बच्चों में पोलियो (Polio in children) एक संक्रामक वायरल बीमारी है, जो गंभीर रूप में नर्वस सिस्टम पर अटैक करती है। इस बीमार का कारण पोलियो वायरस है। यह वायरस एक मरीज से दूसरे मरीज में फैलता है और गंभीर मामलों में मस्तिष्क तथा रीढ़ की हड्डी तक को नुकसान पहुंचाता है। कुछ मामलों में इस संक्रमण के कारण सांस लेने में परेशानी होती है और कभी-कभी यह मौत का कारण भी बन सकता है। भारत में पोलियो वायरस का आखिरी केस 2011 में 18 माह की रुखसार खातून में रिपोर्ट हुआ था। रुखसार का जन्म पश्चिम बंगाल के हावड़ा में हुआ था। बच्चों में पोलियो (Polio in children) के खिलाफ विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने अभियान की शुरूआत की थी। डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट के अनुसार, 80 के दशक में दुनिया के 125 देशों में पोलियो के कारण हर साल 3.50 लाख मरीज लकवाग्रस्त हो रहे थे। वहीं 2017 में यह आंकड़ा घटकर महज 22 रह गया। अमेरिका में स्वाभाविक रूप से पोलियो होने का आखिरी मामला 1979 में रिकॉर्ड किया गया था। पोलियो को खत्म करने के लिए लगातार हो रहे प्रयास के बावजूद आज भी एशिया और अफ्रीका के कुछ हिस्सों में पोलियो वायरस बच्चों और वयस्कों को प्रभावित करता है।
रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र (The Centers for Disease Control and Prevention,CDC) पोलियो से बचने के लिए सावधानी बरतने की सलाह देता है। अगर आप कहीं ऐसी जगह यात्रा कर रहे हैं जहां लोगों को पोलियो है, तो पोलियो का खतरा हो सकता है। जिन लोगों को पोलियो का टीका लगाया गया है और जो उस क्षेत्र की यात्रा करने की योजना बनाते हैं ,जहां पोलियो हो रहा है। उन्हें इम्यूनिटी बूस्टर पोलियो वायरस वैक्सीन (आईपीवी) की एक खुराक लगवानी चाहिए। एक बूस्टर को लगाने से काफी समय तक इम्यूनिटी ठीक रहती है।
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बच्चों में पोलियो के लक्षण (Symptoms of polio)
भारत को WHO द्वारा पूरे दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र में 27 मार्च 2014 को पोलियो-मुक्त सर्टिफिकेशन प्राप्त हुआ। भारत में बच्चों में पोलियो (Polio in children) का आखिरी मामला 2011 में रिपोर्ट हुआ था और इसे 8 साल हो गए हैं। बच्चों में पोलियो (Polio in children) को रोकने में सबसे कठिन माने जाने वाले देश में पिछले आठ साल में एक भी केस सामने न आना मील का पत्थर माना जाता है।
हालांकि, बच्चों में पोलियो (Polio in children) के कारण लकवा हो सकता है या उनकी मौत भी हो सकती है। लेकिन, वायरस से संक्रमित अधिकांश लोग बीमार नहीं पड़ते हैं और उन्हें पता नहीं होता है कि वे संक्रमित हो गए हैं। इसलिए पोलियो पीड़ित को किसी भी संक्रमण से बच कर रहना चाहिए। दरअसल संक्रमण की वजह से अन्य बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।
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नॉनपैरालिटिक पोलियो (Nonparalitic polio)
कुछ लोग जिनमें पोलियो वायरस (Polio virus) के लक्षण होते हैं वे नॉनपैरालिटिक प्रकार के पोलियो से पीड़ित होते हैं, जिससे लकवा नहीं होता। यह आमतौर पर एक हल्के फ्लू जैसे लक्षण और अन्य वायरल बीमारियों के लक्षणों का कारण बनता है।
बच्चों में पोलियो (Polio in children) के लक्षण, जो 10 दिनों तक रह सकते हैं –
- बुखार आना
- गले में खरास होना
- सरदर्द होना
- उल्टी आना
- थकान
- पीठ दर्द या अकड़न होना
- गर्दन में दर्द या अकड़न होना
- हाथ या पैर में दर्द या अकड़न होना
- मांसपेशियों की कमजोरी या दर्द महसूस होना
पैरालिटिक (Paralitic polio)
पोलिया (Polio) का यह सबसे गंभीर और दुर्लभ रुप है। पैरालिटिक पोलियो के शुरुआती लक्षण जैसे बुखार और सिरदर्द अक्सर नॉन पैरालिटिक पोलियो की तरह होते हैं। हालांकि, एक हफ्ते के अंदर दूसरे लक्षण दिखाई देते हैं, जिनमें शामिल हैं:
- बॉडी की प्रतिक्रिया कम हो जाती है या खत्म हो जाती है (Loss of reflexes)
- मांसपेशियों में गंभीर दर्द या कमजोरी
- अंगों में ढीलापन (फ्लेसीड पैरालिसिस)
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पोस्ट-पोलियो सिंड्रोम (Post-polio syndrome)
