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Biphasic Isophane Insulin Injection IP: यह है डायबिटीज कंट्रोल करने का आसान तरीका!

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. हेमाक्षी जत्तानी · डेंटिस्ट्री · Consultant Orthodontist


Nikhil deore द्वारा लिखित · अपडेटेड 23/12/2021

    Biphasic Isophane Insulin Injection IP: यह है डायबिटीज कंट्रोल करने का आसान तरीका!

    शरीर में ब्लड शुगर लेवल के बढ़ने यानी डायबिटीज की समस्या होने पर रोगी को इंसुलिन लेने की सलाह दी जाती है। इंसुलिन वो हॉर्मोन है, जो खून में ग्लूकोज के लेवल को लो करने का काम करती है। इंसुलिन के एक प्रकार को  बायफेसिक आइसोफेन इंसुलिन इंजेक्शन आईपी (Biphasic Isophane Insulin Injection IP) के नाम से भी जाना जाता है। इसका प्रयोग बच्चों और वयस्कों में ब्लड शुगर को कंट्रोल करके डायबिटीज मलायट्स के उपचार के लिए किया जाता है। इस इंसुलिन को बेहद प्रभावित और सुरक्षित माना जाता है। लेकिन, प्रयोग से पहले इसके बारे में पूरी जानकारी होना बेहद जरूरी है। तो आइए जानते हैं बायफेसिक आइसोफेन इंसुलिन इंजेक्शन आईपी (Biphasic Isophane Insulin Injection IP) के बारे में विस्तार से।

    बायफेसिक आइसोफेन इंसुलिन इंजेक्शन आईपी क्या है? (Biphasic Isophane Insulin Injection IP)

    बायफेसिक आइसोफेन इंसुलिन इंजेक्शन आईपी ह्यूमन इंसुलिन का मैन-मेड वर्जन है। इसे बायोटेक्नोलॉजी की प्रक्रिया से बनाया जाता है जिसे रेकॉम्बीनैंट DNA टेक्नोलॉजी (Recombinant DNA Technology.) कहा जाता है। यह एक क्लियर और रंगहीन घोल  होता है, जिसमें ग्लिसरीन (Glycerin), फिनोल (Phenol), मेटाक्रेसोल (Metacresol), जिंक (Zinc), सोडियम क्लोराइड (Sodium chloride) आदि जैसे अन्य घटकों के साथ ही इंसुलिन भी होता है। जानिए कैसे काम करती है यह इंसुलिन?

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     इंसुलिन कैसे काम करती है?

    यह तुरंत काम करने वाली इंसुलिन है, जो इंजेक्शन रोगी को लगने के एक या दो घंटे में ही काम करना शुरू कर देती है। यह उस इंसुलिन की तरह ही काम करती है, जिसे हमारा शरीर बनाता है। इंसुलिन मांसपेशियों और फैट सेल्स में शुगर को एंटर होने में मदद करती है और लिवर में शुगर के उत्पादन को भी सप्रेस कर देती है। यह डायबिटीज मलायट्स (Diabetes mellitus) में ब्लड शुगर  के स्तर को कम करने में मदद करती है। लेकिन, जिन लोगों को लो ब्लड शुगर की समस्या है उन्हें इस इंसुलिन को लेने से बचना चाहिए। जानिए, इस इंसुलिन को लेने से पहले किन चीजों का ध्यान रखना बेहद जरूरी है?

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    बायफेसिक आइसोफेन इंसुलिन इंजेक्शन आईपी (Biphasic Isophane Insulin Injection IP) को लेने से पहले इन चीजों का रखें ध्यान!

    अगर आपको इससे एलर्जी है या आपका ब्लड शुगर लेवल लो रहता है। तो आपको बायफेसिक आइसोफेन इंसुलिन इंजेक्शन आईपी (Biphasic Isophane Insulin Injection IP) को नहीं लेना चाहिए। यही नहीं, बिना डॉक्टर की सलाह के इसे बच्चों को भी नहीं देना चाहिए। अगर आप इनमें से किसी भी समस्या या स्थिति में पहले ही डॉक्टर को बता दें:

    • लीवर या किडनी की समस्या (Liver or kidney disease)
    • खून में पोटेशियम का लेवल कम होना (Low levels of potassium)
    • अगर आपको पायोग्लीटाजोन (Pioglitazone) या  रोसिग्लिटाजोन (Rosiglitazone) जैसी दवाईयां ले रहे हैं। इस इंसुलिन के साथ कुछ खास ओरल डायबिटीज मेडिसिन को लेने से गंभीर हार्ट समस्याएं हो सकती हैं।
    • अगर आप प्रेग्नेंट हैं, प्रेग्नेंट होने के बारे में सोच रही हैं या ब्रेस्टफीडिंग करा रही हैं तो आपको पहले ही डॉक्टर को बता देना चाहिए। प्रेगनेंसी में डायबिटीज को कंट्रोल करना बेहद जरूरी है। क्योंकि, ब्लड शुगर का बढ़ना शिशु और मां दोनों में जटिलताओं को बढ़ा सकता है। जानिए कैसे प्रयोग करें इस इंसुलिन को?

