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जानिए क्यों जरूरी है सही समय पर इंफेक्टिव एंडोकार्डाइटिस के इन लक्षणों को पहचानना?

और द्वारा फैक्ट चेक्ड Nikhil deore


Nikhil deore द्वारा लिखित · अपडेटेड 21/12/2021

    जानिए क्यों जरूरी है सही समय पर इंफेक्टिव एंडोकार्डाइटिस के इन लक्षणों को पहचानना?

    हमारा हार्ट पूरे शरीर में लगातार ब्लड पंप करने का महत्वपूर्ण काम करता है। लेकिन, किन्हीं कारणों से हार्ट जब सही से काम नहीं कर पाता है, तो इससे कई हार्ट डिजीज हो सकती हैं। ऐसे ही एक समस्या को एंडोकार्डाइटिस के नाम से जाना जाता है। यह हार्ट चैम्बर्स (Heart Chambers) और हार्ट वॉल्व्स (Heart Valves) के अंदर की लायनिंग में होने वाली सूजन है। इसे इंफेक्टिव एंडोकार्डाइटिस (Infective Endocarditis) भी कहा जाता है। यह समस्या बैक्टीरियल या दुर्लभ मामलों में फंगल इंफेक्शन के कारण भी हो सकती है। आज हम आपको बताने वाले हैं कि इंफेक्टिव एंडोकार्डाइटिस के लक्षण (Infective Endocarditis signs) क्या हैं? जानिए इंफेक्टिव एंडोकार्डाइटिस के लक्षण (Infective Endocarditis signs) के बारे में विस्तार से। सबसे पहले इस समस्या के बारे में थोड़ा जान लेते हैं।

    इंफेक्टिव एंडोकार्डाइटिस (Infective Endocarditis) क्या है?

    इंफेक्टिव एंडोकार्डाइटिस (Infective Endocarditis) को बैक्टीरियल एंडोकार्डाइटिस (Bacterial Endocarditis) भी कहा जाता है। यह इंफेक्शन उन बैक्टीरिया के कारण होता है, जो ब्लडस्ट्रीम में एंटर करते हैं और उसके बाद हार्ट लायनिंग  (Heart lining), हार्ट वॉल्व (Heart valve) या ब्लड वेसल (Blood vessel) में सेटल हो जाते हैं। हालांकि कई बार इस समस्या का कारण कवक (Fungus) भी हो सकते हैं। इंफेक्टिव एंडोकार्डाइटिस (Infective Endocarditis) की समस्या सामान्य नहीं है।  लेकिन, कुछ हार्ट डिजीज से पीड़ित लोगों में यह समस्या होने की संभावना अधिक रहती है। हालांकि इंफेक्टिव एंडोकार्डाइटिस हार्ट की लायनिंग के इंफेक्शन को कहा जाता है, लेकिन यह वॉल्व्स को भी प्रभावित कर सकती है। इंफेक्टिव एंडोकार्डाइटिस के दो प्रकार हैं:

    • एक्यूट इंफेक्टिव एंडोकार्डाइटिस (Acute Infective Endocarditis) —एक्यूट इंफेक्टिव एंडोकार्डाइटिस की परेशानी एकदम से विकसित होती है और कुछ ही दिनों में घातक हो सकती है।
    • सबएक्यूट या क्रॉनिक इंफेक्टिव एंडोकार्डाइटिस (Subacute or chronic Infective Endocarditis) — यह समस्या हफ्तों से लेकर कई महीनों तक धीरे-धीरे विकसित होती रहती है।

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    इंफेक्टिव एंडोकार्डाइटिस (Infective Endocarditis)  की समस्या एक गंभीर कंडिशन है, जिसे तुरंत मेडिकल ट्रीटमेंट की जरूरत होती है। अगर सही समय पर इसका उपचार न किया जाए, तो इस इंफेक्शन के कारण हार्ट वॉल्व्स डैमेज हो सकते हैं। जिसके कारण यह समस्याएं होने की संभावना बढ़ जाती है:

