जब आप गर्भवती होती हैं तो कैल्शियम आपको और गर्भ में पल रहे शिशु को स्वस्थ और हड्डियों मजबूत बनाने में मदद करता है। साथ ही यह हृदय, नर्वस सिस्टम और मांसपेशियों के स्वास्थ्य के लिए आवश्यक होता है। हर दिन कैल्शियम के प्रॉपर सेवन के लिए स्वादिष्ट आहार के साथ-साथ कुछ बेहतरीन सोर्स पर भी ध्यान देना चाहिए। गर्भावस्था के दौरान, कैल्शियम से भरपूर भोजन का पर्याप्त मात्रा में सेवन करना महत्वपूर्ण है। कैल्शियम मस्कुलोस्केलेटल, तंत्रिका और संचार प्रणालियों का सुचारू रखने के लिए आवश्यक है। जो गर्भवती महिलाएं कैल्शियम का पर्याप्त मात्रा में सेवन नहीं करती हैं, उन्हें बाद में जीवन में ऑस्टियोपोरोसिस होने का खतरा रहता है।
संतुलित आहार एनीमिया के खतरे को भी कम करता है और प्रेग्नेंसी के दौरान होने वाले मूड स्विंग को कंट्रोल कर लेबर और डिलिवरी के वक्त मददगार साबित होता है। एकेडमी ऑफ न्यूट्रिशन एंड डायबिटिक्स के मुताबिक, उचित वजन बढ़ाने के लिए, संतुलित आहार , नियमित तौर पर एक्सरसाइज और नियमित तौर पर विटामिंस और मिनरल्स लेने चाहिए। प्रेग्नेंसी के दौरान पानी का स्तर बॉडी में बनाए रखना भी काफी अहम है। प्रेग्नेंट महिलाएं हर दिन कई ग्लास पानी पी सकती हैं। आप अतिरिक्त रूप से फ्रूट जूस और सूप ले सकती हैं। हालांकि कैफीन युक्त पेय पदार्थ जैसे कि चाय और कॉफी और आर्टिफिशियल मीठा खाने के संबंध में आपको डॉक्टर और मिडवाइफ से सलाह लेनी चाहिए। प्रेग्नेंसी के दौरान एल्कोहॉल से परहेज करना चाहिए।गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को प्रति दिन 1000 मिलीग्राम कैल्शियम की आवश्यकता होती है।
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प्रेग्नेंसी में कैल्शियम: कैल्शियम से भरपूर भोजन क्या हैं?
नीचे कुछ कैल्शियम से भरपूर भोजन और खाद्य पदार्थों की सूची दी गई है जिनसे आप प्राकृतिक रूप से कैल्शियम प्राप्त कर सकते हैं:
कैल्शियम से भरपूर भोजन फल और सब्जियां:
- ग्रीन कोलार्ड
- पालक की सब्जी
- फूल गोभी
- सोयाबीन
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फल:
- अंजीर (सूखे हुए)
- ब्रोकली
- संतरे
कैल्शियम से भरपूर भोजन में डेयरी प्रोडक्ट्स:
- रिकोटा चीज
- दही
- दूध
- पनीर
- छेना
- आइसक्रीम
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मछली है कैल्शियम से भरपूर भोजन:
- सार्डिन
- सैल्मन
- झींगा
फलियां भी हैं कैल्शियम से भरपूर भोजन:
- व्हाइट बीन्स
- चने
- राजमा
फोर्टिफाइड फूड्स और कैल्शियम से भरपूर भोजन:
- बादाम का दूध
- सोया मिल्क
- संतरे का रस
- दलिया
दही:
गर्भावस्था के दौरान कैल्शियम से भरपूर भोजन (Calcium rich food) के लिए दही खाना बहुत फायदेमंद होता है। एक कप सादा, कम वसा वाला दही डेली जरूरत के लगभग एक तिहाई कैल्शियम की आपूर्ति करता है। कम वसा वाले दही में लगभग 311 मिलीग्राम, शुद्ध दूध के दही में लगभग 206 मिलीग्राम, और कम वसा वाले फलों के स्वाद वाले दही में औसतन 235-287 मिलीग्राम कैल्शियम प्रति कप होता है।
दूध:
दूध का मतलब सिर्फ गाय के दूध से नहीं है। आप प्रेग्नेंसी में कैल्शियम से भरपूर भोजन की आवश्यकता फोर्टिफाइड सोया, बादाम, हेजलनट, नारियल से प्राप्त सकते हैं। इन सभी को दूध के साथ मिलाकर बनाए पेय के एक-कप (आठ-औंस) में कम-से-कम 300 मिलीग्राम कैल्शियम की आपूर्ति होती है। किसी भी वैकल्पिक दूध पेय पदार्थ के लेबल पर पोषण तथ्यों की जांच करें।
