इन सबके साथ-साथ बच्चों का ध्यान रखने वाले या पेरेंट्स को भी बच्चे का विशेष ध्यान रखना पड़ता है और डॉक्टर से समय-समय पर कंसल्टेशन भी करवाते रहना चाहिए।
नोट: अगर बच्चों को मेडिकेशन (Medication) या सप्लिमेंट्स (Supplements) प्रिस्क्राइब की जाती है, तो डोज से ओवर डोज ना करें। जरूरत से ज्यादा मेडिकेशन या सप्लिमेंट्स के साइड इफेक्ट्स भी हो सकते हैं।
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थ्राइव फेलियर का इलाज ठीक तरह से नहीं करवाने पर होने वाली स्थिति-
अगर बच्चे को थ्राइव फेलियर (Thrive Failure) की समस्या है और इलाज ठीक तरह से ना करवाने पर भविष्य में निम्नलिखित परेशानियां देखी जा सकती है। जैसे:
- सीखने से जुड़ी समस्या (Learning disabilities) होना।
- इमोशनल प्रॉब्लेम (Emotional problems) होना।
- बच्चे का विकास (Restricted growth) ठीक तरह से नहीं होना।
बच्चों में थ्राइव फेलियर (Thrive Failure) होने पर पेरेंट्स को घबराना नहीं चाहिए। क्योंकि इसका इलाज किया जा सकता है, लेकिन ठीक तरह से डॉक्टर द्वारा दी गई सलाह को ध्यान में रखना आवश्यक है। हालांकि जेनेटिकल कारणों को ध्यान में रखकर इलाज पर विचार किया जाता है। इसलिए बच्चे की पूरी हेल्थ कंडिशन (Babies health condition) को ध्यान में रखकर बच्चों में शॉथ्राइव फेलियर (Thrive Failure) का इलाज किया जाता है।
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