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    बायफेसिक आइसोफेन इंसुलिन इंजेक्शन आईपी का प्रयोग कैसे करना चाहिए

    बायफेसिक आइसोफेन इंसुलिन इंजेक्शन आईपी (Biphasic Isophane Insulin Injection IP) को लेने से पहले इसके लेबल पर लिखी सभी इंस्ट्रक्शंस को अच्छी तरह से पढ़ना जरूरी है। इसके साथ ही इसका प्रयोग उसी तरह से किया जाना चाहिए जिस तरह से डॉक्टर से सलाह दी हो। आइए जानते हैं इसके बारे में विस्तार से:

    • बायफेसिक आइसोफेन इंसुलिन इंजेक्शन आईपी (Biphasic Isophane Insulin Injection IP) को त्वचा के नीचे इंजेक्ट किया जाता है। अगर आप खुद इस इंजेक्शन को लगाने वाले हैं। तो पहले ही डॉक्टर से इसे लगाने के तरीके के बारे में जान लें। वेन या मसल्स में इसे इंजेक्ट नहीं किया जाता है।
    • इस इंजेक्शन को इंसुलिन पंप की मदद से नहीं देना चाहिए या किसी अन्य इंसुलिन के साथ कंबाइन कर भी इसे नहीं दिया जाता है।
    • अगर स्किन डैमेज्ड, स्केली, थिक हो या उस पर कोई चोट लगी हो या घाव हो तो वहां इस इंजेक्शन को इंजेक्ट न करें।
    • यह इंजेक्शन मिक्स करने के बाद क्लॉउडी लगना चाहिए। अगर यह मिश्रण क्लियर लगे या इसमें कोई पार्टिकल्स हों तो उसका प्रयोग न करें।
    • आपके डॉक्टर आपको पहले ही यह समझा देंगे कि आप अपने शरीर में कहां बायफेसिक आइसोफेन इंसुलिन इंजेक्शन आईपी (Biphasic Isophane Insulin Injection IP) को इंजेक्ट कर सकते हैं। हर बार इंजेक्शन को इंजेक्ट करने के लिए अलग जगह का प्रयोग करें। एक ही जगह पर लगातार दो बार इंजेक्शन न लगाएं।

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    • अगर आप इंजेक्शन पेन का प्रयोग कर रहे हैं, तो उसी इंजेक्शन पेन का प्रयोग करें जो बायफेसिक आइसोफेन इंसुलिन इंजेक्शन आईपी (Biphasic Isophane Insulin Injection IP) के साथ आता हो। हर बार नई नीडल लगाना भी जरूरी है। पेन से सिरिंज में इंसुलिन को ट्रांसफर न करें। किसी अन्य व्यक्ति के साथ इस इंजेक्शन या सिरिंज को शेयर न करें, चाहे नीडल बदल भी क्यों न दी गई हो। इस डिवाइस के प्रयोग से इंफेक्शन और अन्य बीमारियों के दूसरे व्यक्ति तक पहुंचने की संभावना भी बढ़ जाती है। बायफेसिक आइसोफेन इंसुलिन इंजेक्शन आईपी (Biphasic Isophane Insulin Injection IP) को लेने के बाद किन बातों का ख्याल रखना जरूरी है, जानिए।

    इस इंसुलिन इंजेक्शन को लेने के बाद इन चीजों का रखें ध्यान!

