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टीचर्स डे: ऑनलाइन क्लासेज से टीचर्स की बढ़ती टेंशन को दूर करेंगे ये आसान टिप्स

टीचर्स डे: ऑनलाइन क्लासेज से टीचर्स की बढ़ती टेंशन को दूर करेंगे ये आसान टिप्स

रिमोट लर्निंग, वीडियो-कॉन्फ्रेंसिंग ऐप, वेबसाइट पर साइन इन करना, ऑनलाइन क्लासेज में पार्टिसिपेट करना या फिर फ्रेंड्स और टीचर्स के साथ इंटरैक्ट करना, ये सभी चीजें एक स्कूल स्टूडेंट के लिए काफी रोमांचक हो सकती हैं। लेकिन एक टीचर के लिए यही काम थका देनेवाला साबित होता है। हाल की स्थिति में इनहि कामों की वजह से टिचर्स के मानसिक स्वास्थ्य पर इसका बुरा असर देखने को मिल रहा है। 25 मार्च से देशव्यापी COVID-19 लॉकडाउन के चलते देशभर के स्कूलों के टीचर्स ऑनलाइन क्लासेज लेने पर मजबूर हो गए हैं। साथ ही लॉकडाउन में टीचर्स का मानसिक स्वास्थ्य भी प्रभावित हो रहा है। नतीजन, डिप्रेशन, स्ट्रेस और एंग्जायटी जैसी मेंटल हेल्थ प्रॉब्लम्स से आज ज्यादातर टीचर्स जूझ रहे हैं। वहीं नेशनल फाउंडेशन फॉर एजुकेशनल रिसर्च की रिपोर्ट में पाया गया है कि शिक्षकों में अन्य प्रोफेशन की तुलना में ऑक्यूपेशनल स्ट्रेस सबसे ज्यादा है। आज टिचर्स डे के अवसर पर हम सभी टिचर्स को बताना चाहते हैं कि कैसे लॉकडाउन में वे अपना मानसिक स्वास्थ्य दुरुस्त रख सकते हैं? आइए जानते हैं क्या हैं ये टिप्स।

लॉकडाउन में टीचर्स का मानसिक स्वास्थ्य: क्या कहते हैं टीचर्स?

“हैलो स्वास्थ्य’ की टीम ने कुछ टीचर्स से ऑनलाइन क्लासेज के एक्सपीरियंस के बारे में जाना। अलग-अलग सब्जेक्ट्स के टीचर्स ने ये कुछ बातें बताई-

लॉकडाउन में टीचर्स का मानसिक स्वास्थ्य: रिमोट टीचिंग है स्ट्रेसफुल

इंग्लिश टीचर आराधना बजाज (लखनऊ पब्लिक इंटर कॉलेज, लखनऊ) से ‘हैलो स्वास्थ्य’ ने इस विषय पर बातचीत की। वह कहती हैं, “स्टूडेंट्स को ई-लर्निंग (e-learning) के लिए सपोर्ट करने के लिए टेक्नोलॉजी के साथ काम करने का उनका अनुभव बहुत ही तनावपूर्ण है। अलग-अलग ऑनलाइन मीटिंग ऐप्स पर क्लासेज लेने के लिए इनवाइट भेजने के लिए उन्हें काफी स्ट्रगल करना पड़ता है। फिर बच्चों के लिए लर्निंग मटेरियल तैयार करना भी मुश्किल भरा काम है। नतीजन, वे अक्सर चिंतित और परेशान रहती हैं जिसका असर उनकी नींद पर भी पड़ता है।’

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लॉकडाउन में टीचर्स का मानसिक स्वास्थ्य: म्यूजिक क्लासेज लेना एक टफ काम

सिटी मॉन्टेसरी स्कूल (लखनऊ) की म्यूजिक टीचर तिथि घोष का कहना है, “और किसी सब्जेक्ट की तुलना में ऑनलाइन म्यूजिक क्लासेज लेना बेहद स्ट्रेसफुल है। ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के जरिए बच्चों तक कंटेंट डिलीवर करने के लिए उन्हें अक्सर ‘आउट ऑफ द बॉक्स’ चीजें सोचनी पड़ती हैं। इससे वे अक्सर एक तरह का दबाव महसूस करती हैं। पहले वे क्लासेज में वीडियो प्ले करती थीं और उनके साथ ही बच्चे गाना गाते थे। अभी अलग-अलग इंटरनेट कनेक्शन के कारण ऐसा करना बहुत कठिन हो जाता है। इन सबके अलावा एक असंतोष की भावना भी मन में रहती है, क्योंकि स्टूडेंट का फीडबैक और रेस्पॉन्स भी ठीक से नहीं मिल पाता है।’

