ऐसा माना जाता है कि बच्चों और किशोरों में टाइप 1 डायबिटीज होना सामान्य है और टाइप 2 डायबिटीज आमतौर पर वयस्कों में पाई जाती है। टाइप 1 डायबिटीज को जुवेनाइल डायबिटीज भी कहा जाता है। टाइप 1 डायबिटीज के कारण अग्न्याशय इंसुलिन नहीं बना पाता है। लेकिन, क्या आप जानते हैं कि हाल ही में इस बात की पुष्टि हो चुकी है कि बच्चे भी टाइप 2 डायबिटीज का शिकार हो सकते हैं और बच्चों में यह समस्या लगातार बढ़ रही है। इसका सबसे बड़ा कारण है बच्चों में मोटापा। टाइप 2 डायबिटीज के कारण हमारा शरीर इंसुलिन को बना या उसका ठीक से प्रयोग नहीं कर पाता है। आज हम बात करेंगे बच्चों में टाइप 2 डायबिटीज (Type 2 Diabetes in Children) के बारे में और जानेंगे बच्चों में टाइप 1 और टाइप 2 डायबिटीज में अंतर।
बच्चों में टाइप 2 डायबिटीज क्या है? (Type 2 Diabetes in Children)
बच्चों में डायबिटीज वो स्थिति है जब शरीर पर्याप्त इंसुलिन नहीं बना पाता है या इंसुलिन का ठीक से प्रयोग नहीं कर पाता है। टाइप 2 डायबिटीज मेटाबॉलिक डिसऑर्डर होता है। इंसुलिन एक हार्मोन है। यह खून में शुगर का प्रयोग सेल्स के ईंधन के रूप में करता है। जब ग्लूकोज सेल्स के अंदर नहीं जा पाता है तो ये खून में रह जाते हैं, जिसे हाइपरग्लेसेमिया कहा जाता है। अधिक ब्लड शुगर शरीर में समस्या का कारण बन सकती है। इसके कारण ब्लड वेसल और नर्वस सिस्टम को नुकसान हो सकता है। इसके साथ ही यह आंखों, किडनी और दिल के लिए भी हानिकारक होता है।
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बच्चों में इसके कौन से लक्षण नजर आते हैं? (Symptoms of Type 2 Diabetes in Children)
बच्चों में टाइप 2 डायबिटीज (Type 2 Diabetes in Children) के लक्षण धीरे-धीरे विकसित हो सकते हैं। जिससे इसके शुरुआती लक्षण नोटिस नहीं किये जा सकते हैं। इस डिसऑर्डर का रूटीन चेकअप से निदान किया जा सकता है। इस समस्या के कुछ लक्षण इस प्रकार हैं:
- प्यास और यूरिनेशन में वृद्धि (Increased Thirst and Frequent Urination) : बच्चे की ब्लडस्ट्रीम में अतिरिक्त शुगर का निर्माण ऊतकों से तरल पदार्थ खींचता है। जिससे बच्चे अधिक प्यास महसूस कर सकते हैं और अधिक पानी पीने से सामान्य से अधिक बार बाथरूम जाना पड़ सकता है।
- थकावट (Fatigue) : शरीर में शुगर लेवल के बढ़ने के कारण बच्चा थका हुआ महसूस कर सकता है।
- नजर कमजोर होना (Blurry Vision) : अगर आपके बच्चे की ब्लड शुगर बढ़ गई है, तो उसका असर उसकी आंखों पर भी पड़ेगा और उसकी नजर कमजोर हो सकती है।
- त्वचा का डार्क होना (Darkened Areas of Skin) : टाइप 2 डायबिटीज के विकास से पहले त्वचा के कुछ हिस्से काले होना शुरू हो जाते हैं। यह हिस्से आमतौर पर गले और आर्मपिट होते हैं।
- वजन का कम होना (Weight Loss) : ऊर्जा के कम होने से शुगर सप्लाइज, मसल टिशूज और फैट स्टोर सिकुड़ जाते हैं। इससे बच्चे का वजन कम हो सकता है।
बच्चों में टाइप 2 डायबिटीज के कारण (Causes of Type 2 Diabetes in children)
