अक्सर लोग सोचते हैं कि अपनी भावनाओं को लिखना बचकाना होता है, लेकिन असल में यह काफी स्ट्रेस बस्टिंग साबित हो सकता है। भावनाओं को लिखना या फिर डायरी लिखने के मामलों में जेंडर और उम्र मायने नहीं रखती। बरसों पहले 14 साल की बच्ची ऐनी फ्रैंक ने जो डायरी लिखी थी वो आज भी एक बेस्ट सेलर किताब है। अगर आपको डायरी लिखने के हैल्थ बेनिफिट्स के बारे में नहीं पता है तो आप काफी कुछ मिस कर रहे हैं। आइए हम आपको बताते हैं कि डायरी लिखने का आपके स्वास्थ्य पर क्या असर होता है और कैसे यह आपकी हैल्थ के लिए अच्छा साबित हो सकता है।
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डायरी लिखने से तनाव होता है कम
भागदौड़ भरी इस जिंदगी में तनाव होना आम बात है लेकिन बहुत अधिक तनाव आपके शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है। जर्नलिंग यानि की डायरी लिखना स्ट्रेस मैनेजमेंट (Stress Management) में मदद करता है। यह एक अच्छी आदत है, जो आपके स्वास्थ्य पर शारीरिक तनावों के असर को कम करता है। हाल ही में एक अध्ययन से पता चला है कि दिन में केवल 15 से 20 मिनट तक अगर आप एक्सप्रेसिव राइटिंग (जैसे जर्नलिंग) करते हैं तो यह ब्लड प्रेशर को कम करने और लिवर की बीमारियों को ठीक करने में मदद करता है। साथ ही, तनावपूर्ण अनुभवों के बारे में लिखने से यह तनावों को हेल्दी तरीके से मैनेज करने में मदद करता है। सोने से पहले डायरी लिखने की आदत एक मेडिटेशन की तरह है, जो आपको डी-स्ट्रैस यानि की आपके स्ट्रैस को कम करता है और अच्छी नींद में मदद करता है।
इम्यून फंक्शंस में मददगार है डायरी लिखना
आपको यह जानकर हैरानी होगी कि एक्सप्रेसिव राइटिंग आपके इम्यून सिस्टम को ठीक करता है और अलग-अलग बीमारियों के खतरे को भी कम कर सकता है। जो लोग जर्नल लिखते हैं वो अपने इम्यून सिस्टम में सुधार होने की बात बताते हैं, साथ ही राइटिंग से अस्थमा और रूमैटॉइड आर्थराइटिस के लक्षण भी ठीक होते हैं। एक्सप्रेसिव राइटिंग लिवर (Liver) और लंग्स (Lungs) के काम करने की क्षमता में सुधार लाने के साथ ही कई बीमारियों को कम करने की ताकत भी रखता है।
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मैमरी होती है शार्प
एक्सप्रेसिव राइटिंग आपके दिमाग को स्वस्थ रखने में मदद करता है। यह न केवल याद रखने की क्षमता को बढ़ाता है, बल्कि यह वर्किंग मैमरी क्षमता को भी बढ़ाता है, जिसका पॉजिटिव असर आपके रोजमर्रा के कामों पर पड़ता है।
मूड ठीक रखने में मिलती है मदद
अगर आप अपने जीवन में कुछ अलग और पॉजिटिव करना चाहते हैं तो जर्नलिंग (क्रीएटिव राइटिंग) के बारे में सोचें। जर्नलिंग का एक अलग परिणाम ये है कि यह आपका मूड अच्छा कर सकता है जिससे आप रिफ्रेशड महसूस करेंगे।
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भावनात्मक तौर पर होते हैं मजबूत
जैसे-जैसे आपको लिखने की आदत हो जाती है यह आपके रुटिन में शामिल हो जाता है और इसका सीधा फायदा आपको मिलने लगता हैं। डायरी लिखने वालों के लिए यह उनकी जिंदगी का एक हिस्सा बन जाता है और उनके अलग-अलग परेशानियों को कम करने का काम करता है। डायरी लिखने वालों का आत्मविश्वास बढ़ाता है और उन्हें अपनी अलग पहचान बनाने में मदद करता है। एक शोध से यह भी पता चलता है कि क्रिएटिव राइटिंग व्यक्तियों को अपने, दूसरों और दुनिया के बारे में अधिक जागरुक होने में मदद करता है।
जर्नलिंग (Creative Writing) शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक रूप से आपके लिए अच्छा है। हम में से कई लोग अपने बारे में लिखने से कतराते हैं तो जितना आपको पहली बार में समझ आए उतना ही लिखें और आज ही इसे अपनी आदतों में शामिल करें। यह ना केवल आपको मानसिक रुप से एक्टिव करता है बल्कि यह आदत आपके जीवन में एक पॉजिटिव बदलाव लेकर आती है।
डायरी लिखना अकेलेपन को करता है दूर
अगर आप डायरी लिखते हैं तो इससे आपका अकेलापन भी दूर होता है। आमतौर पर आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में किसी के लिए भी दूसरों के लिए टाइम निकालना मुश्किल होता है। ऐसी स्थिति में डायरी लिखना आपके लिए बहुत फायदेमंद होता है। डायरी के अंदर जब आप अपनी भावनाओं को लिखते हैं, तो आपको ऐसा महसूस होता है कि आप अपने फ्रेंड को यह सब बता रहे हैं। जिससे आपका अकेलापन अपने आप दूर हो जाता है और दिमाग हल्का हो जाता है।
डायरी हो सकती है आपकी बेस्ट फ्रेंड
जब आप दुखी होते हैं या बहुत ज्यादा खुश होते हैं तो अपने सबसे करीबी दोस्त को जाकर बताते हैं कि आप कैसा महसूस कर रहे हैं। डायरी में भी आप अपनी खुशी और गम दोनों को लिखते हैं। मतलब यह आपके दोस्त की तरह होती है और इसमें लिखने के बाद आपको ऐसा लगेगा जैसे कि आप अपने मन की बात अपने दोस्त से कह रहे हैं। यकीन मानिए कि जब आप बहुत दुखी हों, तो आपको अपना दुख डायरी में लिखने से अच्छा महसूस होगा।
हीलिंग में सहायक है डायरी लिखना
भावनात्मक, शारीरिक और मनोवैज्ञानिक रूप से एक्सप्रेसिव राइटिंग हीलिंग का एक रास्ता है। राइटिंग टू हील के लेखक डॉ जेम्स पेनेबेकर ने पाया कि लेखन अभ्यास के प्रतिभागियों में बेहतर इम्यून फंक्शन होता है। तनाव अक्सर भावनात्मक रुकावटों और काल्पनिक चीजों के बारे में बार-बार सोचने से होता है। डॉ जेम्स पेनेबेकर बताते हैं, “जब हम किसी अनुभव के बारे में बोलने के बजाय लिखते हैं, तो यह लोगों को ज्यादा आसान लगता है और ऐसा करते हुए वे मानसिक रूप से ट्रॉमा में फंसने से खुद को बचा सकते हैं।
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