डॉक्टर और हम सब यही मानते हैं कि नियमित एक्सरसाइज करना स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होता है। डायबिटीज (Diabetes), ब्लड प्रेशर (Blood pressure) या कोलेस्ट्रॉल (Cholesterol) के रोगियों के लिए तो व्यायाम करना बेहद आवश्यक माना जाता है। लेकिन, कुछ स्थितियों में व्यायाम से पहले डॉक्टर की सलाह बेहद जरूरी है। इसलिए किसी भी नई एक्सरसाइज की शुरुआत से पहले डॉक्टर की राय लेने को आवश्यक माना जाता है। हार्ट पेशेंट्स के लिए भी यह बात लागू होती है। दरअसल हार्ट की कुछ स्थितियों जैसे हार्ट फेलियर में रोगी को बेड रेस्ट के लिए कहा जाता है। आज हम बात करने वाले हैं दिल की स्टिफनेस के साथ व्यायाम (Heart stiffness and exercise) के बारे में। दिल की स्टिफनेस के साथ व्यायाम (Heart stiffness and exercise) से पहले हार्ट स्टिफनेस (Heart stiffness) के बारे में जान लेते हैं। जानिए किसे कहते हैं दिल की स्टिफनेस?
क्या है दिल की स्टिफनेस या हार्ट स्टिफनेस (Heart stiffness)
हार्ट तब स्टिफ होता है, जब हमारे हार्ट मसल्स हाय ब्लड प्रेशर (High blood pressure) के कारण थिक हो जाते हैं। शुरुआत में शुरू में यह थिकनिंग शरीर में ब्लड फ्लो (Blood flow) को बनाए रखने के लिए पंप फंक्शन को बढ़ाने में मदद करती है। लेकिन, बाद में पंप का सख्त होना और हृदय में दबाव बनना शुरू हो जाता है। जिससे रोगी को सांस लेने में तकलीफ होती है और लंग्स और लेग्स में फ्लूइड रिटेंशन होता है। इसे कंजेस्टिव हार्ट फेलियर (Congestive heart failure) कहा जाता है।
यह एक गंभीर मेडिकल कंडीशन है। क्योंकि, इस समस्या के बाद लाइफ एक्सपेक्टेंसी (Life expectancy) तेजी से कम हो सकती है। इसलिए हमें इससे बचाव के बारे में सोचना और प्लान करना चाहिए। दिल की स्टि
फनेस के साथ व्यायाम (Heart stiffness and exercise) के बारे में अधिक जानने से पहले हार्ट स्टिफनेस (Heart stiffness) के लक्षणों के बारे में जान लेते हैं।
और पढ़ें: हार्ट पेशेंट के लिए स्वीटनर : इसे अपने डायट में शामिल करने से पहले जान लें ये बातें
क्या है हार्ट स्टिफनेस के लक्षण? (Symptoms of Heart stiffness)
जैसा की पहले ही बताया गया है कि हार्ट स्टिफनेस (Heart stiffness) एक गंभीर समस्या है। यह जान के लिए जोखिम भरी भी हो सकती है। इस समस्या से बचाव के लिए भी कई चीजों का ध्यान रखना जरूरी है। इस समस्या के लक्षण इस प्रकार हैं:
- थकावट (Fatigue)
- एक्सरसाइज एबिलिटी का कम होना (Reduced exercise ability)
- पल्पिटेशन्स (Palpitations)
- एक्टिविटी करने पर सांस लेने में समस्या (Shortness of breath with activity)
- पेट, टांगों, घुटनों या शरीर के अन्य भागों में सूजन होना (Swelling)
- सीधा लेटने पर सांस लेने में समस्या होना (Trouble breathing while lying flat)
