ब्रेस्ट इंगोर्जमेंट क्या है?
शिशु के जन्म के बाद मां को ब्रेस्ट में सूजन हो या दर्द होने की स्थिति को ब्रेस्ट इंगोर्जमेंट (Breast Engorgement) कहते हैं। ऐसा ब्लड फ्लो बढ़ने के साथ ही ब्रेस्ट में मिल्क सप्लाई की वजह से होता है। नवजात को जन्म देने वाली मां को यह परेशानी बेबी डिलिवरी के बाद पहले दिन भी या बेबी डिलिवरी के कुछ दिनों बाद भी हो सकती है। अगर महिला ब्रेस्टफीडिंग नहीं भी करवाना चाहती है, तो भी ब्रेस्ट इंगोर्जमेंट की समस्या हो सकती है। महिला को स्तन में होने वाले दर्द की जानकारी स्वास्थ्य विशेषज्ञ या नर्स को जरूर देनी चाहिए, क्योंकि इस परेशानी को अनदेखा किया गया तो मिल्क फॉर्मेशन बंद हो सकता है।
वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (WHO) के अनुसार बेबी डिलिवरी के बाद शिशु को जन्म देने वाली मां को पहले खुद से स्तनपान करवाने दें। इस दौरान उन्हें परेशान न करें और अगर उन्हें हेल्प की जरूरत होती है, तो उनकी मदद करें।
ब्रेस्ट इंगोर्जमेंट के लक्षण क्या हैं?
स्तन इंगोर्जमेंट के लक्षण हर महिलाओं में अलग-अलग होते हैं लेकिन, निम्नलिखित लक्षण महसूस किया जा सकते हैं या देखें जा सकते हैं। इन लक्षणों में शामिल है:-
- ब्रेस्ट का सख्त होना या टाइट होना
- स्तन का सामान्य से ज्यादा गर्म होना
- स्तन में भारीपन महसूस होना
- ब्रेस्ट में लंप होना
- ब्रेस्ट में सूजन होना। एक या दोनों ब्रेस्ट में सूजन की समस्या हो सकती है
- ब्रेस्ट के नर्व आसानी से नजर आना
- शरीर का तापमान बढ़ना और थकावट महसूस होना
शिशु को जन्म देने वाली महिलाओं को ऊपर बताये गए ये 7 लक्षण नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। अगर इन लक्षणों के अलावा अगर स्तन इंगोर्जमेंट या कोई अन्य ब्रेस्ट से जुड़े लक्षण भी नजर आते हैं या आप महसूस करती हैं, तो इसे छिपाय नहीं और न ही घबराएं। अपने परेशानी अपने हेल्थ एक्सपर्ट को बताएं
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ब्रेस्ट इंगोर्जमेंट का कारण क्या है?
डिलिवरी के बाद ब्लड फ्लो बढ़ने की वजह से ब्रेस्ट इंगोर्जमेंट की समस्या शुरू हो सकती है। ब्रेस्ट इंगोर्जमेंट ब्लड फ्लो के साथ-साथ इसके निम्नलिखत कारण हो सकते हैं। जैसे:-
- शिशु को स्तनपान नहीं करवा पाना
- शिशु के डिलिवरी के 3 से 5 दिनों बाद भी मिल्क फॉर्मेशन नहीं होना
- स्तन में दूध ठीक तरह से नहीं बनना
- मिल्क फॉर्मेशन होने के बाद भी शिशु को ठीक तरह से स्तनपान नहीं करवा पाना
- जानकारी के अभाव की वजह से डिलिवरी के बाद शुरुआती दो-तीन दिनों तक बेबी को ब्रेस्टफीडिंग ठीक तरह से नहीं करवाना
- अगर ज्यादा मिल्क फॉर्मेशन हो रहा है, तो ऐसी स्थिति में ब्रेस्ट पंप से मिल्क निकालना। अगर मिल्क नहीं निकाला गया तो ब्रेस्ट लंप होने की संभावना होती है जो बाद में ब्रेस्ट कैंसर का कारण बन सकता है।
स्तन इंगोर्जमेंट के इन ऊपर बताये गये छह कारणों के अलावा अन्य कारण भी हो सकते हैं। इसलिए शिशु को स्तनपान करवाते वक्त ध्यान रखें कि शिशु ठीक तरह से दूध पी रहा है या नहीं और आपको स्तन से जुड़ी कोई परेशानी महसूस हो रही है या नहीं।
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ब्रेस्ट इंगोर्जमेंट की समस्या से बचने के लिए क्या किया जा सकता है?