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पनीर:
पनीर कैल्शियम और प्रोटीन का सोर्स है। पनीर को अन्य सब्जियों के साथ मिलाकर बहुत से व्यंजन बनाए जा सकते हैं, जैसे कि पालक पनीर या कढ़ाई पनीर। नाश्ते में पुदीने की चटनी के साथ पनीर का परांठा खाकर आप दिन की शानदार शुरुआत कर सकती हैं।
हरी पत्तेदार सब्जियां:
गहरी हरी पत्तेदार सब्जियां जैसे कि पालक, चौली, मेथी और बथुआ आदि कैल्शियम, आयरन और फोलेट का अच्छा सोर्स है। इनको भी अपने आहार में शामिल करें।
बादाम:
बादाम भी कैल्शियम, आयरन और प्रोटीन से समृद्ध होते हैं। एक गिलास बादाम दूध आप ले सकती हैं या फिर मुट्ठीभर बादाम स्नैक के तौर पर खा सकती हैं। यदि आप कुछ नमकीन सा खाना चाह रही हों, तो बादाम सूप भी बना सकती हैं।
मछली:
कुछ तैलीय मछलियां जैसे कि सैल्मन और सार्डिन कैल्शियम के बेहतरीन सोर्स होती हैं। ये प्रोटीन और एसेंशियल ओमेगा 3 फैट्टी एसिड से भी भरपूर होती हैं। हालांकि, बेहतर यही है कि एक सप्ताह में तैलीय मछली के दो ही टुकड़े खाएं और एक टुकड़ा करीब 140 ग्राम से ज्यादा नहीं होना चाहिए।
ऊपर बताई गई चीजों को डायट में शामिल करके कैल्शियम की कमी को पूरा किया जा सकता है। प्रेग्नेंसी के दौरान कैल्शियम से भरपूर भोजन खाना इसलिए भी जरूरी है क्योंकि मां का कैल्शियम का उपयोग बच्चा भी करता है। ऐसे में मां की बॉडी में कैल्शियम की कमी हो जाती है।
प्रेग्नेंसी में कैल्शियम से भरपूर भोजन क्यों खाना चाहिए?
प्रग्नेंट महिला की बॉडी को फीटस के डेवलपमेंट के लिए करीब 50 से 330 मिलीग्राम कैल्शियम की जरूरत होती है। अगर प्रेग्नेंट महिला को कैल्शियम की उचित मात्रा नहीं मिलती है तो महिला का शरीर बोंस से कैल्शियम अवशोषित करने लगता है। ऐसे में महिला की हड्डियां कमजोर हो सकती है। साथ ही होने वाले बच्चे के लिए भी कैल्शियम की कमी खतरा पैदा कर सकती है। बेहतर होगा कि डॉक्टर से जांच कराएं और कैल्शियम का उचित मात्रा में सेवन करें।
बॉडी में कैल्शियम की कमी से बच्चे की हड्डियां कमजोर हो सकती हैं। प्रेग्नेंसी के दौरान महिला और शिशु दोनों के लिए मजबूत हड्डियों और दांतों के लिए कैल्शियम की जरूरत होती है। कैल्शियम सर्क्युलेटरी, मसक्युलर और नर्वस सिसटम को सामान्य रूप से चलाने में मदद करता है। डेयरी प्रोडक्ट्स इसका बेहतर स्रोत हैं। इसके अलावा, ब्रोकली और केले से भी आपका उचित मात्रा में कैल्शियम मिलेगा। कुछ फ्रूट जूस और ब्रेकफास्ट सीरेल्स में फोर्टिफाइड के साथ कैल्शियम भी होता है।
बता दें कि प्रेग्नेंसी को हेल्दी बनाए रखने के लिए रोजाना लगभग 300 अतिरिक्त कैलोरी की जरूरत होती है। यह अतिरिक्त कैलोरी संतुलित आहार से आनी चाहिए जैसे प्रोटीन, फल, सब्जियां और साबुत अनाज। इसके अतिरिक्त मीठे और फैट की मात्रा न्यूनतम रखनी चाहिए। संतुलित आहार प्रेग्नेंसी के दौरान आने वाली उल्टी और कब्ज को कम कर सकता है। अतिरिक्त जानकारी के लिए आप डायटीशियन से सलाह ले सकती हैं। चाहें तो एक प्रॉपर डायट चार्ट बनवाकर उसे फॉलो कर सकती हैं।
प्रेग्नेंसी में कैल्शियम का काम क्या है?