यह तो थे इस परेशानी के कुछ लक्षण। अगर किसी को यह परेशानी है, तो उसे अपने डॉक्टर से इसके बारे में पूरी जानकारी लेनी चाहिए। क्योंकि, यह समस्या भविष्य में गंभीर हो सकती है। ऐसे में इससे बचाव के तरीकों के बारे में जानना भी जरूरी है। अब जानते है दिल की स्टिफनेस के साथ व्यायाम (Heart stiffness and exercise) के बारे में।
और पढ़ें: हार्ट हेल्थ के लिए बीन्स और दालें हो सकती हैं बेहद फायदेमंद, जान लीजिए इनके नाम
दिल की स्टिफनेस के साथ व्यायाम: पाएं जानकारी (Heart stiffness and exercise)
हार्ट बीटिंग को दो फेसेस में बांटा गया है एक बीटिंग फेज (Beating phase) और रिलैक्सेशन फेज (Relaxation phase)। इसमें बीटिंग फेज को सिस्टोल कहा जाता है और रिलेक्सेशन फेज को डायस्टोल कहा जाता है। डायस्टोलिक डिसफंक्शन (Diastolic Dysfunction) में हार्ट मसल में स्टिफनेस का हार्टबीट की डायस्टोलिक फेज (Diastolic Phase) पर प्रभाव पड़ता है। इससे हार्ट मसल्स को रिलेक्स होने में मुश्किल होती है। एक्सरसाइज के दौरान, हार्ट सामान्य रूप से प्रत्येक बीट के साथ पंप किए जाने वाले ब्लड की मात्रा को काफी हद तक बढ़ाने में सक्षम होता है। इस वृद्धि का एक हिस्सा, निश्चित रूप से, ब्लड को तेजी से बाहर निकालने के लिए, सिस्टोल के दौरान एक स्ट्रांग कंट्रक्शन है। किंतु, उतना ही महत्वपूर्ण है डायस्टोल के दौरान हार्ट को तेजी से ब्लड फील करने की क्षमता।
डायस्टोलिक डिस्फंक्शन यानी एक स्टिफ डायस्टोलिक डिसफंक्शन (Diastolic Dysfunction) इस ब्लड को तेजी से भरने को रोकता है। जिससे, प्रत्येक दिल की धड़कन के साथ हार्ट जितना रक्त पंप कर सकता है, वह सीमित हो जाता है। डायस्टोलिक डिसफंक्शन के रोगियों में एक्सरसाइज कैपेसिटी सीमित होती हैं। लेकिन, हाल में हुई स्टडी से पता चला है नियमित रूप से एरोबिक एक्सरसाइज करने से डायस्टोलिक डिसफंक्शन के कारण होने वाली हार्ट मसल्स स्टिफनेस को रिवर्स किया जा सकता है। हालांकि, डायस्टोलिक डिसफंक्शन (Diastolic Dysfunction) के कारण व्यक्ति की एक्सरसाइज करने की क्षमता कम हो जाती है, जिससे हार्ट फेलियर भी हो सकता है। लेकिन, एरोबिक एक्सरसाइज से इस समस्या के लक्षणों को कम किया जा सकता है और लाइफ की क्वालिटी बढ़ाई जा सकती है। अब जानते हैं दिल की स्टिफनेस के साथ व्यायाम (Heart stiffness and exercise) में एरोबिक एक्सरसाइज (Aerobic Exercise) के बारे में।
और पढ़ें: हार्ट डिजीज के लिए जड़ी-बूटियों का उपयोग हो सकता है फायदेमंद, जान लीजिए इनके नाम
दिल की स्टिफनेस के साथ व्यायाम में एरोबिक एक्सरसाइज (Aerobic Exercise)
