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क्या नॉर्मल डिलिवरी के समय बच्चे में अच्छे बैक्टीरिया पहुंचते हैं ?

क्या नॉर्मल डिलिवरी के समय बच्चे में अच्छे बैक्टीरिया पहुंचते हैं ?

हम सभी के शरीर में अच्छे बैक्टीरिया और खराब बैक्टीरिया या माइक्रोब्स पाए जाते हैं। गट में पाए जाने वाले अच्छे माइक्रोब्स हेल्पफुल होते हैं। स्टडी के दौरान ये बात सामने आई है कि सिजेरियन विधि से पैदा होने वाले बच्चों के गट में मां से मिलने वाले अच्छे माइक्रोब्स मिस हो जाते हैं। वहीं नॉर्मल डिलिवरी से पैदा होने वाले बच्चों के गट में अच्छे माइक्रोब्स पाए जाते हैं। माइक्रोबायोम के डिसबैलेंस होने से अस्थमा के साथ ही एलर्जी और अन्य इनफ्लामेटरी डिजीज होने की संभावना बढ़ जाती है। डिलिवरी के समय अच्छे बैक्टीरिया अगर बच्चे को मिल जाते हैं तो उसका स्वास्थ्य बेहतर रहता है और इम्यून सिस्टम भी मजबूत होता है। प्रसव के समय अच्छे बैक्टीरिया कैसे मिलते हैं और इनका बच्चे के स्वास्थ्य से क्या रिलेशन है, इस आर्टिकल के माध्यम से जानिए।

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डिलिवरी के समय अच्छे बैक्टीरिया कैसे मिलते हैं?

जब बच्चे का जन्म नॉर्मल या सामान्य विधि से होता है तो वजायना से बाहर निकलने के दौरान एक लिक्विड निकलता है। इस लिक्विड में बैक्टीरिया होते हैं जो बच्चे के इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाने का काम करते हैं। इन्हें अच्छे बैक्टीरिया भी कहा जाता है। जो बच्चे सिजेरियन के जरिए पैदा होते हैं, उन्हें वजायना से निकलने वाला लिक्विड नहीं मिल पाता है, इसलिए उन्हें प्रसव के समय अच्छे बैक्टीरिया नहीं मिल पाते हैं। स्टडी में ये बात सामने आई है कि डिलिवरी के तरीकों से बच्चों के गट में पाए जाने वाले अच्छे बैक्टीरिया की संख्या घट या बढ़ सकती है। हालांकि डिलिवरी के समय अच्छे बैक्टीरिया नहीं मिल पाए हैं तो ये कोई गंभीर समस्या नहीं है।

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क्या होती है वजायनल सीडिंग?

सी-सेक्शन के बाद पैदा होने वाले बच्चों में जब वजायना से निकले लिक्विड का लेप लगाया जाता है तो इस विधि को वजायनल सीडिंग कहा जाता है। इस बारे में लोगों को बहुत कम जानकारी है। नॉर्मल डिलिवरी से पैदा हुए बच्चों को वजायनल सीडिंग की जरूरत नहीं पड़ती है और नॉमर्ल डिलिवरी के समय अच्छे बैक्टीरिया बच्चे को प्राप्त हो जाते हैं।

सी-सेक्शन डिलिवरी के समय अच्छे बैक्टीरिया की हो जाती है कमी?

बैक्टीरियल मूमेंट का पता करने के लिए इंग्लैंड के कैम्ब्रिज में वेलकम सेंगर इंस्टीट्यूट के जीनोमिस्ट और उनके सहयोगियों ने 596 बच्चों पर अध्ययन किया। जीनोमिस्ट यान शाओ ने पाया कि नॉर्मल डिलिवरी से पैदा हुए 314 बच्चों में बिफिडोबैक्टीरियम ( Bifidobacterium) और बैक्टेरॉइड (Bacteroides) ने कुल बैक्टीरिया का 68 प्रतिशत बनाया। ये बैक्टीरिया सी-सेक्शन से पैदा हुए बच्चों में कम मात्रा में पाया गया। सी-सेक्शन से पैदा हुए बच्चों में हानिकारक बैक्टीरिया एंटरोकोकस और क्लोस्ट्रीडियम शामिल थे। डिलिवरी के समय अच्छे बैक्टीरिया नहीं मिल पाना कोई गंभीर समस्या नहीं है। समय के साथ ही बच्चे के अंदर इम्यूनिटी का विकास होता है और अन्य माध्यम से शरीर में अच्छे बैक्टीरिया प्रवेश करते हैं। इसलिए अगर आपने ने सी सेक्शन से बच्चे को जन्म दिया है तो प्रसव के समय अच्छे बैक्टीरिया बच्चे को न मिल पाने को लेकर चिंतिंत न रहें।

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डिलिवरी के समय अच्छे बैक्टीरिया से होता है फायदा

अध्ययन के दौरान बेबी बायोम पर स्टडी की गई। स्टडी में ये बात सामने आई कि सी-सेक्शन से पैदा हुए बच्चों में वयस्क होने के बाद अस्थमा और मोटापा बढ़ने का खतरा अधिक रहता है। स्टडी में ये बात भी सामने आई कि बच्चे के जन्म लेने का तरीका माइक्रोबायोम में परिवर्तन ला सकता है। मां जब बच्चे को दूध पिलाती है तो भी बैक्टीरिया बच्चे के शरीर में जाते हैं। किसी परिस्थिति में दूध न पिला पाने के बावजूद अच्छे बैक्टीरिया छह सप्ताह तक रिस्टोर रहते हैं। इसलिए डिलिवरी के समय अच्छे बैक्टीरिया नहीं मिल पाए हैं तो परेशान होने की जरूरत नहीं है।

