बॉलीवुड की जानी मानी कोरियोग्राफर सरोज खान ने 3 जुलाई, 2020 को मुंबई में आखिरी सांस ली। सरोज खान को सांस संबंधी समस्या के कारण बीते 17 जून को हॉस्पिटल ले जाया गया था, जहां पर उनकी कोविड-19 का टेस्ट भी हुआ था, जिसकी रिपोर्ट निगेटिव आई थी। सरोज खान के भतीजे मनीष जगवानी ने इस बात का खुलासा किया कि 3 जुलाई, 2020 के तड़के 2:30 बजे उन्हें कार्डिएक अरेस्ट हुआ और उनका देहांत हो गया। सरोज खान 71 वर्ष की उम्र में उन्होंने दुनिया को अलविदा कह दिया। जिससे बॉलीवुड को इरफान खान, ऋषि कपूर और सुशांत सिंह राजपूत के बाद फिर से एक बड़ा झटका लगा है।
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कोरियोग्राफर सरोज खान की डेथ कैसे हुई?
बॉलीवुड की मशहूर कोरियोग्राफर सरोज खान की डेथ का कारण कार्डिएक अरेस्ट बताया जा रहा है। इस बात का खुलासा उनके भतीजे मनीष जगवानी ने किया। मनीष ने बताया कि बीते 17 जून को सरोज को सांस लेने में समस्या हो रही थी। जिसके बाद उन्हें हॉस्पिटल ले जाया गया और उनकी कोविड-19 का टेस्ट भी हुआ। इसके बाद उनका कोविड-19 टेस्ट की रिपोर्ट निगेटिव आई। इसके बाद उन्हें दवा दे कर डॉक्टर ने घर भेज दिया। जिसके बाद से उनकी तबीयत ठीक नहीं चल रही थी। 2 जुलाई, 2020 को देर रात में उनकी तबीयत फिर से खराब हो गई। जिसके बाद परिवार के सदस्यों ने सरोज खान को मुंबई के गुरु नानक हॉस्पिटल में भर्ती कराया, जहां पर डॉक्टरों ने कार्डिएक अरेस्ट की पुष्टि की और 3 जुलाई, 2020 की तड़के 2:30 बजे उन्होंने आखिरी सांस ली। बॉलीवुड में श्रीदेवी और माधुरी दीक्षित जैसी एक्ट्रेसेस को अपने कोरियोग्राफी के दम पर फेमस करने वाली बॉलीवुड की ‘मास्टरजी’ सरोज खान ने दुनिया को अलविदा कह दिया। जिससे एक बार फिर से पूरा बॉलीवुड शोक में डूब गया है। आइए जानते हैं कि कार्डिएक अरेस्ट क्या होता है और इसके लक्षण व इलाज क्या है?
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कार्डिएक अरेस्ट क्या है?
सरोज खान की डेथ कार्डिएक अरेस्ट के कारण हुई है। कार्डिएक अरेस्ट, हार्ट अटैक से ज्यादा खतरनाक स्थिति है। कार्डिएक अरेस्ट में हमारा दिल अचानक से बॉडी के विभिन्न अंगों तक खून पहुंचाना बंद कर देता है और दिल का धड़कना भी बंद हो जाता है। जिसके कारण कार्डिक अरेस्ट में पीड़ित व्यक्ति की मौत हो जाती है। कार्डिएक अरेस्ट तब होता है, जब दिल के अंदर वेंट्रीक्यूलर फाइब्रिलेशन (Ventricular Fibrillation) पैदा हो जाता है। वहीं, अगर बात करें हार्ट अटैक तो उसमें भले ही हृदय की धमनियों में ब्लड का फ्लो नहीं हो रहा हो, लेकिन दिल की धड़कन चलती रहती है। जबकि कार्डिएक अरेस्ट में दिल धड़कना ही बंद हो जाता है। सरोज खान के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ था, कार्डिएक अरेस्ट के समय उनके दिल ने धड़कना ही बंद कर दिया।
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कार्डिएक अरेस्ट के लक्षण क्या हैं?
कार्डिएक अरेस्ट के लक्षण निम्नलिखित हो सकते हैं।
- अचानक से बेहोश हो जाना
- हृदय की गति का रुक जाना
- सांस लेने में समस्या महसूस होना
- सांस की गति धीमी हो जाना
- घबराहट महसूस होना
- बेचैनी होना
कार्डिएक अरेस्ट की स्थिति होने पर ऊपर दिए गए लक्षणों के आधार पर आप तुरंत डॉक्टर की सलाह ले सकते हैं। इसलिए एक भी लक्षण सामने आने पर आप तुरंत डॉक्टर के पास जाएं।
कार्डिएक अरेस्ट होने के कारण क्या हैं?
