बच्चे को जन्म देने में मां को बहुत दर्द सहना पड़ता है। लेकिन, बच्चे के जन्म के बाद भी मां का दर्द कम नहीं होता है। स्तनपान के दौरान पेट में दर्द के साथ मां को कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। जिसमें से डिलिवरी के बाद होने वाले पेट का दर्द भी एक समस्या है। इसे आफ्टर पेन (After Pain) भी कहते हैं। इसे अंग्रेजी में Nuring Cramp भी कहते हैं। इसका अर्थ गर्भाशय में मरोड़ उठने से है। न्यूरिंग क्रैम्प ज्यादातर स्तनपान के बाद होता है। इस संबंध में वाराणसी स्थित चंद्रा हॉस्पिटल की स्त्री रोग एवं प्रसूति विशेषज्ञ डॉ. कुसुम चंद्रा ने हैलो स्वास्थ्य को बताया कि न्यूरिंग क्रैम्प क्या है? इससे कैसे निजात पा सकती हैं?
स्तनपान के दौरान पेट में दर्द या न्यूरिंग क्रैम्प होने का कारण क्या है?
डॉ. कुसुम ने बताया कि “न्यूरिंग क्रैम्प ऑक्सीटोसिन हॉर्मोन के कारण होता है। ऑक्सीटोसिन हॉर्मोन डिलिवरी के दौरान पेट में मरोड़ को बढ़ाता है। यह हॉर्मोन डिलिवरी के बाद गर्भाश्य को वापस पहले के आकार में लाने का काम करता है। जिसके कारण न्यूरिंग क्रैम्प होता है। वहीं, स्तनपान के दौरान पेट में दर्द का कारण ऑक्सीटोसिन हॉर्मोन का स्रावित होना है। इसलिए स्तनपान के शुरुआती दिनों में मां को न्यूरिंग क्रैम्प होता है।“
कितने दिनों तक होता है स्तनपान के दौरान पेट में दर्द?
ज्यादातर महिलाओं को न्यूरिंग क्रैम्प यानी कि स्तनपान के दौरान पेट में दर्द होता है। यूं तो ये बहुत कम होता है। सबसे ज्यादा न्यूरिंग क्रैम्प डिलिवरी के बाद 24 से लेकर 48 घंटे तक होता है। धीरे-धीरे दो से तीन दिन में न्यूरिंग क्रैम्प खत्म हो जाता है। डिलिवरी के दो-तीन महीने के बाद तक हल्का-फुल्का न्यूरिंग क्रैम्प होता है, फिर बिल्कुल ठीक हो जाता है।
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स्तनपान के दौरान पेट में दर्द का इलाज क्या है?
डॉ. कुसुन चंद्रा ने बताया कि “न्यूरिंग क्रैम्प का इलाज खुद महिलाओं के पास है। वह जब भी बच्चे को स्तनपान कराने जाएं तबपेट में दर्द (Urine) कर के जाएं। अगर महिला का मूत्राशय (Urine Bladder) खाली रहेगा तो न्यूरिंग क्रैम्प नहीं होता है। मूत्राशय भरे होने से स्तनपान के दौरान पेट में दर्द होने का कारण मूत्राशय गर्भाशय को उसकी जगह से हटाने का प्रयास करना है जिससे गर्भाशय में मरोड़ पैदा होता है। स्तनपान के दौरान पेट में दर्द के वजह से महिलाओं को डिलिवरी के बाद होने वाला रक्तस्त्राव (Bleeding) अधिक होने की संभावना रहती है। इसके अलावा न्यूरिंग क्रैम्प के दौरान आप स्तनपान लेटकर बिल्कुल ना कराएं। न्यूरिंग क्रैम्प से राहत पाने के लिए आप अपने दोनों पैरों को आगे के तरफ मोड़ कर बैठें और स्तनपान कराएं। इससे आपके गर्भाश्य को राहत मिलेगी।“
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क्या स्तनपान के दौरान पेट में दर्द से महिलाओं को परेशान होना चाहिए?
डिलिवरी के तुरंत बाद होने वाले न्यूरिंग क्रैम्प से अक्सर महिलाएं परेशान हो जाती हैं। इसलिए अगर आपको स्तनपान के दौरान पेट में दर्द होता है आप डॉक्टर को एक बार जरूर बताएं। डॉक्टर जांच करने के बाद बताएगा कि ये न्यूरिंग क्रैम्प है या कोई अन्य समस्या है। अगर न्यूरिंग क्रैम्प एक दो महीने में ना ठीक हो तो डॉक्टर को जरूर दिखाएं। परेशान होने के बजाए धैर्य से काम लें।
स्तनपान के लिए ले सकती हैं मदद
स्तनपान के दौरान पेट में दर्द और मां को स्तन से लेकर गर्भाशय तक कई तरह के दर्द से गुजरना पड़ता है। अगर आप चाहें तो डिलिवरी के पहले और बाद में लैक्टेशन कंस्लटेंट से संपर्क कर सकती हैं। इसके अलावा अगर आपको स्तनपान के दौरान पेट में दर्द या न्यूरिंग क्रैम्प हो तो आप घर में किसी परिजन की मदद भी ले सकती हैं।
ये तो बात हो गई स्तनपान के दौरान पेट में दर्द की, अब बात करते हैं स्तनपान के दौरान स्तनों में दर्द क्यों होता है और उसका इलाज कैसे किया जा सकता है।
स्तनपान के दौरान स्तनों में दर्द के क्या कारण हैं?
