हमारा दिल यानी हार्ट शरीर के अन्य अंगों की तरह ही महत्वपूर्ण है। यह हमारे सर्कुलेटरी सिस्टम (Circulatory System) के ब्लड वेसल्स (Blood Vessels) के माध्यम से रक्त पंप करता है। यह पंप किया हुआ ब्लड ऑक्सीजन और अन्य न्यूट्रिएंट्स को शरीर तक ले कर जाता है। लेकिन, शरीर के अन्य अंगों में समस्या की तरह ही दिल संबंधी बीमारियां होना स्वभाविक है। इन हार्ट कंडीशंस में ब्लड वेसल्स संबंधी रोग या ब्लड क्लॉट्स आदि शामिल हैं। आज हम बात करने वाले हैं हार्ट की एक समस्या वायरल मायोकार्डिटिस (Viral Myocarditis) और वायरल मायोकार्डिटिस ट्रीटमेंट (Viral Myocarditis Treatment) के बारे में। लेकिन, सबसे पहले जान लेते हैं मायोकार्डिटिस किस रोग को कहा जाता है?
वायरल मायोकार्डिटिस ट्रीटमेंट से पहले जानें मायोकार्डिटिस क्या है? (Myocarditis)
मायोकार्डिटिस हार्ट मसल में होने वाली सूजन है। इस रोग के कारण हार्ट मसल और हार्ट के इलेक्ट्रिक सिस्टम प्रभावित होता है, जिससे दिल के ब्लड पंप करने की क्षमता कम हो जाती है। यही नहीं, इसके कारण हार्ट रिदम तेज और असामान्य हो सकती है। आमतौर पर, मायोकार्डिटिस वायरल इंफेक्शन के कारण होता है। लेकिन, यह बीमारी किसी दवा के रिएक्शन की वजह से हो सकती है या यह किसी सामान्य इंफ्लेमेटरी कंडीशन का हिस्सा भी हो सकती है। इसके लक्षणों में सीने में दर्द, थकान, सांस की तकलीफ और एरिथमिया (Arrhythmias) आदि शामिल हैं। गंभीर मायोकार्डिटिस के कारण दिल कमजोर हो सकता है।
जिससे शरीर के बाकी हिस्सों को पर्याप्त रक्त नहीं मिल पाता है। इससे दिल में थक्के बन सकते हैं, इसकी वजह से स्ट्रोक या दिल का दौरा पड़ सकता है। मायोकार्डिटिस का उपचार इसके कारण पर निर्भर करता है। वायरल मायोकार्डिटिस किसी वायरस की वजह से होने वाली हार्ट प्रॉब्लम है। जानते हैं इसके बारे में?
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वायरल मायोकार्डिटिस ट्रीटमेंट: वायरल मायोकार्डिटिस क्या है? (Viral Myocarditis)
मायोकार्डिटिस के कारणों को अक्सर पहचाना नहीं जा सकता है। इसके कई कारण हैं जैसे वायरस। कई वायरस को मायोकार्डिटिस से जोड़ा जाता है। वायरस के कारण होने वाली मायोकार्डिटिस की समस्या को वायरल मायोकार्डिटिस कहा जाता है। इन में साधारण सर्दी-जुकाम का वायरस, ह्यूमन हर्पीस वायरस 6 (Human Herpes Virus 6) और हेपेटाइटिस B और C (Hepatitis B and C) आदि शामिल हैं। इनके अन्य कारणों में इकोवायरस (Echovirus) जिसे गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल इन्फेक्शन (Gastrointestinal Infection)का कारण माना जाता है, एपस्टीन बार वायरस इफेक्शन (Epstein-Barr Virus Infection) जिसे मोनोन्यूक्लियोसिस का कारण माना जाता है और रूबेला वायरस (Rubella virus) जो जर्मन मीसल्स का कारण है, यह सब भी इसमें शामिल हैं।
वायरल मायोकार्डिटिस के लक्षण (Symptoms of Viral Myocarditis)