कार्डिएक अरेस्ट होने के कई कारण हो सकते हैं, जो निम्न प्रकार हैं :
- वेंट्रीक्यूलर टैकीकार्डिया (Ventricular Tachycardia)
- वेंट्रीक्यूलर फाइब्रिलेशन (Ventricular Fibrillation)
- दिल के आकार में बदलाव होना
- कोरोनरी हार्ट डिजीज (Coronary Heart Disease)
- अगर पहले कभी पेसमेकर (Pacemaker) लगाया गया है तो उसका खराब होना
- रेस्पिरेटरी अरेस्ट (Respiratory Arrest)
- सीने में घुटन या जकड़न होना
- हाइपोथर्मिया (Hypothermia)
- एलेक्ट्रोक्यूशन (Electrocution)
- बहुत ज्यादा शराब पीना या नशीले पदार्थों का सेवन करना
- कुछ मामालों में हार्ट अटैक की स्थिति में भी कार्डिएक अरेस्ट देखा गया है
इसके अलावा कुछ अन्य कारण भी हो सकते हैं, अधिक जानकारी के लिए आप अपने डॉक्टर से संपर्क कर सकते हैं।
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कार्डिएक अरेस्ट का निदान कैसे किया जाता है?
कार्डिएक अरेस्ट होते ही हमारा दिल शरीर के अंगों तक ब्लड फ्लो को बंद कर देता है, जो पेशेंट के लिए जानलेवा साबित हो सकता है। इसके लिए अगर किसी में कार्डिएक अरेस्ट के लक्षण सामने आते हैं तो उसे तुरंत डॉक्टर के पास ले जाना चाहिए। डॉक्टर का मेन फोकस इस बात पर रहता है कि मरीज के शरीर में ब्लड फ्लो को बंद ना होने दिया जाए। कार्डिएक अरेस्ट का पता लगाने के लिए ज्यादातर डॉक्टर इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम के द्वारा अबनॉर्मल हार्ट रिदम को पता करते हैं। इसके साथ ही इलाज के लिए डॉक्चर डिफाइब्रिलेटर से लेकर शॉक तक का इस्तेमाल करते हैं। इलेक्ट्रिक शॉक देते ही दिल की धड़कने फिर से सामान्य हो जाती हैं।
इसके अलावा डॉक्टर कुछ अन्य टेस्ट भी कर के कार्डिएक अरेस्ट का पता लगाते हैं :
ब्लड टेस्ट : ब्लड टेस्ट के जरिए भी कार्डिएक अरेस्ट का पता लगाया जा सकता है। डॉक्टर ब्लड टेस्ट में खून में मैग्नीशियम और पोटैशियम के लेवल को पता लगाते हैं।
चेस्ट एक्स-रे :सीने के एक्स-रे से भी कार्डिएक अरेस्ट का पता लगाया जा सकता है। लेकिन इन सभी विधियों से ज्यादा वक्त लग जाता है। जिससे मरीज की जान जाने का रिस्क बढ़ जाता है। इसलिए डॉक्टर इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम के द्वारा ही जल्दी से कार्डिएक अरेस्ट के बारे में जान लेते हैं।
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कार्डिएक अरेस्ट का इलाज कैसे किया जाता है?
कार्डिएक अरेस्ट का फर्स्ट एड कह लीजिए या प्राथमिक इलाज कह लीजिए, सीपीआर – कार्डियोपल्मोनरी रेससिटेशन [Cardiopulmonary resuscitation (CPR)] है। कार्डिएक अरेस्ट में सीपीआर देने के लिए कई चीजों का ध्यान रखना होता है। कार्डिएक अरेस्ट में सीपीआर देते वक्त आपको पीड़ित के सीने के निप्पल्स से थोड़ा ऊपर चेस्ट के बीचों-बीच दोनों हाथों से 5 से 6 सेंटीमीटर गहराई से दबाना या कंप्रेस करना होता है। ऐसा करते वक्त आपको काफी सावधानी बरतनी होगी। यदि आप मरीज की छाती को 5 से 6 सेंटीमीटर से ज्यादा दबाते हैं तो उसकी पसलियां टूटने का रिस्क बढ़ जाता है। ऐसे में पसलियां हृदय में टूट कर घुस सकती हैं, जिससे स्थिति और ज्यादा गंभीर हो सकती है। इसके अलावा डिफाइब्रिलेशन के द्वारा भी हार्ट को पंप कराया जाता है। जिससे दिल को फिर से धड़काना शुरू किया जाता है।
- जब मरीज की स्थिति सामान्य हो जाती है तो उसे दवाएं दी जाती है। हाई ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रॉल के लेवल को कम करने के लिए दवाएं दी जाती हैं।
- सर्जरी के द्वारा डैमेज ब्लड वेसेल्स और हार्ट वॉल्व को ठीक किया जाता है। इसके अलावा कार्डिएक अरेस्ट में भी बाइपास सर्जरी होती है।
- एक्सरसाइज करने से भी कार्डिएक अरेस्ट का खतरा कम हो सकता है।
- वहीं, कम कोलेस्ट्रॉल और फैट वाले फूड्स खाने से और डायट में बदलाव करने से आप कार्डिएक अरेस्ट के रिस्क को कम कर सकते है।
इस तरह से आपने जाना कि कोरियोग्राफर सरोज खान की डेथ कैसे हुई और कार्डिएक अरेस्ट के सभी पहलुओं को जाना। सरोज खान में सांस लेने की समस्या होने के बाद कार्डिएक अरेस्ट की समस्या हुई, जिसके बाद उनका देहांत हो गया। इसलिए वक्त रहते अगर आपको कार्डिएक अरेस्ट के लक्षण दिखाई दे तो बिना देर किए तुरंत डॉक्टर के पास पहुंचें। इस संबंध में अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से संपर्क करें।
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