backup og meta

Soldier's Wound: सैनिकों के जख्म का इलाज कैसे किया जाता है?

Soldier's Wound: सैनिकों के जख्म का इलाज कैसे किया जाता है?

Indian Army Day 2021: भारतीय आर्मी दिवस हर साल 15 जनवरी को मनाया जाता है। भारतीय आर्मी दुनिया की चौथी सबसे ताकतवर आर्मी मानी जाती है। सैनिकों की तादाद और घातक हथियारों की खेप की बदौलत इंडियन आर्मी की ताकत पूरे विश्व में मानी जाती है। लेकिन, हम हमेशा भारतीय आर्मी की ताकत पर गर्व करते हुए भारतीय सैनिकों के द्वारा झेली गई विषम परिस्थितियों की बात करना भूल जाते हैं। भारतीय सैनिक हों या अन्य देश की सैनिक युद्ध में या आंतकवादी हमलों में सैनिकों को कई प्राणघातक स्थितियों का सामना करना पड़ता है। जिससे, उन्हें कई खतरनाक चोटें और विकलांगता झेलनी पड़ती है। सैनिकों की जिंदगी को दोबारा सामान्य बनाने के लिए सैनिकों के जख्म की सर्जरी की जाती है।

भारतीय सेना दिवस कब और क्यों मनाया जाता है?

जैसा कि हम ऊपर ही बता चुके हैं कि भारतीय सेना दिवस हर साल 15 जनवरी को पूरे भारत में मनाया जाता है। यह दिवस देश की रक्षा करते हुए शहीद हो चुके या अभी भी सरहद पर अपने प्राणों को हथेली पर रखकर हर भारतीय को सुरक्षा प्रदान कर रहे सैनिकों की याद और शौर्य गाथा को इज्जत देने के लिए मनाया जाता है।

ब्रिटिश राज में भारतीय सेना की स्थापना 124 साल पहले 1 अप्रैल 1895 में हुई थी। उस समय इसे ब्रिटिश इंडियन आर्मी कहा जाता था। लेकिन, 200 साल की गुलामी के बाद जब भारत आजाद हुआ तो इस सेना को नाम मिला, भारतीय सेना। 15 जनवरी 1949 को स्वतंत्र भारत के पहले आर्मी चीफ के रूप में फील्ड मार्शल के. एम. करिअप्पा को पदभार सौंपा गया था। चूंकि, यह एक ऐतिहासिक दिन था, इसीलिए इसी दिन को भारतीय सेना दिवस के रूप में मनाया जाने लगा।

और पढ़ें : सेहत के लिए शुगर या शहद के फायदे?

सैनिकों के जख्म कैसे अलग होते हैं?

युद्ध क्षेत्रों में सैनिकों के जख्म की सर्जरी सिविल मेडिसिन से कई मायनों में अलग होती है। युद्ध या युद्ध जैसे हालातों में मिले घाव या चोटें धूल, मिट्टी, कपड़े या अन्य फॉरेन बॉडी (Foreign Body) से भारी दूषित होते हैं। युद्ध क्षेत्र में होने वाले ब्लास्ट की वजह से सैनिकों के शरीर के टिश्यू को भारी डैमेज झेलने पड़ती है, जिसमें भारी मात्रा में फॉरेन बॉडी उनके घावों से जुड़ जाती हैं। इस वजह से सैनिकों के जख्म की सर्जरी में कई जटिलताएं होती हैं। जैसे, उन्हें सही समय पर अस्पताल पहुंचाना। लेकिन, यही सबसे बड़ी चुनौती होती है, क्योंकि युद्ध के हालात में युद्ध क्षेत्र से जख्मी या नाजुक हालात के सैनिकों को लेकर अस्पताल पहुंचाना और इमरजेंसी चिकित्सा मुहैया करवाना काफी जटिल और मुश्किल कार्य है।

डॉक्टर्स के लिए भी होती है चुनौती

दूसरी तरफ, युद्ध के हालात में आर्मी अस्पताल में जख्मी और चोटिल सैनिकों की तादाद बढ़ती रहती है। जिस वजह से डॉक्टरों के सामने हर किसी सैनिक की पर्याप्त देखरेख करने की चुनौती होती है। युद्ध के जख्मों में सैनिकों के शारीरिक अंगों में घावों और उनके नाजुक और जरूरी शारीरिक अंगों में प्राणघातक चोटें शामिल होती हैं। जिसकी वजह से समय पर चिकित्सा मिल पाना जरूरी हो जाता है। वरना उनके जख्मों की स्थिति गंभीर होती रहती है और इन जख्मों की चिकित्सा मुश्किल बन जाती है। सैनिकों के जख्मों की गंभीरता हथियारों की शेप, कैरेटर और वेलोसिटी पर निर्भर करती है।

और पढ़ें : MTHFR म्यूटेशन कहीं खराब सेहत का कारण तो नहीं?

