प्रेग्नेंसी के दौरान हेल्दी डायट फॉलो करना आवश्यक माना गया है। कई गर्भवती महिलाएं इनदिनों में विशेष डायट प्लान फॉलो करती हैं और उन्हीं डायट प्लान से एक है प्रेग्नेंसी में इंटरमिटेंट फास्टिंग (Intermittent Fasting durning Pregnancy) फॉलो करना। इसलिए आज इस आर्टिकल में प्रेग्नेंसी और प्रेग्नेंसी में इंटरमिटेंट फास्टिंग से जुड़ी जानकारी आपके साथ शेयर करेंगे, लेकिन सबसे पहले समझने की कोशिश करते हैं इंटरमिटेंट फास्टिंग (Intermittent Fasting)के बारे में।
क्या है इंटरमिटेंट फास्टिंग (Intermittent Fasting)?
इंटरमिटेंट फास्टिंग (IF) एक ऐसा डाइट प्लान है जिसमें व्यक्ति को ज्यादा देर तक भूखे रहना पड़ता है। इसका अर्थ है ब्रेकफास्ट, लंच या डिनर को स्किप करना पड़ता है। इंटरमिटेंट फास्टिंग फॉलो कर रहे लोग इस बात का ध्यान रखते हैं की उन्हें अपना मील कब लेना है (खाना कब खाना है)। कई लोग जो इंटरमिटेंट फॉलो करते हैं वह 12 घंटे के अंदर खाना खा लेते हैं या 14 से 18 घंटे तक कुछ भी नहीं खाते हैं।
इंटरमिटेंट डायट में कार्बोहाइड्रेट (Carbohydrate) , प्रोटीन (Protein) और फाइबर (Fiber) की मात्रा पर ज्यादा ध्यान दिया जाता है। कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन और फाइबर शरीर का वजन कम करने में या फिर संतुलित रखने में सहायक होते हैं। ऐसे में क्या प्रेग्नेंसी में इंटरमिटेंट फास्टिंग (Intermittent Fasting durning Pregnancy) अपनाना चाहिए? प्रेग्नेंसी में इंटरमिटेंट फास्टिंग का गर्भवती महिला पर क्या प्रभाव पड़ सकता है? प्रेग्नेंसी में इंटरमिटेंट फास्टिंग का गर्भ में पल रहे शिशु पर भी नकारात्मक प्रभाव डालता है? ऐसे ही कई अन्य प्रेग्नेंसी में इंटरमिटेंट फास्टिंग (Intermittent Fasting durning Pregnancy) से जुड़े सवालों को समझने की कोशिश करें।
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प्रेग्नेंसी में इंटरमिटेंट फास्टिंग (Intermittent Fasting durning Pregnancy) या कुछ खास समय के लिए नहीं खाने का फॉर्मूला सही है?
प्रेग्नेंसी में इंटरमिटेंट फास्टिंग फॉलो कर रहे लोग इस बात का ध्यान रखते हैं कि उन्हें अपना मील कब लेना है (खाना कब खाना है)। कई लोग जो इंटरमिटेंट डायट फॉलो करते हैं वह 12 घंटे के अंदर खाना खा लेते हैं या 14 से 18 घंटे तक कुछ भी नहीं खाते हैं लेकिन, गर्भवती महिला के लिए प्रेग्नेंसी में इंटरमिटेंट फास्टिंग डायट फॉलो करना गर्भवती महिला और गर्भ में पल रहे शिशु के लिए नुकसानदायक हो सकता है। नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इंफॉर्मेशन (NCBI) के अनुसार गर्भवती महिलाएं जो रमजान के दौरान रोजा रखती हैं उन्हें शारीरिक समस्याओं का सामना करना पड़ा। रमजान के वक्त में भी लोगों को 12 से 13 घंटे का उपवास रखना पड़ता है और इंटरमिटेंट फास्टिंग में भी 12 से 18 घंटे तक लोग कुछ नहीं खाते हैं। ऐसी स्थिति में प्रेग्नेंट लेडी निम्नलिखित परेशानियों का सामना कर चुकीं हैं। इनमें शामिल है-
- समय से पहले नवजात का जन्म
- स्टिलबर्थ
- हाइपर सेंसेटिव डिसऑर्डर
- जेस्टेशनल डायबिटीज
- नवजात का वजन कम होना
- और कुछ केसेस में गर्भवती महिला की मौत भी हुई है
इन सब परेशानियों के साथ-साथ अन्य परेशानी भी हो सकती है। अब ऐसी परिस्थिति में सवाल ये उठता है की गर्भावस्था के दौरान लंबे अंतराल के बाद खाना ठीक नहीं है, तो गर्भवती महिला क्या करें?