    अगर बायफेसिक आइसोफेन इंसुलिन इंजेक्शन आईपी (Biphasic Isophane Insulin Injection IP) को लेने के बाद आप लो ब्लड प्रेशर महसूस कर रहे हैं। आपको चक्कर आना, भ्रम, कंकंपी जैसी समस्याएं हो रही हों तो पहले इसका इलाज करें। इस स्थिति में फास्ट एक्टिंग सोर्स ऑफ शुगर को लें जैसे फ्रूट जूस, कैंडी, किशमिश आदि। इसके साथ ही इन चीजों का ध्यान रखना न भूलें:

    • अगर आपको गंभीर हायपोग्लाइसीमिया (Severe Hypoglycemia) की समस्या है, तो डॉक्टर आपको ग्लूकागोन इंजेक्शन (Glucagon injection) की सलाह भी दे सकते हैं। अपने दोस्तों और परिवार वालों को आपातकाल में प्रयोग होने वाले इस इंजेक्शन के बारे में अवश्य बताएं।
    • हायपरग्लाइसीमिया के लक्षणों का भी ध्यान रखें जैसे अधिक प्यास या अधिक बार मूत्र त्याग आदि।
    • ब्लड शुगर लेवल स्ट्रेस, बीमारी, सर्जरी, व्यायाम, शराब का सेवन या आहार न करने से भी प्रभावित होता है। इस स्थिति में अपने डॉक्टर से इस इंसुलिन डोज को या मेडिकेशन शेड्यूल को बदलने के लिए कहें।
    • अगर कभी आप इस दवाई की डोज को मिस कर दें तो याद आने पर तुरंत उसे ले लें। लेकिन, अगर वो समय दूसरी डोज का हो रहा हो तो अगली डोज को लें। एक ही समय में दो डोज लेने से बचें। अगर आपकी दवाई ख़त्म हो रही हो तो ख़त्म होने से पहले ही इसे रिफिल कर लें।
    • बायफेसिक आइसोफेन इंसुलिन इंजेक्शन आईपी (Biphasic Isophane Insulin Injection IP) कंप्लीट ट्रीटमेंट का एक हिस्सा है और इस ट्रीटमेंट में सही डायट, व्यायाम, वजन को कंट्रोल करना, खास मेडिकल केयर आदि भी शामिल है। इस बारे में डॉक्टर की सलाह का पूरी तरह से पालन करना जरूरी है। आइए जानें कि इस इंसुलिन को कैसे स्टोर किया जा सकता है?

    बायफैसिक आइसोफेन इंसुलिन इंजेक्शन आईपी

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    बायफेसिक आइसोफेन इंसुलिन इंजेक्शन आईपी को स्टोर करने के तरीके

    बायफेसिक आइसोफेन इंसुलिन इंजेक्शन आईपी (Biphasic Isophane Insulin Injection IP) को इसके ओरिजनल कंटेनर में ही रखें और हीट व लाइट से सुरक्षित रखें। जब तक रोगी इंजेक्शन के लिए तैयार न हो, कंटेनर में से सिरिंज के माध्यम से इंसुलिन को न निकालें। इसे फ्रीज न करें। अगर यह इंसुलिन जम गई हो तो उसे फेंक दें। अगर आपने इस इंसुलिन को खोला नहीं है, तो इसे रेफ्रिजरेट करें और एक्सपायर होने तक प्रयोग करें। इसे रूम टेम्प्रेचर पर भी स्टोर किया जा  सकता है और दी गई सलाह के अनुसार इसका प्रयोग किया जा सकता है।

    ओपन इंसुलिन को भी रेफ्रिजरेटर या रूम टेम्प्रेचर में डॉक्टर की सलाह के अनुसार स्टोर और प्रयोग किया जा सकता है। लेकिन, प्रयोग किये जा रहे इंजेक्शन पेन को रेफ्रिजरेट न करें। नीडल और सिरिंज को केवल एक ही बार इस्तेमाल करें। इसके बाद इसे अच्छे से डिस्पोज कर दें। बच्चों व जानवरों की पहुंच से इसे दूर रखना बेहद जरूरी है।

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    बायफेसिक आइसोफेन इंसुलिन इंजेक्शन आईपी की ओवरडोज लेने पर क्या हो सकता है?

    इस इंसुलिन की ओवर डोज लेने से रोगी को गंभीर हायपोग्लाइसीमिया की समस्या हो सकती है। इसके लक्षणों में चक्कर आना, भ्रम, आंखों की रोशनी का धुंधला होना, बोलने में समस्या, मसल्स का कमजोर होना, सीजर और बेहोशी आदि शामिल हैं। ऐसे में इसको कितनी डोज में लेना इसके बारे में आपको पूरा पता होना चाहिए। किसी स्थिति में अगर रोगी इसकी ओवरडोज ले लेता है, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करे। इंसुलिन के साथ ब्लड शुगर लो हो सकती है। ऐसे में रोगी को इंसुलिन के बाद कोई भी ऐसा काम करने से बचना चाहिए जिसमें ध्यान लगाने की जरूरत हो।

