backup og meta

आयुर्वेदिक तरीके से ऐसे मनाएं होली, त्वचा और स्वास्थ्य को बचाएं खतरनाक केमिकल वाले रंगों से

आयुर्वेदिक तरीके से ऐसे मनाएं होली, त्वचा और स्वास्थ्य को बचाएं खतरनाक केमिकल वाले रंगों से

Happy Holi 2020- होली का त्योहार आने में कुछ ही दिन रह गए हैं। भारत के प्रमुख त्योहारों में होली भी शामिल हैं, जिसे देश में बड़े पैमाने पर मनाया जाता है। लेकिन, होली के साथ ही आती हैं कुछ स्वास्थ्य समस्याएं, जैसे ज्यादा पानी में भीगने की वजह से सर्दी-जुकाम, बुखार या फिर सबसे बड़ी और सबसे आम त्वचा संबंधित समस्याएं। लेकिन, इन्हीं शारीरिक समस्याओं और दिक्कतों से राहत पाने के लिए आप आयुर्वेदिक होली की मदद ले सकते हैं। आयुर्वेदिक तरीके से होली खेलने पर आपको सर्दी-जुकाम और त्वचा संबंधित कई समस्याओं से छुटाकारा मिलता है। आयुर्वेदिक तरीके से होली खेलने के महत्व और तरीके पर जीवा आयुर्वेद के निदेशक डॉ. प्रताप चौहान ने प्रकाश डाला। इस आर्टिकल में जानें कि उन्होंने क्या कहा…

आयुर्वेदिक तरीके से होली खेलने का महत्व क्या है?

Ayurvedic Holi 2020- आयुर्वेदिक तरीके से होली

जीवा आयुर्वेद के निदेशक डॉ. प्रताप चौहान ने बताया कि होली खेलने के पीछे भी कई स्वास्थ्य संबंधी लाभ छिपे हो सकते हैं, बशर्ते आप आयुर्वेदिक तरीके से होली खेल रहे हों। आयुर्वेदिक होली खेलने के दौरान त्वचा पर हर्बल रंग लगाने से त्वचा खिल उठती है और नई त्वचा कोशिकाएं उसी तरह से बनने लगती हैं, जैसे बसंत ऋतु के आने पर पेड़-पौधों पर नए पत्ते और फूल आने लगते हैं।

बीमारियां इन वजहों से होती हैं

उन्होंने आगे बताया कि, आयुर्वेद के अनुसार, बीमारियां पृथ्वी के पांच तत्वों- पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और शरीर में मौजूद पानी में गड़बड़ी का परिणाम हैं। इस अंसतुलन के कारण वात, पित्त और कफ के तीन दोष पैदा होते हैं। ये तीन असंतुलन पैदा करने वाले मुख्य कारक मौसम में होने वाले बदलाव हैं। इसिलए, आयुर्वेद ने इन स्वास्थ्य समस्याओं से बचाव के लिए ऋतु के हिसाब से कुछ खास उपाय सुझाए हैं, जिन्हें ऋतुचार्य कहा जाता है। इसलिए, आयुर्वेदिक तरीके से होली खेलने के दौरान इन उपायों को इस्तेमाल किया जा सकता है और स्वास्थ्य संबंधी फायदे प्राप्त किए जा सकते हैं और कुछ समस्याओं से बचा भी जा सकता है।

यह भी पढ़ें- क्या आप भी हाथों को तब तक धुलते रहते हैं जब तक त्वचा लाल नहीं हो जाती? हो सकता है ओसीडी

आयुर्वेदिक तरीके से होली : वसंत ऋतु होती है गर्म दिनों की शुरुआत

डॉ. प्रताप चौहान के मुताबिक, होली वसंत ऋतु चक्र का एक हिस्सा है और यह गर्मी व गर्म दिनों की शुरुआत है। वसंत में बढ़ती आर्द्रता के साथ तापमान में अचानक वृद्धि के कारण शरीर का कफ पिघलता है और कफ से संबंधित अनेक बीमारियों को जन्म देता है। होली के पर्व की अवधारणा मूल रूप से शरीर को द्रवीभूत कफ से मुक्ति दिलाने तथा तीन दोषों को उनकी प्राकृतिक अवस्था में दोबारा लाने के लिए बनाई गई।

यह भी पढ़ें- स्टीम बाथ के फायदे : त्वचा से लेकर दिल के लिए भी है ये फायदेमंद

कफ मिटाने वाले हर्बल रंग किस चीज से बनाएं?