बच्चों में टाइप 2 डायबिटीज के कारणों की जानकारी नहीं है। लेकिन, इसका एक कारण जेनेटिक हो सकता है। मोटापे के शिकार बच्चों को इस समस्या का जोखिम अधिक होता है। इसके साथ ही इसके अन्य कारण इस प्रकार हो सकते हैं, जैसे:
- फैमिली हिस्ट्री (Family History)
- वजन अधिक होना (Being Overweight)
- नियमित रूप से व्यायाम न करना (Not Exercising Regularly)
- लो लेवल हाय-डेंसिटी लेपोप्रोटीन कोलेस्ट्रॉल (Low Level High-Density Lipoprotein Cholesterol)
- हाय ट्राइग्लिसराइड लेवल (High Triglyceride Level)
- प्रीडायबिटीज (Prediabetes)
बच्चों में टाइप 1 और टाइप 2 डायबिटीज में अंतर (Difference between Type 1 and Type 2 Diabetes in Children)
जिन बच्चों में टाइप 1 डायबिटीज होती है, उनके शरीर का इम्यून सिस्टम अग्नाश्य के सेल्स पर अटैक करता है। क्योंकि, यह सेल्स खराब हो चुके होते हैं, ऐसे में टाइप 1 डायबिटीज का शिकार बच्चे इंसुलिन नहीं बना पाते हैं। उन्हें इंसुलिन की जरूरत पड़ती है। जिन बच्चों को टाइप 2 डायबिटीज होती है, उनका अग्न्याशय इंसुलिन नहीं बना पाता है या उसका सही से प्रयोग नहीं कर पाता है। ऐसे में उन्हें हाय ब्लड शुगर को हेल्दी लाइफस्टाइल, इंसुलिन आदि से मैनेज करना होता है। इन दोनों डायबिटीज में एक समान लक्षण इस प्रकार हैं:
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- अधिक भूख या प्यास (Excessive Hunger or Thirst)
- लगातार बाथरूम जाना (Frequent Urination)
- थकावट (Fatigue)
- वजन कम होना (Weight loss)
- सुस्ती (Lethargy)
- बिस्तर गीला करना (Bedwetting)
- आंखों का कमजोर होना (Blurred vision)
बच्चों में अधिकतर टाइप 1 डायबिटीज पाई जाती है। लेकिन, अब बच्चों में टाइप 2 डायबिटीज (Type 2 Diabetes in Children) की समस्या भी देखी जा रही है और इसका कारण है मोटापा, बच्चों का बदलता लाइफस्टाइल और डायट संबंधी आदतें ।
बच्चों में टाइप 2 डायबिटीज का निदान (Diagnosis of Type 2 Diabetes in Children)
ल्युसिल पैकर्ड चिल्ड्रन ‘स हॉस्पिटल स्टैनफोर्ड (Lucile Packard children’s Hospital Stanford) के अनुसार किसी भी प्रकार की डायबिटीज का कोई उपचार नहीं है। लेकिन, लाइफस्टाइल में परिवर्तन से ब्लड शुगर को कंट्रोल किया जा सकता है और स्वास्थ्य को सुधारा जा सकता है। इस समस्या के निदान के लिए आपको बच्चों के डायबिटीज के लक्षणों को नोटिस करना चाहिए। हालांकि टाइप 2 डायबिटीज के लक्षण बच्चों में कम नजर आते हैं। ऐसे में जिन बच्चों को टाइप 2 डायबिटीज होने की संभावना अधिक होती हैं उन्हें समय-समय पर स्क्रीनिंग करानी चाहिए। इसकी स्क्रीनिंग में यह टेस्ट शामिल हैं :
- ग्लाइकेटेड हीमोग्लोबिन A1C टेस्ट (Glycated hemoglobin A1C Test) : ग्लाइकेटेड हीमोग्लोबिन A1C टेस्ट में रेड ब्लड सेल्स में ग्लूकोज की मात्रा के बारे में पता चल सकता है। इस टेस्ट से पिछले तीन महीनों में एवरेज ब्लड ग्लूकोज लेवल का पता चल जाता है।