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लॉकडाउन में टीचर्स का मानसिक स्वास्थ्य: ऑनलाइन क्लासेज मेंटल हेल्थ के लिए नहीं हैं सही

अवध स्कूल (लखनऊ) की हिंदी टीचर प्रीती अवस्थी का कहना है, “सब कुछ ऑनलाइन हो रहा है। इसलिए यह माना जाता है कि हर कोई हर समय अपडेट रहे, फोन चेक करता रहे। साथ ही ज्यादातर चीजें रात के समय में शॉर्ट नोटिस में ऑड टाइम में इंफॉर्म की जाती हैं। इससे हर समय दिमाग में यही रहता है कि फोन चेक करना है, कहीं कोई अपडेट तो नहीं आया है। ऐसे में हम लोग मेंटली कभी फ्री ही नहीं हो पाते हैं। नतीजन, मानसिक स्वास्थ्य प्रभावित होता है

स्टूडेंट्स, पेरेंट्स और स्कूल मैनेजमेंट की कॉल्स का जवाब देने के लिए टीचर्स खुद को हर समय अवेलेबल रखते हैं। सारी कॉल्स का जवाब देना कभी-कभी बेहद मुश्किल हो जाता है। इन्हीं सबके बीच इंस्ट्रक्शनल वीडियो बनाना एक तनावपूर्ण स्थिति है। ऑनलाइन कक्षाओं और असाइनमेंट का बोझ इतना ज्यादा है कि हैं कई बार अगले दिन की तैयारी में देर रात तक जागते रहना पड़ता है। जो कि शारीरिक और मानसिक रूप से स्वास्थ्य पर भारी पड़ रहा है।’

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लॉकडाउन में टीचर्स का मानसिक स्वास्थ्य: क्या कहते हैं आंकड़े?

लॉकडाउन के दौरान ज्यादातर वर्क फ्रॉम होम कल्चर में वर्क और लाइफ के बीच बैलेंस बनाना प्रोफेशनल्स के लिए एक चिंता का विषय है। कम्युनिटी मेंटल हेल्थ जर्नल में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार 3 अप्रैल 2020 से 6 अप्रैल 2020 तक (पहले राष्ट्रीय लॉकडाउन का दूसरा सप्ताह) आयोजित ऑनलाइन सर्वे में शिक्षकों ने माइल्ड डिप्रेशन की सूचना दी। 110 पुरुष और 291 महिलाओं ने इस सर्वे में भाग लिया। तनाव, चिंता और अवसाद की मीन वैल्यू पुरुषों की तुलना में महिलाओं में अधिक पाई गई।

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लॉकडाउन में टीचर्स का मानसिक स्वास्थ्य रहेगा ठीक, आजमाएं ये टिप्स

COVID-19 के दौरान नियंत्रित करने योग्य चीजों पर ध्यान दें

कोविड-19 से कौन प्रभावित होगा, आगे क्या होगा, चीजें कैसे वर्क करेंगी? ये कुछ ऐसी बातें हैं, जिन पर आपका कोई कंट्रोल नहीं है। लेकिन कुछ चीजें हैं जिन्हें आप नियंत्रित कर सकते हैं। जैसे, आप अपना समय कैसे बिताना पसंद करते हैं? आपकी प्रायोरिटी क्या है? इन सभी बातों पर ध्यान केंद्रित करके इन्हें नियंत्रित कर सकते हैं। इन्हें प्राथमिकता देकर आप अपने मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर रखने में खुद की मदद कर सकते हैं।

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खुद के लिए समय निकालें

अब हर कोई पहले से कहीं ज्यादा शारीरिक स्वास्थ्य के लिए जागरुक है। लेकिन मेंटल हेल्थ को बनाए रखना भी जरूरी है। ऐसी चीजों के लिए कुछ समय निकालने की कोशिश करें, जो आपको बैलेंस्ड महसूस कराएगा, जैसे, रीडिंग, एक्सरसाइज, मेडिटेशन, गार्डनिंग आदि। यह सब आपके मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाए रखने में मदद कर सकता है।

