होमस्कूलिंग यानि बच्चों को घर पर ही पढ़ाने का चलन तेजी से बढ़ रहा है। ऑफस्टेड की रिपोर्ट के अनुसार, कुछ मामलों में पेरेंट्स बच्चों को मेनस्ट्रीम सैंकेडरी स्कूल से निकालकर घर पर ही पढ़ा रहे हैं। वे ऐसा स्कूल में अटेंडेंस व अन्य दबावों से अपने बच्चों को बचाने के लिए कर रहे हैं। विशेषज्ञ कहते हैं कि होमस्कूलिंग करने वाले बच्चों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। पिछले साल नवंबर में एसोसिएशन ऑफ डायरेक्टर्स ऑफ चिल्ड्रंस सर्विसेज द्वारा किए गए एक सर्वेक्षण में पाया गया कि इंग्लैंड में 57,873 बच्चे होमस्कूलिंग कर रहे थे। यह 2017 से 27 प्रतिशत ज्यादा है।
क्यों बढ़ रहें होम स्कूलिंग के मामले
ऑफस्टेड की रिपोर्ट में कहा गया कि कुछ पेरेंट्स ने स्कूल में बच्चे की अटेंडेंस पूरी न होने पर लगने वाले फाइन से परेशान होकर होमस्कूलिंग को चुना। ईस्ट मिडलैंड्स में परिवारों और स्कूलों से बात करके किए गए शोध में सामने आया कि सबसे अधिक बच्चे सेकेंडरी स्कूल से होम स्कूलिंग का रुख कर रहे हैं। शोध में कहा गया कि अभी स्पष्ट नहीं है कि जो पेरेंट्स बच्चों को होम स्कूलिंग करा रहे हैं, वे ऐसा अटेंडेंस पूरी न होने पर स्कूल से भेजें गए पेनल्टी नोटिस से बचने की रणनीति के तहत कर रहे हैं या नहीं।
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पेरेंट्स पर लग सकता है फाइन
इंग्लैंड में यदि बच्चे बीमार हैं या फिर उन्होंने टीचर से पहले ही छुट्टी के लिए परमिशन ली है, तभी वे स्कूल से छुट्टी ले सकते हैं। इसके अलावा अगर बच्चे बिना किसी कारण के छुट्टी लेते हैं, तो लोकल अथॉरिटी पेरेंट्स के खिलाफ एक्शन ले सकती है। इसके तहत मां-बाप को पेरेंटिंग क्लास में भाग लेने, चाइल्ड सुपरवाइजर नियुक्त करने या जुर्माना तक भरना पड़ सकता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि कई परिवारों के लिए होम स्कूलिंग एक पसंदीदा विकल्प नहीं है, लेकिन स्कूलों के साथ रिश्तों में समंवय बनाए रखने का अंतिम उपाय है।
होमस्कूलिंग के लिए क्या है जरूरी
आमतौर पर विशेष शैक्षिक आवश्यकताएं, मेडिकल और व्यवहार संबंधी कारण बच्चों के स्कूल छोड़ने के मुख्य कारण हो सकते हैं। वहीं ऑफस्टेड की रिपोर्ट में चीफ इंस्पेक्टर अमांडा स्पीलमैन ने कहा कि बच्चों को स्कूलों में हो रही कठिनाइयों से निपटने के लिए पेरेंट्स को होमस्कूलिंग को नहीं चुनना चाहिए। स्पीलमैन ने कहा, “होमस्कूलिंग पेरेंट्स के लिए एक वैध विकल्प है लेकिन यह एक सकारात्मक निर्णय तभी हो सकता है जब माता-पिता घर पर अच्छी शिक्षा देने में सझम हों।
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होमस्कूलिंग के फायदे क्या हैं फायदे?