- फास्टिंग प्लाज्मा ग्लूकोज (Fasting Plasma Glucose) : फास्टिंग प्लाज्मा ग्लूकोज ब्लड टेस्ट आठ घंटे कुछ न खाने के बाद किया जाता है।
- ओरल ग्लूकोज टॉलरेंस टेस्ट (Oral Glucose Tolerance Test) : यह टेस्ट ग्लूकोज ड्रिंक को पीने के दो घंटे बाद किया जाता है। ताकि ब्लड ग्लूकोज लेवल को जांचा जा सके।
अगर बच्चे को टाइप 2 डायबिटीज की समस्या है तो अन्य यूरिन और ब्लड टेस्ट भी किए जा सकते हैं।
बच्चों में टाइप 2 डायबिटीज का उपचार कैसे किया जाता है? (Treatment of Type 2 diabetes in a Children)
हेल्दी लाइफस्टाइल चॉइस बच्चों में टाइप 2 और टाइप 1 डायबिटीज से बचने में मदद कर सकती हैं। अगर आपके बच्चे को यह समस्या है, तो लाइफस्टाइल में बदलाव से मेडिकेशन्स की जरूरत कम हो सकती है। इसके साथ ही अन्य जटिलताओं का जोखिम भी कम हो सकता है। इसलिए, अपने बच्चे को हेल्दी हैबिट्स अपनाने के लिए कहें। इस समस्या का उपचार बच्चे के लक्षणों, उम्र और स्वास्थ्य के अनुसार किया जाता है। इसके साथ ही यह इस बात पर भी निर्भर करता है कि स्थिति कितनी गंभीर है। इसके उपचार का उद्देश्य यही होता है कि लक्षणों को कम किया जा सके। इसके उपचार के लिए डॉक्टर आपको इन विकल्पों की सलाह दे सकते हैं:
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हेल्दी डायट (Healthy Diet)
बच्चों में डायबिटीज एक क्रॉनिक स्थिति है। इसके लिए आपको हेल्दी ब्लड ग्लूकोज लेवल को बनाए रखने के लिए लाइफस्टाइल में परिवर्तन करना होगा। इसके लिए आपको अपने बच्चे में आहार में यह बदलाव ला सकते हैं:
- बच्चे को दिन में कम से कम पांच बार फल और सब्जियां खाने को दें।
- उन्हें अच्छा आहार खाने को कहें, जिसमें फायबर अधिक हो लेकिन फैट कम हो ।
- एक समय में थोड़ी मात्रा में खाने को दें और थोड़ी-थोड़ी देर के बाद कुछ खाने को दें।
- चीनी युक्त आहार न दें।
- पानी अधिक पीने को कहें
फिजिकल एक्टिविटीज (Physical Activities)
फिजिकल एक्टिविटी करने से ब्लड शुगर कम रहती है। इसलिए अपने बच्चे को नियमित रूप से दिन में कम से कम एक घंटा एरोबिक करने के लिए कहें। बच्चों का स्क्रीनिंग टाइम कम कर दें। ताकि वो गेम्स खलने, टीवी या कंप्यूटर पर कार्टून देखने में कम समय बिताएं।
वजन कम करने को कहें (Lose Weight)
ऐसा माना जा रहा है कि बच्चों में टाइप 2 डायबिटीज (Type 2 Diabetes in Children) का मुख्य कारण बच्चों का बढ़ता वजन है। इसलिए बच्चों का वजन कम हो इस बात का ध्यान रखें। अगर आपके बच्चे का वजन अधिक है तो उसका वजन कम करने पर विचार करें। इसके लिए आप अपने डॉक्टर की सलाह भी ले सकते हैं।
दवाईयां (Medication)
बच्चों में टाइप 2 डायबिटीज के उपचार के लिए तीन दवाइयां निर्धारित की गयी हैं। मेटफोर्मिन (Metformin) लिराग्लूटाइड (Liraglutide) और इंसुलिन। मेटफोर्मिन एक पिल है जो ब्लडस्ट्रीम में से बच्चे के लिवर की शुगर को कम करती है और शरीर की कोशिकाओं को अधिक प्रभावी ढंग से इंसुलिन का उपयोग करने में मदद करती है।
