटीज के गंभीर लक्षण क्या हो सकते हैं?

डायबिटीज पेशेंट्स और किडनी ट्रांसप्लांट (Kidney transplant in diabetes patients) के बारे में आपको पूरी जानकारी होना जरूरी है। ताकि आप इसके भयानक लक्षणों को सही समय पर पहचान पाएं। हो सकता है कि डायबिटीज पेशेंट्स को किडनी ट्रांसप्लांट (Kidney transplant) के बाद कुछ गंभीर लक्षणों का सामना करना पड़े। लेकिन, ऐसा भी हो सकता है कि उन्हें कोई भी लक्षण नजर न आएं। हालांकि, हर रोगी को यह गंभीर लक्षण नजर नहीं आते हैं। ऐसे में जरूरी है डायबिटीज पेशेंट्स और किडनी ट्रांसप्लांट (Kidney transplant in diabetes patients) के बाद रोगी नियमित रूप से अपनी डायबिटीज की जांच कराए। डायबिटीज को साइलेंट डिजीज (Silent disease) भी कहा जाता है। क्योंकि, अधिकतर रोगियों को इसका कोई भी लक्षण नजर नहीं आता है। इसके कुछ भयानक लक्षण इस प्रकार हैं:

इन स्थितियों में तुरंत आपको डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए और अपनी डायबिटीज को कंट्रोल में रखने की कोशिश करनी चाहिए।

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डायबिटीज पेशेंट्स और किडनी ट्रांसप्लांट : किडनी ट्रांसप्लांट के बाद डायबिटीज को कैसे कंट्रोल किया जा सकता है?

मेडलाइनप्लस (MedlinePlus) के अनुसार अगर आपको डायबिटीज की समस्या है, तो नियमित किडनी डिजीज की स्क्रीनिंग कराना जरूरी है। इसके टेस्ट्स में यूरिन टेस्ट (Urine Test) शामिल है, जिसे यूरिन में प्रोटीन को डिटेक्ट करने के लिए किया जाता है। इसके साथ ही ब्लड टेस्ट से इस बात का पता चलता है कि आपकी किडनी कितने अच्छे से काम कर रही है। लेकिन, अगर किडनी डैमेज ऐसे ही होता रहता है, तो किडनी फेल हो सकती है। जिसके लिए किडनी ट्रांसप्लांट (Kidney transplant) जरूरी है। लेकिन, कुछ तरीकों से डायबिटीज को कंट्रोल किया जा सकता है। इससे आप डायबिटीज के कारण होने वाली किडनी डिजीज और किडनी ट्रांसप्लांटेशन से बच सकते हैं। यह तरीके इस प्रकार हैं:

  • हेल्दी आहार का सेवन करें (Eat Healthy Diet): अगर आप डायबिटीज को कंट्रोल करना चाहते हैं, तो आपको हमेशा हेल्दी आहार का सेवन करना चाहिए। अपने आहार में फलों, सब्जियों और साबुत अनाज की मात्रा अधिक रखें। जबकि फैट्स और शुगरी आहार का सेवन कम से कम करें। इसके लिए आप डॉक्टर और अपने डायटीशियन की सलाह भी ले सकते हैं।
  • शारीरिक रूप से एक्टिव रहें (Be Active): शारीरिक रूप से एक्टिव रहना और नियमित व्यायाम करना डायबिटीज को कंट्रोल करने के लिए बेहद जरूरी है। इसके लिए दिन में कम से कम तीस मिनट अवश्य निकालें।
  • वजन को सही बनाए रखें (Maintain Right Weight): अगर आप डायबिटीज को कंट्रोल करना चाहते हैं, तो आपके वजन का संतुलित होना बेहद जरूरी है। इसके लिए आप अपने खानपान का ध्यान रखें और व्यायाम करें। इसके लिए भी आप अपने डॉक्टर की मदद ले सकते हैं।
  • तनाव से बचें (Avoid Stress): क्योंकि, तनाव भी डायबिटीज का एक कारण हो सकता है। इसके लिए आप मेडिटेशन और योगा का सहारा ले सकते हैं।
  • रिस्क फैक्टर्स को कंट्रोल में रखें(Control Risk Factors): अपनी ब्लड शुगर, ब्लड प्रेशर और ब्लड फैट्स को कंट्रोल में रखें।
  • डायबिटीज की नियमित जांच (Check your Diabetes Regularly): नियमित रूप से डायबिटीज की जांच कराएं। यही नहीं, डॉक्टर द्वारा दी गई दवाईयों का बताए अनुसार सेवन करना जरूरी है।

क्या आप जानते हैं कि डायबिटीज को रिवर्स कैसे कर सकते हैं? तो खेलिए यह क्विज!

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यह तो थी डायबिटीज पेशेंट्स और किडनी ट्रांसप्लांट (Kidney transplant in diabetes patients) के बारे में पूरी जानकारी। यह बात तो आप समझ ही गए होंगे कि डायबिटीज के रोगियों में किडनी डिजीज का जोखिम अधिक होता है और इस समस्या के बढ़ने पर किडनी ट्रांसप्लांट जरूरी है। वहीं, कई मामलों में किडनी ट्रांसप्लांट (Kidney transplant) के बाद रोगी को दी जाने वाली दवाईयां भी ब्लड शुगर के बढ़ने का कारण हो सकती हैं। किडनी डिजीज से बचने के लिए आपको अपनी डायबिटीज को कंट्रोल में रखना बेहद जरूरी है। वहीं, अगर किडनी ट्रांसप्लांट (Kidney transplant) के बाद आपको डायबिटीज होती है, तो भी डॉक्टर आपको हेल्दी लाइफस्टाइल अपनाने की सलाह देंगे।

डायबिटीज और डायबिटीज के किसी भी लक्षण को नजरअंदाज न करें। क्योंकि, यह न केवल किडनी डिजीज बल्कि कई अन्य गंभीर समस्याओं का कारण भी बन सकती है। इसके लिए समय-समय पर अपनी डायबिटीज की जांच अवश्य कराएं। अगर आपके दिमाग में डायबिटीज पेशेंट्स और किडनी ट्रांसप्लांट (Kidney transplant in diabetes patients) से संबंधित कोई भी सवाल है तो डॉक्टर की सलाह अवश्य लें। उम्मीद है आपको यह जानकारी पसंद आई होगी। अगर आपको इस संबंध में अधिक जानकारी चाहिए, तो हमसे जरूर पूछें। हम आपके सवालों के जवाब अपने मेडिकल एक्सर्ट्स द्वारा दिलाने की कोशिश करेंगे।

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डिस्क्लेमर

हैलो हेल्थ ग्रुप हेल्थ सलाह, निदान और इलाज इत्यादि सेवाएं नहीं देता।

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Current Version

21/12/2021

Nikhil deore द्वारा लिखित

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड Sayali Chaudhari

Updated by: Nikhil deore


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Sayali Chaudhari

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Nikhil deore द्वारा लिखित · अपडेटेड 21/12/2021

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