अपान मुद्रा दो शब्दों को मिलाकर बना है। इसके तहत अपान का अर्थ वात से है, जो हमारे शरीर के लोअर एब्डॉमिन में होता है। वहीं मुद्रा का अर्थ जेश्चर, सील, मार्क और पोज से है। इसे पाचन शक्ति की मुद्रा भी कहा जाता है। मुद्रा ऑफ डायजेशन के नाम से भी यह काफी प्रसिद्ध है। एक्सपर्ट बताते हैं कि इस मुद्रा को कर हम शरीर में वायु और स्पेस से जुड़ी जटिलताओं और समस्याओं का समाधान कर सकते हैं। लेकिन यह ध्यान रखें की अपान मुद्रा (Apaan Mudra) नौसिखिए लोगों के लिए नहीं हैं, क्योंकि योग व प्राणायाम कर पहले शारीरिक कमियों को दूर करने के बाद जब आप तमाम आसन व योग मुद्राओं में परिपक्व हो जाते हैं, तो इस मुद्रा की ओर रुख करना चाहिए। अपान मुद्रा को मानसिक शक्ति के बल पर किया जाए, तो इसके अपार फायदे मिलते हैं। इस आर्टिकल में हम एक्सपर्ट की मदद से अपान मुद्रा के बारे में जानने के साथ इसे कैसे किया जाए और इसके फायदों के साथ नुकसान और किसे यह आसन परफॉर्म नहीं करना चाहिए यह जानने की कोशिश करते हैं।
हमारे डायजेशन को सुधारने में करता है मदद
रांची के रहने वाले और नालंदा यूनिवर्सिटी से पीजीडीवाईसी कर चुके व वर्तमान में वियतनाम में सीनियर योगा इंस्ट्रक्टर के तौर पर काम कर रहे अजीत कुमार सिंह बताते हैं कि अपान मुद्रा (Apaan Mudra) को कर हम डायजेशन सिस्टम को सुधार सकते हैं। लेकिन इस मुद्रा को करने के लिए सालों की मेहनत लगी होती है। यह तभी संभव है जब आप योगासन व प्राणायाम आदि कर पूरी तरह स्वस्थ्य हैं, तब मानसिक शक्ति के बल पर इस आसन को कर इसके फायदे उठाए जा सकते हैं। बहरहाल, यह अपान मुद्रा शरीर के डायजेशन को ठीक करने के साथ शरीर से विषाक्त निकालने में भी मदद करता है। वहीं यह डायजेशन के साथ मेटॉबॉलिज्म के लिए भी बेस्ट माना जाता है।
अपान मुद्रा हमारे शरीर में आकाश और पृथ्वी एलीमेंट का बैलेंस बनाने में मदद करता है। आयुर्वेद के अनुसार अपान मुद्रा हमारे शरीर में वात व कल्प दोष को बढ़ाने के साथ पित्त दोष को कम करता है, ऐसे में शरीर के तीन दोष को बैलेंस करने का काम करता है।
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जानिए कैसे करता है यह काम
अपान मुद्रा (Apaan Mudra) को करने से हमारा शरीर सुचारू रूप से काम करता है। क्योंकि यह शरीर में उत्सर्जन प्रणाली को नियंत्रित करता है। वहीं शरीर से विषाक्त पदार्थों को दूर करता है। एक्सपर्ट बताते हैं कि चायनीज फिलॉसिफी और प्रमोटर्स के अनुसार अपान मुद्रा का संबंध वुड एलीमेंट से है। यदि आप अपने जीवन में कुछ बदलाव चाहते हैं, तो इस मुद्रा को कर आप जीवन में बदलाव हासिल कर सकते हैं।
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जानें कैसे करें अपान मुद्रा (Apaan Mudra) को परफॉर्म
- मैदान या फिर कुर्सी पर आराम की मुद्रा में बैठे। आप चाहें तो आसन ग्रहण भी कर सकते हैं।
- अपने दोनों हाथों को बाहर की ओर निकालते हुए उन्हें अपनी जांघ पर रखें, वहीं हाथ आकाश की ओर हो यह ध्यान रखें।
- इसके बाद अंगूठे के ऊपरी छोर को मीडिल और रिंग फिंगर से टच करें। वहीं इस दौरान इंडेक्स और लिटिल फिंगर को पूरी तरह स्ट्रेच करें।
- ऐसा दोनों हाथों के साथ करें।
- इस आसन को करने के दौरान अपनी आंखों को बंद रखें।
- धीरे-धीरे कर श्वांस लें, श्वांस पर ध्यान केंद्रीत करें।
- आप चाहें, तो अपने आगे कैंडल रखकर उसपर ध्यान केंद्रित करते हुए अपान मुद्रा को परफॉर्म कर सकते हैं।
- ध्यान रखें कि इस मुद्रा को करीब 5 से 15 मिनटों तक करें। वहीं इसे दो से तीन बार कर करीब 45 मिनटों तक रोजाना कर सकते हैं। ऐसा कर आपको इसका काफी फायदा मिलेगा।
अपान मुद्रा (Apaan Mudra) के फायदों पर एक नजर