जीवा आयुर्वेद के निदेशक ने कहा कि, होली की खासियत रंगों से होली खेलना है। परंपरागत तौर पर हरे रंग के लिए नीम (अजादिराष्टा इंडिका) और मेंहदी (लॉसनिया इनरमिस), लाल रंग कुमकुम और रक्तचंदन (pterocarpus santalinus,पटेरोकार्पस सांतालिनस), पीला रंग के लिए हल्दी (कुरकुमा लोंगा), नीले रंग के लिए जकरांदा के फूल तथा अन्य रंगों के लिए बिल्वा (ऐगल मार्मेलोस), अमलतास (कैसिया फिस्टुला), गेंदा (टागेटस इरेक्टा) और पीली गुलदाउदी से होली के रंग तैयार किए जाते हैं, जिनमें कफ घटाने के गुण होते हैं। डॉ. चौहान ने बताया कि, हर्बल व रंग मिलाकर पानी की बौछर करने से इनमें मौजूद औषधीय घटक त्वचा में प्रविष्ठ करते हैं और त्वचा को डिटॉक्स करने में मदद करते हैं। उन्होंने कहा कि, लोगों को होली के दौरान स्वास्थ्य लाभों को प्राप्त करने के लिए केवल आर्गेनिक हर्बल रंगों का ही उपयोग करें।

बाजार में मिलने वाले केमिकल युक्त रंगों से बचें

डॉ. प्रताप चौहान ने कहा कि, आजकल बाजार में मिलने वाले ज्यादातर रंगों में रसायन होता है और वह स्वास्थ्य के लिए असुरक्षित होते हैं। ये रंग त्वचा पर रैशेस पैदा कर सकते हैं। आयुर्वेदिक तरीके से होली खेलने के लिए जरूरी है कि, आप होली खेलने से एक दिन पहले पूरे शरीर पर सरसों का तेल लगा लें। इससे आपकी त्वचा सुरक्षित रहेगी और होली खेलने के बाद आप आसानी से रंगों को धोकर हटा सकते हैं। आप काफी मात्रा में नारियल तेल भी लगा सकते हैं। ये सुरक्षा एजेंट के रूप में कार्य करते हैं और रंगों को जड़ों में गहराई तक घुसने से रोकते हैं।

यह भी पढ़ें- प्रेग्नेंसी में ड्राई स्किन की समस्या हैं परेशान तो ये 7 घरेलू उपाय आ सकते हैं काम

आयुर्वेदिक तरीके से होली : त्वचा पर चकत्ते होने पर क्या करें?

Ayurvedic Holi 2020- आयुर्वेदिक तरीके से होली

यदि, आपकी या किसी की त्वचा पर चकत्ते हैं, तो जीवा आयुर्वेद के निदेशक डॉ. प्रताप चौहान ने इसके लिए बताया कि, इस समस्या से प्रभावित लोग अपने शरीर के प्रभावित हिस्से पर मुल्तानी मिट्टी लगा सकते हैं। एक और अच्छा घरेलू उपाय यह है कि गुलाब जल में बेसन, खाने के तेल और दूध की मलाई मिलाकर पेस्ट बना लें। चकत्ते का इलाज करने के लिए उस पेस्ट को प्रभावित जगह पर लगाएं।

