परिचय
वॉटर रिटेंशन (Water Retention) क्या है?
वॉटर रिटेंशन (Water Retention) की समस्या के कारण शरीर के विभिन्न अंगों में पानी जमा हो जाता है। इसके कारण हाथ, पैर, चेहरे और पेट की मांसपेशियों में सूजन आ सकती है। इसी के साथ ही, पैरों, एड़ियों और टखनों में दर्द भी होने लगता है। इसकी समस्या अक्सर तब होती है, जब हमारा शरीर मिनरल के स्तर को संतुलित नहीं कर पाता, जिससे शरीर के टिशूज में पानी जमने लगता है और शरीर के अंग फूलने लगते हैं। वॉटर रिटेंशन को फ्लूइड रिंटेशन (fluid retention) या एडिमा (edema) भी कहा जाता है।
कितना सामान्य है वॉटर रिटेंशन?
वॉटर रिटेंशन की समस्या होना बहुत ही सामान्य है। इसके बारे में अधिक जानकारी के लिए कृपया अपने चिकित्सक से चर्चा करें।
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लक्षण
वॉटर रिटेंशन के लक्षण क्या हैं?
वॉटर रिटेंशन के सामान्य लक्षणों में शामिल हैंः
- शरीर के विभिन्न अंगों में सूजन होना
- टखने या पैर के किसी भी हिस्से में दर्द होना
- भूख न लगना
- अचानक वजन बढ़ना या कम होना
- त्वचा पर निशान पड़ना
- खाने-पीने की चीजों से एलर्जी होना
- हाइपोथायराइड की समस्या होना
इसके सभी लक्षण ऊपर नहीं बताएं गए हैं। अगर इससे जुड़े किसी भी संभावित लक्षणों के बारे में आपका कोई सवाल है, तो कृपया अपने डॉक्टर से बात करें।
मुझे डॉक्टर को कब दिखाना चाहिए?
अगर ऊपर बताए गए किसी भी तरह के लक्षण आपमें या आपके किसी करीबी में दिखाई देते हैं या इससे जुड़ा आपका कोई सवाल है, तो अपने डॉक्टर से परामर्श करें। हर किसी का शरीर अलग-अलग तरह की प्रतिक्रिया करता है।
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कारण
वॉटर रिटेंशन के क्या कारण हैं?
वॉटर रिटेंशन के कई संभावित कारण हैंः
केशिकाओं में असंतुलन के कारण
पोषक तत्वों, विटामिन, और ऑक्सीजन से भरपूर तरल लगातार शरीर के छोटे रक्त वाहिकाओं (केशिकाओं) से आसपास के ऊतकों में गुजरते रहते हैं। इसे इन्टर्स्टिशल फ्लूइड (interstitial fluid) भी कहा जाता है।
इन्टर्स्टिशल फ्लूइड कोशिकाओं को पोषण देने का कार्य करता है और वहां से केशिकाओं में वापस जाता है। अगर केशिकाओं के अंदर इसका दबाव बदल जाए तो वहां पानी जमा होने लगता है।
इसके अलावा अगर किसी कारण से केशिकाओं की दीवारों पर बहुत अधिक दबाव पड़ता है, तो वह कमजोर हो सकती है। जिससे पानी लीक होने लगता है।
अगर बहुत अधिक तरल पदार्थ निकलता है, तो इसका अधिक हिस्सा केशिकाओं में लौटने के बजाय ऊतकों में ही जमा होने लगता है, जिसके परिणामस्वरूप सूजन हो सकती है।
लसीका प्रणाली के कारण
