कई बार हमें पेट में जलन का अहसास होता है लेकिन, हम उसे एसिडिक फूड खाने से होने वाली प्रॉब्लम समझकर इग्नोर कर देते हैं। यह इंफ्लमेटरी बाउल डिजीज का संकेत हो सकता है। इसमें डायजेस्टिव सिस्टम बिगड़ जाता है। क्रोन डिजीज (Crohn’s Disease) और अल्सरेटिव कोलाइटिस (Ulcerative Colitis) को एक साथ इंफ्लमेटरी बाउल डिजीज (Inflammatory bowel disease) या आईबीडी कहते हैं। इन दोनों बीमारियों के लक्षण एक जैसे ही हैं इनमें अंतर कर पाना मुश्किल है। इस आर्टिकल में जानिए इंफ्लमेटरी बाउल डिजीज के लक्षण कारण और उपाय।
इंफ्लमेटरी बाउल डिजीज के लक्षण क्या हैं? (Symptoms of Inflammatory Bowel Disease)
इंफ्लमेटरी बाउल डिजीज होने पर ऐसे लक्षण नजर आ सकते हैं। इन लक्षणों को इग्नोर नहीं करना चाहिए। आर्टिकल में आगे समझेंगे इंफ्लमेटरी बाउल डिजीज किन कारणों की वजह से होने वाली बीमारी है।
इंफ्लमेटरी बाउल डिजीज के कारण क्या हैं? (Cause of Inflammatory Bowel Disease)
आमतौर पर इम्यून सिस्टम (Immune system) का काम बाहरी पैथोजन (बीमारी फैलाने वाले बैक्टीरिया, वायरस आदि) से लड़ना होता है, लेकिन इंफ्लमेटरी बाउल डिजीज होने पर ऐसा नहीं होगा और इम्यून सिस्टम अपने शरीर की कोशिकाओं को ही नष्ट करने लगेगा। वातावरण में किसी भी प्रभाव को सही ढंग से न समझ पाने पर इम्यून सिस्टम अपने ही सिस्टम की सेल्स को हानि पहुंचाने लगेगा। अगर आपके परिवार में किसी को IBD की समस्या है तो भी आपको ये बीमारी हो सकती है।
इंफ्लमेटरी बाउल डिजीज की जांच कैसे की जा सकती है? (Diagnosis of Inflammatory Bowel Disease)
IBD है या नहीं इसे पता करने के बहुत से तरीके हैं जैसे कि :
- एंडोस्कोपी (Endoscopy)n(Crohn’s Disease) हीं इसे पता करने के बहुत से तरीके हैं जैसे कि :
- कोलोनोस्कोपी(Colonoscopy) (Ulcerative Colitis)
- कंट्रास्ट रेडियोग्राफी (Contrast Radiography)
- मैग्नेटिक रेजोनेंस इमेजिंग (Magnetic Resonance Imaging)
- कम्प्यूटेड टोमोग्राफी (CT Scan)
इन सभी के साथ स्टूल एनलिसिस से भी डॉक्टर IBD के होने या न होने का पता लगाया जा सकता है।
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इंफ्लमेटरी बाउल डिजीज का इलाज कैसे संभव है? (Treatment for Inflammatory Bowel Disease)
अमीनोसाइलिसिलेट (Aminosalicylate), इम्मूयनोसप्प्रेसेंट (Immunosuppressant) और कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स (Corticosteroids) की मदद से इंफ्लमेटरी बाउल डिजीज का इलाज किया जा सकता है। कई बार डॉक्टर आपको वैक्सिनेशन (टीका) की भी सलाह दे सकते हैं। वैक्सिनेशन की मदद से संक्रमण के खतरे को कम करने में मदद मिलती है। कुछ समय पहले तक गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल ट्रैक्ट के कुछ हिस्सो को सर्जरी की मदद से भी इलाज किया जाता था, लेकिन हाल ही में दवाइयों के क्षेत्र में आए आधुनिक बदलावों ने सर्जरी कम करने की जरूरत पड़ती है और दवाओं से ही इस तकलीफ को दूर किया जा सकता है।
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इसके अलावा जीवनशैली में बदलाव करके और समय- समय पर हेल्थ चेकअप करवाकर भी आप IBD के खतरे को कम कर सकते हैं :
खाने के पैटर्न में लाएं ये बदलाव
- दूध से बनी हुई चीजों के अधिक सेवन से बचें।
- कम वसा युक्त खाना खाएं।
- फायबर युक्त भोजन करें।
- बर्गर, चाऊमीन और फास्ट फूड न खाएं।
- एल्कोहॉल, सिगरेट और नशीले पदार्थों का सेवन न करें।
इन बातों का भी रखें ख्याल
- योग को अपनी जीवनशैली का हिस्सा बनाएं।
- व्यायाम करें।
- बहुत अधिक तनाव लेने से बचें।
इसके साथ ही निम्नलिखित चीजों से भी इंफ्लमेटरी बाउल डिजीज (IBD) पर नियंत्रण पा सकते हैं :
- प्रोबायोटिक्स
- मछली
- एलोवेरा
- हल्दी
- एक्यूपंचर
इंफ्लमेटरी बाउल डिजीज (IBD) होने पर आप शारीरिक के साथ मानसिक रूप से परेशान हो सकते हैं। डॉक्टर द्वारा बताए गए दिशा-निर्देशें को फॉलो करें। दवाओं को सही समय पर खाएं। हल्का व्यायाम पेट की परेशानियों में राहत दिलाता है। आप चाहे तो किसी सपोर्ट ग्रुप का हिस्सा भी बन सकते हैं। पेट से संबंधित किसी भी बीमारी को इग्नोर न करें।
इस विषय पर अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से संपर्क करें।
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पेट में जलन होने के अन्य कारण क्या हैं?
