एंडोकार्डाइटिस एक हार्ट के चैम्बर्स और वॉल्व की इनर लायनिंग में होने वाली खतरनाक सूजन को कहा जाता है। यह समस्या अक्सर इंफेक्शन के कारण होती है। शरीर के अन्य भागों से बैक्टीरिया, वायरस, कवक और अन्य जर्म्स ब्लडस्ट्रीम से फैल जाते हैं और हार्ट के डैमेज्ड एरिया में अटैच हो जाते हैं, जिसके कारण यह इंफेक्शन होता है। अगर इस समस्या का उपचार जल्दी न किया जाए तो एंडोकार्डाइटिस के कारण हार्ट वॉल्व डैमेज हो सकते हैं । इस समस्या के उपचार में दवाइयां और कई बार सर्जरी शामिल है। लोगों जिन्हें एंडोकार्डाइटिस का अधिक जोखिम होता है, उनके हार्ट वॉल्व अक्सर डैमेज होते हैं या उन्हें अन्य हार्ट डिफेक्ट्स हो सकते हैं। आज हम बात करने वाले हैं माइट्रल वॉल्व एंडोकार्डाइटिस (Mitral Valve Endocarditis) के बारे में। तो आइए जानें क्या है माइट्रल वॉल्व एंडोकार्डाइटिस (Mitral Valve Endocarditis) और कैसे संभव है इसका उपचार।
माइट्रल वॉल्व एंडोकार्डाइटिस क्या है? (Mitral Valve Endocarditis)
दिल के बाएं एट्रियम और बाएं वेंट्रिकल के बीच के वॉल्व को माइट्रल वॉल्व (Mitral Valve) कहा जाता है। यह वॉल्व खून को बाएं एट्रियम से बाएं वेंट्रिकल तक जाने देता है। लेकिन, यह खून को रिवर्स डायरेक्शन में प्रवाहित नहीं होने देता। इस वॉल्व के दो फ्लैप्स होते हैं। माइट्रल वॉल्व एंडोकार्डाइटिस (Mitral Valve Endocarditis) को एक या दोनों माइट्रल वॉल्व लीफलेट्स (Mitral Valve Leaflets) के एक छोटे हिस्से या पूरे वॉल्व में होने वाले इंफेक्शन को कहा जाता है। इस समस्या के कई कारण हैं। लेकिन, बैक्टीरिया को इसका मुख्य कारण माना जाता है। यही नहीं इंफेक्टिव एंडोकार्डाइटिस को भी एक्यूट माइट्रल वॉल्व फेलियर (Acute Mitral Valve Failure) का एक कारण माना जाता है। अब जान लेते हैं इस समस्या के लक्षणों के बारे में। ताकि समय पर इन्हें पहचाना जा सके।
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माइट्रल वॉल्व एंडोकार्डाइटिस के लक्षण (Symptoms of Mitral Valve Endocarditis)
माइट्रल वॉल्व एंडोकार्डाइटिस के लक्षण हर व्यक्ति के लिए अलग हो सकते हैं। कुछ लोगों में इसके लक्षण एकदम देखने को मिलते हैं, तो कुछ में यह धीरे-धीरे विकसित होते हैं। अगर आप नीचे दिए लक्षणों में से कुछ का अनुभव करते हैं, तो तुरंत डॉक्टर की सलाह लें। माइट्रल वॉल्व एंडोकार्डाइटिस (Mitral Valve Endocarditis) के लक्षण इस प्रकार हो सकते हैं :
- बुखार (Fever)
- छाती में दर्द (Chest Pain)
- कमजोरी (Weakness)
- यूरिन में खून (Blood in Urine)
- ठंड लगना (Chills)
- पसीना आना (Sweating)
- रेड स्किन रैशेज (Red skin rash)
- मुंह या जीभ में सफेद दाने (White spots in Mouth or on Tongue)
- जोड़ों में दर्द या सूजन (Pain and Swelling in Joints)
- मसल्स में दर्द (Muscle Aches)
- असामान्य यूरिन का रंग (Abnormal urine color)
- थकावट (Fatigue)
- खांसी (Cough)
- सांस लेने में समस्या (Shortness of Breath)
- गले में खराश (Sore Throat)
- साइनस कंजेशन और सिरदर्द (Sinus Congestion and Headache)
- जी मचलना और उल्टियां (Nausea or Vomiting)
- वजन का कम होना (Weight Loss)
माइट्रल वॉल्व एंडोकार्डाइटिस (Mitral Valve Endocarditis) का अगर सही उपचार न कराया जाए, तो यह समस्या जान के लिए जोखिम बन सकती है। हालांकि इस बीमारी के लक्षण अन्य बीमारियों के जैसे हो सकते हैं। इसलिए, कई बार इसका निदान करना मुश्किल हो सकता है। अब जानिए क्या हैं इसके कारण?