    आमतौर पर यह संक्रमण हेल्दी लोगों यानी जिन्हें हार्ट की कोई समस्या न हो उनमें दुर्लभ होता है। लेकिन, जिन लोगों को हार्ट संबंधी परेशानियां हैं उनमें इसका जोखिम होता है। अगर आपको इस बीमारी का रिस्क अधिक हो, तो आपको कुछ मेडिकल या डेंटल प्रोसीजर से पहले एंटीबायोटिक्स लेने की सलाह दी जा सकती है। एंटीबायोटिक्स से बैक्टीरिया ब्लडस्ट्रीम में एंटर नहीं कर पाते हैं और इंफेक्शन की संभावना कम हो जाती है। इसलिए, किसी भी सर्जिकल प्रोसीजर से पहले अपने सर्जन या डेंटिस्ट से बात करें। अब जानते हैं इंफेक्टिव एंडोकार्डाइटिस के लक्षण (Infective Endocarditis signs) क्या हो सकते हैं, इसके बारे में विस्तार से।

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    इंफेक्टिव एंडोकार्डाइटिस के लक्षण (Infective Endocarditis signs)

    इंफेक्टिव एंडोकार्डाइटिस की समस्या धीरे-धीरे या एकदम से भी विकसित हो सकती है। यह इस बात पर निर्भर करता है कि इसका कारण क्या है और रोगी को कोई हार्ट समस्या तो नहीं है। हर व्यक्ति के लिए इंफेक्टिव एंडोकार्डाइटिस के लक्षण (Infective Endocarditis signs) अलग हो सकते हैं। कुछ लोगों में इसके हल्के लक्षण नजर आ सकते हैं, जबकि कुछ लोग इसके गंभीर लक्षणों का अनुभव भी कर सकते हैं। इस रोग के सबसे सामान्य लक्षण इस प्रकार हैं:

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    इंफेक्टिव एंडोकार्डाइटिस के लक्षण, जो सामान्य नहीं हैं:

    हालांकि, ऊपर दिए लक्षणों के अलावा प्रभावित व्यक्ति को कुछ अन्य लक्षणों का सामना भी करना पड़ सकता है। यह कम सामान्य लक्षण इस प्रकार हैं:

    • असामान्य वजन का कम होना (Unexplained weight loss)
    • यूरिन में खून आना (Blood in Urine)
    • स्प्लीन में नरमी (Tenderness in Spleen) : स्प्लीन एक इंफेक्शन फाइटिंग ऑर्गन है, जो लेफ्ट रिब केज के नीचे होता है।
    • पैरों के तलवों या हथेलियों पर रेड स्पॉट्स (Red spots)
    • हाथों या पैरों की उंगलियों की स्किन के नीचे लाल धब्बे (Red spots under the skin of fingers or toes)
    • स्किन पर, आंखों की सफेद जगह या मुंह के अंदर लाल या छोटे पर्पल धब्बे होना (Tiny purple or red spots)

    ऐसा जरूरी नहीं है कि हर रोगी को ऊपर दिए इंफेक्टिव एंडोकार्डाइटिस के लक्षण (Infective Endocarditis signs) का ही अनुभव हो। लेकिन, अगर आप इनमें से किसी भी समस्या का अनुभव करते हैं, तो तुरंत डॉक्टर की सलाह लें और उपचार कराएं। क्योंकि गंभीर स्थितियों में यह लक्षण जानलेवा हो सकते हैं। जानिए, किन स्थितियों में आपको तुरंत मेडिकल हेल्प लेनी चाहिए?

    इंफेक्टिव एंडोकार्डाइटिस के लक्षण (Infective Endocarditis signs)

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    इंफेक्टिव एंडोकार्डाइटिस के लक्षण नजर आने पर किन स्थितियों में तुरंत मेडिकल हेल्प लें? 

    अगर आपको इंफेक्टिव एंडोकार्डाइटिस (Infective Endocarditis signs) के लक्षण नजर आते हैं, तो तुरंत डॉक्टर की सलाह जरूरी है। खासतौर पर अगर आपको सीरियस इंफेक्शन होने की संभावना अधिक हो जैसे हार्ट डिफेक्ट  heart defect या एंडोकार्डाइटिस की हिस्ट्री (History of endocarditis) होना आदि। हालांकि कम गंभीर कंडिशंस में भी रोगी को यही लक्षण नजर आते हैं। इसलिए, समय पर निदान के लिए डॉक्टर की सलाह जरूरी है। अगर आपमें इस रोग का निदान हो जाता है और उसके बाद भी आपको कुछ गंभीर लक्षण नजर आते हैं तो उसका अर्थ है कि आपका इंफेक्शन बदतर हो रहा है। यह लक्षण इस प्रकार हो सकते हैं:

