बच्चों में डायबिटीज की समस्या पिछले कुछ सालों में तेजी से बढ़ती जा रही है। 18 साल से कम उम्र के बच्चों में टाइप 1 डायबिटीज मामले सबसे ज्यादा देखने को मिलते हैं। इससे बच्चे के स्वास्थ्य पर तो बुरा असर पड़ता ही है। साथ ही साथ बच्चों में डायबिटीज के लक्षण से उसकी सोशल लाइफ पर भी बुरा असर पड़ सकता है। बच्चों में मधुमेह के लक्षणों को जल्द से जल्द पहचानने से डायबिटीज के उपचार में मदद मिल सकती है। इससे बच्चों को भविष्य़ में कई तरह के रोगों से बचाया जा सकता है। इसलिए, “हैलो स्वास्थ्य” के इस आर्टिकल में जानते हैं कि बच्चों में डायबिटीज टाइप 1 और टाइप 2 के कारण और लक्षण क्या हैं? यह बीमारी बच्चों की जिंदगी को किस तरह प्रभावित कर सकती है।
बच्चों में डायबिटीज टाइप 1 के कारण क्या हैं? (Type-1 Diabetes in children)
बच्चों में डायबिटीज टाइप 1 के कारण अज्ञात हैं। टाइप 1 मधुमेह के कारणों पर अभी भी शोध किया जा रहा है। संभावित कारणों में शामिल हैं:
- कुछ लोगों में जीन टाइप 1 मधुमेह का कारण बन सकता है।
- इम्युनिटी वाली दवा टाइप 1 मधुमेह का कारण हो सकता है।
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बच्चों में टाइप 1 डायबिटीज के लक्षण क्या हैं? (Signs of type-1 diabetes in children)
बच्चों में टाइप 1 मधुमेह, जिसे जुवेनाइल डायबिटीज (Juvenile diabetes) कहा जाता है, तब होता है जब पैंक्रियाज इन्सुलिन बनाने में असमर्थ होता है। ग्लूकोज के मेटाबोलाइज होने की प्रक्रिया बाधित होती है। नतीजन, शरीर में हाई ब्लड शुगर लेवल देखने को मिलता है। टाइप 1 मधुमेह अक्सर बचपन या किशोरावस्था के दौरान दिखाई देता है, लेकिन यह किसी भी समय शुरू हो सकता है। बच्चों में टाइप 1 डायबिटीज के सबसे आम लक्षणों में शामिल हैं:
- प्यास ज्यादा लगना
- जल्दी-जल्दी यूरिन पास करना
- जल्दी-जल्दी भूख लगना
- वजन कम होना
- बच्चों में थकान
- बच्चों में चिड़चिड़ापन
- सांस से बदबू आना
- देखने में समस्या होना या धुंधला दिखाई देना
- लड़कियों में यीस्ट इंफेक्शन के लक्षण भी दिख सकते हैं।
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बच्चों में टाइप 2 डायबिटीज के लक्षण क्या हैं? (Signs of Type-2 diabetes in children)
सालों पहले, टाइप 2 मधुमेह वाले बच्चों के बारे में सुनना दुर्लभ था। ज्यादातर बच्चों में केवल टाइप 1 डायबिटीज के ही लक्षण दिखते थे। लेकिन, अब ऐसा नहीं है। सीडीसी (सेंटर ऑफ डिजीज कंट्रोल) के अनुसार, 20 से कम उम्र के 208,000 से भी अधिक बच्चों में डायबिटीज है। जिसमें टाइप 1 और टाइप 2 डायबिटीज दोनों शामिल हैं।
टाइप 2 मधुमेह में, पैंक्रियाज इंसुलिन बनाता है लेकिन शरीर सामान्य रूप से इसको रेस्पॉन्ड नहीं कर पाता है। ग्लूकोज कोशिकाओं में प्रवेश करने और एनर्जी बनाने में असफल हो जाता है। इसे इंसुलिन रेजिस्टेंस कहा जाता है। इससे रक्त शर्करा का स्तर बढ़ जाता है, इसलिए पैंक्रियाज को इंसुलिन बनाने के लिए ज्यादा काम करना पड़ता है। आखिरकार, यह तनाव रक्त शर्करा के स्तर को सामान्य रखने के लिए अग्न्याशय को पर्याप्त इंसुलिन का उत्पादन करने में असमर्थ बना सकता है। शरीर में ब्लड शुगर लेवल बढ़ने से भविष्य में बच्चों को हृदय रोग, आई डैमेज (अंधापन) और किडनी फेलियर का सामना भी करना पड़ सकता है। टाइप 2 मधुमेह होने की संभावना लड़कियों, अधिक वजन वाले बच्चों और डायबिटीज की फैमिली हिस्ट्री रखने वाले बच्चों में ज्यादा होती है। बच्चों में टाइप 2 डायबिटीज के लक्षण हो सकते हैं जैसे-
- अधिक बार टॉयलेट जाना, विशेष रूप से रात में
- प्यास ज्यादा लगना
- अत्यधिक थकान लगना
- बिना किसी कारण वजन घटना
