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आयुर्वेद से ट्राइग्लिसराइड कम होना क्या मुमकिन है? पढ़ें आर्टिकल और जानें!

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड Sayali Chaudhari · फार्मेकोलॉजी · Hello Swasthya


Toshini Rathod द्वारा लिखित · अपडेटेड 20/05/2022

    आयुर्वेद से ट्राइग्लिसराइड कम होना क्या मुमकिन है? पढ़ें आर्टिकल और जानें!

    ह्रदय स्वास्थ्य हर व्यक्ति के लिए एक सबसे जरूरी चीज मानी जाती है। यदि आपका ह्रदय स्वास्थ्य ठीक नहीं है, तो आपको ना सिर्फ दिल से जुड़ी समस्याएं हो सकती हैं, बल्कि इससे जुड़े कॉम्प्लिकेशन भी आपको परेशान कर सकते हैं। आज हम बात करने जा रहे हैं एक ऐसी ही समस्या की, जो आमतौर पर रक्त में वसा के बढ़ने के कारण होती है। वसा बढ़ने से हमारे दिल को बेहद नुकसान पहुंचता है। वसा का एक प्रकार है ट्राइग्लिसराइड, जिसके बढ़ने से ह्रदय संबंधित समस्याएं हो सकती हैं। बात करें इसके उपचार की, तो आयुर्वेद एक प्राचीन उपचार पद्धति मानी जाती है। आयुर्वेद के जरिए हृदय से संबंधित समस्याओं का इलाज किया जा सकता है। आज हम आपको बताएंगे कि कैसे आयुर्वेद से ट्राइग्लिसराइड कम होना मुमकिन है। आयुर्वेद से ट्राइग्लिसराइड कम होना (How to reduce triglycerides with ayurveda) मुमकिन माना जाता है, क्योंकि इस उपचार पद्धति के अंतर्गत कई तरह की दवाइयां आपकी मदद कर सकती हैं। आइए जानते हैं किस तरह आप आयुर्वेद से ट्राइग्लिसराइड की समस्या को ठीक कर सकते हैं, लेकिन इससे पहले जानते हैं ट्राइग्लिसराइड (Triglycerides) से जुड़ी जरूरी बातें।

    क्या है ट्राइग्लिसराइड (Triglycerides)?

    ट्राइग्लिसराइड एक तरह की वसा मानी जाती है, जो ब्लड में मौजूद होती है। यह फैट आमतौर पर शरीर के सेल्स में पाया जाता है, जो बाद में एनर्जी बनाने के काम आता है। आमतौर पर ट्राइग्लिसराइड (Triglycerides) का लेवल तक बढ़ जाता है, जब शरीर में जरूरत से ज्यादा कैलोरी जमा होने लगती हैं। जरूरत से ज्यादा कैलोरी होने पर आपके शरीर में ट्राइग्लिसराइड का लेवल बढ़ने लगता है और यह आपके ह्रदय स्वास्थ्य के लिए बेहद हानिकारक माना जाता है। ट्राइग्लिसराइड और कोलेस्ट्रॉल अलग-अलग तरह के फैट माने जाते हैं, जो ब्लड में मौजूद होते हैं। जहां एक और कोलेस्ट्रॉल कोशिकाओं के निर्माण और हॉर्मोंस के निर्माण के लिए इस्तेमाल होता है, वहीं दूसरी ओर ट्राइग्लिसराइड शरीर को एनर्जी देने के लिए इस्तेमाल होता है। लेकिन जब शरीर में ट्राइग्लिसराइड का लेवल बढ़ जाता है, तो हमें जरूरत पड़ती है एक उपचार की। आयुर्वेद से ट्राइग्लिसराइड कम होना (How to reduce triglycerides with ayurveda) मुमकिन माना जाता है, इसलिए आमतौर पर ट्राइग्लिसराइड (Triglycerides) बढ़ने पर आयुर्वेदिक उपचार का इस्तेमाल किया जा सकता है। आइए अब आप जानते हैं शरीर में ट्राइग्लिसराइड के बढ़ने के क्या कारण हो सकते हैं।

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    क्यों बढ़ता है शरीर में ट्राइग्लिसराइड (Triglycerides) का लेवल? 

    जैसा कि हमने पहले पढ़ा, आयुर्वेद से ट्राइग्लिसराइड कम होना (How to reduce triglycerides with ayurveda) मुमकिन है, लेकिन ट्राइग्लिसराइड बढ़ने के कारणों को जानना भी आपके लिए जरूरी है। ट्राइग्लिसराइड (Triglycerides) का लेवल बढ़ने के पीछे कई तरह के कारण हो सकते हैं। इसमें से कुछ कारण आपकी सेहत से जुड़े हुए हैं, वहीं कुछ कारण आपके लाइफस्टाइल से जुड़े हुए माने जा सकते हैं। आइए जानते हैं इन कारणों के बारे में।