रांची के रहने वाले और नालंदा यूनिवर्सिटी से पीजीडीवाईसी कर चुके व वर्तमान में वियतनाम में सीनियर योगा इंस्ट्रक्टर के तौर पर काम कर रहे अजीत कुमार सिंह बताते हैं कि अपान मुद्रा को करने से शरीर से टॉक्सिन निकलता है, यानि शरीर से विशाक्त पदार्थ निकल जाता है। वहीं हमारे शरीर की स्ट्रेंथ को मजबूत करने का भी काम करता है। अपान मुद्रा हमारे डायजेशन सिस्टम को मजबूत करने के साथ शरीर से बीमारियों को दूर करने में मदद करता है। खासतौर पर यह पेट संबंधी रोग जैसे इनडायजेशन, कब्जियत, पाइल्स, उल्टी आदि समस्याओं को दूर करता है। एक्सपर्ट की सलाह के अनुसार यदि इसे नियमित तौर पर किया जाए तो इससे हमें शांति महसूस होती है।
अपान मुद्रा एनर्जी मुद्रा का प्रतीक होता है। ऐसे में यह शरीर के गॉलब्लैडर और लिवर को एनर्जी प्रदान करता है। ऐसा शरीर के वेस्टेज को निकालकर यह प्रदान करता है। शरीर में आंखों की रोशनी में सुधार लाने के साथ घावों को भरने में भी मदद करता है। इतना ही नहीं यह डेंटल हेल्थ के लिए भी काफी लाभकारी होता है। लेकिन सबसे अहम यह है कि अपान मुद्रा को कम और कैसे करें इसके लिए आपको एक्सपर्ट की सलाह लेनी चाहिए। उनके बताए दिशा-निर्देशों का पालन कर आप इस मुद्रा को परफॉर्म कर सकते हैं।
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जानें अपान मुद्रा के अन्य फायदें
- आप इसे प्राण मुद्रा के साथ प्रैक्टिस कर सकते हैं।
- महिलाओं में मासिक धर्म से जुड़ी परेशानियों को कम करता है।
- दिल के लिए काफी लाभकारी होता है। जिन लोगों को सीने में दर्द होता है यदि वो इसे परफॉर्म करें, तो उन्हें काफी लाभ मिलता है। कार्डिएक मालफंक्शन में यह काफी उपयोगी है
- गर्भवती महिलाएं यदि इसे करें, तो उन्हें प्रेग्नेंसी प्लानिंग में परेशानी नहीं होती है। वहीं शिशु के जन्म में किसी प्रकार की समस्या भी नहीं आती है।
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जानें कौन करें और इसका क्या है नुकसान
एक्सपर्ट अजीत बताते हैं कि योगा या फिर आसन और मुद्राओं को हम बीमारियों से बचाव के लिए करते हैं। ऐसे में यदि आप किसी प्रकार की बीमारी से ग्रसित हैं, तो इसे परफॉर्म नहीं करना चाहिए। वहीं गर्भावस्था के दौरान यदि आपको किसी प्रकार की परेशानी है, तो उस अवस्था में भी आपको अपान मुद्रा को परफॉर्म नहीं करना चाहिए।
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ध्यान देने योग्य बातें
अपान मुद्रा (Apaan Mudra) को करने से शरीर के निचले भाग में तेज एनर्जी का प्रवाह होता है। ऐसे में गर्भवती महिलाओं को आठवें महीने के शुरुआती दौर में इस मुद्रा को नहीं करना चाहिए। यदि वो इस अवस्था में अपान मुद्रा को परफॉर्म करती हैं तो संभावनाएं रहती है कि कहीं मिसकैरेज न हो जाए। इसके बाद के समय में किया जाए तो सामान्य डिलीवरी होती है। ऐसे में इसे कब और कैसे परफॉर्म करना है इसको लेकर गर्भवती महिलाओं को योगा एक्सपर्ट की सलाह जरूर लेनी चाहिए। वहीं उनके निर्देशन में इसे किया जाए तो बेहतर होता है।
इसके अलावा वैसे लोग जो कोलेरा, डायरिया, कोलाइटिस आदि की बीमारी से ग्रसित हैं, वैसे लोगों को यह आसन परफॉर्म नहीं करना चाहिए। उन्हें किसी प्रकार की समस्या हो सकती है।
अपान मुद्रा (Apaan Mudra) को करने से पहले लें एक्सपर्ट की राय
एक्सपर्ट बताते हैं कि वैसे तो इस आसन को सभी उम्र के लोग परफॉर्म कर स्वास्थ्य लाभ उठा सकते हैं। लेकिन इसे करने के लिए सालों की प्रैक्टिस चाहिए होती है। इसलिए जरूरी है कि बिना एक्सपर्ट की सलाह और उनके मार्गदर्शन के इसे परफॉर्म नहीं करना चाहिए। वहीं यदि आप नियमित तौर पर योगाभ्यास करते हैं और आपको किसी प्रकार की बीमारी नहीं है तो उस स्थिति में आप अपान मुद्रा को कर इसके फायदों को उठा सकते हैं।
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