प्रेग्नेंसी में गर्भवती महिलाओं को कई प्रकार की स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। ऐसे में गर्भावस्था में चेचक हो जाए तो स्थिति काफी खराब हो सकती है। वैसे प्रेग्नेंसी के दौरान चिकन पॉक्स कुछ महिलाओं को हो सकता है। चेचक पूरे शरीर में काफी तेजी से फैलता है और ये बेहद पीड़ादायक भी होता है। यहां हम आपको बताएंगे कि गर्भावस्था में चेचक से कैसे बचाव किया जाए? प्रेग्नेंसी में चिकनपॉक्स से गर्भ में पल रहे शिशु को क्या खतरे हो सकते हैं।
गर्भावस्था में चिकनपॉक्स खतरनाक क्यों है?
गर्भावस्था में चेचक (Chicken pox) गर्भ में पल रहे शिशु के लिए परेशानी का कारण बन सकता है। सबसे पहले जानते हैं चिकनपॉक्स क्या है? चिकनपॉक्स जिसे चेचक या छोटी माता जैसे अलग-अलग नामों से जाना जाता है। यह एक संक्रामक बीमारी है और यह वैरिसेला जोस्टर (Varicella Zoster) वायरस की वजह से होता है। नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इंफॉर्मेशन (NCBI) के अनुसार गर्भावस्था में चिकनपॉक्स कभी-कभी एबॉर्शन का भी कारण बन सकता है। प्रेग्नेंसी के दौरान शरीर में कई तरह के बदलाव आते हैं ऐसे में गर्भावस्था में चिकनपॉक्स जैसी बीमारियों से बचना बेहद जरूरी है।
गर्भावस्था में चिकनपॉक्स के लक्षण क्या हैं?
प्रेग्नेंसी में चिकनपॉक्स होने के निम्नलिखत लक्षण हो सकते हैं। इनमें शामिल हैं-
- स्वस्थ्य महसूस नहीं करना
- बुखार होना
- मसल्स में दर्द होना
- खाना नहीं पचना
- मिचली होना
ये सभी शुरुआती लक्षण हैं, लेकिन चिकनपॉक्स होने पर चेहरे पर रैशेज भी आ जाते हैं। इसलिए इन लक्षणों के अलावा और भी लक्षण होते हैं। इनमें शामिल हैं-
- चेहरे के साथ-साथ शरीर पर स्पॉट आना। इसके निशान चेस्ट, पेट या शरीर के अलग-अलग हिस्सों पर हो सकते हैं।
- छाला (ब्लिस्टर)- ब्लिस्टर होने के कारण खुजली भी होती है जो काफी परेशानी भरा होता है।
- चेस्ट इंफेक्शन (Pneumonia)
- लिवर में सूजन (Hepatitis)
- ब्रेन में सूजन (Encephalitis)
रिसर्च की मानें तो कभी-कभी परेशानी बढ़ने के कारण गर्भवती महिला की मौत भी हो सकती है। अगर गर्भवती महिला प्रेग्नेंसी के दौरान स्मोकिंग या स्टेरॉइड लेती हैं तो परेशानी और भी बढ़ सकती है।
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गर्भावस्था में चिकनपॉक्स का इलाज कैसे किया जाता है?
प्रेग्नेंसी के दौरान चिकनपॉक्स होने पर ऐसिक्लोविर (Aciclovir) का उपयोग बुखार और लक्षणों को कम करने के लिए किया जा सकता है। गर्भावस्था में चिकनपॉक्स होने पर जल्द से जल्द डॉक्टर से मिलें और इसकी जानकारी दें।
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प्रेग्नेंसी में चेचक से शिशु प्रभावित हुआ है या नहीं यह कैसे पता चलेगा?
- गर्भावस्था के दौरान शिशु की स्थिति जानने के लिए डॉक्टर आपको अल्ट्रासाउंड स्कैन कराने के लिए कहेंगे। इस स्कैन में जांच की जाएगी कि शिशु के सभी महत्वपूर्ण अंग स्वस्थ हैं या नहीं।
- स्कैन में यह भी पता चल सकता है कि आपके शिशु का मस्तिष्क और उसके अंग सही तरह से विकसित हो रहे हैं या नहीं। हालांकि, अल्ट्रासाउंड में हर प्रकार के जन्म दोष का पता नहीं चल सकता। इसलिए स्कैन इस बात की गारंटी नहीं देता है कि आपका शिशु विषाणु से प्रभावित नहीं हुआ है।
- अगर, आपको प्रसव के सात दिन पहले या फिर शिशु के जन्म के बाद चिकनपॉक्स होता है, तो आपके शिशु को भी गंभीर चेचक हो सकते हैं। नवजात शिशु में चिकनपॉक्स की वजह से गंभीर या फिर जानलेवा बीमारियां हो सकती हैं।
- गर्भावस्था के दौरान चिकनपॉक्स होना शिशु के साथ-साथ होने वाली मां के लिए भी हानिकारक है। कई बार चिकनपॉक्स गंभीर जटिलताएं उत्पन्न कर देता है। ये जटिलताएं आपको अत्याधिक बीमार बना सकती हैं। उदाहरण के तौर पर चिकनपॉक्स से पीड़ित गर्भवती महिला को निमोनिया होने का खतरा रहता है।
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क्या गर्भावस्था में चिकनपॉक्स होने पर शिशु पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है?