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इंसुलिन (Insulin)
कई बार बच्चों को इंसुलिन की जरूरत पड़ती है , जब उनका ब्लड ग्लूकोज लेवल बहुत अधिक हो। जीवनशैली में बदलाव और अन्य दवाईयों के साथ ही बच्चों के लिए इंसुलिन भी जरूरी है।
टाइप 2 डायबिटीज से पीड़ित बच्चों को इसके कारण और कौन सी समस्याएं हो सकती हैं? (Complications of type 2 diabetes in a child)
टाइप 2 डायबिटीज एक भयानक स्थिति है, जिसका समय पर निदान और उपचार होना जरूरी है। अगर सही समय पर उपचार न हो तो यह समस्या कई अन्य परेशानियों का कारण बन सकती हैं और यह बीमारियां पूरी उम्र उसके स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकती हैं। यह परेशानियां इस प्रकार हैं:
- हाय ब्लड प्रेशर (High Blood Pressure)
- हाय कोलेस्ट्रॉल (High Cholesterol)
- फैटी लीवर डिजीज (Fatty Liver Disease)
- तनाव (Depression)
- ईटिंग डिसऑर्डर्स (Eating Disorders)
बच्चों को इसके कारण कुछ अन्य समस्याएं भी हो सकती हैं, जो उम्र के बढ़ने के साथ नजर आ सकती हैं
- वैस्कुलर डिजीज (Vascular Disease)
- किडनी डैमेज (Kidney Damage)
- आई डैमेज (Eye Damage)
- हार्ट डिजीज (Heart Disease)
- नर्वस सिस्टम को नुकसान होना (Damage to the Nervous System)
डॉक्टर के पास कब जाएं?
अगर आपको अपने बच्चों को टाइप 2 डायबिटीज (Type 2 Diabetes in Children) का कोई भी लक्षण नजर आता है, तो तुरंत डॉक्टर से मिलें। क्योंकि, इस समस्या के उपचार के बिना यह स्थिति गंभीर हो सकती है। यह गंभीर लक्षण इस प्रकार हैं:
- डायबिटीज की स्क्रीनिंग उन बच्चों के लिए विशेष रूप से जरूरी है जिनका वजन अधिक है या जो मोटे हैं।
- जिन बच्चों में अभी-अभी किशोरावस्था में कदम रखा है और जिनकी उम्र कम से कम दस साल है। उन्हें इसका जोखिम अधिक होता है।
- टाइप 2 डायबिटीज की फैमिली हिस्ट्री होने पर भी बच्चों में यह समस्या होने का जोखिम बढ़ जाता है।
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छोटे बच्चों का विकास अभी हो रहा होता है। ऐसे में अगर उनका वजन अधिक है, तो आपका लक्ष्य उनके वजन को कम करना होना चाहिए। ताकि, उनकी ग्रोथ और विकास सामान्य तरीके से हो सके। लेकिन, डॉक्टर से पूछे बिना उन्हें कोई वेट लॉस डायट को फॉलो करने के लिए न कहें। अगर आपका बच्चा अधिक प्यास, मूत्र त्याग या लगातार वजन कम होने की समस्या से गुजर रहा है, तो तुरंत डॉक्टर से जांच कराएं। याद रखें बच्चों में टाइप 2 डायबिटीज (Type 2 Diabetes in Children) के साथ ही टाइप 1 डायबिटीज दोनों ही गंभीर कंडीशंस हैं। ऐसे में किसी भी जटिलता से उन्हें बचाने के लिए समस्या का सही समय पर निदान और उपचार होना जरूरी है। अपने बच्चे को इस समस्या से बचाने के लिए उन्हें हेल्दी हैबिट्स अपनाने को कहें।
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