- जननांगों के आसपास खुजली (यीस्ट इंफेक्शन का एक लक्षण)
- चोट या घाव का धीमी गति से भरना
- धुंधला दिखना आदि
बच्चों में टाइप 1 मधुमेह के लक्षण कुछ हफ्तों में तेजी से विकसित होते हैं। वहीं, टाइप 2 डायबिटीज के लक्षण धीरे-धीरे विकसित होते हैं। निदान प्राप्त करने में महीनों या वर्षों का समय लग सकता है।
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बच्चों में टाइप 2 डायबिटीज के कारण क्या हैं? (Causes of type-2 diabetes in children)
अधिक वजन होने के कारण बच्चों में टाइप 2 मधुमेह होने की संभावना ज्यादा होती है। दरअसल, ज्यादा वजन वाले बच्चों में इंसुलिन प्रतिरोध की संभावना बढ़ जाती है। इसके अलावा आनुवंशिकी भी बच्चों में टाइप 2 डायबिटीज के लक्षणों को जन्म दे सकती है। उदाहरण के लिए, यदि एक माता-पिता में से किसी एक में या दोनों को ही टाइप 2 मधुमेह है तो बच्चों में मधुमेह का खतरा बढ़ जाता है।
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बच्चों में डायबिटीज के लक्षण और उनकी फ्रेंड्स लाइफ
मेलेटस (मधुमेह) खतरनाक स्थिति है जिससे बच्चों को अन्य बीमारियों की भी संभावना बनी रहती है। बच्चों में टाइप 1 और टाइप 2 डायबिटीज के लक्षणों को कम करने के लिए स्वस्थ व संतुलित आहार, व्यायाम और नियमित परीक्षण कराने की सलाह दी जाती हैं। जिन बच्चों या टीनेजर्स को मधुमेह का पता चलता है, वे भावनात्मक रूप से भी काफी संघर्ष करते हैं। अधिकांश बच्चों के सामाजिक जीवन पर डायबिटीज का बहुत ज्यादा प्रभाव पड़ता है। जैसे-
- कई बच्चे फ्रेंड्स के साथ बाहर जाने पर कुछ भी न खाने की वजह से कभी वे दुःखी हो जाते हैं तो कभी उन्हें गुस्सा भी आता है। उसे यह भी लग सकता है कि वे और बच्चों से अलग क्यों हैं या उसे ही यह बीमारी क्यों हुई। हालांकि, ये भावनाएं आमतौर पर समय और प्रॉपर फैमिली और फ्रेंड्स के सपोर्ट से कम हो जाती हैं।
- बच्चों में यह भी डर रहता है कि उनके फ्रेंड सर्किल में पता चलेगा कि उसे डायबिटीज है तो दोस्तों का रिएक्शन नेगेटिव भी हो सकता है। बच्चा दोस्तों की संभावित नकारात्मक प्रतिक्रियाओं के बारे में शर्मिंदगी मह्सूस करता है।
- बच्चे के लिए स्कूल की कुछ एक्टिविटीज करना कठिन साबित हो सकता हैं। ब्लड शुगर लेवल कभी भी कम या ज्यादा होने से बच्चे की लर्निंग और परसेप्शन एबिलिटी भी प्रभावित हो सकती है।
- हो सकता है बच्चा स्कूल जाने में भी आनाकानी करना शुरू कर दे।
- टीनएजर्स में डायबिटीज का स्ट्रेस उन्हें स्मोकिंग, शराब पीने और अवैध ड्रग्स के सेवन के लिए भी प्रेरित कर सकता है।
बच्चों में डायबिटीज के निदान के तुरंत बाद की स्थिति काफी चुनौतीपूर्ण हो सकती है। दोस्तों, परिवार और डॉक्टर के इमोशनल सपोर्ट इस दौरान बहुत मददगार हो सकता है और बच्चों या किशोरों को डायबिटीज से निपटने के तरीके में सुधार कर सकता है।
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मधुमेह से पीड़ित बच्चे और किशोर (Diabetic Teenagers)
हर दिन डायबिटीज के साथ रहना और उसे मैनेज करना बच्चे के लिए एक संघर्ष हो सकता है। बच्चे आमतौर पर सोचने लगते हैं कि
- वे परिवार पर बोझ हैं।
- पेरेंट्स का अलग तरह का व्यवहार उनको महसूस कराता है जैसे कि वे ‘बीमार’ हैं।
- लगातार माता-पिता के सवालों का सामना करना बच्चों के लिए मानसिक तौर पर कठिन हो जाता है। आपको कैसा लग रहा है, तुमने अपनी दवाई ली या नहीं, कैंटीन में कुछ तो नहीं खाया जैसे तमाम सवालों से बच्चा इरिटेट हो सकता है।
- माता-पिता या फैमिली मेमबर्स से ज्यादा ध्यान मिलने की वजह से अन्य भाई-बहनों में ईर्ष्या की भावना भी जन्म ले सकती है।