मायोकार्डिटिस के माइल्ड मामले या शुरुआती स्टेज में हो सकता है कि इस समस्या का कोई भी लक्षण नजर न आए या हो सकता है कि इसके लक्षण हल्के हों जैसे छाती में दर्द या सांस लेने में समस्या आदि। गंभीर मामलों में इसके लक्षण अलग हो सकते हैं और यह इस बीमारी के कारणों पर निर्भर करते हैं। इसके लक्षण इस प्रकार हो सकते हैं
- छाती में दर्द (Chest pain)
- हार्ट रिदम का तेज या एब्नार्मल होना (Rapid or Abnormal Heart Rhythms)
- सांस लेने में समस्या (Shortness of Breath)
- फ्लूइड रिटेंशन जिसमें टांगों, पैरों या एड़ियों में सूजन शामिल है (Fluid Retention)
- थकावट (Fatigue)
वायरल मायोकार्डिटिस की स्थिति में अन्य लक्षण भी नजर आ सकते हैं जैसे सिरदर्द, शरीर में दर्द, जोड़ों में दर्द, बुखार, गले में खराश या डायरिया आदि।
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बच्चों में वायरल मायोकार्डिटिस के लक्षण:
जब बच्चों को यह समस्या होती है तो उनमें यह लक्षण देखने को मिल सकते हैं:
- बुखार (Fever)
- बेहोशी (Fainting)
- सांस लेने में समस्या (Breathing difficulties)
- सांस का तेज होना (Rapid breathing)
- एरिथमिया (Arrhythmias)
डॉक्टर की सलाह कब लें?
अगर आपको इस समस्या का कोई भी लक्षण देखने को मिलता है तो डॉक्टर की सलाह लेना जरूरी है। अगर आपको वायरल मायोकार्डिटिस की समस्या है, तो इसके लक्षणों को लेकर सतर्क रहें। गंभीर स्थिति में तुरंत मेडिकल हेल्प लेना आवश्यक है। अब जानते हैं वायरल मायोकार्डिटिस ट्रीटमेंट (Viral Myocarditis Treatment) के बारे में।
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वायरल मायोकार्डिटिस निदान (Viral Myocarditis Diagnosis)
वायरल मायोकार्डिटिस ट्रीटमेंट (Viral Myocarditis Treatment) से पहले इसके निदान के बारे में जानना जरूरी है। क्योंकि सही निदान के बाद ही उपचार संभव है। यही नहीं, जल्दी निदान से लॉन्ग टर्म हार्ट डैमेज से भी बचा जा सकता है। इस समस्या के निदान के लिए डॉक्टर सबसे पहले रोगी की शारीरिक जांच करते हैं। इसके बाद कुछ टेस्ट से इस बीमारी के बारे में कन्फर्म किया जाता है और इसकी गंभीरता को भी जाना जा सकता है। यह टेस्ट इस प्रकार हैं:
इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम (Electrocardiogram)
यह टेस्ट हमारे दिल के इलेक्ट्रिकल पैटर्न के बारे में बताता है और इससे एब्नार्मल रिदम का भी पता लगाया जा सकता है।
चेस्ट एक्स -रे (Chest X-Ray)
दिल के साइज और शेप के बारे में जानने के लिए एक्स-रे (X-Ray) बहुत जरुरी है, इसके साथ ही इससे यह भी पता चलता है कि हार्ट में या आसपास फ्लूइड तो नहीं है।
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मैग्नेटिक रेजोनेंस इमेजिंग (Magnetic Resonance Imaging)
कार्डियक मैग्नेटिक रेजोनेंस इमेजिंग से दिल का साइज, शेप और स्ट्रक्चर का पता चलता है। यह टेस्ट हार्ट मसल में सूजन के लक्षणों को भी बताता है।
