एक उम्र के बाद अर्थराइटिस के दर्द की शिकायत ज्यादातर लोगों में देखने को मिलती है। अर्थराइटिस की बीमारी के कई प्रकार हैं। सभी प्रकार के अर्थराइटिस में एक बात सामान्य यह है कि सभी बीमारियों में दर्द होता है। वर्तमान में कुछ प्राकृतिक घरेलू नुस्खें हैं जिन्हें अपनाकर दर्द से काफी हद तक निजात पाया जा सकता है। कुछ पारंपरिक इलाज पद्दिति भी हैं, जिनका इस्तेमाल सदियों से अर्थराइटिस के दर्द से निजात पाने के लिए किया जाता रहता है। तो आइए इस आर्टिकल में हम अर्थराइटिस से आराम पाने के तेल व सप्लीमेंट के बारे में जानने के साथ उन तरीकों व पद्दिति के बारे में जानते हैं, जिन्हें अपनाकर अर्थराइटिस के दर्द से निजात पाया जा सकता है।
प्रकृति ने हमें काफी कुछ दिया है, सही ज्ञान व दिशा के बल पर हम कई प्रकार की समस्याओं का हल आसानी से कर सकते हैं। कुछ हर्ब ऐसे भी हैं जिनमें एंटी इंफ्लेमेटरी प्रापर्टी (anti-inflammatory properties) होती है, जिनकी मदद से रुमेटॉयड अर्थराइटिस (आरए) (rheumatoid arthritis) और ऑस्टियोअर्थराइटिस (ओए) ( osteoarthritis ) की बीमारी से निजात पाया जा सकता है। मौजूदा दौर में इस विषय पर काफी कम ही साइंटिफिक शोध हुए हैं। इनमें से कुछ में नकारात्मक प्रभाव भी देखने को मिलते हैं। कुल मिलाकर कहें तो प्राकृतिक घरेलू उपचार को आजमाने के पहले जरूरी है कि डॉक्टरी सलाह लें या फिर हर्बलिस्ट की सलाह ली जाए। ताकि उसके दुष्परिणाम न आए। तो आइए इस आर्टिकल में हम अर्थराइटिस से आराम पाने के तेल व सप्लीमेंट के बारे में जानते हैं।
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अर्थराइटिस के दर्द से निजात के लिए हल्दी है असरदार
अर्थराइटिस से आराम पाने के तेल व सप्लीमेंट में आप चाहें तो हल्दी का इस्तेमाल कर सकते हैं। हल्दी पौधे से निकलता है। इसका इस्तेमाल खाना बनाने के साथ चाय बनाने के इस्तेमाल में लाया जाता है। खाने में जहां यह रंग प्रदान करता है वहीं इसका पीला रंग खाने को आकर्षक बनाता है। हल्दी में सबसे अहम एंटी इंफ्लेमेटरी प्रापर्टी पाई जाती है। चायनीज मेडिसिन के साथ आयुर्वेदिक मेडिसिन में हल्दी का इस्तेमाल सदियों से किया जाता रहा है। यह हमें रुमेटॉयड अर्थराइटिस (आरए) (rheumatoid arthritis) और ऑस्टियोअर्थराइटिस (ओए) ( osteoarthritis ) की बीमारी के साथ अर्थराइटिस के विभिन्न कंडीशन से निजात दिलाने में मदद करता है।
हल्दी इन प्रकार से है उपलब्ध
- पाउडर के रूप में, जिसे सब्जियों में डाला जाता है
- टी बैग में
- सप्लीमेंट के रूप में, जिसे मुंह से सेवन किया जाता है
हल्दी पर कई और शोध होने चाहिए, तभी इसके प्रभाव को अच्छे से जाना जा सकेगा। 2016 में क्लीनिकल गाइडेंस साइटिफिक लिट्रेचर (इंफो फॉर प्लांट्स) एनसीसीआईएच में छपे शोध के अनुसार हल्दी का सेवन करना व्यस्कों के लिए सुरक्षित है, लेकिन लंबे समय तक यदि कोई व्यस्क हल्दी के ज्यादा डोज का सेवन करता है तो उसे गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल अपसेट (gastrointestinal upset) की समस्या हो सकती है।
रुमेटॉयड अर्थराइटिस के बारे में जानने के लिए खेलें क्विज : Quiz: रयूमेटाइड अर्थराइटिस के कारण शरीर के किन अंगों को हो सकता है नुकसान?