वजायनल सीडिंग अगर आप नहीं कराना चाहती हैं तो अपने बच्चे को स्तनपान कराएंसिजेरियन डिलिवरी के बाद बच्चे को मां के स्तनों से निकलने वाला पहला गाढ़ा पीला दूध पिलाना चाहिए, जिसे कलॉस्ट्रम कहते हैं। कलॉस्ट्रम में बच्चे के शरीर में इम्यून सिस्टम को विकसित करने के गुण होते हैं। इसलिए वजायनल सीडिंग की जगह बच्चे को स्तनपान कराने पर जोर दें। बच्चा स्किन टू स्किन कॉन्टेक्ट से भी अच्छे बैक्टीरिया प्राप्त कर सकता है और डिलिवरी के समय अच्छे बैक्टीरिया नहीं मिलने की आपकी चिंता भी दूर हो जाएगी।

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 वजायनल सीडिंग के फायदे

रिसर्च में इस बात की पुष्टि हुई है कि सिजेरियन बच्चों के लिए वजायनल सीडिंग बहुत फायदेमंद है। प्रसव के समय अच्छे बैक्टीरिया प्राप्त करने के लिए वजायनल सीडिंग फायदेमंद रहती है।

  • जन्म के समय सिजेरियन बेबी को प्राकृतिक रूप से पूरी तरह इम्यूनिटी नहीं मिल पाती है।  वजायनल सीडिंग से उन्हें अच्छे बैक्टीरिया के द्वारा इम्यूनिटी मिलती है।
  • वजायनल सीडिंग करने से बच्चा वायरस संक्रमण, हेपेटाइटिस, ग्रुप बी स्ट्रेप जैसी बीमारियों से बच जाता है। वहीं कुछ स्टडीज इन बातों से इंकार करती है। वजायनल सीडिंग से बच्चे को इंफेक्शन का भी खतरा हो सकता है। ऐसा भी देखा गया है कि जो बच्चे नॉर्मल डिलिवरी के माध्यम से पैदा हो रहे हैं, उनमें अच्छे बैक्टीरिया की कमी पाई गई है। इसको देखकर कहना मुश्किल है कि नॉर्मल डिलिवरी के समय अच्छे बैक्टीरिया हमेशा ही और हर बच्चे को मिलते हैं।

डिलिवरी के समय अच्छे बैक्टीरिया से शरीर को क्या लाभ होता है?

हमारे शरीर में लगभग सौ मिलियन बैक्टीरिया पाए जाते हैं। इन सभी की प्रजातियां अलग होती हैं और इनमें से हर प्रजाति कहीं न कहीं हमारे शरीर में होने वाले विकारों को ठीक करने में मददगार है। पाचन, मेंटल हेल्थ और इम्यूनिटी (ऑटो इम्यून डिजीज) को भी यही बैक्टीरिया नियंत्रित करते हैं। अच्छे बैक्टीरया केवल पाचन ही नहीं बल्कि मेंटल हेल्थ पर भी गहरा प्रभाव डालते हैं। अच्छे बैक्टीरिया डायरिया, वजायनल इंफेक्शन, स्किन एलिमेंट्स और यूरिनरी इंफेक्शन से सुरक्षा प्रदान करते हैं, लेकिन ये जरूरी नहीं है शरीर में पाए जाने वाले सभी अच्छे बैक्टीरिया एक ही तरह से काम करते हो। ऐसा माना जाता है कि प्रसव के समय अच्छे बैक्टीरिया अगर बच्चे को मिल जाते हैं तो उसका स्वास्थ्य बेहतर रहता है।

माइक्रोबायोम और जीनोम

हमारे शरीर सूक्ष्म जीवों से मिलकर बना है। ये कहना गलत नहीं होगा कि शरीर की कोशिकाओं को गिनने पर वो केवल 43 प्रतिशत ही निकलेंगी। हमारा शरीर माइक्रोबायोम है जिसमें बैक्टीरिया, वायरस, कवक और एकल-कोशिका वाले आर्किया शामिल हैं। इसका मतलब ये नहीं है कि हमारा शरीर खतरे में है। मानल जीनोम 20,000 से ज्यादा इंसट्रक्शन से मिलकर बना है जिसे जीन कहते हैं। अगर सभी जीन को माइक्रोबायोम में मिला दिया जाए तो ये आंकड़ा दो मिलियन से 20 मिलियन पहुंच जाएगा। इसी कारण माइक्रोबायोम को दूसरा जीनोम कहा जाता है।

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अगर प्रसव के समय अच्छे बैक्टीरिया मां से बच्चे को नहीं मिल पाते हैं तो इसमे घबराने की बात नहीं है। और भी तरीके होते हैं जिससे शरीर में अच्छे बैक्टीरिया की संख्या बढ़ाई जा सकती है। मां का बच्चे को पौष्टिक आहार देना, समय पर स्तनपान कराना, टीकाकरण करवाना और साफ- सुथरा वातावरण रखने से बेहतर स्वास्थ्य का निर्माण किया जा सकता है। वजायनल डिलिवरी और सिजेरियन डिलिवरी के बाद मां में या फिर बच्चे में कुछ अंतर पाया जा सकता है। ये आर्टिकल कुछ स्टडीज के आधार पर लिखा गया है। हैलो हेल्थ ग्रुप चिकित्सक सलाह, निदान या उपचार प्रदान नहीं करता है।

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Current Version

06/07/2020

Bhawana Awasthi द्वारा लिखित

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड Dr Sharayu Maknikar

Updated by: Nidhi Sinha


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Dr Sharayu Maknikar


Bhawana Awasthi द्वारा लिखित · अपडेटेड 06/07/2020

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