- बच्चों में डायबिटीज का पता लगने के बाद उनका दुखी या गुस्सा होना लाजमी है। आखिरकार, मधुमेह एक आजीवन स्थिति है। डायबिटीज को कंट्रोल करने के लिए आवश्यक कार्यों को जीवन भर जारी रखना पड़ता है।
यदि बच्चे उदास या स्ट्रेस में रहने की वजह से डायबिटीज मैनेजमेंट से जूझते हैं, तो आपको सपोर्ट ग्रुप की मदद लेनी चाहिए।
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डायबिटीक बच्चों के आहार संबंधी फैक्ट पॉइंट्स
- हेल्दी मील प्लानिंग मधुमेह प्रबंधन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
- डायबिटीज से ग्रस्त बच्चों के लिए हेल्दी ईटिंग दूसरे लोगों की तरह ही जरूरी है।
- बच्चे को विशेष खाद्य पदार्थ खाने की आवश्यकता नहीं है।
- नियमित शारीरिक व्यायाम सभी उम्र के लोगों के लिए जरूरी है।
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बच्चों में डायबिटीज के लक्षण को दूर करने के लिए दे अच्छा पोषण
जिन बच्चों में डायबिटीज टाइप 1 के लक्षण पाए जाते हैं उनके लिए पोषक तत्वों से भरपूर खाद्य पदार्थों की आवश्यकता किसी सामान्य बच्चे की तरह ही होती है जो उन्हें स्वस्थ वजन बढ़ाने में मदद करते हैं। एक दिन में, आपके बच्चे को प्रोटीन से लगभग 10% -20% कैलोरी, हेल्दी फैट से 25% -30% अपनी कैलोरी का लगभग और लगभग 50% -60% कार्बोहाइड्रेट प्राप्त करना चाहिए।
कार्बोहाइड्रेट (Carbohydrates)
केवल रोटी और आलू में नहीं बल्कि कार्ब्स ज्यादातर खाद्य पदार्थों में पाए जाते हैं। कार्बोहाइड्रेट बॉडी में एनर्जी बनाते हैं जिसका इस्तेमाल शरीर और मस्तिष्क बेहतर काम करने के लिए करता है। बच्चे की डायट में सब्जियों और साबुत अनाज को शामिल करें। वाइट ब्रेड, पास्ता, प्रोसेस्ड फूड्स और कैंडी से बच्चे को दूर रखने की कोशिश करें। इससे ब्लड शुगर लेवल बढ़ सकता है। बच्चे की कार्बोहाइड्रेट की मात्रा उसके वजन, उम्र, व्यायाम के स्तर और उसके द्वारा ली जाने वाली दवाओं पर निर्भर करती है।
ये खाने से बचें (Avoid these foods)
हलाकि ऐसे कोई विशिष्ट खाद्य पदार्थ नहीं हैं जिनको खाने की मनाही है। डायबिटीज ग्रस्त लोगों में हृदय रोग विकसित होने का खतरा अधिक होता है। इस वजह से, बच्चे को वसायुक्त खाद्य पदार्थों से दूर रखना अच्छा होता है। कोलेस्ट्रॉल, संतृप्त वसा और ट्रांस फैट से समृद्ध फूड्स को बच्चे से दूर रखना ही सही है। कैंडी, कुकीज, फ्रॉस्टिंग या सोडा जैसे शर्करा वाले खाद्य पदार्थों को सीमित करें। इसके सेवन से ब्लड शुगर लेवल जल्दी बढ़ता है। पेरेंट्स कार्ब काउंटिंग के आधार पर इंसुलिन को समायोजित करें।
यदि आपका बच्चा आपकी मील प्लानिंग से कम या अलग समय पर भोजन करता है, तो उसे हाइपोग्लाइसीमिया (Hyperglycemia) हो सकता है। यदि ऐसा होता है, तो आपको कुछ समायोजन करने की आवश्यकता हो सकती है। अपने डॉक्टर से मील प्लान, इंसुलिन डोज या अन्य दवा की खुराक के बारे में बात करें।
हाइपोग्लाइसीमिया या निम्न रक्त शर्करा, गंभीर समस्याएं पैदा कर सकता है जिन्हें तुरंत उपचार की आवश्यकता होती है। मील या ब्रेकफास्ट स्किप करने से या उचित मात्रा में कार्ब्स न लेने से बच्चे का ग्लूकोज लेवल गिर सकता है। ऐसा तब भी हो सकता है जब बच्चा इंसुलिन को गलत समय पर लेता है या अधिक व्यायाम करता (एक्स्ट्रा स्नैक्स या इंसुलिन को समायोजित किए बिना) है। यदि आपके बच्चे का ब्लड शुगर लेवल कम है, तो उसे कुछ मीठा खाने को दें। सोडा, संतरे का रस या यहां तक कि केक फ्रॉस्टिंग से ग्लूकोज का स्तर जल्दी बढ़ता है।
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बच्चों में डायबिटीज में कौन से फल खिलाएं?