विलो की छाल है कारगर (Willow bark)
सदियों पहले से दर्द और जलन का इलाज करने के लिए विलो की छाल का इतेमाल किया जाता रहा है। अर्थराइटिस से आराम पाने के तेल व सप्लीमेंट में यह भी अहम तत्व है, जिसका इस्तेमाल एक्सपर्ट की सलाह के अनुसार किया जा सकता है। लोग चाहें तो इसका सेवन चाय के रूप में करने के साथ टेबलेट के रूप में कर सकते हैं।
नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन में छपे शोध अ सिस्टमेटिक रिव्यू ऑफ इफेक्टिवनेस ऑफ येल्लो बार्क के अनुसार विलो की छाल में कई ऐसे गुण मौजूद होते हैं, जिसकी मदद से रुमेटॉयड अर्थराइटिस (आरए) (rheumatoid arthritis) और ऑस्टियोअर्थराइटिस (ओए) ( osteoarthritis ) के कारण होने वाले ज्वाइंट पेन से निजात दिलाया जा सकता है। लेकिन इस विषय पर कई और शोध होने की संभावनाएं है। क्योंकि यह सभी आयु वर्ग के लिए सुरक्षित नहीं है। इसलिए इसका सेवन करने के पूर्व डॉक्टरी सलाह लेना आवश्यक है।
इसका सेवन करने से हो सकते हैं यह साइड इफेक्ट्स
- हाई ब्लड प्रेशर
- ओवरडोज की स्थिति में स्टमक अल्सर और ब्लीडिंग की संभावनाएं
- पेट का ठीक न रहना (stomach upset)
- एलर्जिक रिएक्शन, खासतौर पर तब जब आपको एस्पिरिन (aspirin) जैसी दवा के कारण रिएक्शन हो
ऐसे में विलो की छाल का सेवन करने के पूर्व डॉक्टरी सलाह लेनी चाहिए। खासतौर पर तब जब आपको स्टमक अल्सर की बीमारी हो व आप खून को पतला करने के लिए दवा का सेवन करते हो। यदि आपको एस्पिरिन की दवा से एलर्जी है तो उस स्थिति में इस औषधी का सेवन नहीं करना चाहिए।
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एलोवेरा का करें सेवन
एलोपैथी की दवाओं के विपरीत एलोवेरा हर्ब का ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है। अर्थराइटिस से आराम पाने के तेल व सप्लीमेंट में इसका सेवन भी किया जाता है। यह कई प्रकार से उपलब्ध है, दवा, पाउडर, जेल व पत्तों के रूप में। इस हर्ब में घाव को भरने की क्षमता होती है। इस हर्ब का इस्तेमाल छोटे-छोटे स्किन संबंधी घावों को भरने के लिए किया जाता है, जैसे सनबर्न, ज्वाइंट पेन व अन्य।
इस हर्ब से होने वाले अन्य फायदें
- इस हर्ब में एंटी इंफ्लेमेटरी प्रॉपर्टी होती है
- इस हर्ब का सेवन करने से किसी प्रकार का गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल इफेक्ट नहीं होता है, वहीं यह नॉन स्टेरॉयडल एंटी इंफ्लेमेटरी ड्रग्स (एनएआईडी) की श्रेणी में आता है, इसका इस्तेमाल अर्थराइटिस के दर्द से निजात पाने के लिए किया जाता है।
एक्सपर्ट की सलाह लेकर इसे सीधे स्किन पर लगाकर दर्द से निजात पा सकते हैं। कुछ शोध हमें यह सलाह देते हैं कि एलोवेरा का मुंह से सेवन करने से ऑस्टियोअर्थराइटिस के दर्द से निजात मिलता है। द नेशनल सेंटर फॉर कंप्लीमेंटरी एंड इंटरग्रेटिव हेल्थ (एनसीसीआईएच- The National Center for Complementary and Integrative Health (NCCIH)) के अनुसार एलोवेरा का सेवन करना सुरक्षित होता है, लेकिन कुछ लोगों में देखा गया है कि जब इसका मुंह से सेवन किया जाए तो कुछ साइड इफेक्ट हो सकते हैं। लोअर ग्लूकोज लेवल और कुछ डायबिटीज की दवा के साथ एलोवेरा रिएक्शन कर सकती है। इसलिए एक्सपर्ट की राय लेकर ही इसका सेवन करना उचित होता है।
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बोसवेलिया का करें सेवन