होमस्कूलिंग के निम्नलिखित फायदे हो सकते हैं। जैसे-
-होम स्कूलर्स के पक्षकारों का मानना है कि स्कूल का विकल्प तो हमेशा ही खुला ही है। ऐसे में कम से कम एक बार होम स्कूलिंग करा कर देखना चाहिए।
– होम स्कूलर्स परीक्षा के डर से मुक्त रहते हैं। वे दूसरों की जगह खुद से ही प्रतिस्पर्धा करते हैं।
– इस पद्धति में यदि बच्चा वर्तमान सिलेबस या किताबों के साथ सहज नहीं है तो आप इन्हें बच्चों के मुताबिक बदल सकते हैं।
– होम स्कूलर्स को घर से स्कूल जाने की जरूरत नहीं होती। इससे उन्हें अधिक सुरक्षित और फ्रेंडली माहौल मिलता है। बच्चे को माता-पिता का साथ भी ज्यादा मिलता है।
-होम स्कूलर्स के सीखने की प्रक्रिया स्कूल की चारदीवारी तक ही सीमित नहीं रहती। आस-पास की चीजों से सीखना उनकी जीवन शैली का हिस्सा बन जाता है। यह बच्चे के लिए बहुत अच्छा होता है।
– होम स्कूलर्स के अभिभावकों को उनकी सुरक्षा को लेकर चिंता नहीं रहती। आजकल ज्यादातर महिलाएं वर्किंग हो चुकी हैं। ऐसे में महिलाएं (मां) अपने समय के अनुसार बच्चे को शिक्षा दे सकती हैं।
– होमस्कूलिंग का सबसे बड़ा फायदा यही है कि टाइम शेड्यूल फ्लेक्सिबल होता है। आप अपने समय के मुताबिक अपने बच्चे के टाइम टेबल को एडजस्ट कर सकते हैं। इससे बच्चों के साथ-साथ पेरेंट्स को भी परेशानी कम होती है।
– होमस्कूलिंग में बच्चे की रचनात्मकता भी बढ़ जाती है।
–आप बच्चे को इनडोर गेम्स, आउटडोर गेम्स, अलग-अलग तरह के प्रोजेक्ट, कला और अन्य कार्यों में उसकी रूचि समझ सकते हैं।
-होमस्कूलिंग से बच्चे का मानसिक विकास होता है।
-बच्चे के शारीरिक विकास के लिए भी होमस्कूलिंग बेहतर विकल्प है।
–होमस्कूलिंग मिलिट्री परिवारों के लिए, ज्यादा यात्रा करने वाले फैमली, बीमारी से जूझ रहे परिवारों और काम की वजह से व्यस्त रहने वाले लोगों के लिए अच्छा विकल्प है।
–कभी-कभी मानसिक स्वास्थ्य के पीछे नकारात्मक स्कूल स्थितियों से जोड़ा जा सकता है और होमस्कूलिंग का एक फायदा उस खराब स्कूल की स्थिति से बच्चा रु-बी-रु नहीं होता है।
-होमस्कूलिंग की वजह से बच्चा अपने प्रियजनों के साथ घिरा रहता है।
-घर पर ही बच्चे को स्कूली शिक्षा देने से आप समय पर उसे पढ़ाने के साथ-साथ खाने-पीने और सोने का वक्त भी निर्धारित कर सकते हैं।
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होमस्कूलिंग के क्या हैं नुकसान?
होमस्कूलिंग के निम्नलिखित नुकसान हो सकते हैं। इनमें शामिल है-
– स्कूल में बच्चे शेयरिंग करना सीखते हैं। वे अपना लंचबॉक्स एक-दूसरे के साथ साझा करते हैं। विचारों का आदान-प्रदान करते हैं। अपने से सीनियर्स के व्यवहार से भी कई नई चीजें सीखते हैं, जो उन्हें सामाजिक और व्यावहारिक बनाने में मदद करती है। होमस्कूलिंग में वे
इससे वंचित रह जाते हैं।
– अभिभावक प्रशिक्षित शिक्षक नहीं होते। इसलिए जिस तरह स्कूल में शिक्षक बच्चों को पढ़ाते हैं, वैसा पढ़ाना उनके लिए मुश्किल हो जाता है। उन्हें शिक्षकों की तरह अपने और बच्चे के समय के साथ संतुलन बनाने की जरूरत होती है, जो काफी मुश्किल है।
– अगर बच्चे एक से अधिक हैं, तो उन्हें पढ़ाना और भी मुश्किल हो जाता है। ऐसे में ट्यूटर की जरूरत पड़ सकती है।
– बच्चे को पढ़ाने से पहले अभिभावक को उस विषय विशेष की पूर्ण जानकारी होना बेहद जरूरी है।
– होम स्कूलिंग बच्चे को स्कूल भेजने की तुलना में काफी महंगा साबित हो सकता है। होम स्कूलिंग के लिए पाठ्यसामग्री, कम्प्यूटर, एजुकेशनल सीडी के साथ ही अन्य सामग्री की भी जरूरत होती है।
होमस्कूलिंग का विकल्प अपनाने के पहले अपने वर्क टाइम का भी ख्याल करें। यह भी ध्यान रखें की आप अपने बच्चे को कितना समय दे पाएंगे। फिर इस बारे में निर्णय लें। अगर आप होमस्कूलिंग से जुड़े किसी तरह के कोई सवाल का जवाब जानना चाहते हैं तो विशेषज्ञों से समझना बेहतर होगा। हैलो हेल्थ ग्रुप किसी भी तरह की मेडिकल एडवाइस, इलाज और जांच की सलाह नहीं देता है।
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