इसके अलावा कुछ अन्य कारण भी हो सकते हैं, अधिक जानकारी के लिए आप अपने डॉक्टर से संपर्क कर सकते हैं।
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कार्डिएक अरेस्ट का निदान कैसे किया जाता है?
कार्डिएक अरेस्ट होते ही हमारा दिल शरीर के अंगों तक ब्लड फ्लो को बंद कर देता है, जो पेशेंट के लिए जानलेवा साबित हो सकता है। इसके लिए अगर किसी में कार्डिएक अरेस्ट के लक्षण सामने आते हैं तो उसे तुरंत डॉक्टर के पास ले जाना चाहिए। डॉक्टर का मेन फोकस इस बात पर रहता है कि मरीज के शरीर में ब्लड फ्लो को बंद ना होने दिया जाए। कार्डिएक अरेस्ट का पता लगाने के लिए ज्यादातर डॉक्टर इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम के द्वारा अबनॉर्मल हार्ट रिदम को पता करते हैं। इसके साथ ही इलाज के लिए डॉक्चर डिफाइब्रिलेटर से लेकर शॉक तक का इस्तेमाल करते हैं। इलेक्ट्रिक शॉक देते ही दिल की धड़कने फिर से सामान्य हो जाती हैं।
इसके अलावा डॉक्टर कुछ अन्य टेस्ट भी कर के कार्डिएक अरेस्ट का पता लगाते हैं :
ब्लड टेस्ट : ब्लड टेस्ट के जरिए भी कार्डिएक अरेस्ट का पता लगाया जा सकता है। डॉक्टर ब्लड टेस्ट में खून में मैग्नीशियम और पोटैशियम के लेवल को पता लगाते हैं।
चेस्ट एक्स-रे :सीने के एक्स-रे से भी कार्डिएक अरेस्ट का पता लगाया जा सकता है। लेकिन इन सभी विधियों से ज्यादा वक्त लग जाता है। जिससे मरीज की जान जाने का रिस्क बढ़ जाता है। इसलिए डॉक्टर इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम के द्वारा ही जल्दी से कार्डिएक अरेस्ट के बारे में जान लेते हैं।
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कार्डिएक अरेस्ट का इलाज कैसे किया जाता है?
कार्डिएक अरेस्ट का फर्स्ट एड कह लीजिए या प्राथमिक इलाज कह लीजिए, सीपीआर – कार्डियोपल्मोनरी रेससिटेशन [Cardiopulmonary resuscitation (CPR)] है। कार्डिएक अरेस्ट में सीपीआर देने के लिए कई चीजों का ध्यान रखना होता है। कार्डिएक अरेस्ट में सीपीआर देते वक्त आपको पीड़ित के सीने के निप्पल्स से थोड़ा ऊपर चेस्ट के बीचों-बीच दोनों हाथों से 5 से 6 सेंटीमीटर गहराई से दबाना या कंप्रेस करना होता है। ऐसा करते वक्त आपको काफी सावधानी बरतनी होगी। यदि आप मरीज की छाती को 5 से 6 सेंटीमीटर से ज्यादा दबाते हैं तो उसकी पसलियां टूटने का रिस्क बढ़ जाता है। ऐसे में पसलियां हृदय में टूट कर घुस सकती हैं, जिससे स्थिति और ज्यादा गंभीर हो सकती है। इसके अलावा डिफाइब्रिलेशन के द्वारा भी हार्ट को पंप कराया जाता है। जिससे दिल को फिर से धड़काना शुरू किया जाता है।
- जब मरीज की स्थिति सामान्य हो जाती है तो उसे दवाएं दी जाती है। हाई ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रॉल के लेवल को कम करने के लिए दवाएं दी जाती हैं।
- सर्जरी के द्वारा डैमेज ब्लड वेसेल्स और हार्ट वॉल्व को ठीक किया जाता है। इसके अलावा कार्डिएक अरेस्ट में भी बाइपास सर्जरी होती है।
- एक्सरसाइज करने से भी कार्डिएक अरेस्ट का खतरा कम हो सकता है।
- वहीं, कम कोलेस्ट्रॉल और फैट वाले फूड्स खाने से और डायट में बदलाव करने से आप कार्डिएक अरेस्ट के रिस्क को कम कर सकते है।
इस तरह से आपने जाना कि कोरियोग्राफर सरोज खान की डेथ कैसे हुई और कार्डिएक अरेस्ट के सभी पहलुओं को जाना। सरोज खान में सांस लेने की समस्या होने के बाद कार्डिएक अरेस्ट की समस्या हुई, जिसके बाद उनका देहांत हो गया। इसलिए वक्त रहते अगर आपको कार्डिएक अरेस्ट के लक्षण दिखाई दे तो बिना देर किए तुरंत डॉक्टर के पास पहुंचें। इस संबंध में अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से संपर्क करें।