इकोकार्डियोग्राम (Echocardiogram)
इस टेस्ट में साउंड वेव्स (Sound Waves) द्वारा बीटिंग हार्ट की मूविंग इमेज बनाई जाती है। इस टेस्ट से हार्ट की एंलार्जेमेंट, पुअर पम्पिंग फंक्शन, वॉल्व प्रॉब्लम्स, हार्ट में क्लॉट या हार्ट के आसपास फ्लूइड आदि का भी पता चलता है।
नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इंफॉर्मेशन (National Center for Biotechnology Information) के अनुसार लेफ्ट वेंट्रिकुलर फंक्शन (Left Ventricular Function) के बारे में जानने के लिए एकोकार्डिओग्राफी जरूरी है। ताकि हार्ट फेलियर के कारणों को दूर किया जा सके जैसे वैलव्युलर (Valvular), कॉन्जेनिटल (Congenital) या एमिलॉयडोसिस हार्ट डिजीज (Amyloid Heart Disease) आदि।
ब्लड टेस्ट्स (Blood tests)
ब्लड टेस्ट्स से व्हाइट और रेड ब्लड सेल काउंट्स के साथ ही कुछ खास एंजाइम के बारे में पता चलता है जो इस बात की तरफ इशारा करते हैं कि आपके हार्ट मसल को नुकसान हुआ है या नहीं। इसके साथ ही वायरस के अगेंस्ट एंटीबाडीज के बारे में भी इससे पता चलता है। अब जानते हैं वायरल मायोकार्डिटिस ट्रीटमेंट (Viral Myocarditis Treatment) के बारे में।
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वायरल मायोकार्डिटिस ट्रीटमेंट किस तरह से संभव है? (Treatment of Viral Myocarditis)
कई मामलों में वायरल मायोकार्डिटिस की समस्या खुद ही ठीक हो जाती है। वायरल मायोकार्डिटिस ट्रीटमेंट (Viral Myocarditis Treatment) इसके कारणों और लक्षणों पर निर्भर करता है। मायोकार्डिटिस की समस्या अगर बैक्टीरिया के कारण है, तो एंटीबायोटिक्स और पर्याप्त आराम से आपका उपचार संभव है। वायरल मायोकार्डिटिस की स्थिति में एंटीवायरल मेडिकेशन्स भी उपलब्ध हैं। लेकिन यह उपचार इस समस्या के अधिकतर मामलों में प्रभावी साबित नहीं होते हैं। कुछ खास दुर्लभ वायरल मायोकार्डिटिस जैसे जायंट सेल और इओसिनोफिलिया मायोकार्डिटिस (Eosinophilic Myocarditis) की स्थिति में इम्युनिटी को सप्रेस के लिए कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स या अन्य दवाओं के लिए रिस्पॉन्ड करते हैं। कुछ मामलों में क्रोनिक बीमारियों, जैसे ल्यूपस के कारण, उपचार अंडरलायिंग डिजीज पर निर्देशित होता है।
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दवाईयां
वायरल मायोकार्डिटिस के कारण हार्ट फेलियर और एरिथमिया (Arrhythmias) की समस्या हो सकती है, इस स्थिति में दवाईयों और अन्य उपचारों की जरूरत हो सकती है। कुछ खास एब्नार्मल हार्ट रिदम (Abnormal Heart Rhythm) या गंभीर हार्ट फेलियर में रोगी को हार्ट में ब्लड क्लॉट (Blood clots) के जोखिम को कम करने में लिए दवाईयां दी जा सकती हैं। वायरल मायोकार्डिटिस ट्रीटमेंट (Viral Myocarditis Treatment) के लिए दवाईयां इस प्रकार हैं:
