कहते हैं स्वस्थ रहने के लिए पौष्टिक आहार का सेवन बहुत जरुरी है, ठीक वैसे ही आहार के साथ-साथ शरीर को फिट रखने के लिए 7 से 8 घंटे की पूरी नींद भी जरुरी है। अगर रात को ठीक से न सोया जाए या नींद नहीं आए तो इस परेशानी को स्लीप डिसऑर्डर माना जाता है। स्लीप डिसऑर्डर व्यक्ति को मानसिक और शाररिक दोनों तरह से हानि पहुंचाने के लिए काफी है। ठीक से नहीं सोने की वजह से थकावट, सिरदर्द और कमजोरी की समस्या शुरू हो जाती है।
न्यूरोलॉजी सोसाइटी ऑफ इंडिया के अनुसार स्लीप रिलेटेड डिसऑर्डर (SRD) जैसी बीमारियों के पीछे जानकारी की कमी बताई गई है।
स्लीप डिसऑर्डर के कारण क्या हैं?
1.नींद नहीं आने के पीछे कई कारण हो सकते हैं जैसे तनाव, परेशानी और डिप्रेशन। इनमें से कोई भी एक परेशानी होने पर नींद नहीं आती है जिसका सीधा असर व्यक्ति के शरीर और मस्तिष्क दोनों पर पड़ता है। कभी-कभी ये समस्या इतनी गंभीर हो जाती है कि नींद में बात करने, ज्यादा सपने देखना और नींद में चलने की परेशानी भी शुरू हो सकती है।
2.आर्थराइटिस जैसी क्रोनिक दर्द की वजह से भी अचानक नींद खुल जाती है और फिर से सोने की कोशिश करने के बाद भी नींद नहीं आती।
3.कभी-कभी शरीर में हो रहे हॉर्मोनल डिस्बैलेंस की वजह से भी नींद नहीं आती।
4.सांस से जुड़ी किसी बीमारी की वजह से भी नींद नहीं आती।
5.रात के वक्त बार—बार टॉयलेट जाने की वजह से भी नींद गायब हो जाती है।
और पढ़ें : नींद की गोलियां (Sleeping Pills): किस हद तक सही और कब खतरनाक?
“डॉ रीमा चौधरी, सलाहकार न्यूरोलॉजिस्ट, फोर्टिस अस्पताल, मुलुंड, का कहना है कि फोर्टिस द्वारा किए एक सर्वेक्षण की रिपोर्ट में इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि COVID-19 महामारी की शुरुआत के बाद से, भारतीय वयस्कों ने सोने में कठिनाई (37%), सोते रहने में कठिनाई (27%) और रात के दौरान जागना (39%) जैसी नई नींद की चुनौतियों का अनुभव किया। अध्ययन में पाया गया है कि स्लीप एपनिया वाले 80% रोगियों को दिन में नींद और आलस का अनुभव होता है, जबकि केवल 52% लोग जिन्हें स्लीप एपनिया नहीं होता है, वे ऐसा ही अनुभव करते हैं। 47% प्रतिभागियों ने यह भी कहा कि स्लीप एपनिया, उनके रिश्तों को प्रभावित कर रहा है। स्लीप एपनिया हृदय की स्थिति, स्ट्रोक, तंत्रिका संबंधी विकार, मधुमेह, उच्च रक्तचाप, मोटापा सहित गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं को भी जन्म दे सकता है। इसलिए समय पर अच्छी नींद जरूरी है।’
क्या हैं स्लीप डिसऑर्डर के लक्षण क्या हैं?
- स्वभाव में चिड़चिड़ापन।
- दिन के समय में थकावट महसूस करना।
- बेचैनी महसूस होना।
- सोने में दिक्कत होना।
- देर रात तक नींद का न आना।
- दिन के वक्त नींद आना और शरीर में थकान बरकरार रहना।
- स्वभाव में चिड़चिड़ापन और घबराहट
- किसी चीज पर ध्यान कम लगना।
- अवसाद होना।
और पढ़ें : फेफड़ों में इंफेक्शन के हैं इतने प्रकार, कई हैं जानलेवा
कुछ स्लीप डिसऑर्डर के नाम
सरकेडियन रिदम स्लीप डिसऑर्डर (Circadian Rhythm Sleep Disorder)
इस स्लीप डिसऑर्डर से ग्रस्त रोगी रात में सामान्य नींद के समय का पालन नहीं करता है। सोने के समय जागना और जागने के समय सोना इस स्लीप डिसऑर्डर का मुख्य लक्षण है। ऐसा ज्यादातर लम्बे रूट की गाड़ियों के ड्राइवर, ट्रक ड्राइवर, नाइट शिफ्ट में काम करने वाले कर्मचारियों में होता है।
और पढ़ें : क्या है शिफ्ट वर्क डिसऑर्डर, कैसे पाएं इससे छुटकारा?
स्लीप एप्निया (Sleep apnea)
स्लीप एप्निया एक ऐसा स्लीप डिसऑर्डर है, जिसमें सोते समय व्यक्ति को सांस लेने में तकलीफ होती है। सोते समय इंसान की सांस बार-बार बंद होने लगती है। इस कारण दिमाग और शरीर को पर्याप्त ऑक्सिजन नहीं मिल पाती है। इससे नींद की समस्या से दो चार होना पड़ता है।
और पढ़ें : घी सिर्फ खाने की चीज नहीं है जनाब, जानें इसके एक से एक घरेलू उपाय
डीलेड स्लीप फेज सिंड्रोम (Delayed sleep phase disorder)
इस तरह के स्लीप डिसऑर्डर से पीड़ित इंसान को कुछ घंटे देर से उठने की आदत हो जाती है। धीरे-धीरे शरीर उसी के हिसाब से ढलता रहता है। इस विकार से बचने के लिए व्यक्ति को अपने सोने के समय को निश्चित करना चाहिए। दिन में सोने से बचना चाहिए और देर रात तक टीवी देखने की आदत को कम करना चाहिए।
इंसोम्निया (Insomnia)
इंसोम्निया की स्थिति तब मानी जाती है, जब नींद न आने की समस्या लम्बे समय तक बनी रहे। नींद न आने की समस्या दो से तीन सप्ताह के तक या महीनों तक बनी रह सकती है। इससे कई तरह की मानसिक और शारीरिक समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
और पढ़ें : इंसोम्निया (Insomnia) क्या है और यह क्यों होता है?