    मोटापा : जब व्यक्ति संतुलित आहार ना लेकर जरूरत से ज्यादा खाने लगता है, तो उसका मोटापा बढ़ जाता है। मोटापा बढ़ने से ट्राइग्लिसराइड (Triglycerides) का लेवल बढ़ने लगता है और शरीर में गुड कोलेस्ट्रॉल का लेवल कम हो जाता है। वहीं बैड कोलेस्ट्रॉल (LDL) का लेवल बढ़ जाने से व्यक्ति को कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है, जिसमें ब्लड प्रेशर और डायबिटीज जैसी समस्याएं आम तौर पर देखी जाती है।

    थायरॉइड : थायराइड की समस्या में आमतौर पर ट्राइग्लिसराइड (Triglycerides) का लेवल बढ़ते हुए देखा गया है। थायराइड की समस्या का प्रभाव सीधे तौर पर कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड के लेवल पर पड़ता है, इसलिए जिन लोगों को थायराइड की समस्या है, उनमें बैड कोलेस्ट्रॉल तेजी से बढ़ता हुआ पाया जाता है।

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    असंतुलित भोजन : यदि आप ठीक तरह से कैलोरी बर्न करते हैं, तो आप अपने भोजन को अच्छी तरह से पचा सकते हैं। लेकिन यदि आप जरूरत से ज्यादा खाना खाकर कम कैलोरी बर्न करते हैं, तो आपका ट्राइग्लिसराइड्स लेवल तेजी से बढ़ सकता है। इसलिए आपको अपने खान-पान पर खास ध्यान देने की जरूरत पड़ती है। खासतौर पर ट्राइग्लिसराइड (Triglycerides) लेवल के बढ़ने पर आपको कैलोरी इनटेक का खास ध्यान रखने की जरूरत पड़ती है।

    शराब का सेवन : शराब का सेवन वैसे तो कई समस्याओं को आमंत्रित करता है, लेकिन इसमें से एक समस्या ट्राइग्लिसराइड (Triglycerides) के लेवल के बढ़ जाने की भी मानी जाती है। जब व्यक्ति रोजाना शराब पीने लगता है, तो शरीर में कई तरह के बदलाव होते हैं और धीरे-धीरे व्यक्ति के शरीर में ट्राइग्लिसराइड का लेवल बढ़ने लगता है। लेकिन इन सभी समस्याओं से बचने के लिए आपको अपने लाइफस्टाइल में बदलाव लाने की जरूरत पड़ती है। लेकिन यदि किसी और वजह के चलते आपका ट्राइग्लिसराइड्स लेवल बढ़ गया है, तो आयुर्वेद से ट्राइग्लिसराइड कम होना मुमकिन माना गया है। आयुर्वेद से ट्राइग्लिसराइड कम होना (How to reduce triglycerides with ayurveda) तब मुमकिन है, जब आप आयुर्वेद के अनुसार लाइफस्टाइल को बदलते हैं और डॉक्टर की सलाह के बाद जरूरी दवाओं का सेवन करते हैं। आइए जानते हैं आयुर्वेद से ट्राइग्लिसराइड कम होना किस तरह मुमकिन माना जाता है।

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    आयुर्वेद से ट्राइग्लिसराइड कम होना कैसे है मुमकिन? (How to reduce triglycerides with ayurveda)

    आयुर्वेद से ट्राइग्लिसराइड कम होना (How to reduce triglycerides with ayurveda)

    ट्राइग्लिसराइड का लेवल बढ़ जाना अपने आप में एक गंभीर समस्या मानी जाती है। यह ह्रदय संबंधित समस्याओं को आमंत्रित करती है, इसलिए आयुर्वेद से ट्राइग्लिसराइड कम होना जरूरी माना जाता है। आमतौर पर जो लोग व्यायाम नहीं करते या अपने खान-पान का ध्यान नहीं रखते, उन लोगों में ट्राइग्लिसराइड (Triglycerides) के लेवल के बढ़ने की समस्या देखी जाती है। लेकिन यदि आप आयुर्वेद के अनुसार लाइफ़स्टाइल में बदलाव लाते हैं और आयुर्वेदिक दवाओं का इस्तेमाल करते हैं, तो आयुर्वेद से ट्राइग्लिसराइड कम होना (How to reduce triglycerides with ayurveda) मुमकिन माना जाता है। आइए जानते हैं वह कौन सी आयुर्वेदिक दवाएं हैं, जिनका इस्तेमाल आप ट्राइग्लिसराइड के लेवल को कम करने के लिए कर सकते हैं।

    लेकिन ध्यान रखने वाली बात ये है कि यह सभी दवाएं आपको किसी आयुर्वेदिक डॉक्टर की सलाह के बाद ही लेनी चाहिए। आयुर्वेदिक दवाओं के सेवन के कुछ नियम होते हैं, उन नियमों के अनुसार ही आपको इनका इस्तेमाल करना चाहिए। इसलिए बगैर डॉक्टर की सलाह के इन दवाओं का सेवन करने से आपकी सेहत को नुकसान पहुंच सकता है। आइए जानते हैं इन आयुर्वेदिक दवाओं के बारे में।