निप्पल में दरारें आने से हो सकता है स्तनों में दर्द
स्तनपान कराने के दौरान बच्चों के मसूड़ों के दबाव से निप्पल में दरारें आ जाती हैं। जो कि दर्द भरा होता है। अगर मां ने ध्यान नहीं दिया तो यह आगे चल कर घाव बन जाता है। जिससे मां के स्तनों और बच्चे को संक्रमण होने का खतरा रहता है। इसके लिए मां को डॉक्टर से मिल कर क्रैक निप्पल का इलाज कराना चाहिए।
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ज्यादा मात्रा में दूध के उत्पादन से भी स्तनों में दर्द हो सकता है
कुछ महिलाओं को डिलीवरी के बाद ज्यादा मात्रा में दूध बनता है। इसलिए स्तनपान के दौरान जब ज्यादा दूध निकलता है, तो स्तनों में दर्द महसूस होता है। ऐसी मां को बच्चे को लगातार थोड़े-थोड़े समय पर स्तनपान कराते रहना चाहिए। ऐसा करने से दर्द से धीरे-धीरे राहत मिल जाती है। ज्यादा ब्रेस्ट मिल्क होने पर आप ब्रेस्ट पंप के द्वारा दूध को निकाल कर संग्रहित भी कर सकती हैं। लेकिन, दूध स्टोरेज के भी अपने कुछ नियम होते हैं।
स्तनों में सूजन होने के कारण भी दर्द हो सकता है
डिलिवरी के बाद नवजात शिशु काफी कम मात्रा में दूध पीता है। जिससे मां के स्तनों में दूध भर जाता है। साथ ही स्तनों में रक्त प्रवाह भी बढ़ जाता है। ऐसे में स्तनों में सूजन आ जाती है और स्तन में जगह-जगह गांठ महसूस होने लगती है। जिससे मां को दर्द होता है। डॉ. कुसुम चंद्रा के अनुसार स्तनों में दूध का भरा होना सामान्य बात है। ये स्थिति तब भी आती है जब मां बच्चे को स्तनपान कराने में कोताही बरतती है। इसलिए ऐसी स्थिति से बचने के लिए मां को हर दो घंटे के अंतराल पर शिशु को स्तनपान कराते रहना चाहिए। ऐसा करने से सूजन के कारण होने वाले दर्द को आराम होगा ।
कैसे पाएं स्तनपान के दौरान स्तनों में दर्द से राहत पाने के घरेलू उपाय
- अमेरिकी और यूरोपीय देशों में महिलाएं ब्रेस्ट में दर्द से राहत पाने के लिए इस तरीके का इस्तेमाल करती हैं। गोभी के पत्ते स्तनों में आई सूजन को कम करते हैं और दर्द से भी राहत दिलाते हैं। सबसे पहले गोभी को ठंडे स्थान पर रख दें। उसके दो पत्ते लें और स्तनों के ऊपर रख कर टाइट कपड़े पहन लें, ताकि पत्ते अपनी जगह से खिसक न सकें। पत्तों को 20 मिनट तक स्तनों पर लगा रहने दें। उसके बाद अगर आप चाहेंं तो उन पत्तों को बदल कर नए पत्ते भी लगा सकती हैं। या फिर आप इस तरीके का इस्तेमाल रात को सोते समय भी कर सकती हैं।
- ब्रेस्ट में दर्द होने पर थोड़ी-सी मात्रा में नारियल तेल या जैतून का तेल लें। उसे हल्का गर्म करें और फिर इससे अपने स्तनों की 15 मिनट तक मसाज करें। इससे स्तनों में आई सूजन कम होगी। दर्द भी दूर होगा और ब्रेस्ट में ब्लड फ्लो भी बढ़ेगा।
- ब्रेस्ट में दर्द होने पर किसी बर्तन में गर्म पानी लें। उसमें कॉटन का कपड़ा भिगोएं। अब कपड़े को पानी से बाहर निकाले और उससे पानी निचोड़ लें। इस कपड़े को अब अपने स्तनों पर रखें। ऐसा करने से आपको दर्द से राहत मिलेगी।