- अगर रोगी का हार्ट कमजोर है तो डॉक्टर आपको कुछ दवाईयों की सलाह दे सकते हैं ताकि हार्ट का वर्कलोड कम हो सके और एक्सेस फ्लूइड को कम किया जा सके। इन दवाईयों में एंजियोटेंसिन कंवर्टिंग एंजाइम इन्हिबिटर्स (Angiotensin-Converting Enzyme Inhibitors) शामिल हैं यह दवाईयां हैं इनालाप्रिल (Enalapril), कैप्टोप्रिल ( captopril), लिसिनोप्रिल ( lisinopril), जो हार्ट में ब्लड वेसल को रिलैक्स करने में मदद करती है और ब्लड को फ्लो करने में आसानी होती है।
- बीटा ब्लॉकर्स (Beta Blockers) : बीटा ब्लॉकर्स जैसे मेटोप्रोलोल (Metoprolol), बिसोप्रोलोल (Bisoprolol) जो हार्ट फेलियर का उपचार करती हैं।
- डायूरेटिक्स (Diuretics) :डायूरेटिक्स जैसे फ्यूरोसेमाइड (Furosemide) सोडियम और फ्लूइड रिटेंशन से आराम पहुंचाते हैं
गंभीर मामलों में वायरल मायोकार्डिटिस ट्रीटमेंट (Viral Myocarditis Treatment) के लिए यह तरीके अपनाएं जाते हैं:
- इंट्रावेनस (IV) मेडिकेशन्स (Intravenous (IV) Medications)
- वेंट्रिकुलर असिस्ट डिवाइस (Ventricular Assist Devices)
- इंट्रा-एओर्टिक बैलून पंप (Intra-aortic Balloon Pump)
- एक्स्ट्राकोपोरियल मेम्ब्रेन ऑक्सीजनेशन (Extracorporeal Membrane Oxygenation)
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वायरल मायोकार्डिटिस से कैसे बचें? (Prevention of Viral Myocarditis)
वायरल मायोकार्डिटिस से बचना वैसे संभव नहीं है, लेकिन कुछ टिप्स को अपना कर आप इंफेक्शन की संभावनाओं को कम कर सकते हैं। यह तरीके इस प्रकार हैं:
- जिन लोगों को वायरल या फ्लू जैसी बीमारी है उन लोगों के सम्पर्क में आने से तब तक बचें, जब तक वो पूरी तरह से ठीक न हो जाए। अगर आपको वायरल के लक्षण हैं तो आप अन्य लोगों से दूर रहें।
- नियमित हैंड वाश से भी बीमारियां फैलने की संभावना कम होती है। ऐसे में साफ़-सफाई और हायजीन का खास ध्यान रखें।
- वायरस के सम्पर्क में आने से बचने के लिए टिक्स से बचें। इसके लिए आप बाहर जाते हुए पूरे कपड़े पहनें और टिक या इन्सेक्ट रीपेलेंट्स का प्रयोग करें।
- वैक्सीन कराएं। रूबेला और इन्फ्लुएंजा से बचने के लिए डॉक्टर की सलाह के अनुसार वैक्सीन लें।
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यह तो थी वायरल मायोकार्डिटिस ट्रीटमेंट (Viral Myocarditis Treatment) के बारे में जानकारी। इसके साथ ही इस समस्या से रिकवर होने के लिए आराम बहुत जरूरी है। डॉक्टर जल्दी रिकवर होने के लिए आपको सही व्यायाम और आहार के बारे में भी पूरी जानकारी देंगे। अगर आप हार्ट डैमेज से बचन चाहते हैं तो अपने आहार में नमक की मात्रा कम रखें, स्मोकिंग न करें और एल्कोहॉल का सेवन करने से भी बचें। इसके साथ ही डॉक्टर से यह भी जानें कि आपको कौन से फ्लूइड का सेवन करना चाहिए और कितनी मात्रा में नमक लेना आपके लिए सही है। अगर आपको इसके कोई भी लक्षण नजर आते हैं, तो तुरंत डॉक्टर की सलाह लेना जरुरी है
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