प्रेग्नेंसी के दौरान चेचक होने पर गर्भ में पल रहे शिशु या फिर शिशु के जन्म के बाद भी परेशानी हो सकती है। प्रेग्नेंसी के आखिरी 4 हफ्ते में चिकनपॉक्स होने पर खतरा ज्यादा बढ़ सकता है और मिसकैरिज होने की संभावना भी हो सकती है। वहीं गर्भावस्था के 28वें हफ्ते के पहले अगर गर्भवती महिला चिकनपॉक्स से पीड़ित होती हैं तो शिशु के आंख, पैर, ब्रेन, ब्लैडर या आंतों को नुकसान पहुंच सकता है। ऐसा 100 गर्भवती महिलाओं में से 1 प्रेग्नेंट लेडी के साथ होता है। हालांकि, गर्भावस्था के 28वें हफ्ते से प्रेग्नेंसी के 36वें हफ्ते के दौरान चिकनपॉक्स होने पर डॉक्टर फीटल एक्सपर्ट अल्ट्रासाउंड करवाने की सलाह देते हैं।
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क्या गर्भावस्था में चिकनपॉक्स होने पर डिलिवरी पर पड़ता है असर?
प्रेग्नेंसी के आखिरी महीनों में चिकनपॉक्स होने पर अगर परेशानी ज्यादा है तो ऐसी स्थिति में डिलिवरी जल्दी करवाई जा सकती है। ऐसे कपल्स सिजेरियन डिलिवरी डॉक्टर की सलाह अनुसार प्लान कर सकते हैं।
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क्या प्रेग्नेंसी के दौरान चिकनपॉक्स से पीड़ित व्यक्ति के संपर्क में आने से बढ़ सकता है खतरा?
यह जरूरी नहीं की पीड़ित व्यक्ति के संपर्क में आने से चिकनपॉक्स हो ही सकता है। दरअसल यह एक संक्रामक बीमारी है और गर्भवस्था के दौरान गर्भवती महिला का इम्यून पॉवर कम होता है। इसलिए इसका खतरा ज्यादा हो सकता है। बेहतर होगा की इस दौरान विशेष साफ-सफाई का ध्यान रखें और पौष्टिक आहार का सेवन करें।
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गर्भवस्था में चिकनपॉक्स होने पर क्या करें?
अगर प्रेग्नेंसी के दौरान चिकनपॉक्स होने पर निम्नलिखित परेशानी होती है तो जल्द से जल्द हॉस्पिटल पहुंचने की कोशिश करें।
- सांस संबंधी परेशानी
- सिरदर्द होना
- कमजोरी महसूस होना
- उल्टी होना
- वजायनल ब्लीडिंग होना
- रैशेज का अत्यधिक बढ़ जाना
गर्भावस्था में चेचक से बचाव कैसे करें?
- अगर, आपको बचपन में चिकनपॉक्स हो चुका है, तो गर्भावस्था में चेचक होने की संभावना कम हो जाती है।
- यदि आपको पहले चिकनपॉक्स नहीं हुआ है तो आपको जोस्टर-इम्यून ग्लोबुलिन दिया जा सकता है। आपको वैसे गर्भधारण करने के 3 महीने पहले इसके लिए टीके लेने चाहिए।
- प्रेग्नेंट महिला को सलाह दी जाती है कि आप उस इंसान के संपर्क में न आएं जो चेचक से प्रभावित हो और अगर ऐसा कुछ हुआ तो आपको अपने डॉक्टर से तुरंत बात करनी चाहिए।
- अगर, आप चिकनपॉक्स के प्रति अपनी प्रतिरक्षण क्षमता के बारे में निश्चित नहीं हैं, तो डॉक्टर से बात करें। वह इसका पता लगाने के लिए आपको ब्लड टेस्ट कराने की सलाह देंगे।
गर्भावस्था के दौरान आपको किसी भी प्रकार के दाने या चकत्ते हों, तो इस बारे में तुरंत अपने डॉक्टर को बताना बहुत जरूरी है। चिकनपॉक्स के अलावा भी कई ऐसी चिकित्सकीय स्थितियां हैं, जिनमें दाने होते हैं। इनमें से कई आपके शिशु को प्रभावित कर सकती हैं या फिर आपको काफी बीमार बना सकती हैं। अगर, प्रेग्नेंट महिला को दाने न हों, लेकिन किसी संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आई हों, तो भी अपने डॉक्टर को बताएं।
गर्भवस्था की प्लानिंग या गर्भावस्था के दौरान गर्भवती महिला का विशेष ख्याल रखना चाहिए लेकिन, अगर आप गर्भावस्था में चिकनपॉक्स से जुड़े किसी तरह के सवाल का जवाब जानना चाहते हैं तो विशेषज्ञों से समझना बेहतर होगा। हैलो हेल्थ ग्रुप किसी भी तरह की मेडिकल एडवाइस, इलाज और जांच की सलाह नहीं देता है।
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