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    आयुर्वेद से ट्राइग्लिसराइड कम होना:  प्रभाकर वटी (Prabhakar Vati) का इस्तेमाल

    यह एक आयुर्वेदिक औषधि मानी जाती है। आयुर्वेद से ट्राइग्लिसराइड कम होना (How to reduce triglycerides with ayurveda), इस औषधि की मदद से मुमकिन माना जाता है। इस औषधि का इस्तेमाल हर तरह की ह्रदय संबंधित समस्याओं में किया जा सकता है। खासतौर पर जिन लोगों में ट्राइग्लिसराइड का लेवल बढ़ा हुआ होता है, उन लोगों को प्रभाकर वटी दी जा सकती है।

     हृदयार्णव रस (Hrdayaarnav Ras)

    हृदयार्णव रस  ह्रदय संबंधित समस्याओं में बेहद लाभकारी माना जाता है। इसमें पारा और गंधक जैसे जरूरी अवयव होते हैं, जो ट्राइग्लिसराइड के लेवल को कम करने में मददगार साबित होते हैं। इस तरह हृदयार्णव रस की मदद से आयुर्वेद से ट्राइग्लिसराइड कम होना (How to reduce triglycerides with ayurveda) मुमकिन माना जाता है।

    अर्जुन घृत (Arjun Ghrita)

    अर्जुन घृत एक तरह की औषधि है, जो हृदय से संबंधित सभी समस्याओं में कारगर मानी जाती है। यह ह्रदय विकारों में बेहद असरदार मानी जाती है। यह कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड (Triglycerides) के लेवल को कम करने में भी मदद करती है।

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    आयुर्वेद से ट्राइग्लिसराइड कम होना: गुग्गुल (Guggul)

    गुग्गुल एक ऐसा औषधीय पौधा है, जिसका इस्तेमाल आमतौर पर आयुर्वेद में किया जाता है। गुग्गुल से तैयार की गई दवाएं ह्रदय स्वास्थ्य के लिए बेहद जरूरी मानी जाती है। खासतौर पर ट्राइग्लिसराइड (Triglycerides) के लेवल को कम करने के लिए गुग्गुल का इस्तेमाल किया जाता है।

    अर्जुन (Arjun)

    अर्जुन एक ऐसी जड़ी बूटी है, जो ह्रदय स्वास्थ्य के लिए बहुत गुणकारी मानी जाती है। इससे कई तरह की दवाएं बनाई जा सकती हैं, जिसमें अर्जुन क्वाथ, अर्जुनारिष्ट इत्यादि का समावेश होता है। यह दिल की कमजोरी को दूर करके उसे मजबूत बनाती हैं। खासतौर पर ट्राइग्लिसराइड्स लेवल के बढ़ जाने पर इसका सेवन करना लाभदायक माना जाता है।

    त्रिफला चूर्ण (Triphala Churna)

    त्रिफला चूर्ण पूरे शरीर के लिए बेहद जरूरी माना जाता है। आमतौर पर त्रिफला चूर्ण पाचन संबंधी समस्याओं के लिए लिया जाता है, जो कॉन्स्टिपेशन में खासतौर पर कारगर माना जाता है। लेकिन ट्राइग्लिसराइड (Triglycerides) के लेवल के बढ़ जाने पर भी त्रिफला चूर्ण का सेवन करने की सलाह आयुर्वेदिक डॉक्टर देते हैं। जिसका इस्तेमाल आयुर्वेदिक डॉक्टर की सलाह के बाद ही किया जाना चाहिए।

    इसके अलावा ट्राइग्लिसराइड लेवल को कम करने के लिए आयुर्वेदिक डॉक्टर लहसुन और आंवला जैसे पदार्थों के सेवन की सलाह देते हैं, जो आपके स्वास्थ्य को लाभ पहुंचाते हैं। इन सभी दवाओं की मदद से आयुर्वेद से ट्राइग्लिसराइड कम होना (How to reduce triglycerides with ayurveda) मुमकिन माना जा सकता है।

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    आयुर्वेद से ट्राइग्लिसराइड कम होना मुमकिन होता है, लेकिन इसके लिए आपको अपनी पूरी जांच करवानी चाहिए। पूरी जांच करवाने के बाद आयुर्वेदिक डॉक्टर आपकी जरूरत के मुताबिक दवाइयों का चयन कर सकते हैं, जिसके सेवन का तरीका भी वो आपको बताते हैं। डॉक्टर की सलाह के अनुसार ही आपको इन दवाओं का सेवन करना चाहिए, जिससे आपको पूरा लाभ हो और आपका ह्रदय स्वास्थ्य बेहतर बने। आयुर्वेद से ट्राइग्लिसराइड कम होना (How to reduce triglycerides with ayurveda) मुमकिन है, लेकिन इसके लिए आपको लाइफस्टाइल में भी बदलाव करने की जरूरत पड़ सकती है। इसलिए सही लाइफस्टाइल फॉलो करते हुए आयुर्वेदिक दवाओं की मदद से ट्राइग्लिसराइड (Triglycerides) के लेवल को कम किया जा सकता है।

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