- खून का थक्का जमाने में
- तंत्रिका तंत्र को संकेत भेजने में
- मांसपेशियों में संकुचन के दौरान
- हॉर्मोन रिलीज के दौरान
- हार्ट बीट रेगुलेशन के लिए जरूरी है
प्रेग्नेंसी में कैल्शियम की कमी होने पर क्या लक्षण दिखते हैं?
गर्भवती में कैल्शियम की कमी होने पर ये लक्षण दिख सकते हैं :
- पीठ में दर्द होना
- जांघ में तेज दर्द होना
- मांसपेशियों में अकड़न
- मसल्स में लगातार दर्द होना
- हाथ की कलाई में अचानक मोच आना
- पैर में मोच आ जाना
- दांतों का कमजोर होना
- नाखून में सफेद दाग आना
- बालों का झड़ना शुरू हो जाना
- थकावट महसूस होना
- रोग प्रतिरोधक क्षमता में कमी होना
- बेचैनी महसूस होना
- जरा सी चोट में हड्डी का टूटना
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गर्भावस्था में कैल्शियम की कमी से ब्रेस्टफीडिंग पर असर
गर्भावस्था में कैल्शियम लेना बहुत जरूरी है क्योंकि वह ना केवल मां के लिए बल्कि बच्चे के लिए भी आगे आने वाले समय में काम आता है। स्तनपान के दौरान एक स्वस्थ आहार महत्वपूर्ण है क्योंकि मां की पोषक तत्वों की जरूरतें उसके द्वारा किए गए भोजन से पूरी होती है। गर्भावस्था में कैल्शियम ठीक तरह से लेने से मां को स्तनपान कराने या दूध के उत्पादन में आसानी होती है। प्रोटीन, कैल्शियम से भरपूर भोजन, आयरन, विटामिन और तरल पदार्थों पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। सबसे अच्छी सलाह यह है कि हर दिन प्रमुख फूड ग्रुप्स में से खास तरह के खाद्य पदार्थ खाएं। अतिरिक्त भोजन की मात्रा भूख की जरूरतों और वजन घटाने के अनुसार अलग-अलग होगी। धीरे-धीरे वजन कम करना जब तक आप अपने पूर्व-गर्भवती वजन तक नहीं पहुंच गए।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) का सुझाव
डब्ल्यूएचओ का सुझाव है कि प्रेग्नेंट महिलाओं को हेल्दी रहने के लिए हेल्दी डायट और समुचित मात्रा में प्रोटीन लेना चाहिए। इससे नवजात शिशु के लो वेट (low weight) होने का खतरा कम होता है। साथ ही प्रेग्नेंसी के दौरान ली जाने वाली डायट में पर्याप्त मात्रा में एनर्जी, प्रोटीन, विटामिंस और मिनरल्स होने चाहिए। इसके लिए हरी और पीली सब्जियां, मीट, मछली, बीन्स, नट्स, पाश्च्युराइज्ड डेयरी प्रोडक्ट और फल आहार में शामिल करने चाहिए।
प्रेग्नेंसी के दौरान फूड सेफ्टी की सामान्य गाइडलाइन्स
- खाने, काटने और पकाने से पहली कच्चे फल और सब्जियों को ठीक से धोना चाहिए।
- सब्जियां काटने के बाद हाथ, चाकू, काउंटरटॉप्स और कटिंग बोर्ड को धोना चाहिए।
- सीफूड्स, अंडे और मीट को कच्चा न खाएं। कच्ची मछली से बनाई गई शुशी न खाएं।
- पोर्क या पोल्ट्री को अच्छी तरह से पकाकर खाएं।
- खराब होने वाले भोज्य पदार्थ को फ्रिज में रखें।
इन उपायों को अपनाकर आप हेल्दी डायट अपना पाएंगी लेकिन, इसके अतिरिक्त कुछ ऐसी पोषक चीजें होती हैं, जिनकी अतिरिक्त मात्रा में आपकी बॉडी को जरूरत पड़ती है।
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