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माइट्रल वॉल्व एंडोकार्डाइटिस के कारण (Causes of Mitral Valve Endocarditis)
जैसे की पहले ही बताया गया है कि माइट्रल वॉल्व एंडोकार्डाइटिस (Mitral Valve Endocarditis), माइट्रल वॉल्व (Mitral Valve) में होने वाली सूजन को कहा गया है। यह समस्या आमतौर पर बैक्टीरिया के कारण होती है। जो ब्लडस्ट्रीम में एंटर करते हैं और दिल में मौजूद इन वॉल्व को संक्रमित करते हैं। दुर्लभ मामलों में यह समस्या कवक या अन्य जीवों के कारण भी हो सकती है। इस समस्या के होने पर तुरंत मेडिकल ट्रीटमेंट जरूरी है। क्योंकि, बिना उपचार के हार्ट वॉल्व डैमेज हो सकते हैं। जिससे कई अन्य समस्याएं भी हो सकती हैं, जैसे:
- स्ट्रोक (Stroke)
- अन्य ऑर्गन्स का डैमेज होना (Damage to other Organs)
- हार्ट फेलियर (Heart Failure)
- मृत्यु (Death)
जिन लोगों का हार्ट हेल्दी है, उनमें यह समस्या होना दुर्लभ है। लेकिन, जिन्हें अन्य हार्ट डिजीज हैं। उन्हें यह समस्या होने का जोखिम अधिक रहता है। जानिए माइट्रल वॉल्व एंडोकार्डाइटिस (Mitral Valve Endocarditis) का जोखिम किन लोगों या स्थितियों में अधिक होता है।
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माइट्रल वॉल्व एंडोकार्डाइटिस के रिस्क फैक्टर्स के बारे में जानें (Risk Factors of Mitral Valve Endocarditis)
माइट्रल वॉल्व एंडोकार्डाइटिस का रिस्क कुछ स्थितियों में अधिक रहता है। यह स्थितियां इस प्रकार हैं :
- आर्टिफिशियल हार्ट वॉल्व की स्थिति में (Artificial Heart Valves)
- जन्मजात हृदय दोष (Congenital Heart Disease)
- हार्ट वॉल्व डिजीज (Heart Valve Disease)
- डैमेज्ड हार्ट वॉल्व (Damaged Heart Valves)
- हायपरट्रॉफिक कार्डियोमायोपैथी (Hypertrophic cardiomyopathy)
- एंडोकार्डाइटिस की हिस्ट्री (History of Endocarditis)
माइट्रल वॉल्व एंडोकार्डाइटिस (Mitral Valve Endocarditis) का जोखिम कुछ प्रक्रियाओं के बाद बढ़ जाता है। जिनके कारण ब्लडस्ट्रीम में बैक्टीरिया स्प्रेड हो सकते हैं, यह प्रोसीजर इस प्रकार हैं:
- डेंटल प्रोसीजर जिसमे मसूड़े शामिल हों (Dental Procedures)
- कैथेटर या नीडल का इंसर्शन (Insertion of Catheter or Needles)
- इंफेक्शन के उपचार के प्रोसीजर (Procedures to treat Infections)
इन प्रोसीजर के कारण स्वस्थ लोगों को जोखिम नहीं होता है। लेकिन, जिन लोगों में माइट्रल वॉल्व एंडोकार्डाइटिस (Mitral Valve Endocarditis) या अन्य हार्ट डिजीज होने का रिस्क रहता है। उन्हें थोड़ा सावधान रहना चाहिए। अगर आपको इनमें से किसी प्रोसीजर की जरूरत है, तो इनसे पहले डॉक्टर की सलाह अवश्य लें। इन प्रोसीजर्स को लेकर डॉक्टर आपका सही मार्गदर्शन कर सकते हैं। इस तरह से संभव है माइट्रल वॉल्व एंडोकार्डाइटिस का निदान।
माइट्रल वॉल्व एंडोकार्डाइटिस का निदान (Diagnosis of Mitral Valve Endocarditis)