सैनिकों के जख्म कितने प्रकार के होते हैं?

आसपास के वातावरण या युद्ध क्षेत्र में मौजूद तत्वों से दूषित होने की वजह से सैनिकों के जख्म काफी गंभीर हो जाते हैं। इसके अलावा, दर्दनाक ड्रेसिंग और संक्रमण के खतरे के कारण सैनिकों के जख्म को सही होने में भी समय लग सकता है। आइए, जानते हैं कि युद्ध या युद्ध जैसे हालातों में सैनिकों के जख्म कितने प्रकार के हो सकते हैं।

  • ब्लास्ट वाउंड (बम फटने या धमाके से उत्पन्न जख्म)
  • गोली या गोले के जख्म
  • सिर में जख्म या हड्डी में फ्रैक्चर

सैनिकों के जख्म के चैलेंज

  1. सैनिकों के जख्म का सबसे बड़ा चैलेंज उनके जख्म की ड्रेसिंग करना होता है। क्योंकि, उनके घाव का बड़ा आकार या उससे काफी खून निकल जाने की वजह से चोट की पट्टी करना थोड़ा मुश्किल हो जाता है।
  2. सैनिकों के जख्म को जल्द ही साफ करना दूसरा बड़ा चैलेंज होता है। क्योंकि, चोट के कारण सैनिकों के नाजुक टिश्यू या हड्डी को कई चीजें दूषित कर देती हैं। जिससे, सैनिकों के जख्म में संक्रमण होने का खतरा हो जाता है। ऐसी स्थिति, में जल्द से जल्द सैनिकों के जख्म को साफ करने की जरूरत होती है। इस स्थिति में जख्मी टिश्यू या हड्डी को साफ करने के लिए वाटर जेट या सर्जिकल इंस्ट्रूमेंट की जरूरत पड़ती है।
  3. जो सैनिक काफी समय से दूरगामी या युद्ध क्षेत्रों में तैनात होते हैं, उन्हें पर्याप्त आहार और पौष्टिक खाना न मिलने की वजह से पोषण की कमी हो जाती है। जिस वजह से सैनिकों के जख्म ठीक होने या सर्जरी में जटिलता आने लगती है। इस स्थिति से निबटने के लिए उन्हें एंटरनल फीडिंग करवाई जाती है।

सैनिकों के जख्म के लिए प्लास्टिक सर्जरी की शुरुआत

पहले विश्व युद्ध के नतीजे काफी दिल दहला देने वाले थे। लेकिन, इसके अलावा, प्रथम विश्व युद्ध में शामिल सैनिकों के जख्म को लेकर हर देश चिंतित था। क्योंकि, इस युद्ध में सैनिकों के चेहरे और शरीर पर काफी गंभीर और बड़ी चोटें आ चुकी थी। जिस वजह से उनके चेहरे या अन्य शारीरिक अंगों का आकार बिल्कुल बिगड़ चुका था। ऐसे समय में चिकित्सा प्रक्रिया में ऐसी तकनीक की जरूरत आ पड़ी, जिसमें सैनिकों की इन मेजर कैजुअलिटी को काफी हद तक ठीक किया जा सके। ऐसे में प्लास्टिक सर्जरी की जरूरत और महत्व पर ध्यान दिया गया।

और पढ़ें : प्लास्टिक सर्जरी क्या है?

प्लास्टिक सर्जरी के शुरुआती चरण में मुख्य रूप से ट्यूब पेडिकल स्किन ग्राफ्टिंग (Tube Pedicle Skin Grafting) तकनीक का इस्तेमाल किया गया। इस तकनीक में सैनिकों के जख्म सही करने के लिए उनकी स्वस्थ त्वचा के एक फ्लैप को लिया जाता है और फिर उसे ट्यूब में टांककर चोटिल जगह के ऊपर सिलाई कर दी जाती है। लेकिन, फ्लैप को स्वस्थ हिस्से से बिल्कुल अलग नहीं किया जाता, ताकि उसमें ब्लड सप्लाई चलती रहे। इसके बाद इंप्लांटेशन वाली जगह पर नए ब्लड सप्लाई के लिए थोड़े समय तक इंतजार किया जाता है। जब चोट वाली जगह पर नए ब्लड की आपूर्ति होने लगती है, तो फ्लैप को बिल्कुल अलग कर दिया जाता है और ट्यूब को खोल दिया जाता है।

सैनिकों के जख्म के लिए प्लास्टिक सर्जरी

सैनिकों को युद्ध क्षेत्र या हमलों में कई गंभीर चोट या जली हुई त्वचा का सामना करना पड़ सकता है। जो कि, काफी गंभीर हो सकती है। ऐसी स्थिति में सैनिक को इमरजेंसी उपचार दिया जाता है। जब, सैनिक पूरी तरह से स्वस्थ होने लगता है, तो अगर उसके क्षतिग्रस्त अंग में विकार पैदा हो गया है, तो प्लास्टिक सर्जरी का ऑप्शन इस्तेमाल किया जाता है। आइए, प्लास्टिक सर्जरी के बारे में जानते हैं।