त्वचा के साथ पेट की सेहत का भी रखें ध्यान

आयुर्वेदिक तरीके से होली खेलने के साथ ही आपको अपने पेट की सेहत का भी ध्यान रखना चाहिए। क्योंकि, डॉ. चौहान के मुताबिक, होली के दिन लोग काफी मात्रा में स्नैक्स और मिठाइयां खाते हैं। इससे कब्ज व पेट की समस्याएं हो सकती हैं। इसलिए, आप अपनी त्वचा का ध्यान रखने के साथ अपने पेट की सेहत का भी ध्यान रखें। सब्जियों एवं फलों से भरपूर खाना बदलते मौसम के लिहाज से बेहतर है। इसके अलावा, अपने आप को हाइड्रेटेड भी रखना जरूरी है। इसके लिए खूब पानी पीएं। लोगों को जितना अहसास होता है, उससे कहीं अधिक तेजी से वसंत की धूप और हवा में मौजूद सूखापन नमी को सोख लेता है। अपने पास छोटा-सा सीपर रखें और समय-समय पर एक-एक, दो-दो घूंट पानी पीते रहें।

यह भी पढ़ें- बच्चों की रूखी त्वचा से निजात दिला सकता है ‘ओटमील बाथ’

कौन-से रंग में कौन-सा केमिकल होता है और उसका नुकसान?

होली के काले, सफेद और सिल्वर रंगों में मेटैलिक पेस्ट की वजह से चमकने जैसी खासियत होती है, वे रंग काफी ज्यादा जहरीले और नुकसानदायक होते हैं।

  • काले रंग में लीड ऑक्साइड कैमिकल होता है, जिससे रीनल फैल्यिर हो सकता है।
  • हरे रंग में कॉपर सल्फेट होता है, जिससे आंख में एलर्जी, सूजन और अस्थाई अंधापन आ सकता है।
  • सिल्वर रंग में एलुमिनयम ब्रोमाइड होता है, जिससे कार्सिनोजेनिक की समस्या हो सकती है।
  • नीले रंग में प्रूसियन ब्लू कैमिकल होता है, जिससे कॉन्ट्रैक्ट डर्माटाइटिस हो सकता है।
  • लाल रंग में मरकरी सल्फाइट कैमिकल होता है, जिससे स्किन कैंसर जैसी समस्या हो सकती हैं, जो कि काफी खतरनाक व जानलेवा हो सकती है।

हैलो स्वास्थ्य किसी भी तरह की कोई मेडिकल जानकारी नहीं दे रहा है। अगर आपको इससे जुड़े अन्य सवाल हैं तो अपने डॉक्टर से संपर्क करें।

[embed-health-tool-bmi]

डिस्क्लेमर

हैलो हेल्थ ग्रुप हेल्थ सलाह, निदान और इलाज इत्यादि सेवाएं नहीं देता।

The Nasty World Of Chemical Holi Colours – https://satavic.org/the-nasty-world-of-chemical-holi-colours/ – Accessed on 02/3/2020

Dermatoses Due to Indian Cultural Practices https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC4318059/ Accessed on 02/3/2020

Chemical Colors – https://www.holifestival.org/chemical-colors.html – Accessed on 02/3/2020

Holi Colours testing – http://awaaz.org/holi-colours-testing.html – Accessed on 02/3/2020

Henna: A Miracle Plant – https://mediaindia.eu/wellness/henna-a-miracle-plant/ – Accessed on 02/3/2020

Medicinal properties of neem leaves: a review. – https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pubmed/15777222 – Accessed on 02/3/2020

Current Version

12/05/2021

Written by डॉ. प्रताप चौहान

Updated by: Toshini Rathod


संबंधित पोस्ट

क्रिटिकल लिम्ब इस्किमिया क्या है, जानिए इस पर एक्सपर्ट की राय

जानिए कितनी मात्रा में लेना चाहिए प्रोटीन


Written by

डॉ. प्रताप चौहान

आयुर्वेदा · Jiva Ayurveda


अपडेटेड 12/05/2021

ad iconadvertisement

Was this article helpful?

ad iconadvertisement
ad iconadvertisement