स्तनपान करवाने वाली महिलाओं को ब्रेस्ट इंगोर्जमेंट से बचने के लिए निम्नलिखित टिप्स फॉलो करना चाहिए। इन टिप्स में शामिल है:-
- नर्सिंग के दौरान ब्रेस्ट की मालिश करें
- बच्चा जब तक स्तनपान करना चाहे तब तक उसे ब्रेस्टफीडिंग करवाते रहें
- अगर कोई महिला मिल्क फॉर्मेशन होने के बाद भी ब्रेस्टफीडिंग नहीं करवा पाती है, तो ऐसे में ब्रेस्ट पंप का इस्तेमाल करना चाहिए
- दोनों ब्रेस्ट से ब्रेस्टफीडिंग करवायें
- ब्रेस्ट में दर्द या सूजन होने पर आइस पैक का इस्तेमाल करें
- तीन-तीन घंटे के गैप में शिशु को ब्रेस्टफीडिंग करवाते रहें। अगर आपका शिशु सो रहा है, तो ऐसी स्थिति में भी तीन-तीन घंटे पर उसे स्तनपान करवाएं।
- अगर मिल्क फॉर्मेशन ज्यादा हो रहा है, तो ऐसी स्थिति में ब्रेस्ट पंप की मदद से ब्रेस्ट से मिल्क निकालें
- शिशु को अचानक से ब्रेस्टफीडिंग करवाना न छुड़वाएं। अगर ब्रेस्टफीडिंग करवाने वाली महिला ऐसा करती हैं, तो स्तन इंगोर्जमेंट होने की संभावना बढ़ सकती है
- ब्रेस्टफीडिंग करवाने वाली महिला को ज्यादा से ज्यादा आराम करना चाहिए
- अगर स्तनपान करवाने वाली महिला शिशु को स्तनपान करवाने में परेशानी महसूस होती है, तो डॉक्टर से सलाह लें और ब्रेस्टफीडिंग करवाने का सही तरीका समझें
- ब्रेस्टफीडिंग करवाने वाली महिलाओं को आरामदायक ब्रा पहनना चाहिए
इन 11 टिप्स को फॉलो कर स्तन इंगोर्जमेंट की समस्या से बचा जा सकता है। महिलाओं को स्तनपान जरूर करवाना चाहिए। स्वास्थय विशेषज्ञों के अनुसार ब्रेस्टफीडिंग करवाने से ब्रेस्ट कैंसर का खतरा कम होता है। इसलिए महिलाओं को ब्रेस्टफीडिंग जरूर करवाना चाहिए।
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क्या ब्रेस्ट इंगोर्जमेंट और मैस्टाइटिस दोनों समान है?
स्तन इंगोर्जमेंट होने पर स्तन में दर्द महसूस होता है और परेशानी दोनों ब्रेस्ट में महसूस की जाती है। जबकि मैस्टाइटिस (Mastitis) होने की स्थिति में सूजन सिर्फ एक ही ब्रेस्ट में होता और इसमें अत्यधिक दर्द होता है। देखा जाए तो मैस्टाइटिस एक ऐसी समस्या है जिसमें महिलाओं के स्तन के टिशू में सूजन हो जाती है। आमतौर पर यह ब्रेस्ट डक्ट में इंफेक्शन के कारण होता है और ज्यादातर स्तनपान कराने वाली महिलाएं ही इस बीमारी से ग्रसित होती हैं। ब्रेस्टफीडिंग कराने वाली महिलाएं शुरूआती 6 से 12 हफ्तों तक इस समस्या से परेशान रहती हैं, तो वहीं कुछ महिलाओं में बाद में इस बीमारी के लक्षण नजर आते हैं। मैस्टाइटिस होने में स्तन में दर्द और सूजन रहता है जिसके कारण बच्चे को स्तनपान कराने में परेशानी होती है। अगर समस्या ज्यादा बढ़ जाता है तो यह स्तनपान करवाने वाली महिला के लिए गंभीर स्थिति बन सकती है । इसलिए इसका समय रहते इलाज जरूरी है। इसके भी कुछ लक्षण होते हैं ,जिसे ध्यान देने पर आप इसकी शुरूआती स्थिति को समझ सकते हैं। रिसर्च के अनुसार स्वस्थ महिलाओं में मैस्टाइटिस रेयर होता है। लेकिन, डायबिटीज, पुरानी बीमारी, एड्स और कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाली महिलाओं में यह बीमारी होने की संभावना अधिक होती है। ब्रेस्टफीडिंग कराने वाली 1 से 3 प्रतिशत महिलाओं में यह बीमारी पायी जाती है। क्रोनिक मैस्टाइटिस उन महिलाओं में होता है जो स्तनपान नहीं कराती हैं। इसलिए स्तनपान करवाने वाली महिलाओं के साथ-साथ अन्य महिलाओं को भी स्तन से जुड़ी परेशानी को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए।
अगर आप ब्रेस्ट इंगोर्जमेंट से जुड़े किसी तरह के कोई सवाल का जवाब जानना चाहती हैं तो विशेषज्ञों से समझना बेहतर होगा। हैलो हेल्थ ग्रुप किसी भी तरह की मेडिकल एडवाइस, इलाज और जांच की सलाह नहीं देता है।
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