आपको बता दें पेट में जलन के और भी कई कारण हो सकते हैं। इसलिए जब भी आपको लगे कि आपके पेट की जलन की समस्या ठीक नहीं हो रही और समस्या ज्यादा बढ़ रही है, तो ये हाइपर एसिडिटी का संकेत भी हो सकता है। नीचे हम आपको हाइपर एसिडिटी के बारे में बताने जा रहे हैं, जो इस प्रकार हैं :
हाइपर एसिडिटी तब होती है जब पेट में मौजूद अम्ल (एसिड) खाने की नली में आ जाता है। ऐसा होने पर भी जलन महसूस होती है। ऐसा होने पर सीने में भी जलन महसूस हो सकती है। हाइपर एसिडिटी होने के भी कई कारण हो सकते हैं, जो इस प्रकार हैं :
पेट में हाइड्रोक्लोरिक एसिड (Hydrochloric acid) नामक अम्ल होता है जो भोजन को टुकड़ों में तोड़ता है। हाइड्रोक्लोरिक अम्ल जब इसोफेगस की परत से होकर गुजरता है तो सीने या पेट मे जलन महसूस होने लग जाती है, क्योंकि ये परत हाइड्रोक्लोरिक अम्ल के लिए नहीं बनी है।
बार-बार होने वाली एसिडिटी (Acidity) की समस्या को गर्ड (एसिड भाटा रोग या GERD) कहा जाता है।
- हमारे अनियमित खान पान के कारण एसिडिटी हो सकती है।
- गर्भावस्था में भी एसिड रिफ्लक्स हो जाता है और अधिक खाने की वजह से भी एसिडिटी हो सकती है।
- अधिक तले हुऐ खाद्य पदार्थ भी एसिडिटी का कारण बन सकते हैं। वसा भोजन को आंतों तक जाने की गति को धीमा कर देती है। इससे पेट में अम्ल बनने लगता है और एसिडिटी हो जाती है।
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डॉक्टर को कब दिखाना चाहिए?
नीचे बताए गए परिस्थियां होने पर डॉक्टर के पास जाना चाहिए :
- निगलने में कठिनाई या दर्द महसूस होना।
- इस रोग में बेरियम एक्स-रे, एण्डोस्कोपी, सोनोग्राफी के जरिए रोग की जटिलता का पता लगाकर उपचार शुरू किया जा सकता है। एल्यूमीनियम, कैल्शियम या मैग्नीशियम युक्त एंटीसिड का इस्तेमाल करके अम्लता ठीक हो सकती है।
- अगर एसिडिटी या पेट में जलन की समस्या अधिक गंभीर और बार-बार होने लगी है।
- अगर आपका वजन तेजी से घट रहा हो, जिसके कारण का पता न हो।
- अगर आपको छाती में दर्द के साथ-साथ गर्दन, जबड़े, पैरों और हाथों आदि में दर्द महसूस हो रहा है।
- दर्द के साथ-साथ अगर आपको सांस लेने में कठिनाई, कमजोरी, नाड़ी अनियमित होना या पसीना आने से समस्याएं हैं।
- अगर आपको बहुत तेज पेट में दर्द (Stomach pain) है।
- अगर आपको काफी समय से खांसी है या गले में घुटन जैसा महसूस होता है।
- अगर आप दो हफ्तों से भी ज्यादा समय से एंटीएसिड दवाएं ले रहे हैं, लेकिन एसिडिटी की समस्या अभी भी बनी हुई है।
- अगर आपकी बेचैनी आपकी रोजाना की जीवनशैली और गतिविधियों में बाधा डालने लगी है।
- अगर आपको दस्त की समस्या है या काले रंग का मल आता है या मल से खून आता है।
अगर आप इंफ्लमेटरी बाउल डिजीज (IBD) से जुड़े किसी तरह के कोई सवाल का जवाब जानना चाहते हैं, तो विशेषज्ञों से समझना बेहतर होगा।
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