यही नहीं, थायरॉइड हॉर्मोन (Thyroid hormone के कम प्रोडक्शन से टोटल और LDL कोलेस्ट्रॉल बढ़ता है। अत्यधिक थायरॉइड हॉर्मोन (Thyroid hormone) यानि हायपोथायरायडिज्म (hypothyroidism) का उल्टा प्रभाव होता है। एंड्रोजन डेप्रिवेशन थेरेपी (Androgen deprivation therapy), LDL कोलेस्ट्रॉल के स्तर को बढ़ा सकती है। एंड्रोजन डेप्रिवेशन थेरेपी (Androgen deprivation therapy) प्रोस्टेट कैंसर के विकास को रोकने के लिए पुरुष हार्मोन लेवल को कम करती है। यही नहीं, ग्रोथ हार्मोन की कमी के कारण भी LDL कोलेस्ट्रॉल लेवल (LDL Cholesterol level) बढ़ सकता है।
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सेक्स हॉर्मोन्स और कोलेस्ट्रॉल लेवल्स में कोरिलेशन के बारे में अधिक इंफॉर्मेशन (Sex hormones and Cholesterol levels)
रिसर्च यह भी बताती हैं कि दो सेक्स हॉर्मोन्स (Sex hormones) एस्ट्राडिओल (Estradiol) और एस्ट्रोन (Estrone), जिन्हें साथ में एस्ट्रोजन के नाम से भी जाना जाता है। यहपुरुषों में बैड कोलेस्ट्रॉल लेवल (Bad Cholesterol level) को बढ़ाने के लिए जिम्मेदार हो सकते हैं। इसके साथ ही यह गुड कोलेस्ट्रॉल लेवल (Good Cholesterol level) को भी कम कर सकते हैं। यह खास सेक्स हॉर्मोन्स (Sex hormones) पुरुषों में हार्ट डिजीज के मुख्य रिस्क फैक्टर्स हो सकते हैं। सेक्स हॉर्मोन्स और कोलेस्ट्रॉल लेवल्स में कोरिलेशन (Sex hormones and Cholesterol levels) के बारे में यह जानकारी बेहद आवश्यक है।
पुरुषों में, लो एस्ट्रोजन सामान्यता एक चिंता का विषय नहीं है। लेकिन, इसका हाय लेवल होना उनके लिए समस्या का विषय हो सकता है। क्योंकि पुरुषों का शरीर अत्यधिक एस्ट्रोजन को हैंडल नहीं कर पाता है। लेकिन, महिलाओं में इससे बिलकुल विपरीत होता है। पोस्ट मेनोपॉजल (Post-menopausal) महिलाओं में LDL कोलेस्ट्रॉल यानी बैड कोलेस्ट्रॉल का स्तर बढ़ जाता है। लेकिन, असल में, एस्ट्रोजन प्रोडक्शन में तेजी से गिरावट के कारण उनके शरीर में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा में बदलाव आ सकता है। एस्ट्रोजेन एंडोथेलियल फंक्शन (Endothelial function) को प्रोटेक्ट करता है, और एंडोटिलिन एक वैसोकॉन्स्ट्रिक्टर (Vasoconstrictor) है। इसलिए पोस्ट मेनोपॉजल (Post-menopausal) महिलाएं हृदय रोग और हृदय संबंधी समस्याओं के अधिक संवेदनशील हो जाती हैं।
यह तो थी सेक्स हॉर्मोन्स और कोलेस्ट्रॉल लेवल्स में कोरिलेशन (Sex hormones and Cholesterol levels) के बारे में जानकारी। आप इनके रिलेशन के बारे में जान गए होंगे। अब जानते हैं कि कोलेस्ट्रॉल लेवल (Cholesterol level) को कंट्रोल में कैसे रखा जा सकता है।

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कोलेस्ट्रॉल लेवल को कैसे रखें कंट्रोल में? (Manage cholesterol level)
सेक्स हॉर्मोन्स और कोलेस्ट्रॉल लेवल्स में कोरिलेशन (Sex hormones and Cholesterol levels) के बाद कोलेस्ट्रॉल लेवल (Cholesterol level) को कंट्रोल रखने के बारे में जानना भी आपके लिए आवश्यक है। जर्नल ऑफ द अमेरिकन कॉलेज ऑफ कार्डियोलॉजी (Journal of the American College of Cardiology) में प्रकाशित गाइडलाइन्स के मुताबिक कुछ फैक्टर्स के कारण कोलेस्ट्रॉल लेवल (Cholesterol level) बढ़ सकता है, जैसे फॅमिली हिस्ट्री और कुछ खास हेल्थ कंडिशंस जैसे क्रॉनिक किडनी डिजीज आदि। किंतु, कुछ हार्ट हेल्दी लाइफस्टाइल बदलाव के कारण हाय कोलेस्ट्रॉल को कंट्रोल में रखने में मदद मिलती है। यह हेल्दी बदलाव इस प्रकार हैं:
- लो-साल्ट डायट (Low-salt diet) का सेवन करें और फल, सब्जियों या साबुत अनाज को प्राथमिकता दें। एनिमल फैट का सेवन सीमित मात्रा में करें और गुड फैट्स का सेवन करें। यानी, हेल्दी आहार का ही सेवन करें। अनहेल्दी
- आहार शरीर में कोलेस्ट्रॉल लेवल (Cholesterol level) के बढ़ने का कारण बन सकता है।
- अगर आपका वजन अधिक है तो उसे कम करें। इसके लिए व्यायाम करें और अपने खानपान का ध्यान रखें। अगर आपका वजन सही है, तो उसे मैंटेन रखें।
- अगर आप स्मोकिंग करते हैं तो उसे पूरी तरह से छोड़ दें। इसके लिए डॉक्टर की मदद ली जा सकती है।
- व्यायाम करना न भूलें। दिन में कम से कम तीस मिनट्स तक एक्सरसाइज करें, ताकि आपको न केवल कोलेस्ट्रॉल लेवल को सही रखने में मदद मिले बल्कि आप सम्पूर्ण रूप से हेल्दी रहें।
- एल्कोहॉल का सेवन सिमित मात्रा में ही करें। कोलेस्ट्रॉल लेवल (Cholesterol level) के बढ़ने का यह भी एक कारण हो सकता है।
- स्ट्रेस को मैनेज करें। स्ट्रेस कई हेल्दी कंडिशंस का कारण हो सकता है। इसलिए आप मेडिटेशन या योगा करें, परिवारर के साथ समय बिताएं, म्यूजिक सुनें। अगर यह परेशानी आपको अधिक है तो डॉक्टर की सलाह अवश्य लें।