महिला अगर प्रेग्नेंसी में इंटरमिटेंट फास्टिंग (Intermittent Fasting durning Pregnancy) के बारे में सोच रहीं तो सबसे पहले उन्हें इंटरमिटेंट फास्टिंग कितने तरह की होती है इसे समझना चाहिए।
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इंटरमिटेंट फास्टिंग कितने प्रकार की होती हैं? (Types of Intermittent Fasting)
इंटरमिटेंट फास्टिंग इंटरमिटेंट डायट निम्नलिखित तरह से फॉलो की जाती है। जैसे-
- 12 से 18 घंटे तक खाने से परहेज-
- एक सप्ताह में दो दिन संतुलित मात्रा में डायट लेना चाहिए-
- खाने के गैप 20 घंटे होना-
- एक दिन रखें उपवास-
इन अलग तरह से डायट चार्ट के अनुसार गर्भवती महिला के लिए इंटरमिटेंट डायटिंग (Intermittent Fasting) सही नहीं हो सकता है लेकिन, अगर आप इंटरमिटेंट डायट शुरू करना चाहती हैं, तो आपको अपने हेल्थ एक्सपर्ट से इस बारे में समझना चाहिए।
रिसर्च के अनुसार इंटरमिटेंट फास्टिंग या इंटरमिटेंट डायट की सलाह नहीं दी जाती है। इस तरह की फास्टिंग ज्यादतर मुस्लिम महिलाओं को रमजान के दौरान करने की जरूरत पड़ती है। दरअसल लगातर 30 दिनों तक फास्ट रखना पड़ता है, जो गर्भवती महिला या स्तनपान (Breastfeeding) करवाने वाली महिलाओं की सेहत पर नकारात्मक प्रभाव डालता है। नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इंफॉर्मेशन (NCBI) द्वारा 31374 गर्भवती को फास्टिंग के दौरान निगरानी पर रखा गया जिनमें से 18920 गर्भवती महिला रमजान महीने में रोजा रख रहीं थीं। इस रिपोर्ट में कोई ज्यादा परेशानी करने वाली बात तो सामने नहीं आई लेकिन, मेटरनल फास्टिंग की वजह से जन्म लेने वाले नवजात का वजन थोड़ा कम देखा गया।
हालांकि प्रेग्नेंसी के दौरान कुछ बातों को अवश्य ध्यान रखना चाहिए। जैसे-
- गर्भ में पल रहा शिशु स्वस्थ रहे
- पौष्टिक खाद्य पदार्थों का सेवन अवश्य करना चाहिए जिससे गर्भ में पल रहे शिशु के मस्तिष्क और शरीर का विकास सही तरह से हो
गर्भावस्था के दौरान डायट में अचानक से हुए बदलाव का असर गर्भवती महिला और गर्भ में पल रहे शिशु दोनों के लिए नुकसानदायक हो सकता है। रूक-रूक कर या ज्यादा देर-देर में खाने से हॉर्मोन लेवल में बदलाव ला सकते हैं। अगर हॉर्मल में सामान्य से ज्यादा बदलाव होते हैं तो इससे खतरा बढ़ जाता है और मिसकैरेज की संभावना भी बढ़ सकती है।
अमेरिकन कॉलेज ऑफ ऑब्स्टट्रिशन एंड गायनोकोलॉजिस्ट (ACOG) की ओर से गर्भवती महिलाओं को सलाह दी जाती है की उन्हें प्रेग्नेंसी के दौरान वजन कम या संतुलित नहीं रखने की बल्कि हेल्दी प्रेग्नेंसी के लिए वजन बढ़ाने की जरूरत होती है। देखा जाए तो आजकल लोग बॉडी वेट को लेकर बेहद सतर्क रहते हैं जिनमें महिलाएं भी शामिल हैं। प्रेग्नेंसी में वजन बढ़ना मां और बच्चे के लिए जरूरी होता है। गायनोक्लोजिस्ट के अनुसार प्रेग्नेंसी के दौरान 11 से 16 kg तक वजन बढ़ना चाहिए लेकिन, अगर वजन बहुत तेजी से बढ़ता है तो समस्या हो सकती है। गर्भवती महिला का वजन उनकी उम्र और हाइट के अनुसार संतुलित है तो 11 से 16 kg तक वजन बढ़ना हेल्दी प्रेग्नेंसी की निशानी मानी जा सकती है वहीं अगर गर्भवती महिला का वजन कम है तो वजन और ज्यादा बढ़ना चाहिए और अगर गर्भवती महिला ओवर वेट हैं तो 11 से 16 किलो से कम वजन बढ़ना चाहिए।
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प्रेग्नेंसी के पहले इंटरमिटेंट फास्टिंग का गर्भधारण के दौरान या प्रेग्नेंसी के वक्त क्या कोई परेशानी शुरू कर सकती है?