दिल की स्टिफनेस के साथ व्यायाम (Heart stiffness and exercise) में एरोबिक एक्सरसाइज (Aerobic Exercise) के बारे में जानकारी होना जरूरी है। ऐसा माना जाता है कि नियमित एरोबिक ट्रेनिंग से हार्ट स्टिफनेस से एक्सरसाइज कैपेसिटी को सुधारा जा सकता है। इसके साथ ही इससे हार्ट फेलियर के रोगियों के जीवन की गुणवत्ता भी इम्प्रूव होती है। रिसेंटली, यह भी पाया गया है कि डायस्टोलिक डिस्फंक्शन (Diastolic Dysfunction) के रोगियों में एरोबिक ट्रेनिंग से अच्छे परिणाम पाए जा सकते हैं। यानी, इससे हार्ट मसल्स की स्टिफनेस को कम किया जा सकता है और इसके साथ ही डायस्टोल के दौरान हार्ट फिलिंग को सुधारा जा सकता है।
यह बात की जानकारी होना भी जरूरी है कि डायस्टोलिक डिसफंक्शन (Diastolic Dysfunction) की स्थिति में एरोबिक एक्सरसाइज करना लाभदायक हो सकता है। यानी दिल की स्टिफनेस के साथ व्यायाम (Heart stiffness and exercise) में एरोबिक एक्सरसाइज (Aerobic Exercise) करना फायदेमंद है। लेकिन, इस स्थिति में वेट लिफ्टिंग (Weight lifting) या स्ट्रेंथ ट्रेनिंग (Strength training) से फायदा नहीं होता है। असल में ऐसे सबूत भी मिले हैं कि स्ट्रेंथ ट्रेनिंग (Strength training) से यह समस्या बढ़ सकती है। एरोबिक एक्सरसाइज में वॉकिंग, साइकिलिंग और जॉगिंग आदि शामिल हैं।
और पढ़ें: जब हो हार्ट की दिक्कत, तो पड़ सकती है एरिथमिया टेस्ट की जरूरत!
एरोबिक एक्सरसाइज और रेजिस्टेंस ट्रेनिंग से कैलोरीज बर्न होती हैं। यानी वजन सही रहता है जो हार्ट डिजीज के लिए एक बड़ा रिस्क फैक्टर है। हालांकि, रेजिस्टेंस ट्रेनिंग की सलाह हार्ट स्टिफनेस की स्थिति में नहीं दी जाती है। लेकिन, एरोबिक एक्सरसाइज से इस समस्या से भी राहत पाई जा सकती है। इसके साथ ही हार्ट स्टिफनेस (Heart stiffness) की स्थिति में लो इंटेंसिटी एक्सरसाइजेज को भी किया जा सकता है। अगर आप दिल की स्टिफनेस के साथ व्यायाम (Heart stiffness and exercise) के बारे में अधिक जानकारी चाहते हैं, तो डॉक्टर की सलाह अवश्य लें।
और पढ़ें: हार्ट संबंधी बीमारियों में एआरएनआई मेडिसिन का क्या होता है अहम रोल?
दिल की स्टिफनेस के साथ व्यायाम में स्ट्रेचिंग, फ्लेक्सिबिलिटी और बैलेंस (Stretching, Flexibility and Balance)
फ्लेक्सिबिलिटी वर्कआउट जैसे स्ट्रेचिंग हालांकि हार्ट हेल्थ या हार्ट स्टिफनेस (Heart stiffness) को दूर करने में सीधेतौर पर प्रभाव नहीं डालती है लेकिन ऐसा माना जाता है कि इससे मसक्यूलोस्केलेटल हेल्थ (Musculoskeletal Health) को फायदा होता है। जिससे जोड़ों में दर्द से छुटकारा मिलता है। ताई ची (Tai chi) और योगा (Yoga) इसका अच्छा उदाहरण हैं। संक्षेप में कहा जाए तो शारीरिक रूप से एक्टिव रहना हार्ट हेल्थ के लिए बेहद जरूरी है। इससे हार्ट मसल मजबूत होती हैं, वजन कम होता है और कई अन्य कॉम्प्लीकेशन्स भी हो सकती हैं। यह तो थी दिल की स्टिफनेस के साथ व्यायाम (Heart stiffness and exercise) के बारे में जानकारी। अब जानते हैं कि हार्ट स्टिफनेस (Heart stiffness) से कैसे छुटकारा पाया जा सकता है?