लसीका प्रणाली ऊतकों से तरल पदार्थ (लिम्फ) को छोड़ देती है और जो वहां से ब्लड फ्लो में जाते हैं। हालांकि, अगर लसीका बहुत अधिक तरल पदार्थों को निकलती है, तो लसीका प्रणाली व्याकुल हो सकती है, जिसके कारण यह तरल पदार्थ को तेजी से वापस करने में असमर्थ हो जाती है और तरल पदार्थ ऊतकों के आसपास ही जमा होने लगते हैं।
दिल के कारण
खून की नसों के अंदर सामान्य दबाव होता है जिससे दिल को धड़कने में मदद मिलती है। हालांकि, अगर हृदय अपने इस कार्य को असंतुलित करने लगे, तो रक्तचाप में बदलाव होगा, जिसके परिणामस्वरूप शरीर में पानी जमा होने लगता है।
आमतौर पर, पैर और टखने सूज जाएंगे। खांसी या सांस लेने में कठिनाई भी हो सकती है।
किडनी के कारण
हमारे शरीर का खून किडनी में जाकर फिल्टर किया जाता है। किडनी खून से अपशिष्ट, तरल पदार्थ, और अन्य पदार्थों को अलग करती है, जो मूत्र के माध्यम से शरीर से बाहर निकल जाते हैं। खून को फिल्टर करने के बाद किडनी साफ खून को छोटी नलिकाओं में भेजती है, वहां से, ब्लड फ्लो दोबारा से शरीर के अन्य हिस्सों में पहुंचता है।
ज्यादातर मामलों में, किडनी शरीर द्वारा उत्पादित सभी अपशिष्ट पदार्थों को समाप्त कर देती हैं। हालांकि, अगर किडनी में रक्त प्रवाह प्रभावित होता है, तो समस्याएं हो सकती हैं। जिनमें से एक कारण शरीर में पानी जमा होना भी हो सकता है।
प्रेग्नेंसी के कारण
प्रेग्नेंसी के दौरान प्रमुख नसों पर वजन बढ़ता है, जिसकी वजह से शरीर में तरल पदार्थों का निर्माण भी अधिक हो सकता है। ज्यादातर मामलों में, यह चिंता करने की कोई बात नहीं है और आमतौर पर बच्चे के जन्म के बाद यह अपने आप ठीक हो जाती है।
शारीरिक गतिविधियों के कारण
एक्सरसाइज करने से पैर की नसें खून को दिल में वापस लाने में मदद करती हैं। अगर पर्याप्त मात्रा में खून दिमाग तक नहीं पहुंच पाता है, तो यह पैरों में ही जमने लगता है। जिसके परिणामस्वरूप केशिकाओं में उच्च दबाव होगा। उच्च दबाव के कारण द्रव केशिकाओं का निर्माण भी बढ़ सकता है।
इसके अलावा निम्न स्थितियां भी हैं, जो शरीर में वॉटर रिटेंशन के कारण हो सकते हैंः
- खून की कमी के कारण
- ज्यादा समय तक एक ही स्थिति में खड़े रहने के कारण
- ज्यादा नमक या चीनी का सेवन करने के कारण
- मानसिक तनाव के दौरान हार्मोन्स में होने वाले बदलाव के कारण
- दिल या लिवर की बीमारी के कारण
- महिलाओं में हार्मोनल असंतुलन के कारण
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जोखिम
कैसी स्थितियां वॉटर रिटेंशन के जोखिम को बढ़ा सकती हैं?
ऐसी कई स्वास्थ्य स्थितियां हो सकती हैं, जो वॉटर रिटेंशन के जोखिम को बढ़ा सकती हैं। हालांकि, इसकी उचित जानकारी आज्ञात है। इसके बारे में अधिक जानकारी के लिए कृपया अपने डॉक्टर से परामर्श करें।
उपचार
यहां प्रदान की गई जानकारी को किसी भी मेडिकल सलाह के तौर पर ना समझें। अधिक जानकारी के लिए हमेशा अपने डॉक्टर से परामर्श करें।
वॉटर रिटेंशन का निदान कैसे किया जाता है?