    अगर डॉक्टर इस रोग के उपचार के लिए आपको एंटीबायोटिक्स दे रहे हैं। इन्हें लेने के बाद आपको डायरिया, रैशेज, खुजली या जोड़ों में दर्द हो रहा हो, तो अपने डॉक्टर को इसके बारे में अवश्य बताएं। यह इस बात का संकेत हो सकते हैं कि आपको डॉक्टर द्वारा दी गयी एंटीबायोटिक्स से एलर्जी है। यह तो थे इंफेक्टिव एंडोकार्डाइटिस के लक्षण (Infective Endocarditis signs)। अब जान लेते हैं इसके रिस्क फैक्टर्स के बारे में।

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    इंफेक्टिव एंडोकार्डाइटिस के लक्षण के साथ क्या हैं इसके रिस्क फैक्टर्स (Infective Endocarditis risk factors)

    अगर आपके हार्ट वॉल्व में कोई समस्या है या यह डैमेज्ड हैं, तो आपमें इंफेक्टिव एंडोकार्डाइटिस (Infective Endocarditis) की समस्या होने की संभावना बहुत अधिक हो सकती है। हालांकि, यह समस्या हेल्दी लोगों को भी हो सकती है। इंफेक्टिव एंडोकार्डाइटिस के लक्षण (Infective Endocarditis signs) के साथ-साथ रिस्क फैक्टर्स के बारे में जानना जरूरी है। यह रिस्क फैक्टर्स इस प्रकार हैं:

    इंफेक्टिव एंडोकार्डाइटिस के लक्षण और अधिक उम्र (Older age)

    यह समस्या अधिकतर साठ साल से अधिक उम्र के लोगों को होती है।

    आर्टिफिशियल हार्ट वॉल्व्स (Artificial Heart Valves)

    जर्म्स अधिकतर सामान्य हार्ट वॉल्व की तुलना में आर्टिफिशियल हार्ट वॉल्व के साथ आसानी से अटैच हो जाते हैं। जिससे इस संक्रमण के होने की संभावना बढ़ती है।

    डैमेज्ड हार्ट वॉल्व्स (Damaged Heart Valve)

    कुछ खास मेडिकल कंडिशंस, जैसे रूमेटिक फीवर या इंफेक्शन, एक या एक से अधिक हार्ट वॉल्व को डैमेज कर सकती हैं। जिससे इंफेक्शन का जोखिम बढ़ता है।

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    कंजेनिटल हार्ट डिफेक्ट्स (Congenital Heart Defects)

    अगर आपको कुछ जन्मजात हृदय दोष हैं जैसे असामान्य हार्ट (Abnormal Heart) या असामान्य हार्ट वॉल्व्स (Abnormal heart valves) , तो आपको इंफेक्शन होने की संभावना अधिक रहेगी।

    इंप्लांटेड  हार्ट डिवाइस (Implanted Heart Device)

    बैक्टीरिया एक इंप्लांटेड हार्ट डिवाइस (Implanted heart device) से भी अटैक हो सकते हैं, जैसे पेसमेकर (Pacemaker), जिससे हार्ट की लायनिंग में इंफेक्शन हो सकता है।

    एंडोकार्डाइटिस की हिस्ट्री होना (History of Endocarditis)

    एंडोकार्डाइटिस की हिस्ट्री होने से हार्ट टिश्यू और वॉल्व्स डैमेज हो सकते हैं, जिससे भविष्य में हार्ट इंफेक्शन (Heart Infection) का जोखिम बढ़ सकता है।

    इल्लीगल  IV ड्रग के प्रयोग (Use of Illegal IV drug)

    जो लोग इल्लीगल  IV ड्रग्स का प्रयोग करते हैं। उन्हें भी यह समस्या का जोखिम अधिक रहता है। क्योंकि, इसमें प्रयोग की जाने वाली नीडल्स दूषित होती हैं और उनसे बैक्टीरिया फैल सकते हैं।

    दांतों में समस्या (Dental problem )

    हमारे शरीर के अन्य अंगों के साथ ही हमारे मुंह और मसूड़ों का हेल्दी रहना भी बेहद जरूरी है। अगर आप रोजाना ब्रश या फ्लॉस नहीं करते हैं, तो मुंह में बैक्टीरिया पैदा हो सकते हैं। यह बैक्टीरिया ब्लड स्ट्रीम में एंटर कर के इंफेक्शन का कारण बन सकते हैं।

    कैथेटर का अधिक प्रयोग (Long-term Catheter use)

    कैथेटर का अधिक प्रयोग के से भी यह समस्या होने का खतरा बढ़ सकता है।

    उम्मीद है कि आप इंफेक्टिव एंडोकार्डाइटिस के लक्षण (Infective Endocarditis signs) और रिस्क फैक्टर के बारे में अच्छे से जान गए होंगे। अगर आपको इस समस्या का जोखिम है तो अपने डॉक्टर को इस बारे में अवश्य बताएं। इंफेक्टिव एंडोकार्डाइटिस के लक्षण (Infective Endocarditis signs) नजर आने के बाद इसका निदान और उपचार बेहद जरूरी है। आइए जान लेते हैं कि इस समस्या का निदान और उपचार किस तरह से किया जा सकता है?

