प्री-स्कूल (Preschool) से क्या मतलब है?
प्री-स्कूल फुल टाइम स्कूल से पहले चाइल्ड केयर और एजुकेशन ऑप्शंस में से एक है, जो इस समय अपने छोटे बच्चों के लिए पेरेंट्स के पास उपलब्ध है। प्री-स्कूल और प्री-स्कूल प्रोग्राम (Preschool program) को तीन से पांच साले के बच्चों को एजुकेट करने के लिए डिजाइन किया गया है। इसमें लॉन्ग डे केयर की तुलना में कम समय बच्चे को रखा जाता है और खेल के माध्यम से उन्हें एजुकेट किया जाता है। बच्चे अपनी गति या क्षमता के अनुसार इसमें सीखते हैं। प्री-स्कूल में क्वालिफाइड टीचर्स द्वारा बच्चों को एजुकेट करने का काम किया जाता है। हालांकि, कई बार कई प्री-स्कूल प्रोग्राम के साथ ही लॉन्ग डे-केयर सेंटर (Long day care center) की सुविधा भी प्रदान करते है।
कई जगह इन्हें कई जगह किंडरगार्टन (kindergarten) भी कहा जाता है। प्री-स्कूल प्रोग्राम (Preschool program) का उद्देश्य बच्चों को सोशल स्किल्स और लर्निंग रिलेटेड स्किल ग्रहण करने में मदद करना होता है। इसके कोई संदेह नहीं है कि हर बच्चे के लिए यह प्री-स्कूल प्रोग्राम लाभदायक है। बच्चों की लाइफ में प्री-स्कूल की एहमियत (Role of Preschool) से पहले किस उम्र में बच्चों को प्री-स्कूल भेजना चाहिए, यह जान लेते हैं।
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प्री-स्कूल के लिए बच्चे की सही उम्र क्या है? (Right age of Preschool)
जैसा की पहले ही बताया गया है कि प्री-स्कूल एजुकेशन के लिए सही उम्र तीन से पांच साल के बीच की है। हालांकि, हर प्री-स्कूल में इस उम्र में थोड़ा-बहुत बदलाव हो सकता है। रीसर्च से यह बात साबित हुई है कि प्री-स्कूल के दो साल बच्चे को स्कूल के लिए अच्छे से तैयार करने में मदद करते हैं। इसके साथ ही बेहतर साक्षरता, भावनात्मक और सामाजिक स्किल उन्हें सिखाने में भी यह बेहद मददगार है। यानी, प्री-स्कूल में बच्चे को भेजने को अतिरिक्त सपोर्ट मिलती है। इसके बारे में अधिक जानकारी के लिए आप किसी एक्सपर्ट की राय ले सकते हैं। अब जानिए बच्चों की लाइफ में प्री-स्कूल की एहमियत (Role of Preschool) के बारे में।
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बच्चों की लाइफ में प्री-स्कूल की एहमियत के बारे में जानें (Role of Preschool)
प्री-स्कूल वो पहली ऐसी जगह होती है जहां बच्चा अपने माता-पिता की सुरक्षा और आराम से बाहर निकलता है। एक तरह से कहा जाए तो यह बच्चों के लिए सेकंड होम की तरह होता है। प्री-स्कूल भेजने से पहले हर माता-पिता के मन में कई चिंताएं और शंकाएं होना स्वाभाविक है। प्री-स्कूल में बच्चे न केवल सीखते हैं बल्कि सुरक्षित और आरामदायक भी महसूस करते हैं। यह ऐसी जगह है जहां बच्चे अपनी सेल्फ-एस्टीम को बिल्ट करते हैं। यही नहीं, बच्चे अपने नाम, चीजों और दोस्तों के महत्व को भी समझते हैं। इसके बाद प्री-स्कूल का बच्चा अपनेटीचर्स और सहपाठियों के साथ भी कम्यूनिकेट करना भी सीख जाता है। यह वो सही जगह है जहां बच्चे की लाइफ लॉन्ग प्रोसेस की नींव रखी जाती है।
प्री स्कूल एजुकेशन पर की गयी रिसर्च के अनुसार जिन बच्चों को कम उम्र में सिखाना शुरू कर दिया जाता है, आमतौर पर उसके सोशल स्किल्स जल्दी सुधर जाते हैं। इसके साथ ही भविष्य में उन्हें किसी भी तरह की बिहेवियरल प्रॉब्लम (Behavioral problem) नहीं होती। प्लेफुल तरीके से सीख कर बच्चों को जो सेल्फ कॉन्फिडेंस (Self confidence) मिलता है, वो उनकी पर्सनालिटी डेवलपमेंट (Personality development) में भी मदद करता है। इस दौरान बच्चे का पॉजिटिव लर्निंग एटीट्यूड (Positive learning attitude), लैंग्वेज में बेसिक फाउंडेशन, कॉम्प्रिहेंशन और मैनेजमेंट और अध्यापकों की मदद करना, उन्हें एजुकेशन के हाय लेवल तक मदद करता है। यह तो थी बच्चों की लाइफ में प्री-स्कूल की एहमियत (Role of Preschool) के बारे में जानकारी संक्षेप में। अब जानते हैं कि प्री-स्कूल के साइलेंट फीचर्स क्या होते हैं?