अगर आप इंटरमिटेंट फास्टिंग कर रहीं हैं और गर्भधारण हो जाता है, तो डॉक्टर से संपर्क करने में देरी न करें। हेल्थ एक्सपर्ट को अपनी डायट के बारे में सही-सही जानकारी दें। ऐसे वक्त में वजन बढ़ने से घबराए नहीं बल्कि अपनी डाइट पर ध्यान दें और प्रेग्नेंसी को इंजॉय करें। गर्भावस्था के दौरान फोलिक एसिड (Folic acid), आयरन (iron), विटामिन-सी, विटामिन-डी, कैल्शियम (calcium), ओमेगा-3, ओमेगा-6, और फैटी एसिड (Fatty acid) जैसे पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है। इन पौष्टिक तत्वों से युक्त खाद्य पदार्थों के सेवन से गर्भवती महिला और गर्भ में पल रहे शिशु का ठीक तरह से विकास संभव हो सकता है।
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प्रेग्नेंसी में इंटरमिटेंट फास्टिंग डायट प्लान की वजह रिस्क बढ़ सकते हैं?
प्रेग्नेंसी में इंटरमिटेंट फास्टिंग डायट प्लान को विशेषकर मुस्लिम गर्भवती महिलाओं से ही जोड़कर देखा गया है। वह भी सिर्फ ऐसी महिलाएं जो रमजान के दौरान गर्भवती रहती हैं। प्रेग्नेंसी में इंटरमिटेंट फास्टिंग (Intermittent Fasting durning Pregnancy) का विकल्प कोई भी गर्भवती महिला अपनाती है और उपवास करती हैं या जरूरत से कम आहार का सेवन करती हैं तो इससे शरीर में ग्लूकोज लेवल कम हो सकता है। ऐसी स्थिति में गर्भ में पल रहे भ्रूण में मूवमेंट कम हो सकती है और फीटल तक ऑक्सिजन भी नहीं पहुंच पाता है।
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अगर फीटल का मूवमेंट कम होता है, तो आपको सतर्क होने की जरूरत है खासकर अगर डिलिवरी की तारीख नजदीक हो। हेल्दी बेबी गर्भ में आधे घंटे में तकरीबन 10 बार मूवमेंट करता है जिसे गर्भवती महिला आसानी से महसूस कर सकती हैं।
इंटरमिटेंट फास्टिंग में कई ऐसे खाद्य पदार्थ होते हैं जिनका सेवन कम से कम करने की सलाह दी जाती है। यह गर्भवती महिला गर्भ में पल रहे शिशु के लिए हानिकारक हो सकते हैं।
गर्भावस्था के दौरान महिलाओं में आयरन की कमी हो सकती है जिससे एनीमिया की समस्या शुरू हो जाती है। इसलिए गर्भवती महिला का आहार आयरन युक्त होना चाहिए। आयरन के कम स्तर के कारण प्री-मेच्योर बर्थ और जन्म के समय शिशु के वजन में कमी जैसी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। अमेरिकन कॉलेज ऑफ ऑब्स्टट्रिशन एंड गायनेकोलॉजिस्ट (ACOG) के अनुसार गर्भवती महिलाओं को एक दिन में 27 मिलीग्राम आयरन की जरूरत होती है।
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क्या इंटरमिटेंट फास्टिंग (Intermittent Fasting) और गर्भधारण के बारे में विचार किया जा सकता है?
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