माइट्रल वॉल्व एंडोकार्डाइटिस (Mitral Valve Endocarditis) के निदान के लिए डॉक्टर सबसे पहले रोगी से इसके लक्षणों के बारे में पूछेंगे। इसके साथ ही शारीरिक जांच भी की जा सकती है। रोगी की मेडिकल और फैमिली हिस्ट्री के बारे में भी जानना जरूरी है। डॉक्टर स्टेथोस्कोप की मदद से रोगी के हार्ट को सुनेंगे ताकि मर्मर की आवाज को सुन सकें, जो इस समस्या के दौरान मौजूद होती है। डॉक्टर बुखार की जांच भी कर सकते हैं। डॉक्टर इन टेस्ट्स की सलाह भी दे सकते हैं:
कम्पलीट ब्लड काउंट (Complete Blood Count)
अगर डॉक्टर को रोगी में माइट्रल वॉल्व एंडोकार्डाइटिस (Mitral Valve Endocarditis) का संदेह होता है, तो वो बैक्टीरिया के लिए ब्लड टेस्ट करा सकते हैं। कम्पलीट ब्लड काउंट (Complete blood count) भी कराया जा सकता है ताकि एनीमिया की जांच हो सके। रेड ब्लड सेल्स की कमी भी इस समस्या में हो सकती है।
एकोकार्डियोग्राम (Echocardiogram)
इसके साथ ही डॉक्टर आपको एकोकार्डियोग्राम (Echocardiogram) या हार्ट का अल्ट्रासाउंड करा सकते हैं। इस प्रक्रिया में इमेज को बनाने के लिए साउंड वेव्स का प्रयोग किया जाता है।एकोकार्डियोग्राम का प्रयोग डैमेज्ड टिश्यू, होल्स या हार्ट वॉल्व में अन्य स्ट्रक्चरल चैंजेस के लिए किया जाता है।
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इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम (Electrocardiogram)
डॉक्टर रोगी को इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम (Electrocardiogram) के लिए भी कह सकते हैं। इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम में डॉक्टर रोगी के हार्ट की इलेक्ट्रिकल एक्टिविटी को मॉनिटर करते हैं। यह एक पेनलेस टेस्ट है, जो इस समस्या के कारण होने वाली इर्रेगुलर हार्टबीट को जांचने के लिए किया जाता है। इसके साथ ही डॉक्टर अन्य इमेजिंग टेस्ट कराने की सलाह भी दे सकते हैं। अगर आपका हार्ट एंलार्ज हो तो इससे यह भी पता चल जाता है कि यह इंफेक्शन शरीर के अन्य भागों में तो नहीं फैल गया है। इन टेस्ट्स में यह शामिल है:
- चेस्ट एक्स-रे (Chest X-ray)
- कंप्यूटेड टोमोग्राफी स्कैन (Computed Tomography Scan)
- मैग्नेटिक रेजोनेंस इमेजिंग (Magnetic Resonance Imaging)
इन सब तरीकों से माइट्रल वॉल्व एंडोकार्डाइटिस (Mitral Valve Endocarditis) का निदान हो सकता है। अब जान लेते हैं कि इस समस्या के उपचार के बारे में।
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माइट्रल वॉल्व एंडोकार्डाइटिस का उपचार कैसे संभव है? (Treatment of Mitral Valve Endocarditis)
माइट्रल वॉल्व एंडोकार्डाइटिस (Mitral Valve Endocarditis) के कारण हार्ट वॉल्व को नुकसान होता है। अगर इसका उपचार सही समय पर न किया जाए, तो जान के लिए जोखिम भरा हो सकता है। इसके उपचार में एंटीबायोटिक्स (Antibiotics), सर्जरी (Surgery), जीवनशैली में बदलाव (Lifestyle Changes) आदि शामिल है। जानिए इसके बारे में विस्तार से:
एंटीबायोटिक्स (Antibiotics)