    इस इंसुलिन का प्रयोग करते हुए एल्कोहॉल का सेवन करने से भी बचना चाहिए। इसे लेने से ब्लड शुगर लो हो सकती है और इससे रोगी के डायबिटीज ट्रीटमेंट पर भी प्रभाव पड़ सकता है। अब जानिए बायफेसिक आइसोफेन इंसुलिन इंजेक्शन आईपी (Biphasic Isophane Insulin Injection IP) के साइड इफेक्ट्स के बारे में।

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    बायफेसिक आइसोफेन इंसुलिन इंजेक्शन आईपी के साइड इफेक्ट्स (Side effects of Biphasic Isophane Insulin Injection IP)

    बायफेसिक आइसोफेन इंसुलिन इंजेक्शन आईपी (Biphasic Isophane Insulin Injection IP) के कारण प्रभावित व्यक्ति कुछ साइड इफेक्ट्स भी महसूस कर सकता है। हालांकि, ऐसा जरूरी नहीं है कि हर व्यक्ति को यह लक्षण नजर आएं। यह साइड इफेक्ट्स इस प्रकार हैं:

    इस इंसुलिन को लेने के बाद आप एलर्जी महसूस कर सकते हैं। अगर आपको इंसुलिन एलर्जी के कोई भी लक्षण नजर आते हैं। तो तुरंत डॉक्टर की सलाह लें। यह लक्षण इस प्रकार हो सकते हैं

    अगर आपको यह साइड इफेक्ट महसूस होते हैं तो तुरंत डॉक्टर की सलाह लें:

    बायफेसिक आइसोफेन इंसुलिन इंजेक्शन आईपी के सामान्य साइड इफेक्ट्स में यह सब भी शामिल है:

    • लो ब्लड शुगर (Low blood sugar)
    • वजन का बढ़ना (Weight gain)
    • हाथों और पैरों में सूजन (Swelling in hands or feet)
    • खुजली (Itching)

    हालांकि, यह इस इंजेक्शन के बाद होने वाले साइड इफेक्ट्स की पूरी लिस्ट नहीं है। इसके अलावा भी रोगी को अन्य साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं। ऐसे में तुरंत डॉक्टर की सलाह लेना जरूरी है।

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    कौन सी अन्य दवाईयों का बायफेसिक आइसोफेन इंसुलिन इंजेक्शन आईपी पर प्रभाव पड़ सकता है?

    जब अन्य दवाईयों के साथ बायफेसिक आइसोफेन इंसुलिन इंजेक्शन आईपी (Biphasic Isophane Insulin Injection IP) को लिया जाता है, तो हो सकता है कि यह सही से काम न करे। इन दवाईयों में डॉक्टर द्वारा दी गई दवाईयों के अलावा ओवर-द-काउंटर मेडिसिन, विटामिन्स और हर्बल प्रोडक्ट्स भी शामिल हैं। कुछ दवाईयों के साथ इस इंसुलिन को लेने से रोगी लो ब्लड शुगर और कई अन्य समस्याओं का अनुभव कर सकता है। अगर ऐसा है, तो तुरंत अपने डॉक्टर से बात करें। बायफेसिक आइसोफेन इंसुलिन इंजेक्शन आईपी (Biphasic Isophane Insulin Injection IP) को लेते हुए किसी भी अन्य दवाई को लेने से पहले डॉक्टर की सलाह अवश्य ले लें।

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    यह तो थी बायफेसिक आइसोफेन इंसुलिन इंजेक्शन आईपी (Biphasic Isophane Insulin Injection IP)  के बारे में पूरी जानकारी। अगर डॉक्टर इस इंसुलिन की सलाह आपको देते हैं तो पहले ही इसके बारे में पूरी जानकारी ले लें जैसे इसकी सही डोज आदि। अगर इसे लेते हुए आप वजन का बढ़ना या कम होना, स्ट्रेस का बढ़ना आदि महसूस कर रहे हैं, तो डॉक्टर आपकी डोज में बदलाव कर सकते हैं। याद रखें, यह इंसुलिन उपचार का केवल एक हिस्सा है। इसके साथ ही आपको अपने आहार और व्यायाम आदि का पूरी तरह से खयाल रखना चाहिए। नियमित जांच और डॉक्टर की सलाह का पूरी तरह से पालन करना भी बेहद जरूरी है।

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