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व्यायाम जरूरी

इस समय के दौरान कई शिक्षकों के लिए सबसे बड़ी मुसीबत उनका गतिहीन होना है। लंबे समय तक बिना किसी ब्रेक के ऑनलाइन क्लासेज लेने से टीचर्स की हेल्थ पर असर पड़ रहा है। इन ऑनलाइन कक्षाओं के लिए मोबाइल और कंप्यूटर का अत्यधिक उपयोग, बिना ब्रेक की लंबी क्लासेज आदि से बैक पेन, ड्राई आईज जैसी तमाम स्वास्थ्य समस्याएं अध्यापकों में देखने को मिल रही हैं। रिमोट टीचिंग के चलते टीचर्स का मूवमेंट काफी कम हो गया है। इसके लिए आप टाइमर सेट करें। ताकि आपको बीच-बीच में ब्रेक लेना याद रहे।

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सेल्फ कम्पैशन की जरूरत

अब पहले से कहीं ज्यादा, हमें मेंटल वेलनेस को बनाए रखने में खुद की मदद करने की जरूरत है। टीचर्स अक्सर बच्चों को सेल्फ कम्पैशन की बातें  सिखाते हैं। मौजूदा समय में यह आप खुद पर भी लागू करें। ऐसा करने पर आप अपने मानसिक स्वास्थ्य को लाभ पहुंचा सकेंगे।

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सेल्फ एक्सपेक्टेशन की रियलिटी को समझें

हमें यह स्वीकार करने की आवश्यकता है कि महामारी के समय में चीजें अलग हैं। हम जरूरत से ज्यादा प्रोडक्टिव होने की उम्मीद नहीं कर सकते हैं। खासकर जब आप एक फीमेल हैं। आपको घर, फैमिली और डिस्टेंस टीचिंग के बीच में एक साथ तालमेल बैठाना है। इसलिए सभी लोगों के लिए सभी चीजें आप एक साथ नहीं कर सकती हैं। बेहतर होगा छोटे और रियलिस्टिक गोल्स को सेट करें।

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बातचीत करें

लोगों को खासकर अपने सहयोगियों और सुपरवाइजर्स को बताएं कि आप कैसा फील कर रहे हैं? किन चीजों से ऑनलाइन टीचिंग को आसान बनाया जा सकता है? इस जैसी तमाम बातों पर एक-दूसरे से बात करें। यह कई लोगों के लिए सबसे मुश्किल चीजों में से एक है, लेकिन मेंटल हेल्थ और वेलनेस को बनाए रखने के लिए उतना ही महत्वपूर्ण है।

यदि आपको लगता है कि आप एक कठिन दौर से गुजर रहे हैं, मूड को संतुलित करने में परेशानी आ रही है, मन में नेगेटिव थॉट्स या खुद को चोट पहुंचाने का कोई विचार आता है, तो कृपया अपनी बातें किसी के साथ शेयर करें। आप काउंसलर की मदद भी ले सकते हैं। परिवार के सदस्यों से बात करें। कोरोना का असर शारीरिक स्वास्थ्य के साथ-साथ मानसिक स्वास्थ्य पर भी पड़ रहा है। ऐसे में खुद की मेंटल हेल्थ पर ध्यान दें। अपने लिए भी समय निकालें। इस टिचर्स डे पर बच्चों के साथ-साथ शिक्षक अपना भी ध्यान रखें।

डिस्क्लेमर

हैलो हेल्थ ग्रुप हेल्थ सलाह, निदान और इलाज इत्यादि सेवाएं नहीं देता।

Supporting teachers’ mental health and wellbeing: Evidence review. http://www.healthscotland.scot/media/2951/supporting-teachers-mental-health-and-wellbeing-english-feb2020.pdf. Accessed On 02 Sep 2020

Advice for teachers on looking after your wellbeing during the Covid-19 lockdown. https://theeducationhub.org.nz/advice-for-teachers-on-looking-after-your-wellbeing-during-the-covid-19-lockdown/. Accessed On 02 Sep 2020

Depression, Anxiety and Stress Among Indians in Times of Covid-19 Lockdown. https://link.springer.com/article/10.1007/s10597-020-00664-x. Accessed On 02 Sep 2020

Coronavirus support. https://www.educationsupport.org.uk/coronavirus-support. Accessed On 02 Sep 2020

TEACHERS RESOURCE GUIDE FOR VIRTUAL CLASSROOM. http://teenmentalhealth.org/product/teachers-resource-guide-virtual-classroom/. Accessed On 02 Sep 2020

Current Version

03/09/2020

Shikha Patel द्वारा लिखित

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील

Updated by: Toshini Rathod


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Shikha Patel द्वारा लिखित · अपडेटेड 03/09/2020

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