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    इंफेक्टिव एंडोकार्डाइटिस का निदान (Diagnosis of Infective Endocarditis)

    मेडलाइनप्लस(MedlinePlus) के अनुसार इस रोग के निदान के लिए डॉक्टर सबसे पहले रोगी से इंफेक्टिव एंडोकार्डाइटिस के लक्षण (Infective Endocarditis signs) के बारे में जानेंगे।  इसके बाद उसकी मेडिकल हिस्ट्री भी जानी जा सकती है। डॉक्टर रोगी की शारीरिक जांच भी करेंगे जैसे हार्ट मर्मर टेस्ट (Heart Murmur) या आई एग्जाम (Eye Exam) ताकि रेटिना में ब्लीडिंग या रेड स्पॉट्स आदि की जांच की जा सके। इसके अलावा अन्य टेस्ट्स भी किये जा सकते हैं, जैसे :

    • ब्लड कल्चर (Blood culture)
    • कम्पलीट ब्लड काउंट(Complete blood count )
    • इकोकार्डियोग्राम (Echocardiogram)
    • इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम (Electrocardiogram)
    • चेस्ट एक्स-रे (Chest X-ray)
    • कंप्यूटराइज्ड टोमोग्राफी स्कैन (Computerized tomography scan)
    • मैग्नेटिक रेजोनेंस इमेजिंग(Magnetic resonance imaging)

    इस समस्या के निदान के बाद डॉक्टर इसके उपचार के तरीके के बारे में निर्धारित करते हैं। इंफेक्टिव एंडोकार्डाइटिस का उपचार इस तरह से किया जा सकता है।

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    इंफेक्टिव एंडोकार्डाइटिस का उपचार (Treatment of Infective Endocarditis)

    इंफेक्टिव एंडोकार्डाइटिस (Infective Endocarditis) के उपचार के लिए रोगी को नसों के (IV या इंट्रावेनसली) या ओरली के माध्यम से एंटीबायोटिक्स दी जा सकती हैं। ब्लड कल्चर और टेस्ट्स के माध्यम से डॉक्टर रोगी के लिए बेहतरीन एंटीबायोटिक्स को चुन सकते हैं। इसके साथ ही रोगी को लॉन्ग-टर्म एंटीबायोटिक थेरेपी की जरूरत भी हो सकती है। यह थेरेपी चार से छे हफ़्तों तक दी जा सकती है, ताकि हार्ट चैम्बर्स और वॉल्व्स से बैक्टीरिया को नष्ट किया जा सके। जिस एंटीबायोटिक ट्रीटमेंट को अस्पताल में शुरू किया गया था, उसे रोगी को डिस्चार्ज के बाद घर में भी जारी रखने की जरूरत पड़ सकती है। कुछ स्थितियों में हार्ट वॉल्व रिप्लेसमेंट की जरूरत हो सकती है। कई बार सर्जरी की सलाह भी दी जा सकती है।

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    उम्मीद है कि आप इंफेक्टिव एंडोकार्डाइटिस के लक्षण (Infective Endocarditis signs), रिस्क फैक्टर्स, निदान और उपचार के बारे में जान गए होंगे। यह एक गंभीर समस्या है, ऐसे में इसके शुरुआती लक्षणों को पहचानना जरूरी है। ताकि, न केवल आपका उपचार जल्दी हो सके बल्कि आप जल्दी रिकवर भी हो पाएं। इसके साथ ही रोगी के लिए हेल्दी हैबिट्स को अपनाना भी जरूरी है। उम्मीद है आपको यह जानकारी पसंद आई होगी। अगर आपको इस संबंध में अधिक जानकारी चाहिए, तो हमसे जरूर पूछें। हम आपके सवालों के जवाब अपने मेडिकल एक्सर्ट्स द्वारा दिलाने की कोशिश करेंगे।

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    Nikhil deore द्वारा लिखित · अपडेटेड 21/12/2021

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