नाशपाती, सेब और स्ट्रॉबेरी जैसे फल प्रोटीन और विटामिन के अच्छे और नेचुरल स्त्रोत हैं। अमेरिकन डायबिटीज एसोसिएशन (ADA) के अनुसार, सेब में शुगर, फाइबर और कार्बोहाइड्रेट की मात्रा होती है। ब्रेकफास्ट में रोजाना एक सेब टाइप-1 डायबिटीज और टाइप-2 डायबिटीज (मधुमेह) के जोखिमों को कम करने में विशेष रूप से फायदेमंद होता है। डायबिटीज में फल के तौर पर तरबूज को भी शामिल कर सकते हैं। इसमें कई तरह के खनिजों और विटामिन पाए जाते हैं।
इन्हें बच्चों की डायट में शामिल करें। इससे डायबिटीज को कंट्रोल करने में सहायता मिल सकती है। इसके अलावा केले में 93 प्रतिशत कैलोरी कार्ब्स से आती है। एक अध्ययन के मुताबिक, केला टाइप-2 मधुमेह के लक्षणों को कंट्रोल कर सकता है। हालांकि, इसकी सीमित मात्रा का ही इस्तेमाल करें। डायबिटीज में फल के तौर पर कुछ फलों और उनके जूस को भी एक सीमित मात्रा में खाना चाहिए। ध्यान रखें कि आपका बच्चा जो भी खाए एक लिमिट में ही खाएं जिससे उसका ब्लड शुगर लेवल मेनटेन रहें। डायबिटीज में खाने का पोर्शन बहुत मायने रखता है।
डायबिटीज में फल के तौर पर ड्राई फ्रूट्स का इस्तेमाल न करें। आमतौर पर यह सेहत के लाभकारी होता है। हालांकि, मधुमेह ड्राई फ्रूट्स का सेवन करना जोखिम भरा होता है। दरअसल, ड्राई फ्रूट्स में शुगर की मात्रा ज्यादा होती है।
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बच्चों में डायबिटीज के उपचार के लिए पेरेंट्स अपनाएं ये टिप्स
बच्चे में डायबिटीज के लक्षण माता-पिता को परेशान कर सकते हैं। पेरेंट्स नीचे बताए गए टिप्स को ध्यान से पढ़ें।निश्चित रूप से इससे आपको डायबिटीज को समझने और उसे कंट्रोल करने में मदद मिलेगी।
- बच्चे का शुगर लेवल नियंत्रित रखें। इसके लिए आप नियमित अंतराल पर उसका ब्लड शुगर लेवल (blood sugar level) चेक करते रहें। साथ ही बच्चे को भी शुगर चेक करना सिखाएं ताकि वह स्कूल में या दूसरी क्लासेस में खुद से चेक कर सके।
- बच्चे को डायबिटीज में हेल्दी खाना खिलाएं। इसके लिए आप डॉक्टर या न्यूट्रिशनिस्ट से भी सलाह ले सकते हैं।
- बच्चों में डायबिटीज के लक्षण को कम करने के लिए बच्चे का वजन अगर ज्यादा है तो उसे कम किया जाए। इसके लिए बच्चे को एक्सरसाइज कराएं।
- समय-समय पर बच्चे की डॉक्टर से नियमित जांच कराएं।
- स्कूल में बच्चे के डायबियिक होने की जानकारी दें।
- यदि आपका बच्चा टीनएजर है और वह अपना ख्याल रख सकता है तो उसे आप एक सामान्य जीवन जीने दें। उसके पीछे ज्यादा पड़े रहने से वह इरिटेट हो सकता है।
आशा करते हैं आपको यह लेख पसंद आया होगा। ऊपर बताए गए डायबिटीज के लक्षणों और कारणों को समझकर बच्चों में मधुमेह को मैनेज करना आसान होगा।
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