जानिए प्रेग्नेंसी से रिलेटेड टर्म
नलीपेरस वीमन ( Nulliparous woman)
जिसने कभी भी बच्चे को जन्म न दिया हो।
प्राइमीग्रेविडा (PRIMIGRAVIDA])
फर्स्ट प्रेग्नेंसी के लिए इस्तेमाल किया जाता है।
मल्टीग्रेविडा (Multigravida)
जो महिला एक से ज्यादा बार प्रेग्नेंट हो।
ग्रांड मल्टीपैरा (A grand multipara)
जो महिला पांच बार से ज्यादा बार प्रेग्नेंट हो चुकी हो और प्रेग्नेंसी 24 हफ्ते से ज्यादा हो। ऐसी महिलाएं प्रेग्नेंसी के हाई रिस्क में रहती हैं।
ग्रांड मल्टिग्रेविडा (Grand multigravida)
जो महिला पांच बार से ज्यादा बार प्रेग्नेंट हो चुकी हो।
ग्रेट ग्रांड मल्टीपैरा (Great grand multipara )
जिस महिला के सात से ज्यादा प्रेग्नेंसी हो चुकी हो वो गर्भकाल का 24वां सप्ताह पार कर लिया हो।
किस तरह से जुड़ा है प्रेग्नेंसी का रिस्क
- महिला की पहली प्रेग्नेंसी जैसी होती है, उसका असर भविष्य में होने वाली प्रेग्नेंसी पर भी पड़ता है।
- अगर पहली प्रेग्नेंसी में किसी भी प्रकार का खतरा रहा है तो दूसरी प्रेग्नेंसी में रिस्क बढ़ जाता है।
ग्रेविडिटी और पैरिटी से प्रेग्नेंसी के दौरान रिस्क
आपकी पिछली प्रेग्नेंसी के दौरान हुए किसी भी तरह के कॉम्प्लिकेशन का अगली प्रेग्नेंसी पर भी असर पड़ता है। एक महिला पहले कितने बच्चे पैदा कर चुकी है, इसका असर उसके होने वाले बच्चे पर भी पड़ता है। पैरिटी के आधार पर आपकी नॉर्मल डिलिवरी पर असर पड़ सकता है। प्रेमिग्रेविडा में नॉर्मल लेबर, सामान्य लेबर से भिन्न होता है। इस दौरान यूट्रस में संकुचन बुरी तरह से हो सकते हैं। प्राइमाग्रेविडा में एवरेज फर्स्ट स्टेज मल्टिपेरस महिला की तुलना में धीमी गति से हो सकती है। लेबर में कुछ कमी महसूस की जा सकती है।
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प्रीक्लेमप्सिया (preeclampsia) क्या होता है?
20 सप्ताह की प्रेग्नेंसी के बाद हाई ब्लड प्रेशर और यूरिन में अधिक मात्रा में प्रोटीन का शामिल होना, प्रीक्लेम्पसिया के कुछ मुख्य लक्षणों में से हैं। प्रीक्लेम्पसिया कम से कम पांच से आठ प्रतिशत गर्भवती महिलाओं को प्रभावित करता है।
प्रीक्लेमप्सिया (preeclampsia) के क्या लक्षण हैं?