स्किन ग्राफ्ट

अगर, सैनिक की त्वचा काफी ज्यादा जल गई है, तो उसे स्किन ग्राफ्ट की तकनीक से कुछ हद तक या पूरी तरह ठीक किया जा सकता है। स्किन ग्राफ्ट दो तरीके से किया जा सकता है, पहला- स्प्लिट थिकनेस ग्राफ्ट, जिसमें बाहरी त्वचा की कुछ लेयर को ट्रांसप्लांट किया जाता है। दूसरा- फुल थिकनेस ग्राफ्ट, जिसमें त्वचा की सभी लेयर का ट्रांसप्लांट किया जाता है। इस तकनीक के बाद क्षतिग्रस्त त्वचा पर हमेशा के लिए निशान भी रह सकता है। इस तकनीक में शरीर के कपड़ों से ढके रहने वाले अंगों से त्वचा का अंश लिया जाता है और चोटिल जगह पर सिलाई कर दी जाती है। स्प्लिट थिकनेस ग्राफ्ट में फुल थिकनेस ग्राफ्ट के मुकाबले रिकवर होने में कम समय लगता है।

माइक्रोसर्जरी

युद्ध में सैनिकों के जख्म किसी अंग को अलग कर देतो हैं, तो माइक्रोसर्जरी की जाती है। जैसे, अगर युद्ध में किसी सैनिक की एक उंगली या कान या अन्य अंग अलग हो गया है, तो उसे माइक्रोसर्जरी की मदद से ठीक किया जाता है। इस तकनीक में माइक्रोस्कोप की मदद से सर्जन छोटी ब्लड वेसल्स और नर्व की सिलाई करता है।

और पढ़ें : Maze Surgery : मेज सर्जरी क्या है?

सैनिकों के जख्म पर सर्जरी के बाद होने वाले इंफेक्शन

सैनिकों के जख्म पर की जाने वाली सर्जरी के बाद जरूरी नहीं कि स्थिति पूरी तरह सामान्य हो जाती है। सर्जरी के निशान कई मामलों में रह ही जाते हैं। लेकिन, इसके अलावा सर्जरी वाली जगह पर कुछ इंफेक्शन भी हो सकते हैं। जैसे

  • सर्जरी वाली लाइन के आसपास व्हाइट पिंपल्स या ब्लिस्टर्स।
  • सर्जिकल साइट का लाल, मुलायम और सूजन होना।
  • सर्जिकल साइट पर दर्द होना और दवाइयों की मदद से भी आराम न मिलना।

सैनिकों की फ्रैक्चर हड्डी के लिए सर्जरी

अगर युद्ध या हमले में फ्रैक्चर हड्डी के रूप में सैनिकों के जख्म हो जाते हैं, तो उन्हें तत्काल सर्जरी की जरूरत पड़ती है। क्योंकि, हड्डी फ्रैक्चर होने के बाद उसे उसकी सही जगह पर सेट करना बहुत जरूरी हो जाता है, वरना शारीरिक विकार उत्पन्न हो जाता है। फ्रैक्चर हड्डी की दो तरह की सर्जरी की जाती है। पहली- रिडक्शन (Reduction) और दूसरी क्लोज्ड रिडक्शन (Closed Reduction) सर्जरी। अगर ब्लास्ट या हथियार की वजह से हड्डी में फ्रैक्चर आया है, तो आमतौर पर सैनिकों को क्लोज्ड रिडक्शन सर्जरी की जाती है। रिडक्शन तकनीक में बिना सर्जरी किए हुए हड्डी को उसकी सही जगह लगाया जाता है। लेकिन क्लोज्ड रिडक्शन सर्जरी में हड्डी को सही जगह लगाने के लिए सर्जरी की मदद ली जाती है। क्लोज्ड रिडक्शन सर्जरी के कुछ मामलों में हड्डी को सेट करने में मदद करने के लिए पिन, प्लेट्स, स्क्रू, रॉड या ग्लू की मदद भी ली जाती है।

और पढ़ें : सैनिकों के तनाव पर भी करें सर्जिकल स्ट्राइक!