माइट्रल वॉल्व एंडोकार्डाइटिस (Mitral Valve Endocarditis) के उपचार में सबसे पहले शामिल है मरीज को एंटीबायोटिक्स देना। अस्पताल में उपचार के लिए रोगी को एंटीबायोटिक्स इंट्रावेनसली (Intravenously) दी जा सकती हैं या ओरली भी इन्हें दिया जा सकता है। डॉक्टर नियमित रूप से रोगी को ब्लड टेस्ट (Blood Test) कराने की सलाह भी दे सकते हैं, ताकि जाना जा सके कि इंफेक्शन में सुधार हुआ है या नहीं। यह एंटीबायोटिक्स का कोर्स रोगी को कितने दिन करना है, इसके बारे में डॉक्टर आपको सही सलाह दे सकते हैं।
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सर्जरी (Surgery)
अगर इस समस्या के कारण हार्ट वॉल्व को डैमेज हुआ है, तो सर्जरी की जरूरत भी हो सकती है। सर्जन रोगी को हार्ट वॉल्व की रिपेयरिंग की सलाह भी दे सकते हैं। इसके साथ ही वॉल्व को नए वॉल्व से भी रिप्लेस किया जा सकता है। जिसे एनिमल टिश्यू या आर्टिफिशियल मेटेरियल से बनाया जाता है। अगर एंटीबायोटिक्स काम न कर रहे हों या इंफेक्शन फंगल हो तो भी सर्जरी भी जरूरी है। हार्ट या हार्ट वॉल्व में इंफेक्शन में एंटीफंगल मेडिकेशन्स (Antifungal Medications) हमेशा प्रभावी नहीं होती हैं। जीवनशैली में बदलाव से भी माइट्रल वॉल्व एंडोकार्डाइटिस (Mitral Valve Endocarditis) को मैनेज किया जा सकता है, जानिए इसके बारे में।
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जीवनशैली में बदलाव (Change in Lifestyle)
हालांकि, माइट्रल वॉल्व एंडोकार्डाइटिस (Mitral Valve Endocarditis) से बचाव संभव नहीं है। लेकिन, अपने लाइफस्टाइल में अच्छे और हेल्दी बदलावों से आप इस स्थिति को मैनेज कर सकते हैं। इसके लिए आपको अपने जीवन में यह सब बदलाव करने चाहिए:
- संतुलित और हार्ट हेल्दी आहार का सेवन करें (Heart Healthy Food)
- सही और नियमित व्यायाम करें (Regular Exercise)
- तनाव से बचें (Avoid Stress)
- पर्याप्त आराम करें और नींद लें (Enough Sleep)
- शराब और धूम्रपान से बचें (Stay away from Alcohol and Smoking)
- नियमित चेकअप कराएं (Regular Checkup)
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यह तो आप जानते हैं कि माइट्रल वॉल्व एंडोकार्डाइटिस (Mitral Valve Endocarditis) एक जानलेवा स्थिति है। लेकिन, इसके अधिकतर रोगी एंटीबायोटिक ट्रीटमेंट्स से ठीक हो जाते हैं। इस समस्या से रिकवरी की संभावना कई फैक्टर्स पर निर्भर करती हैं जैसे रोगी की उम्र और इंफेक्शन के कारण आदि। रोगी के जल्दी उपचार से रिकवरी की पूरी संभावना अधिक होती है। इसके साथ ही डॉक्टर की सलाह का पालन करना भी बेहद जरूरी है। दवाईयों, सर्जरी, जीवनशैली में बदलाव और डॉक्टर के सही मार्गदर्शन से आप न केवल इस समस्या को मैनेज कर सकते हैं, बल्कि अपने जीवन की गुणवत्ता को भी बढ़ा सकते हैं। इस समस्या के लक्षण नजर आते ही तुरंत मेडिकल हेल्प लेना भी जरूरी है।
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