और पढ़ें: माइल्ड हार्ट अटैक: क्या इस हार्ट अटैक के बारे में यह सब जानते हैं आप?
हार्ट स्टिफनेस से कैसे बचें? (Prevention from Heart stiffness)
दिल की स्टिफनेस के साथ व्यायाम (Heart stiffness and exercise) के बारे में तो आप जान ही गए होंगे। इस समस्या से बचाव के बारे में जानकारी होना और भी अधिक आवश्यक है। लेकिन, हार्ट स्टिफनेस (Heart stiffness) से बचने के लिए सबसे जरूरी है अपने ब्लड प्रेशर (Blood pressure) के बारे में जानकारी होना। अगर आपका ब्लड प्रेशर (Blood pressure) हाय है तो इसे सही रखना बेहद जरूरी है। इसके लिए आपको डॉक्टर से जांच करानी चाहिए और उनकी सलाह का पालन करना चाहिए। इसके अलावा अधिक नमक युक्त चीजों, एल्कोहॉल का सेवन कम करना और वजन को कम करना भी आपके लिए बेहद जरूरी है। अगर इन तरीकों से आपका ब्लड प्रेशर सही नहीं होता है तो डॉक्टर इसके लिए आपको कुछ दवाइयों को लेने की सलाह भी दे सकते हैं।
हाय ब्लड प्रेशर (High blood pressure) को अक्सर साइलेंट किलर (Silent killer) माना जाता है क्योंकि इससे पीड़ित अधिकतर लोगों में लम्बे समय तक इसका कोई भी लक्षण नजर नहीं आता है। ऐसे में अगर आपकी हाय ब्लड प्रेशर (High blood pressure) की हिस्ट्री है तो अपने डॉक्टर से समय-समय पर अपने ब्लड प्रेशर (Blood pressure) को मॉनिटर कराएं। यही नहीं, आपके लिए हेल्दी हैबिट्स अपनाना भी जरूरी है जैसे अपने वजन को सही रखना, खानपान का ध्यान रखना, तनाव से बचाव आदि। इस स्थिति में आप एक्सरसाइज के बारे में भी अपने डॉक्टर से अवश्य जान लें।
और पढ़ें: हायपरटेंशन में एक्यूप्रेशर भी पहुंचा सकता है आराम, जानिए ब्लड प्रेशर को कम करने वाले पॉइंट्स के बारे में
उम्मीद है कि दिल की स्टिफनेस के साथ व्यायाम (Heart stiffness and exercise) के बारे में यह जानकारी आपको पसंद आई होगी। हार्ट स्टिफनेस (Heart stiffness) या अन्य हार्ट डिजीज (Heart disease) हर किसी के लिए भी गंभीर मुद्दा है। इसमें कोई दो राय नहीं है कि व्यायाम करने से हमें संपूर्ण रूप से हेल्दी रहने में मदद मिलती है। लेकिन, अगर आप किसी खास समस्या से पीड़ित हैं तो किसी भी व्यायाम को शुरू करने से पहले डॉक्टर और किसी एक्सपर्ट की राय और मार्गदर्शन लेना बेहद जरूरी है। अगर इसके बारे में आपके दिमाग में कोई भी सलाह है तो आप उस सवाल को अपने डॉक्टर से जानना न भूलें।
आप हमारे फेसबुक पेज पर भी अपने सवालों को पूछ सकते हैं। हम आपके सभी सवालों के जवाब आपको कमेंट बॉक्स में देने की पूरी कोशिश करेंगे। अपने करीबियों को इस जानकारी से अवगत कराने के लिए आप ये आर्टिकल जरूर शेयर करें।
[embed-health-tool-heart-rate]