सैनिकों के जख्म के लिए सर्जरी के बाद जोखिम

सैनिकों के जख्म के लिए की जाने वाली सर्जरी के बाद कई शारीरिक समस्याओं के जोखिम हो सकते हैं। जैसे-

हेमाटोमा (Hematoma) – हेमाटोमा ब्लड का एक पॉकेट होता है, जो कि दर्दनाक और बड़ी चोट की तरह लगता है। इस समस्या का खतरा आमतौर पर हर सर्जरी में होता है। इसे सही करने के लिए अतिरिक्त ऑपरेशन की जरूरत होती है।

सीरोमा (Seroma) – सीरोमा की स्थिति तब पैदा होती है, जब सीरम या स्टिराइल बॉडी फ्लूड त्वचा की सतह के नीचे इकट्ठा होने लगता है और इसका नतीजा दर्द और सूजन के रूप में निकलता है। यह समस्या किसी भी सर्जरी के बाद हो सकती है। इसके अलावा, इस समस्या के इलाज के बाद भी इसके दोबारा होने की आशंका बनी रहती है।

खून की कमी- सर्जरी के दौरान थोड़ा बहुत खून बहता ही है। लेकिन, अगर सर्जरी के दौरान ज्यादा खून बह जाता है, तो इससे ब्लड प्रेशर में कभी हो सकती है और यह समस्या प्राणघातक साबित हो सकती है।

नर्व डैमेज- कई सर्जरी में नर्व डैमेज की आशंका हो सकती है। जिससे प्रभावित अंग में सुन्नपन पैदा हो सकती है। अधिकतर मामलों में नर्व डैमेज अस्थायी होती है, लेकिन यह समस्या हमेशा के लिए भी बनी रह सकती है।

और पढ़ें : प्रोटीन सप्लीमेंट (Protein Supplement) क्या है? क्या यह सुरक्षित है?

सैनिकों के जख्म के लिए प्राथमिक उपचार

इन सभी बातों से अलग हमारी व्यक्तिगत भी जिम्मेदारी होती है, जो किसी सैनिक या अन्य सामान्य नागरिक की जान बचाने में मदद करती है। अगर, आपको कोई जख्मी सैनिक मिलता है या जख्मी व्यक्ति मिलता है, तो आप प्राथमिक उपचार कर सकते हैं। जैसे-

  • किसी सामान्य व्यक्ति या सैनिकों के जख्म के प्राथमिक उपचार के लिए सबसे पहले ब्लीडिंग रोकें। कट या जख्म वाली जगह पर किसी कपड़े या पकड़ से दबाव बनाएं।
  • किसी सामान्य व्यक्ति या सैनिकों के जख्म को सबसे पहले साफ करें। घाव को साफ करने के लिए हाइड्रोजन पैरॉक्साइड या आयोडीन का इस्तेमाल किया जा सकता है।
  • घाव को गीला न करें, इससे इंफेक्शन होने का खतरा होता है।
  • ऊपर बताए गई मदद को करने के बाद घायल या जख्मी व्यक्ति को तुरंत डॉक्टर या नजदीकी अस्पताल ले जाएं।

[embed-health-tool-bmi]

डिस्क्लेमर

हैलो हेल्थ ग्रुप हेल्थ सलाह, निदान और इलाज इत्यादि सेवाएं नहीं देता।

10 of the Most Common Plastic Surgery Complications – https://www.healthline.com/health/most-common-plastic-surgery-complications – Accessed on 13/1/2020

What Is Trench Foot? –https://www.healthline.com/health/trench-foot#pictures – Accessed on 13/1/2020

Plastic Surgery for Burns and Other Wounds – https://www.webmd.com/skin-problems-and-treatments/plastic-surgery-burns#1 – Accessed on 13/1/2020

Understanding Bone Fractures — Diagnosis and Treatment – https://www.webmd.com/a-to-z-guides/understanding-fractures-treatment#1 – Accessed on 13/1/2020

Reconstructive challenges in war wounds – https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC3495384/ – Accessed on 13/1/2020

HOW WWI PLAYED A KEY ROLE SHAPING PLASTIC SURGERY AND MODERN ANAESTHESIA – https://www.independent.co.uk/life-style/health-and-families/features/world-war-plastic-surgery-anaesthesia-soldiers-ww1-facial-reconstruction-a8623826.html – Accessed on 13/1/2020

Combat Wound Management: An Overview – https://www.woundsource.com/blog/combat-wound-management-overview – Accessed on 13/1/2020

Current Version

15/01/2021

Surender aggarwal द्वारा लिखित

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील

Updated by: Niharika Jaiswal


संबंधित पोस्ट

क्या होता है BRCA1 और BRCA2 जीन और ब्रेस्ट कैंसर से क्या है इसका संबंध?

काफी गहरा पड़ता है डिप्रेशन का नींद पर असर, जानिए इसे दूर करने के तरीके


के द्वारा मेडिकली रिव्यूड

डॉ. प्रणाली पाटील

फार्मेसी · Hello Swasthya


Surender aggarwal द्वारा लिखित · अपडेटेड 15/01/2021

ad iconadvertisement

Was this article helpful?

ad iconadvertisement
ad iconadvertisement