परंपरागत इलाज पद्दिति में एक्सपर्ट बोसवेलिया सेराटा (Boswellia serrata) का इस्तेमाल करते थे। अर्थराइटिस से आराम पाने के तेल व सप्लीमेंट में इसका इस्तेमाल किया जा सकता है, क्योंकि इसमें इंटी इंफ्लेमेटरी प्रॉपर्टी होती है। भारत में पाए जाने वाले बोसवेलिया पेड़ से यह मिलता है। 2011 में एनसीबीआई की एक रिपोर्ट बोसवेलिया सेराटा, अ पोटेंशियल एंटीइंफ्लेमेटरी एजेंट (Boswellia Serrata, A Potential Antiinflammatory Agent: An Overview) के अनुसार बोसवेलिक एसिड में एंटी इंफ्लेमेटरी प्रॉपर्टी होती है, जो रुमेटॉयड अर्थराइटिस व ऑस्टियोअर्थराइटिस की बीमारी से निजात दिलाता है। इंसानों पर किए गए शोध से पता चला कि इसका कैप्सूल लेने से दर्द से राहत मिलती है, स्टिफनेस से आराम मिलता है। लेकिन इसपर और शोध की आवश्यकता है।
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नीलगिरी (यूकलिप्टस) का पेड़ है कारगर
अर्थराइटिस से आराम पाने के तेल व सप्लीमेंट में यूकलिप्टस का पेड़ कारगर है। अर्थराइटिस के दर्द से निजात दिलाने के लिए यूकलिप्टस के पत्तों का इस्तेमाल घरेलू उपचार के तौर पर किया जाता है। इसके पत्ते में ऐसे तत्व पाए जाते हैं जो अर्थराइटिस की बीमारी के कारण होने वाले सूजन को कम करता है। ज्यादा असर पाने के लिए कई लोग हीट पैड का भी इस्तेमाल करते हैं। इसका तेल भी मौजूद है, जिसे अन्य तेल में मिलाकर जोड़ों में लगाया जाता है। लेकिन एक्सपर्ट की सलाह लेकर इसका इस्तेमाल करना चाहिए।
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अदरक है असरदार
अदरक का इस्तेमाल अर्थराइटिस से आराम पाने के तेल व सप्लीमेंट के रूप में किया जा सकता है। इसके कई मेडिकल बेनिफिट्स हैं। शोध से पता चला है कि इसमें एंटी इंफ्लेमेटरी प्रॉपर्टी होती है। कुछ शोध का यह दावा है कि आने वाले दिनों में अदरक नॉन स्टेरॉयडल एंटी इंफ्लेमेटरी ड्रग्स की श्रेणी में आएगा। जी मचलाने से निजात पाने के लिए अदरक का सदियों से इस्तेमाल किया जाता रहा है। वहीं इसका इस्तेमाल रुमेटॉयड अर्थराइटिस, ऑस्टियोअर्थराइटिस और दर्द से निजात पाने के लिए भी किया जाता है।
इन तरीकों से अदरक का कर सकते हैं सेवन
- चाय में अदरक को डालकर उसे उबालकर करें सेवन
- खाद्य पदार्थों में अदरक के पाउडर को डालकर
- अदरक को काटकर उसे खाद्य पदार्थों में डालकर सेवन कर
- सलाद में अदरक को डालकर सेवन कर
ग्रीन टी भी है फायदेमंद
ग्रीन टी का इस्तेमाल अर्थराइटिस से आराम पाने के तेल व सप्लीमेंट के तौर पर किया जा सकता है। इसमें एंटीऑक्सीडेंट प्रॉपर्टी होती है। जो रुमेटॉयड अर्थराइटिस और ऑस्टियोअर्थराइटिस के दर्द से निजात दिलाता है।
ऐसे कर सकते हैं ग्रीन टी का सेवन
- बेवरेज के तौर पर
- खाद्य पदार्थों पर छिड़ककर
- सप्लीमेंट के तौर पर
ग्रीन टी का एक कप का सेवन करने से अर्थराइटिस के लक्षणों में आराम दिखता है। लेकिन इस दिशा में और शोध होने बाकी है।
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इन उपायों को भी आजमाएं
अर्थराइटिस से आराम पाने के तेल व सप्लीमेंट के बारे में हमने इस आर्टिकल में जाना। लेकिन सिर्फ हर्बल सप्लीमेंट का सेवन कर व अन्य तरीकों से इस्तेमाल कर हम अर्थराइटिस के दर्द से निजात नहीं पा सकते। अमेरिकन कॉलेज ऑफ रुमेटोलॉजी एंड द अर्थराइटिस फाउंडेशन के एक्सपर्ट बताते हैं कि इन तरीकों को आजमाकर भी अर्थराइटिस की समस्या से निजात पाया जा सकता है, जैसे
- वेट मैनेजमेंट
- एक्सरसाइज, योगा कर
- स्ट्रेस मैनेजमेंट
- हेल्दी डायट
- एक्यूपंक्चर
हमेशा हर्बल दवा व सप्लीमेंट की ओर रुख करने के पहले अपने डॉक्टर या हर्बलिस्ट की सलाह जरूर लेनी चाहिए। तब जाकर सेवन व इस्तेमाल करना चाहिए। नहीं तो इसके परिणाम घातक हो सकते हैं।
इस विषय पर अधिक जानकारी के लिए डॉक्टरी सलाह लें। हैलो हेल्थ ग्रुप चिकित्सा सलाह, निदान या उपचार प्रदान नहीं करता है।