हाइपरसोमनिया
हाइपरसोमनिया इंसोम्निया के उलट होता है। ऐसे लोगों को हर थोड़े समय के बाद नींद आती है। यह एक स्लीप डिसऑर्डर है, जिसमें सामान्य से अधिक नींद आती है और रात को भरपूर नींद लेने के बाद भी इंसान तरोताजा महसूस नहीं करता है। ऐसे लोगों पर पूरे दिन सुस्ती छाई रहती है।
और पढ़ें : जानें क्या है गहरी नींद की परिभाषा, इस तरह से पाएं गहरी नींद और रहें हेल्दी
कुछ आसान उपाए बेहतर नींद के लिए
1. समय पर सोने की आदत डालें। ऐसा करना शुरुआत में कठिन लग सकता है लेकिन, बाद में धीरे-धीरे इसका फायदा मिलने लगेगा।
2.बेडरूम को साफ रखें। साफ-सुथरी जगह और बिस्तर पर जल्दी नींद आ जाती है।
3.आजकल ज्यादातर लोग सोते वक्त मोबाइल फोन का इस्तेमाल करते हैं। ऐसा बिलकुल नहीं करना चाहिए क्योंकि अंधेरे में फोन इस्तेमाल करने से आंखों पर बुरा प्रभाव पड़ता है तो वहीं इसके इस्तेमाल से नींद नहीं आने की समस्या भी हो सकती है।
और पढ़ें : नींद की गोलियां (Sleeping Pills): किस हद तक सही और कब खतरनाक?
कितने घंटे सोना है जरूरी?
आज अनिद्रा एक बड़ी समस्या बन गई है। फ्लिप्स ग्लोबल सर्वे के अनुसार दुनियाभर में एक अरब से भी ज्यादा लोग नींद न आने की समस्या से जूझ रहे हैं। परेशानी की बात यह है कि इनमें से 80 फीसदी लोग अनिद्रा को समझ ही नहीं पाते हैं और न ही इसका इलाज करवाते हैं। सर्वे की मानें तो भारत में 66 प्रतिशत से ज्यादा लोग नींद की कमी महसूस करते हैं।
एक्सपर्ट्स का कहना है कि वयस्कों को अपने अच्छे स्वास्थ्य के लिए आठ से नौ घंटे की नींद अवश्य लेनी चाहिए। वहीं, 14 से 17 उम्र के बच्चों को आठ से दस घंटे की नींद लेनी चाहिए। जबकि 18 से 25 साल के युवाओं के बेहतर मेंटल स्वास्थ्य के लिए सात से नौ घंटे की नींद लेनी चाहिए। वहीं, 26 से 64 साल के उम्र वालों को भी सात से नौ घंटे की नींद लेनी चाहिए। वहीं, बच्चों के सही से विकास के लिए लिए 11 से 14 घंटे की नींद की जरूरत होती है।
और पढ़ें : कहीं नींद न आने का कारण स्लीप डिहाइड्रेशन (Sleep Dehydration) तो नहीं?
स्वास्थ्य के लिए भरपूर नींद क्यों जरूरी है?
भरपूर नींद अच्छी हेल्थ के लिए बेहद जरूरी है। बेहतर प्रोडक्टिविटी और फोकस को अच्छा करने के लिए पर्याप्त मात्रा में नींद लेना आवश्यक है। यहां तक कि अगर वेट गेन की समस्या से राहत पाना चाहते हैं तो भी पर्याप्त मात्रा में नींद जरूरी है। यहां तक कि यह भी बताते हैं कि अच्छी नींद लेने वालों को हृदय से जुड़ी बीमारियां भी कम होती हैं। साथ ही रोग प्रतिरोधक क्षमता भी सुधरती है।
जरुरी टिप्स
1.सोने से पहले नियमित रूप से गर्म दूध पीने की आदत डालें।
2.पौष्टिक आहार जैसे हरी सब्जी, दाल, रोटी, चावल और सलाद खाने में अवश्य शामिल करें।
3.सप्ताह में कम से कम 4 से 5 दिन फुट मसाज करें। इससे लाभ मिलता है और नींद भी अच्छी आती है।
4.अच्छी नींद के लिए सुबह की शुरुआत योगा या जिम से करें। इससे पूरा दिन शरीर एनर्जेटिक रहेगा।
5.रात को सोने से पहले और डिनर के बाद वॉक करने से भी नींद अच्छी आती है।
6.सिगरेट और नशीले पदार्थों के सेवन से पूरी तरह बचना चाहिए।
7.चाय या कॉफी का सेवन सुबह से शाम तक सिर्फ दो बार ही करना चाहिए।
अगर दिनचर्या ठीक है और किसी प्रकार की परेशानी नहीं है, फिर भी नींद नहीं आती है तो चिकित्सकों से संपर्क करना बेहद जरुरी है। क्योंकि नींद नहीं आने की वजह से कई और परेशानियां शुरू हो सकती हैं।
[embed-health-tool-bmi]