अगर किसी को वॉटर रिटेंशन की समस्या होती है, तो डॉक्टर सबसे पहले उनके लक्षणों का पता लगाएंगे। इसके लिए व्यक्ति के स्वास्थ्य स्थितियों पर गौर करेंगे। इस दौरान डॉक्टर स्वास्थ्य स्थिति के अनुसार निदान और विभिन्न टेस्ट करेंगे।
अगर वॉटर रिटेंशन की समस्या फेफड़ों में हो रही हैं, तो डॉक्टर चेस्ट एक्स-रे करेंगे। जिससे वो पता लगाएंगे कि क्या व्यक्ति को निमोनिया की समस्या या फेफड़ों में कोई तरल पदार्थ जमा है या नहीं। अगर फेफड़ों में द्रव मौजूद है, तो यह संकेत दे सकता है कि व्यक्ति को हृदय संबंधी समस्या है।
अधिकांश डॉक्टर शुरू में एक शारीरिक परीक्षण करेंगे और एक चिकित्सा इतिहास पूछेंगे। शारीरिक परीक्षा पानी की अवधारण और अन्य लक्षणों की उपस्थिति जाने के लिए किया जाता है। इसके अलावा यह अन्य तरह के लक्षणों की जानकारी देने में भी करता है। वहीं, आपसे आपके स्वास्थ्य और परिवारिक स्वास्थ्य के बारे में भी सवाल पूछा जाएगा। जिससे डॉक्टर को आपके लक्षणों के कारणों को समझने में आसानी होगी।
इसके अलावा, डॉक्टर यूरिन टेस्ट या किडनी फंक्शन टेस्ट की भी सिफारिश कर सकते हैं। साथ ही, शरीर में पानी की मात्रा,रक्त कोशिकाओं की गिनती और अन्य बीमारियों के लक्षणों को जांचने के लिए ब्लड टेस्ट भी किया जा सकता है। साथ ही, आपका ह्रदय सही से काम कर रहा है या नहीं इसकी भी जांत की जाएगी। जिसके लिए, डॉक्टर इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम टेस्ट कर सकते हैं। यह हृदय गति की निगरानी करता है।
वॉटर रिटेंशन का इलाज कैसे होता है?
वॉटर रिटेंशन का इलाज कई कारणों पर निर्भर करता है, जिसमें मूल कारण भी शामिल है।
लीक केशिकाओं के लिए इलाज
लीक केशिकाओं की समस्या अक्सर प्रोटीन की समस्या से जुड़ी होती है। इसका इलाज करने के लिए डॉक्टर उचित दावओं का इस्तेमाल करेंगे, उदाहरण के तौर पर डियूरेटिक्स , जो ऊतकों में प्रोटीन की मात्रा को संतुलित करने में मदद करेंगी।
निम्नलिखित उपाय वॉटर रिंटेशन के लक्षणों के इलाज में मददगार हो सकती हैंः
- नमक का कम इस्तेमाल
- वजन घटाना
- नियमित व्यायाम करना
- शारीरिक तौर पर उचित गतिविधियां करें
- बहुत देर तक बैठने और खड़े होने से बचें
- कार, ट्रेन, नाव, या प्लेन से यात्रा करते समय नियमित रूप से चलें।
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घरेलू उपाय
जीवनशैली में बदलाव या घरेलू उपचार क्या हैं, जो मुझे वॉटर रिटेंशन को रोकने में मदद कर सकते हैं?
निम्नलिखित जीवनशैली में बदलाव लाने और घरेलू उपायों से आप वॉटर रिटेंशन के खतरे को कम कर सकते हैंः
- कम नमक खाएं
- शरीर में मैग्नीशियम का स्तर बढ़ाएं
- विटामिन बी 6 का सेवन बढ़ाएं
- पोटेशियम युक्त भोजन अधिक खाएं
- बहुत ज्यादा कार्ब्स या फैट युक्त भोजन खाने से बचें
- विटामिन सी वाली चीजों जैसे संतरा, गाजर का नियमित रूप से सेवन करें।
- थोड़ी-थोड़ी मात्रा में पानी पीएं
- बहुत ज्यादा गर्म पानी से न नहाएं।
अगर इससे जुड़ा आपका कोई सवाल है, तो उसकी बेहतर समझ के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श करें।
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