पोस्ट-पोलियो सिंड्रोम के कारण पोलियो होने के कुछ सालों के बाद लोगों को यह प्रभावित करता। इसके लक्षणों में शामिल हैं:
- मांसपेशियों में कमजोरी और दर्द
- थकान महसूस होना
- सांस लेने या निगलने की समस्या
- नींद से संबंधित सांस की बीमारी, जैसे कि स्लीप एपनिया (sleep apnea)
- ठंड ज्यादा लगना
कैसे फैलता है बच्चों में पोलियो? (Polio in children)
- पोलियो से ग्रसित किसी व्यक्ति द्वारा बनाए हुए खाने से
- सीवेज के माध्यम से अनट्रीटेड वॉटर से जो पोलियो वायरस से दूषित हो गया हो
- पोलियो वायरस से संक्रमित व्यक्ति के नाक और गले के डिस्चार्ज के संपर्क में आने से
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बच्चों में पोलियो? (Polio in children) जोखिम
बच्चों में पोलियो (Polio in children) मुख्य रूप से 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को प्रभावित करता है। हालांकि, जिस किसी को टीका नहीं लगाया गया है, उसे बीमारी विकसित होने का खतरा ज्यादा होता है। इसलिए बच्चे को आवश्यक वैक्सीन दिलवायें।
कॉन्प्लिकेशन
पैरालिटिक पोलियो (Paralitic polio) से अस्थायी या स्थायी मसल पैरालिसिस, विकलांगता, हड्डी विकृति और आखिरी में मौत होने की आशंका रहती है। इसलिए डॉक्टर के बताये गये सलाह का पालन करें और समय-समय पर डॉक्टर से मिलते रहें।
बचाव
बच्चों में पोलियो (Polio) से बचाव का सबसे प्रभावी तरीका टीकाकरण है।
पोलियो का इलाज (Treatment of Polio)
बच्चों में पोलियो (Polio in children) का कोई इलाज नहीं है, केवल लक्षणों को कम करने के लिए उपचार हैं। हीट और फिजिकल थैरेपी का उपयोग मांसपेशियों के दर्द को कम करने के लिए किया जाता है और मांसपेशियों को आराम देने के लिए एंटीस्पास्मोडिक दवाएं (antispasmodic drugs) दी जाती हैं। हालांकि यह लक्षण को कम कर सकता है, यह स्थायी पोलियो को ठीक नहीं कर सकता।
बच्चों में पोलियो (Polio in children) को टीकाकरण के माध्यम से रोका जा सकता है। पोलियो वैक्सीन, कई बार दिया जाता है, इसको देने से बच्चा जीवन भर के लिए सुरक्षित हो सकता है।
बच्चों में पोलियो का टीकाकरण (Polio vaccination in children)
बच्चों में पोलियो का टीकाकरण बहुत जरूरी है। पोलिया एक ऐसी घातक बीमारी है, जिससे शिशुओं की बॉडी में लकवा मार जाता है। इससे बचाव के लिए बच्चों को पोलियो वैक्सीन (IPV) के चार डोज की जरूरत होती है। इसका पहला डोज दो महीने और दूसरा डोज चार महीने पर दिया जाता है। पोलियो वैक्सीन का तीसरा डोज 6-18 महीने और चौथा डोज 4-6 वर्ष की उम्र में दिया जाता है।
बच्चों में पोलियो के लिए सबसे सामान्य ट्रीटमेंट क्या है? (Treatment of Polio in children)
इसके लिए डॉक्टर पेशेंट को निम्नलिखित सलाह देते हैं। जैसे-
- आराम करने की सलाह (बेड रेस्ट) डॉक्टर पेशेंट को देते हैं
- दर्द से राहत मिलने की दवा लेने की सलाह दी जाती है। ये दर्द की दवाएं डॉक्टर ही प्रिस्क्राइब करते हैं
- मसल्स को आराम देने के लिए एंटीस्पास्मोडिक ड्रग्स (Antispasmodic drugs)
- यूरिनरी ट्रेक इंफेक्शन से बचने के लिए एंटीबायोटिक दवा (Antibiotic medicine)
- सांस लेने में सहायता हो इसलिए पोर्टेबल वेंटिलेटर (Portable ventilator) की मदद दी जा सकती है
- फिजिकल थेरिपी (Physical therapy)
- करेक्टिव ब्रेसेस, जिससे चलने में सहायता हो सके और परेशानी कम हो
- मांसपेशियों में दर्द और ऐंठन को कम करने के लिए हीटिंग पैड या गर्म तौलिये से सेकने की सलाह दी जाती है
- पोलियो से बचाव का सबसे अच्छा तरीका टीकाकरण है। बच्चों को टीकाकरण अवश्य करवाएं। इसकी जानकारी शिशु के जन्म के बाद ही दे दी जाती है कि बच्चे को कब-कब कौन सी वैक्सीन दी जायेगी।
अगर आप पोलियो से जुड़े किसी तरह के कोई सवाल का जवाब जानना चाहते हैं तो विशेषज्ञों से समझना बेहतर होगा। हैलो हेल्थ ग्रुप किसी भी तरह की मेडिकल एडवाइस, इलाज और जांच की सलाह नहीं देता है। इस आर्टिकल में हमने आपको बच्चों में पोलियो (Polio in children) के संबंध में जानकारी दी है। उम्मीद है आपको हैलो हेल्थ की दी हुई जानकारियां पसंद आई होंगी। अगर आपको इस संबंध में अधिक जानकारी चाहिए, तो हमसे जरूर पूछें। हम आपके सवालों के जवाब मेडिकल एक्सर्ट्स द्वारा दिलाने की कोशिश करेंगे।
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